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दुख-दर्द

डा. मधु की बर्खास्तगी चाहते हैं पत्रकार संतोष

मेरा नाम संतोष खाचरियावास है। मैं राजस्थान पत्रिका के अजमेर संस्करण में बतौर वरिष्ठ उप संपादक कार्यरत हूं। पूरी मेहनत और ईमानदारी से कार्य कर रहा हूं। कभी किसी भी तरह की शिकायत का मौका नहीं दिया। मैं आप सभी को अपनी आपबीती बताना-सुनाना चाहता हूं और मदद चाहता हूं। किसी गलत कार्य में आपसे मदद की अपेक्षा नहीं कर रहा हूं। मैं मुस्तगीस हूं, पीड़ित हूं। एक पीड़ित की बात सबके सामने लाना, उसकी मदद करना किसी भी पत्रकार का पहला दायित्व होता है। लेकिन अफसोस अब हम बहुत ज्यादा प्रैक्टिकल हो गए हैं। दूसरे अखबार वाले मेरी इसलिए मदद नहीं करते कि मैं पत्रिका का सदस्य हूं। मैं आपको अवगत कराना चाहता हूं कि वर्ष 2003 में पत्रिका ज्वाइन करने के तेरह दिन बाद ही मुझ पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा। तब भी मैंने अपने किसी साथी से कोई मदद नहीं मांगी।

<p style="text-align: justify;">मेरा नाम संतोष खाचरियावास है। मैं राजस्थान पत्रिका के अजमेर संस्करण में बतौर वरिष्ठ उप संपादक कार्यरत हूं। पूरी मेहनत और ईमानदारी से कार्य कर रहा हूं। कभी किसी भी तरह की शिकायत का मौका नहीं दिया। मैं आप सभी को अपनी आपबीती बताना-सुनाना चाहता हूं और मदद चाहता हूं। किसी गलत कार्य में आपसे मदद की अपेक्षा नहीं कर रहा हूं। मैं मुस्तगीस हूं, पीड़ित हूं। एक पीड़ित की बात सबके सामने लाना, उसकी मदद करना किसी भी पत्रकार का पहला दायित्व होता है। लेकिन अफसोस अब हम बहुत ज्यादा प्रैक्टिकल हो गए हैं। दूसरे अखबार वाले मेरी इसलिए मदद नहीं करते कि मैं पत्रिका का सदस्य हूं। मैं आपको अवगत कराना चाहता हूं कि वर्ष 2003 में पत्रिका ज्वाइन करने के तेरह दिन बाद ही मुझ पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा। तब भी मैंने अपने किसी साथी से कोई मदद नहीं मांगी।</p> <p>

मेरा नाम संतोष खाचरियावास है। मैं राजस्थान पत्रिका के अजमेर संस्करण में बतौर वरिष्ठ उप संपादक कार्यरत हूं। पूरी मेहनत और ईमानदारी से कार्य कर रहा हूं। कभी किसी भी तरह की शिकायत का मौका नहीं दिया। मैं आप सभी को अपनी आपबीती बताना-सुनाना चाहता हूं और मदद चाहता हूं। किसी गलत कार्य में आपसे मदद की अपेक्षा नहीं कर रहा हूं। मैं मुस्तगीस हूं, पीड़ित हूं। एक पीड़ित की बात सबके सामने लाना, उसकी मदद करना किसी भी पत्रकार का पहला दायित्व होता है। लेकिन अफसोस अब हम बहुत ज्यादा प्रैक्टिकल हो गए हैं। दूसरे अखबार वाले मेरी इसलिए मदद नहीं करते कि मैं पत्रिका का सदस्य हूं। मैं आपको अवगत कराना चाहता हूं कि वर्ष 2003 में पत्रिका ज्वाइन करने के तेरह दिन बाद ही मुझ पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा। तब भी मैंने अपने किसी साथी से कोई मदद नहीं मांगी।

राजकीय सामान्य चिकित्सालय, नसीराबाद (अजमेर) में नियुक्त एक सरकारी डाक्टर डॉ. मधु शर्मा ने मेरी पत्नी रिंकू का घोर लापरवाही से प्रसव कराया। हमें पहली संतान मृत बेटी के रूप में मिली। डॉ. मधु शर्मा ने इस लापरवाही से मेरी पत्नी का प्रसव कराया कि उसके ‘प्रग्नेशियल टीयर’ यानी मूत्र एवं शौच मार्ग एक हो गया। लगागार रक्त स्राव और तेज बुखार के बावजूद अस्पताल से छुट्टी दे दी। जबकि उसे मरीज को रैफर करना चाहिए था। डिस्चार्ज टिकट में ‘प्रग्नेशियल टीयर’ का कोई जिक्र नहीं किया और ना ही हमें बताया। डिस्चार्ज टिकट में हमें 45 दिन बाद दिखाने को कहा गया। तबीयत ज्यादा बिगडऩे पर उसे अजमेर के जनाना अस्पताल ले गए जहां दो ऑपरेशन कर उसकी जान बचाई गई। डॉ. मधु शर्मा को मैंने यह तक नहीं बताया कि मैं पत्रिका में कार्यरत हूं। उसने एक साधारण ग्रामीण समझकर मेरी पत्नी का प्रसव कराया।

यही बात मुझे अखर रही है कि डॉ.मधु शर्मा के हाथों कितनी महिलाओं की जिंदगी खराब हो चुकी होगी। डॉ. मधु शर्मा की कई राजनेताओं से सीधी सेटिंग है। डॉ. मधु शर्मा का पति डॉ. अशोक शर्मा भी नसीराबाद चिकित्सालय में कार्यरत है। यह दंपति पिछले बीस साल से इसी अस्पताल में है। सात साल पहले एसीबी भी डॉ. मधु शर्मा को पकड़ चुकी है। खैर मैं इन सभी  तथ्यों से अंजान था। उसको सबक सिखाने और दंडित कराने के लिए मैंने अदालत में इस्तगासा लगाया। चार्ज बहस में आरोप सही साबित हुए। अदालत ने मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी। इस पर डॉ.मधु शर्मा अपने ऊपर लगी धाराएं हटवाने जयपुर हाईकोर्ट चली गई। वहां मामला विचाराधीन है। इधर अन्य अखबार वालों के दबाव के कारण तत्कालीन चिकित्सा मंत्री डॉ. दिगंबर सिंह ने डॉ. मधु शर्मा को सस्पेंड कर दिया। लेकिन बाद में पैसे खिलाकर वह पुन: उसकी अस्पताल में पोस्टिंग लेकर आ गई। मैंने राजस्थान मेडिकल कौंसिल में शिकायत की तो कौंसिल ने केवल चेतावनी देकर डॉ. मधु शर्मा को छोड़ दिया। आप समझ सकते हैं कि चेतावनी देने का मतलब है कि उसने गलती तो की है। डॉ. मधु शर्मा के खिलाफ जयपुर में डीओपी में पांच साल से इस मामले में विभागीय जांच चल रही है लेकिन वहां भी सब सेटिंग कर ली गई है।

डॉ. मधु शर्मा का रवैया अब भी नहीं बदला। दोबारा पोस्टिंग मिलने से हौसले बुलंद है। रोजाना मुख्यालय छोड़कर अजमेर आ जाना और मरीजों से दुर्व्यवहार करना जारी है। उसके इसी रवैये को आधार बनाकर मैं आम नागरिक की हैसियत से उसकी शिकायत करता हूं तो वह जयपुर के पत्रिका कार्यालय में जाकर मेरी शिकायत कर देती है। जबकि मैंने कभी भी डॉ. मधु शर्मा के खिलाफ लड़ाई में पत्रिका का नाम इस्तेमाल नहीं किया। डॉ. मधु शर्मा उसके खिलाफ पत्रिका में प्रकाशित समाचार दिखाकर कहती है कि मैं पत्रिका को लड़ाई का जरिया बना रहा हूं जबकि सच्चाई यह है कि एक भी समाचार मनगढंत नहीं है। उसकी शिकायत की वजह से कई बार मेरी ही नौकरी पर बन आती है।

यह लड़ाई मेरी भावनात्मक लड़ाई है। मेरी पत्नी का शरीर हमेशा-हमेशा के लिए लाचार हो चुका है। मेरे क्रमश: पांच साल व तीन साल की दो बेटियां हैं। दोनों सीजेरियन से हो सकी हैं। मेरी पत्नी की बच्चेदानी निकलवानी पड़ी। यह सब पहले प्रसव में हुई घोर लापरवाही का नतीजा है। डॉ. मधु शर्मा व उसके पति डॉ. अशोक शर्मा का आरोप है कि मैं किसी के भड़काने से यह सब कर रहा हूं, उसका यह भी आरोप है कि मैं उनसे दो लाख रुपए की मांग कर रहा हूं, जबकि सच्चाई यह है कि वे खुद मेरे घर पर आकर रुपए ऑफर कर गए। कई लोगों से मामला रफा-दफा करने के लिए कहलवा दिया। अगर मुझे पैसे ही लेने थे तो कब का ले चुका होता। मैंने जो तकलीफ सही है और मेरी पत्नी जो तकलीफ सह रही है, उसके आगे पैसे कोई मायने नहीं रखते। हां, मैं मुआवजा जरूर मांग रहा हूं, वह भी राज्य सरकार से।

मैं मुआवजे और डॉ.मधु शर्मा को बर्खास्त कराने की लड़ाई लड़ रहा हूं ताकि वह किसी अन्य महिला की सेहत से खिलवाड़ नहीं कर सके। इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने के लिए मुझे अगर आमरण अनशन या फिर आत्मदाह जैसा कदम भी उठाने पड़ा तो मैं पीछे नहीं हटूंगा। पूर्व में तीन बार राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से व्यक्तिगत रूप से मिलकर अपनी पीड़ा बताई लेकिन हर बार मेरे ज्ञापन का सरकारीकरण हो गया। पिछले साल अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने और पहली बार पुष्कर आए तब उन्हें भी ज्ञापन दिया। लेकिन वह ज्ञापन भी आम प्रोसेस में जाकर अटक गया। आपसे, अपनी पत्रकार कौम से सिर्फ इतनी ही मदद चाहता हूं कि राजस्थान सरकार पर दबाव बनाकर मुझे न्याय दिलाया जाए।

मेरी आपसे विनती है कि मेरी जो मदद हो सके, करें। उस आरोपी डॉक्टर के साथ सभी हैं, क्या मेरे साथ कोई नहीं…?

-आपका

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संतोष खाचरियावास

17-जियालाल मार्ग, केसरगंज, अजमेर

फोन:- 9461594230

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0 Comments

  1. Siddharth Kalhans

    August 9, 2010 at 10:57 am

    संतोष जी ईश्वर आपको इस लड़ाई के लिए संबल दे। एसे भ्रष्ट बेईमानों के खिलाफ जंग लड़ी जानी जरूरी है। आपके दुख में मै अपने आपको संबद्ध करता हूं।

  2. anmol

    August 9, 2010 at 1:00 pm

    संतोष भाई ,हम आपके साथ है /ऐसे भ्रष्ट लोगो से लड़ने से पीछे ना हटना /ईमानदारी की जीत होगी

  3. moolchand peswani 09414677775

    August 9, 2010 at 4:16 pm

    संतोष जी ईश्वर आपको इस लड़ाई के लिए संबल दे। एसे भ्रष्ट बेईमानों के खिलाफ जंग लड़ी जानी जरूरी है। आपके दुख में मै अपने आपको संबद्ध करता हूं।

    moolchand peswani
    68 gandhi puri
    shahpura distt bhilwara
    09414677775

  4. Rajesh Saxena

    August 9, 2010 at 9:34 pm

    Santoshji,
    kaliyug ke in ravan-shurpnakha ko aap zaroor sabak sikhana. hum bikaner ke sabhi patrkaar aapke saath hain. meri shikayat patrika prabandhan se bhi hai ke voh apne pariwar ke ek sadsaya sh. santoshji ki jayaj ladai main unka saath kyon nahin de rahe? khair, santoshji, yaad rakhiyega, satya ki hamesha vijay hoti hai.
    Aaapka
    Rajesh Saxena
    Dainik Yugpaksh, Bikaner

  5. prayag pande

    August 10, 2010 at 8:40 am

    santosh bhai ! es mamale main Dr. madhu sharma hi nahi vah vyavastha bhi jimmedar hai .jo madhu sharma jaise logoan ko aam janta ki sehat ke sath khilwar karane ko khuli chut deti hai aur sanrakshan bhi.aise main patrakaron ki jimmedari aur barh jati hai .kyunki KALAM KA KAM HAI VEJUBANON KO JUBAN DENA,KALAM SE JULM KE TALVE TO SAHLAE NAHI JATE . PRAYAG PANDE. NAINITAL

  6. A Ram Pandeya

    August 10, 2010 at 12:45 pm

    Sir, Kare kya samagh me nahi aa raha hai. sath hai kahane se samasya hal nahi hogi.

  7. rajneesh kumar tripathi

    August 13, 2010 at 10:29 am

    santosh bhaia hum tumhare sath hai

  8. omsoni

    September 9, 2010 at 12:07 pm

    dr madhu ne paiso ke dam par netio ko khreed rakha hai.ghatia rajneeti madhu jaise logo ko garibo ko satane ki sah de rahi hai.

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