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दारू के लिए बेटियां बेचना चाह रहा संत लाल!

मैगसेसे पुरस्कार विजेता संदीप पांडेय ने यह मेल अपने एक जानने वाले को फारवर्ड किया तो उसने भड़ास4मीडिया के पास इस उम्मीद के साथ भेजा कि इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके। कहानी वही पुरानी है। गरीबी। अशिक्षा। मदिरा की लत। पैसे के लिए घरेलू सामान की बिक्री। अब बेटियों की बारी। बाजार और सत्ता के अश्लील सुखों भोगने में लीन इस देश के विद्वतजनों तक इस तरह की कहानियां पहुंचेंगी भी तो इसे वे उनके हिस्से का दर्द मानकर सिर्फ संवेदना जताएंगे और कुछ मीडिया में दिख जाने के लालच में आगे आ जाएंगे। पर किसी एक संत लाल के उत्थान से क्या होगा। गांव-गांव, शहर-शहर लाखों-करोड़ों की संख्या में पड़े और पल-पल घिसट कर जी रहे संत लालों की शिनाख्त, शिक्षा-दीक्षा, ट्रेनिंग, मुख्य धारा में वापसी जैसे सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए अब कोई उत्तरदायी नहीं रह गया है क्योंकि अब सब कुछ बाजार, मुनाफा, शेयर, सेंसेक्स और कारपोरेट के हवाले हो गया है। आइए, हम-आप संत लाल की कहानी पढ़ें और फिर दो-चार बार च च च कह कर अपने-अपने काम में लग जाएं। -एडिटर, भड़ास4मीडिया

<p align="justify">मैगसेसे पुरस्कार विजेता संदीप पांडेय ने यह मेल अपने एक जानने वाले को फारवर्ड किया तो उसने भड़ास4मीडिया के पास इस उम्मीद के साथ भेजा कि इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके। कहानी वही पुरानी है। गरीबी। अशिक्षा। मदिरा की लत। पैसे के लिए घरेलू सामान की बिक्री। अब बेटियों की बारी। बाजार और सत्ता के अश्लील सुखों भोगने में लीन इस देश के विद्वतजनों तक इस तरह की कहानियां पहुंचेंगी भी तो इसे वे उनके हिस्से का दर्द मानकर सिर्फ संवेदना जताएंगे और कुछ मीडिया में दिख जाने के लालच में आगे आ जाएंगे। पर किसी एक संत लाल के उत्थान से क्या होगा। गांव-गांव, शहर-शहर लाखों-करोड़ों की संख्या में पड़े और पल-पल घिसट कर जी रहे संत लालों की शिनाख्त, शिक्षा-दीक्षा, ट्रेनिंग, मुख्य धारा में वापसी जैसे सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए अब कोई उत्तरदायी नहीं रह गया है क्योंकि अब सब कुछ बाजार, मुनाफा, शेयर, सेंसेक्स और कारपोरेट के हवाले हो गया है। आइए, हम-आप संत लाल की कहानी पढ़ें और फिर दो-चार बार च च च कह कर अपने-अपने काम में लग जाएं। <strong>-एडिटर, भड़ास4मीडिया</strong></p>

मैगसेसे पुरस्कार विजेता संदीप पांडेय ने यह मेल अपने एक जानने वाले को फारवर्ड किया तो उसने भड़ास4मीडिया के पास इस उम्मीद के साथ भेजा कि इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके। कहानी वही पुरानी है। गरीबी। अशिक्षा। मदिरा की लत। पैसे के लिए घरेलू सामान की बिक्री। अब बेटियों की बारी। बाजार और सत्ता के अश्लील सुखों भोगने में लीन इस देश के विद्वतजनों तक इस तरह की कहानियां पहुंचेंगी भी तो इसे वे उनके हिस्से का दर्द मानकर सिर्फ संवेदना जताएंगे और कुछ मीडिया में दिख जाने के लालच में आगे आ जाएंगे। पर किसी एक संत लाल के उत्थान से क्या होगा। गांव-गांव, शहर-शहर लाखों-करोड़ों की संख्या में पड़े और पल-पल घिसट कर जी रहे संत लालों की शिनाख्त, शिक्षा-दीक्षा, ट्रेनिंग, मुख्य धारा में वापसी जैसे सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए अब कोई उत्तरदायी नहीं रह गया है क्योंकि अब सब कुछ बाजार, मुनाफा, शेयर, सेंसेक्स और कारपोरेट के हवाले हो गया है। आइए, हम-आप संत लाल की कहानी पढ़ें और फिर दो-चार बार च च च कह कर अपने-अपने काम में लग जाएं। -एडिटर, भड़ास4मीडिया

A MAN LIKELY TO SELL HIS DAUGHTERS : Sant Lal s/o Cheda Lal hailing from Gulra Mau in Mehmoodabad Tehsil of Dist. Sitapur used to work as a stone cutter until he bacame physically incapable of doing any strenuous work. He presently lives near the Mankameshwar temple on the banks of river Gomti near Daliganj bridge in Lucknow. He has two sons Rakesh, 18 years of age and Sonu, 14 years, who pull rickshaw. One of his daughters is married. Three daughters Anita, 8 years, Poonam, 5 years and Jyoti, 2 years live with him. In addition his brother’s daughter Rajkumari, 6 years, also lives with the family.

Sant Lal’s wife went away deserting their daughter Anita in Aminabad last week. Another rickshaw puller Rakesh who also lives in the same basti recognised Anita and brought her back to her father. Sant Lal is a habitual drinker. After his wife’s going away he has sold everything he could lay his hands on and spent the money on liquor. His neighbours have prevented him from selling the utensils.

His father, Cheda Lal, a blind man begs in front of the Hanuman temple near Lucknow University to manage some food for the little girls. Now Sant Lal wants to sell his daughters. He has been bargaining with some people. If some urgent step is not taken he might do the unthinkable. For more information contact Usha Vishwakarma at 9621116309 of Asha Parivar.

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