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दुख-दर्द

सट्टेबाजों के भाई-दोस्त बने कई पत्रकार फंसे

पुलिस की सूचना सट्टेबाजों तक पहुंचाते थे : गिरफ्तार सट्टेबाजों की काल डिटेल सामने आने पर हुआ खुलासा : पुलिस अब सट्टेबाजी की सूचना मीडिया को देने से बचने लगी है : जालन्धर मे टीवी मीडिया का एक इंचार्ज और उसका एक टीवी पत्रकार आजकल सट्टेबाजों से अपने संबंधों को लेकर चर्चा में हैं. पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि ये उत्तर भारत में सट्टेबाजी का धन्धा चलाने वाले चन्द्र नामक आरोपी के भाई के एक स्थानीय अखबार में मोटे पैसे के लालच में काम कर रहे थे.

<p align="justify"><span style="color: #003366;">पुलिस की सूचना सट्टेबाजों तक पहुंचाते थे : गिरफ्तार सट्टेबाजों की काल डिटेल सामने आने पर हुआ खुलासा : पुलिस अब सट्टेबाजी की सूचना मीडिया को देने से बचने लगी है : </span>जालन्धर मे टीवी मीडिया का एक इंचार्ज और उसका एक टीवी पत्रकार आजकल सट्टेबाजों से अपने संबंधों को लेकर चर्चा में हैं. पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि ये उत्तर भारत में सट्टेबाजी का धन्धा चलाने वाले चन्द्र नामक आरोपी के भाई के एक स्थानीय अखबार में मोटे पैसे के लालच में काम कर रहे थे.</p>

पुलिस की सूचना सट्टेबाजों तक पहुंचाते थे : गिरफ्तार सट्टेबाजों की काल डिटेल सामने आने पर हुआ खुलासा : पुलिस अब सट्टेबाजी की सूचना मीडिया को देने से बचने लगी है : जालन्धर मे टीवी मीडिया का एक इंचार्ज और उसका एक टीवी पत्रकार आजकल सट्टेबाजों से अपने संबंधों को लेकर चर्चा में हैं. पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि ये उत्तर भारत में सट्टेबाजी का धन्धा चलाने वाले चन्द्र नामक आरोपी के भाई के एक स्थानीय अखबार में मोटे पैसे के लालच में काम कर रहे थे.

इसके एवज में पुलिस की सूचनाएं सट्टेबाजों तक पहुंचाते थे. सट्टेबाज चन्द्र पुलिस की हिटलिस्ट में है. पिछ्ले दिनों पुलिस ने दो अलग-अलग जगह पर छापेमारी करके दस सट्टेबाजों को गिरफ्तार किया. ये लोग चन्द्र के मोहरे भर थे. छापे की सूचना जैसे ही पुलिस कन्ट्रोल रूम ने पत्रकारों को दी, यह सूचना उक्त पत्रकार और उसके साथी ने सट्टेबाजों तक पहुंचा दी लेकिन पुलिस की सख्त कार्य प्रणाली के चलते कई सट्टेबाज पकड़े गए. दो दिन बाद ही पुलिस ने पांच और सट्टेबाज पकड़ लिए. इनके मोबाइल की डिटेल से खुलासा हुआ कि इन्हें उक्त पत्रकार ने छापे की सूचना लीक की थी जिससे सट्टेबाजों को मदद मिली. यह पत्रकार चन्द्र के भाई के अखबार में काम कर चुका है और इन्हें काम करते वक्त यह पता था कि उन्हें महंगा लैपटाप और अहम पद के अलावा मोटा वेतन क्यों दिया जा रहा है. सिर्फ टीवी ही नहीं बल्कि प्रिन्ट के कुछ पत्रकार भी इन सट्टेबाजों के कारण चर्चा में हैं. इनमें दो प्रमुख हिन्दी अखबारों के पत्रकार शामिल हैं जो सट्टेबाजों से हफ्ता वसूली करते थे. दैनिक जागरण, जालन्धर में इन पत्रकारों की हरकतों का रोज खुलासा हो रहा है जिससे मीडिया में हड़कंप मचा हुआ है.

नौकरी का लालच दे बटोरी थी सूचना : बताया जा रहे है कि सट्टेबाजों ने कुछ चैनलों को कांट्रेक्ट पर खबरें भेजने वाले पत्रकारों को प्रिंट मीडिया में उच्च पद पर बिठाने और मोटी कमाई का झांसा दिया था. यही वजह रही कि निजी चैनलों के कई पत्रकारों के संबंध सट्टेबाजों से रहे हैं और कुछ दिन इनका इस्तेमाल करने के बाद ये सट्टेबाज इनसे पल्ला भी झाड़ते रहे हैं. हालांकि इनमें कुछ पत्रकार सट्टेबाजों के इरादे भांप कर इनसे दूरी बना गए, मगर कुछ अभी भी इनके साथ इनफार्मर के रूप में काम कर रहे थे.

जानी बाहर, जॉन अंदर : सट्टेबाजी के आरोप में बीते सप्ताह गिरफ्तार किए गए बस्ती शेख निवासी जानी की मंगलवार को जमानत हो गई है. वहीं सोमवार को पुलिस रिमांड न मिलने के कारण सट्टेबाज जॉन को जेल भेज दिया गया है. एडीसीपी राजपाल सिंह संधू का कहना है कि आरोपियों से मिले लैपटाप और मोबाइल से मिले रिकार्ड पर पुलिस की जांच चल रही है और आने वाले दिनों में कई नए चेहरे बेनकाब होंगे. उधर, पुलिस जॉन से और पूछताछ करना चाहती है. बताया जा रहा है कि नए केस में उसकी रिमांड अवधि न बढ़ने के कारण पुलिस उसे थाना चार में दर्ज पुरानी एफआईआर में प्रोडक्शन वारंट पर ला सकती है. पुलिस को उम्मीद है कि जॉन से पूछताछ के बाद अभी और सुराग हाथ लग सकते हैं.

मीडिया से जुड़े लोगों से संबंध देख पुलिस हैरान : पुलिस चन्द्र, सेठी, मोती और काला की तलाश मे छापेमारी कर रही है. पुलिस की सूचनाएं लीक हो रही हैं और ऐसे में पुलिस को सट्टेबाजों की मोबाइल से हैरान कर देने वाले नम्बर मिले हैं. पुलिस जांच में यह सामने आया है कि उक्त लोगों के मीडिया से जुड़े कुछ लोगों के साथ करीबी सम्बन्ध हैं. जानकारी के अनुसार पुलिस ने गिरफ्तार किए गए सट्टेबाज जान से पूछ्ताछ में पाया है कि उसने पुलिस से बचने का पूरा इन्तजाम किया हुआ था. उसके मीडिया के लोगों के साथ भी करीबी संबंध पाए गए हैं. जान और चन्द्र के साथ शहर मे वीडीओ कैमरा लेकर घूमने वाले एक कैमरामैन के साथ करीबी संबन्ध पाए गए हैं. पिछ्ले दिनों पुलिस ने जब जानी नामक एक सट्टेबाज के यहां छापेमारी की थी तो इसी व्यक्ति ने फोन पर बाकी बुकीज को छापेमारी की सूचना दी थी. इसके बाद पुलिस अब मीडिया को भी सट्टेबाजों से जुडी सूचना देने से गुरेज करने लगी है.

पुलिस को यह भी पता चला है कि इलेक्ट्रानिक चैनल के पत्रकार होने का दावा करने वाले इस व्यक्ति ने अक्टूबर मे जान पर मामला दर्ज होने के बाद उसे ब्लैकमेल कर पैसे भी ऐंठे थे. डीसीपी पवन कुमार राय का कहना है कि इस केस का दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य मगर सच यह है  कि सट्टेबाजों के मीडिया के कुछ लोगों के साथ खास संबन्ध पाए गए हैं. ऐसे में पुलिस जांच को प्रोफेशनल ढंग से कर रही है ताकि कोई सूचना लीक न हो सके.  डीसीपी पवन राय ने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि सट्टेबाज जान की मीडिया से जुड़े कुछ लोगों और कुछ पुलिस वालों के साथ “सेटिंग” की बात सामने आ रही है. ऐसे में पुलिस निष्पक्ष जांच करेगी. उन्होंने आश्वासन दिया कि ऐसे चेहरे बेनकाब होंगे जो इस काले धंधे की कमाई खा रहे हैं.

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0 Comments

  1. pollkholu

    April 21, 2010 at 4:14 pm

    khud mian fazihat orron ko nasihat, hahahahahahaha
    jalandhar mae ik pramukh rashtria hindi danik k mukhay crime reporter jo k jalandhar k kuch paterkaron k baren mae iss type ka parchar kar reha ha ka mukhaya dhanda dispute wali jameeno k kabje dilvana hai. janab police mae apni unchi pahoonch ka roab dikha kar abb tak kitno ko begar kar chuke hai iski list jab nikli to khoob lambi niklegi. print media k sath sath ukat sajjan 2 news channel k logo lae kar bi ghumta hai.jis jameen ko khali karvane ki supari iss nae le li fir agar uss jameen ko khali na karney wale k uper kisi bi tareh k apradhik mamla darj ho sakta hai.agar koi media karmi peedet parivar ki madad karney k leye aggey aaney ka kaam karey to sahib usko gustakh samj kar pen lae k unkey peechey parr jatey hai. ukat bhopnu type paterkar k khud k sambando k charchey bi sattebajon sae aam rehey hai.

  2. hum bolea to bologe ki bolta hai ...

    April 22, 2010 at 8:01 am

    खिस्यानी बिल्ली खम्बा नोचे

    ..यह रंगे सियार महोदय अब अपने खिलाफ छापी खबरों से सठिया गए हैं..इन्हे चाहिए की किसी पर लान्छन लगाने से पहली अपने बारे प्रमाण के साथ् लगाई गई खबरों पर टिप्पणी करे….? अपनी हर्क्तों के कारण ए.एन.आई से निकाले गए यह महोदय अब इन् तथ्य पूर्ण खबरों पर कोइ जवाब न मिलता देख मीडिया के अपने कुछ मित्रों से सलाह कर जवाबी हमला बोल्ने की कोशिश कर रहे हैं..जालन्धर के जिस कराईम रिपोर्टर के बारे मे यह टिप्पणी की गई है उस के बारे मे आज तक जालन्धर के किसी ठाने मे कोइ शिकायत नही है और न ही पुलिस को अब तक उसे ऐसे कोइ प्रमाण मिले हैं. और इस पत्रकार का सब से मजबूत पहलु यह है की यह पिछ्ले पांच साल से ज्यादा समय से कराईम बीट ही देख रहा है जबकी राष्ट्रिय अख्बारों मे इस तारह की भनक लाग्ने पर ही पत्रकार की बीट बादल दी जाति है ..यह कराईम बीट का रिपोर्टर रईस घराने का है और उसे विरासत मे कफी कुछ मिल है लेकिन अब अपने खिलाफ खबरों से खिस्याया यह कथित् पत्रकार अब ऊल-जुलुल बातें कर के ध्यान भात्काने का प्रयास कर रह है …..
    [b][/b]

  3. aampatarkaar

    April 22, 2010 at 3:11 pm

    पत्रकार भाइओ प्रणाम,
    मै एक आम पत्रकार हूँ .मुझे इस बात से कोई लेना देना नहीं की कौन किसके बारे में क्या क्या लिख रहा है .अगर कोई ऐसा पत्रकार है जिसको किसी अन्य पत्रकार से कोई शिकायत है तो उसे वोह आपस में सुलझा ले .इस तरह से किसी एक शहर की एक समूची पत्रकार बारादरी को लांछन लगाना ठीक नहीं है .मै अखबार वाले भाई साहब से कहना चाहता हूँ की बजाय समूचे शहर के पत्रकारों को बदनाम करने के वोह उन पत्रकारों के नाम का खुलासा अपनी अखबार में कर दे या इस तरह लिखना बंद करे.अगर लड़ना ही है तो पत्रकारिता के हक़ के लिए लड़ो आपके शहर में कई ऐसे पत्रकार भी होंगे जिन्हें आपकी जरूरत होगी या वोह आपसे कुछ सीखना चाहते होंगे मेरी गुजारिश है की उन पर इस तरह का प्रभाव न डालें की वोह पत्रकारिता ही छोड़ जाएँ …. शहर में इस तरह से अपनी ही बारादरी को बदनाम करना ठीक नहीं .क्योंकि शहर का हर पत्रकार एक जैसा नहीं है .अगर अखबार वाले भाई साहब किसी पत्रकार के बारे में इतना जानते हैं तो उसका नाम अपनी अखबार में छाप दे .ताकि शहर के दूसरे पत्रकार बदनाम न हों .मै एक गरीब पत्रकार हूँ .मैंने सोचा था की एक दिन चैनल का पत्रकार बनूँगा लेकिन शायद पत्रकारों की आपसी लड़ाई मुझ जैसे कई पत्रकारों को आगे आने से रोक रही है…..बाकी मुझे आपके शहर या शहर के पत्रकारों से लोई लेना देना नहीं है आप लोग मुझसे कहीं सयाने हैं. ……………..एक आम पत्रकार की आप सबसे एक अपील

  4. desh premi

    April 22, 2010 at 4:46 pm

    नफरत की लाठी तोड़ो
    लालच का खंजर फैंको
    जिद के पीछे मत दोडो
    तुम प्रेम के पंछी हो देश प्रेमिओ
    आपस में प्रेम करो देश प्रेमिओ……….

    हा हा हा हा हा हा हा हा हा …………..

  5. jalandhar media

    April 23, 2010 at 2:31 pm

    इमली का बूटा बेरी का पेड़ ,इमली खट्टी मीठे बेर

    इस खबर को देख कर जालंधर के समूह मीडिया को ये गाना और सौदागर फिल्म का ये गीत और कहानी याद आ रही है. क्योंकि ये खबर लिखने वाला और जिसके बारे में ये खबर लिखी गयी है वो दोनों आज से दो महीने पहले तक एक ही दफ्तर में बैठते थे और एक इन्टरनेट चैनल के पार्टनर थे. लेकिन कुछ महीने इकठे रहने के बाद इनकी आपस में लडाई हो गयी. जालंधर का मीडिया समूह जागरण में छपी इन खबरों से मजे ले रहा है. लेकिन पत्रकारिता को समर्पित लोगो को जागरण में छप रही इन खबरों से बहुत मायूसी हो रही है. अभी एक भाई दोस्सरे के खिलाफ ख़बरें लगा रहा है तो जल्द दूसरा भी शुरू होने वाला है. दोनों से जुड़े लोग अलग अलग ग्रुप बना कर एक दुसरे पर हमले करेंगे तो पत्रकारिता से लोगो को विश्वास उठने लगेगा. जालंधर के मीडिया की अपील इन दोनों से है के अपना झगडा किसी तरह सुलझा ले और अपने अपने अखबार या चंनेल्स का इस्तेमाल अपनी लडाई में न करें.आखिर सौदागर के अंत में दिलीप कुमार औरत राज कुमार के तरह एक हो जाये. भगवान करे ये फिल्म जल्दी ख़तम हो .
    धन्यवाद् सहित………………….जालंधर समूह मीडिया:(:(:(:(:(

  6. apka dost

    April 23, 2010 at 6:08 pm

    hi main appp sabka dost hoon

    mujhe itna pata hai, jiska ghar sishe ka hota hai voh kisi par pathar nahi fenkta, agar crime reporter ne attack kiya hai to uska ghar sishe ka nahi hai, voh bilkul pak saaf hai,well done my dear, luv u lot and bless u

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