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खबर छापेंगे पर कितनी प्रतियां खरीदोगे?

मीडिया का मूड किस कदर बदल गया है, इसके किस्से तो आप सभी रोज-रोज सुन-पढ़ रहे होंगे. आज हम बताते हैं आपको एक नई बात. चुनाव के दरम्यान नेताओं द्वारा अपने फेवर में खबर प्रकाशन प्रसारण के लिए पैसे देने के मामले के बाद अब गुपचुप तरीके से नये-नये हथकंडों के जरिए खबर छापने/प्रसारित करने का सिलसिला जारी है। खासकर बिहार में तो इस काम में दस टकिया पत्रकारों को मोहरा बनाया जा रहा है।

<p style="text-align: justify;">मीडिया का मूड किस कदर बदल गया है, इसके किस्से तो आप सभी रोज-रोज सुन-पढ़ रहे होंगे. आज हम बताते हैं आपको एक नई बात. चुनाव के दरम्यान नेताओं द्वारा अपने फेवर में खबर प्रकाशन प्रसारण के लिए पैसे देने के मामले के बाद अब गुपचुप तरीके से नये-नये हथकंडों के जरिए खबर छापने/प्रसारित करने का सिलसिला जारी है। खासकर बिहार में तो इस काम में दस टकिया पत्रकारों को मोहरा बनाया जा रहा है।</p> <p>

मीडिया का मूड किस कदर बदल गया है, इसके किस्से तो आप सभी रोज-रोज सुन-पढ़ रहे होंगे. आज हम बताते हैं आपको एक नई बात. चुनाव के दरम्यान नेताओं द्वारा अपने फेवर में खबर प्रकाशन प्रसारण के लिए पैसे देने के मामले के बाद अब गुपचुप तरीके से नये-नये हथकंडों के जरिए खबर छापने/प्रसारित करने का सिलसिला जारी है। खासकर बिहार में तो इस काम में दस टकिया पत्रकारों को मोहरा बनाया जा रहा है।

यह चौंकाने वाला तथ्य है या नहीं, यह नहीं कहा जा सकता लेकिन बिहार के कई जिलों में तैनात पत्रकारों से खबर छापने के बदले अखबारों की प्रतियां बिकवाई जाती है। इसमें बड़े मीडिया ग्रुप शामिल हैं। बिहार के कई जिलों के अखबारों से जुड़े पत्रकारों ने बताया कि किसी भी कार्यक्रम या खबर को छापने के लिए संबंधित संस्था या व्यक्ति से पैसे न लेकर उससे खबर छापने के एवज में अखबार की प्रतियां खरीदने पर दवाब बनाया जाता है। अखबार द्वारा अपने संवाददाताओं पर विज्ञापन के लिए दबाव बनाने की बात पुरानी हो चुकी है लेकिन प्रतियां बिकवाने का नया फंडा निकाल लिया गया है। यानी खबर छपने के बदले अखबार की प्रतियां खरीदो. मीडिया में इस तरह की परिपाटी का जन्म लेना मीडिया के लिए भयावह है और जिस तरह की सोच मीडिया के अंदर बढ़ती जा रही है वह काफी खतरनाक है।

संजय कुमार

303, दिगम्बर प्लेस,डॉक्टर्स कालोनी

लोहियानगर, कंकड़बाग,पटना- 20, बिहार

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0 Comments

  1. सुनीत

    May 10, 2010 at 9:25 am

    यह दशकों पुरानी ट्रिक है और इसी के चलते चिंटू-पिंटू टाइप नेताओं की खबरें नामों की भरमार के साथ छपने का सिलसिला शुरू हुआ। जागरण इस खेल का 25 साल पुराना खिलाड़ी है, पंजाब केसरी को भी इसमें महारत हासिल है।

  2. Anil

    May 10, 2010 at 9:37 am

    kya karen akhbar chalene ke saath pet bhi palana hai. likhne ke liye jina jaroori hai aur jine key liye khana.
    kripya doosre pahloo par bhi gaur karein

  3. sunil kumar 9212610934

    May 10, 2010 at 10:12 am

    यशवंत जी मई सुनील कुमार आप से ये कहना छठा हु की ये जिस ने भी लिखा है उसे बातो की समाग नहीं है उसे ये सोचना चिया जिस ने अखबार खोला है उसे धन की भी जरुरत है जब धन हेई नहीं मिलेगा तो तो पत्रकारों का पेट कैसे पलेगा बेचारा पत्रकार कहा कहा नहीं जा कर खबर लेकर आता है ना जाने कितने खतरों को मोल लेकर वो खबर लेकर आता है अभी का इंसिडेंट ले लेजेया अजय तिवारी का जिस ने खबर लाने के लिए अपनी जान दांव पर लग दी रही प्रतिया बेचने की बात तो इस में गलत क्या है म्हणत ही तो कर रहा है बेचारा पत्रकार चोरी तो नहीं कर रहा है यसवंत जी ऐसी खबर आप बिलकुल अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित ना करे

  4. kunvar sameer shahi

    May 10, 2010 at 1:39 pm

    yeh koi nai baat nhi hai ki khbar ke badle reportero se news paper ki coppy bikwana cchote akhbaro ka purana fanda ho gaya hai ..patrkaro ki kamjori ko ab malik samjh gaye hai ..kyonki patrkarita ki aad me jab ham logo ko darayege bkackmail karenge to hamare sath bhi to whi hoga ..

  5. karn dev

    May 10, 2010 at 6:53 pm

    YeH BaaT Aapko ab maloom hui hai

  6. nishchal

    May 11, 2010 at 4:36 am

    पूरा मामला अखबार प्रबंधन का है। इसमें पत्रकार ही शोषित हो रहे हैं। खबर लिखो और फिर अखबार बेच कर उनके लिए पैसे भी जुटाओं। यह काम पत्रकारों का नहीं। अखबार चलाने वाले मालिकों का है। पत्रकार तो केवल समाचार लेखन के लिए होते है।

  7. kk chauhan

    May 11, 2010 at 6:56 am

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  8. ABC

    May 12, 2010 at 5:19 am

    Khaalee Bihar ko hi kaahe badnaam karate ho bhaai, Ab to pure desh me yahee sthiti hai. Desh ke kisi bhi akhbaar me mufassil ke reporter ki niyukti akhbaar ke agent ya SMD department kee sofaarish ke binaa nahi hoti. Sampadkeeya vibhhag ke log to bus apni kursee bachaane me lage rahate hai.

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