आजाद न्यूज के देवेंद्र ने साधना ज्वाइन किया : खबर है कि सहारा समय न्यूज चैनल में वरिष्ठ पद पर कार्यरत टीवी जर्नलिस्ट और एंकर संजय ब्रागटा से इस्तीफा ले लिया गया है. संजय ब्रागटा पहले आज तक में थे. वे पुण्य प्रसून की टीम के साथ सहारा समय का हिस्सा बने थे लेकिन पुण्य प्रसून से जब सहारा समय वालों का विवाद हुआ तो संजय ब्रागटा ने पुण्य की बजाय सहारा समय प्रबंधन के साथ खड़े हो गए थे. तब से संजय ब्रागटा लगातार चैनल के साथ बने हुए थे. पर सुमित राय की विदाई और उपेंद्र राय के आगमन के बाद माना जा रहा था कि संजय ब्रागटा को साइडलाइन किया जाएगा.
लेकिन सीईओ और एडिटर इन चीफ के पद पर संजीव श्रीवास्तव के आ जाने से संजय ब्रागटा को संरक्षण मिल गया था. संजीव श्रीवास्तव के अचानक इस्तीफा देने के बाद संजय ब्रागटा फिर अकेले पड़ गए थे. संजय ब्रागटा से इस्तीफा ले लिया गया है, यह खबर पूरी तरह पुष्ट हो चुकी है. भड़ास4मीडिया ने संजय ब्रागटा का पक्ष जानने के लिए उन्हें फोन किया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. प्रबंधन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि संजय ब्रागटा को अन्य पुराने वरिष्ठों की तरह नए प्रबंधन ने सत्ता संभालने के तुरंत बाद चेतावनी दे दी थी कि वे कुछ महीनों में खुद नया ठिकाना तलाश लें. पर संजय ब्रागटा एलर्ट होने की जगह संजीव श्रीवास्तव की शरण में चले गए जो पूर्व परिचित थे.
सूत्रों का कहना है कि संजय ब्रागटा को संरक्षण देने के मुद्दे पर संजीव श्रीवास्तव और उपेंद्र राय के बीच तनातनी हो गई. कई अन्य ऐसे ही मसलों पर संजीव श्रीवास्तव व उपेंद्र राय के बीच तनातनी हुई तो सहारा के शीर्ष प्रबंधन ने संजीव को साफ कर दिया कि उन्हें खुद को बदलना होगा और सहारा मीडिया में अगर किसी की चलेगी तो वे उपेंद्र राय हैं. इसी के बाद संजीव श्रीवास्तव ने इस्तीफा दे दिया.
संजीव के जाने के बाद यह चर्चा आम हो गई थी कि उनके करीबी लोगों पर गाज गिरनी तय है. कुछ ने तो खुद छोड़ दिया पर संजय ब्रागटा ने इस्तीफा नहीं दिया. सूत्रों के मुताबिक संजय चाहते थे कि प्रबंधन तीन महीने की सेलरी देकर उन्हें विदा करे. ऐसी ही रणनीति कुछ अन्य वरिष्ठों ने भी अपनाई थी. पर ऐसा न हो सका और ब्रागटा से जबरन इस्तीफा लिखवा लिया गया.
आज़ाद न्यूज़ के प्रोड्यूसर देवेंद्र के बारे में सूचना मिली है कि उन्होंने साधना न्यूज़ ज्वाइन कर लिया है. देवेंद्र साधना में उत्तराखंड हिमाचल चैनल में प्रोग्रामिंग संभालेंगे. देवेंद्र ने टोटल टीवी से अपने करियर की शुरुआत की थी. आज़ाद न्यूज़ में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर देवेंद्र के कई प्रोग्राम थे. प्रोग्रामिंग के अलावा देवेंद्र कई प्राइम टाइम कार्यक्रमों के एंकर भी थे.
Chandan Singh (Patna)
May 17, 2010 at 11:11 am
Gaya kam se …. akhir ye v nahi bach paye…… or v kuchh bina kam ke log sahara mai hai unhe v samay ke sath na chalne ko kaha jay to es channel ka development ho sakta hai………
Kuchh kukarmutte HR department mai v hai care kare
Thank for Sahara Tv HR
xyz
May 17, 2010 at 11:55 am
Thats very non democratic and sadistic behaviour the they tried to insult ne one like dis i blv these people shuld go for som phyco chekup coz its not normal at all to unnecessary harras someone and feel good about it Sanjay Ji dont feel bad at all….. No one can replace God in dis world .
Alim Athar
May 17, 2010 at 1:04 pm
Abb shayad Sahara Samay se gandi politics kam hogi.Ye bahut pahle ho jana chahiye tha lekin chalo der aaye duroost aaye……Main Sahara Prabandhan ka shukriya ada karna chahunga ki unhone ye kadam uthaya…Aap ye kah sakte hain ki Sahara Samay ka ek KACHRA saaf ho gya
ajay golhani
May 17, 2010 at 3:05 pm
Devendra ji ko badhai
suman arya
May 17, 2010 at 3:24 pm
this is the harsh reality of media, though i personally don’t consider him( sanjay) a great journalist, but the he was ousted, shows the degradation of media. For sanjay, i can only say that as long as he served in sahara, he tried to manage his position by lobbying with his mentors, instead of emerging as a brand, which he could have done.
asheesh
May 17, 2010 at 4:02 pm
संजय बरागटा एक भले इंसान हैं….उनके साथ ऐसा व्यवहार सहारा जैसे ग्रुप को शोभा नहीं देता….दरअसल ग्रुप को दोष देना भी ठीक नहीं….ये ग्रुप इतना बड़ा हो चुका है और विराधाभासों से इस कदर भरा हुआ है कि उसका राम ही मालिक है….बरागटा जी आपके लिए शुभकामनाएं….
योगराज शर्मा
May 17, 2010 at 4:21 pm
संजय ब्रागटा एक योग्य और गुणी पत्रकार है… उनके लिए ऐसे इस्तीफों के ज्यादा मायने नहीं है.. एक जगह छोडी है तो दस जगह उन्हें लेने वाले तैयार बैठे होंगे… लेकिन सहारा समूह के लिए अच्छे पत्रकारों की कमी नुक्सानदेह ही होगी… ब्रागटा जी के लिए हमारी शुभकामनाएं…
vljay chauhan
May 17, 2010 at 7:31 pm
संजय भाई आखिर आप सहारा के बंधन से मुक्त हो ही गए.याद है वो दिन जब बड़े ताम झाम के साथ प्रसून के साथ सहारा पहुंचे थे.वो गए और आपने मौके का फायदा उठाया.खुद सुमित राय से सेटिंग की और बन गए समय के अगुवा.अपने को मज़बूत करने के लिए मोटे वेतन पर संजय पाठक को लाए,और जैसे ही मामला खराब हुआ तो उनको भी दूध में से मक्खी की तरह निकाल फेंका.आखिर बकरे की मां कब तक खैर मनाती.आपका नंबर तो आना ही था.उपेन्द्रजी आए और आपका काम भी पूरा हो गया.लेकिन तरीका गलत था.दुनिया को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले पत्रकार अपनी ही बिरादरी में ऐसे पेश आते हैं.ये शर्म की बात है.बड़े अचरज की बात है कि सहारा में जिसे सत्ता मिलती है वो इतना मदहोश हो जाता है कि सही गलत की पहचान ही भूल जाता है.जबकि यहा कब आपके पैरों के नीचे से ज़मीन निकल जाएगी कुछ पता नहीं.मार्केट में चर्चा सहारा के एंकरों को लेकर है किसका नंबर आने वाला है क्या ब्रागटा के नज़दीक और मोटी रकम उठाने वाले कुछ एंकर भी जा सकते हैं.जल्द ही शायद इसका खुलासा हो.खैर संजय आप टैलेंटेड रिपोर्टर थे ज़बर्दस्ती एंकर बन गए.वापस रिपोर्टिंग करिए तरक्की कर पाएंगे.एक बात और अपनी टीम के साथ खड़े होना सीखिए.तभी असल तरक्की कर पाएंगे,आपका सीनियर हूं और शुभचिंतक भी इसलिए समझा रहा हूं.शुभकामनाएं
Your fan....
May 18, 2010 at 3:53 am
are bhai jab aapne Punya Prasoon je ka saath nahi diya to aapka saath bhal kaun dega…. Sahara HR ne jo kiya wo jaise ko taisa karne wali baat hai….. ye kaam pahle hi ho jana chahiye tha jo ab ja ke hua hai. Baragata je is se kuch sabak lijiyega … Good Bye Baragata jee…….
sumit mishra
May 18, 2010 at 7:09 am
आजकल पत्रकारिता में कौन कितना लायक है, ये बता पाना मुश्किल है, नया बंदा आता है पुराने को घर जाने का रास्ता दिखाया जाता है……लेकिन शायद नए को ये नहीं पता कि उसकी भी वैसी ही दुर्गत आज नहीं तो कल होनी ही है। जिस तरह के हालात इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बनते जा रहे है उससे साफ दिखाई दे रहा है कि चैनल को चलाने वाले कम आ रहे है और राजनीति से अपनी जेब ज्यादा भर रहे है…….ऐसा लगता कि अब पत्रकार बचे ही नहीं है, अगर कोई बचा है तो सिर्फ राजनीति करने वाला…..
bhuvanesh
May 18, 2010 at 12:02 pm
संजय ब्रागटा जी पत्रकारिता करो, दलाली नहीं। आपने मेरे मित्र पुण्य प्रसून की पीठ में छुरा घोंपा और अब आप भी अलविदा हो गए। मैनेजमेंट को मक्खन लगाने से अच्छा था अपनी बिरादरी के पत्रकार का साथ देते। आपको जो शख्स सहारा तक लाया था आपने अंत में उसे ही छोड़ दिया। खुद्दार होना सीखो, गद्दार होना नहीं।
कुमार
May 18, 2010 at 5:44 pm
चल उड जा रे पंक्षी कि अब ये देश हुआ बेगाना…….
pawan krishna mishra,Producer,azad news
May 19, 2010 at 7:25 pm
नई पारी के लिए देवेंद्र आपको ढेर सारी शुभकामनाए….