Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

सेक्स स्टिंग करने वाले 3 पत्रकार फंसे

[caption id="attachment_17263" align="alignleft" width="99"]डा. सीरसडा. सीरस[/caption]बिना इजाजत लिए घुसे और आपसी सहमति से जिस्मानी रिश्ते कायम कर रहे दो व्यक्तियों का स्टिंग कर चैनल पर प्रसारित करा दिया : डा. सीरस ने स्टिंग न दिखाने का अनुरोध किया था : प्रसारण से आहत डा. सीरस ने न्याय की लडाई लड़ने की बात कही थी : मौत के बाद कोर्ट ने स्टिंग करने वाले तीनों जर्नलिस्टों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने को कहा : मुर्तजा, आशू और सिराज के खिलाफ करीब दर्जन भर धाराओं में अलीगढ़ स्थित सिविल लाइंस थाने में रिपोर्ट दर्ज :

डा. सीरस

डा. सीरस

डा. सीरस

बिना इजाजत लिए घुसे और आपसी सहमति से जिस्मानी रिश्ते कायम कर रहे दो व्यक्तियों का स्टिंग कर चैनल पर प्रसारित करा दिया : डा. सीरस ने स्टिंग न दिखाने का अनुरोध किया था : प्रसारण से आहत डा. सीरस ने न्याय की लडाई लड़ने की बात कही थी : मौत के बाद कोर्ट ने स्टिंग करने वाले तीनों जर्नलिस्टों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने को कहा : मुर्तजा, आशू और सिराज के खिलाफ करीब दर्जन भर धाराओं में अलीगढ़ स्थित सिविल लाइंस थाने में रिपोर्ट दर्ज :

दो व्यक्ति अपने घर में आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाते हैं, समलैंगिक संबंध बनाते हैं, ‘गे’ रिलेशनशिप रखते हैं और मीडिया वालों को इसकी भनक लग जाती है तो सोचिए क्या होगा! कम से कम जितने बुद्धिविहीन मीडियावाले होंगे, वे तुरंत अपने तामझाम के साथ मौके पर पहुंच जाएंगे और स्टिंग आपरेशन करना शुरू कर देंगे. ऐसा ही हुआ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के माडर्न लैंग्वेज डिपार्टमेंट के रीडर डा. श्रीनिवास रामचंद्र सीरस के मामले में. मीडिया वालों को इतनी भी अकल नहीं आई कि दो लोगों के बीच का बिलकुल निजी मामला मानकर इन्हें बख्श दें. मीडिया वाले चल दिए स्टिंग करने. बिना अनुमति दूसरे के घर में घुस गए. जहां कहीं से भी अंदर का दृश्य दिख रहा था, वहां से लगे शूट करने. और तैयार कर लिया एक स्टिंग आपरेशन.

नतीजा यह कि डा. सीरस की निजी जिंदगी सार्वजनिक उपहास का विषय बन गई और डा. सीरस को कई तरह की यातना-प्रताड़ना झेलते हुए इस दुनिया से विदा होना पड़ा है. डा. एसआर सीरस अब इस दुनिया में नहीं हैं. कोई कह रहा है कि खुदकुशी कर ली तो कोई कह रहा है कि जहर देकर जान ली गई है. इनकी मौत के बाद जब पुलिस सक्रिय हुई है तो कई किस्से निकलकर सामने आ रहे हैं. फिलहाल तो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के रीडर डॉक्टर एसआर सीरस के मामले में यूनिवर्सिटी के चार प्रोफेसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया गया है. इसके अलावा उन तीन मीडियाकर्मियों के खिलाफ भी मामला दर्ज कर लिया गया है जिन्होंने डा. सीरस के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन किया था. इन मीडियाकर्मियों के नाम हैं सैय्यद आदिल मुर्तजा, आशू और कैमरामैन सिराज.

ये तीनों वायस आफ नेशनल चैनल के हैं. यह चैनल देहरादून से संचालित होता है. स्टिंग के समय आदिल मुर्तजा टीवी100 में काम करता था. इन लोगों के खिलाफ अलीगढ़ के सिविल लाइन थाने में धारा 147, 347, 352, 355, 452, 454, 455, 457, 458, 506, 120बी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. सूत्रों के मुताबिक तीनों मीडियाकर्मियों द्वारा स्टिंग किए जाने के बारे में डा. सीरस को पता चल गया था. उन्होंने इन लोगों के हाथ पैर जोड़े. पर इन मीडियाकर्मियों का दिल नहीं पसीजा. इन्होंने स्टिंग के फुटेज को अपने चैनल के पास भेज दिया. वायस आफ नेशन में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत पत्रकारों को भी इतनी अक्ल नहीं थी कि वे दो लोगों के बीच उनकी सहमति से उनके घर में घटित हुए सेक्सुवल रिलेशन की तस्वीरें दिखाने से मना कर देते. इन पत्रकारों ने स्टिंग को चैनल पर प्रसारित कर दिया.

बताया जाता है कि स्टिंग में डा. सीरस के साथ दूसरा व्यक्ति रिक्शावाला था. डा. सीरस रिक्शेवाले को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय परिसर स्थित अपने कमरे में ले गए थे. दोनों ने अपनी मर्जी से जिस्मानी रिश्ते बनाए. इसकी भनक इन तीनों मीडियाकर्मियों को लगी तो इन्होंने चुपचाप डा. सीरस के घर में प्रवेश कर पूरे दृश्य का फिल्मांकन कर लिया. बताया जाता है कि इन मीडियाकर्मियों ने विश्वविद्यालय के पीआरओ, प्राक्टर, मीडिया प्रभारी समेत कई लोगों को स्टिंग के विजुवल दिखाए. इन मीडियाकर्मियों और विश्वविद्यालय के आरोपी अधिकारियों के बीच सांठगांठ होने की बात भी चर्चा में है. स्टिंग के चैनल पर प्रसारित हो जाने के बाद से डा. सीरस कैंपस में विश्वविद्यालय अधिकारियों के बीच हंसी और उपहास के पात्र बन गए थे. उन्हें बिना जांच ही सस्पेंड करा दिया गया. उनसे उनका परिसर स्थित कमरा खाली करा लिया गया.

डा. सीरस की मौत के बाद अब उन लोगों की भी पोल खुलने लगी है जिन्होंने उनके साथ खिलवाड़ करने की कोशिश की. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के रीडर डॉक्टर सीरास को जो इंसाफ उनके जीते जी नहीं मिला वो शायद अब मिल जाए. सीरस पर समलैंगिक होने का आरोप लगाकर उनका स्टिंग ऑपरेशन करने वालों पर कानून का शिकंजा कसता जा रहा है. सीजेएम कोर्ट के आदेश के बाद यूनिवर्सिटी के चार प्रोफेसरों और स्टिंग ऑपरेशन करने वाले 3 मीडियाकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया गया है.

वैसे मौत के बाद भी रीडर सीरस के साथ यूनिवर्सिटी में फर्जीवाड़े का खेल चल रहा है. डा. सीरस के खिलाफ समलैंगिकता के आरोपों के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने तो सस्पेंड कर दिया लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के बहाली आदेश के बावजूद उन्हें वापस बहाल नहीं किया गया. हाईकोर्ट के बहाली आदेश की कॉपी अब डा. सीरस की मौत के बाद भेजी गई है. हालांकि यूनिवर्सिटी के पीआरओ के मुताबिक आदेश के साथ ही कई दिन पहले ही उनका निलंबन रद्द कर दिया गया था. यूनिवर्सिटी में चेयरमैन और पीआरओ के अलग-अलग बयान से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह से सीरस के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था. सीरस की मौत पर भी सवाल उठ रहे हैं. अब तक साफ नहीं हो पाया है कि सीरस ने खुदकुशी की है या फिर उनकी हत्या हुई है. साफ है कि रीडर सीरस के साथ जिस तरह का बर्ताव किया गया कहीं न कहीं उनकी मौत के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन भी जिम्मेदार है.

ज्ञात हो कि डॉक्टर सीरस की मौत का पता तब चला जब उनके मकान से बदबू आनी शुरू हुई. सीरस कुछ ही दिन पहले सस्पेंड किए जाने के कारण यूनिवर्सिटी के मकान को खाली करने के बाद नई जगह शिफ्ट हुए थे. डा. सीरस की मौत के बाद कई सवाल उठ खड़े हुए हैं जिनका जवाब आपको और हमको देना पड़ेगा–

  • अगर डा. सीरस गे उर्फ समलैंगिक थे तो क्या उन्हें समाज में इज्जत से जीने का हक नहीं था?

  • गे या समलैंगिक होना कोई गुनाह तो नहीं, फिर क्यों बार-बार ऐसे लोगों को समाज दुत्कार देता है?

  • अपनी मर्जी से अपने घर में समलैंगिक रिश्ते बनाने वाले कानून अपने हाथ में नहीं ले रहे, फिर इनसे अपराधियों सा बर्ताव क्यों?

  • मीडिया के लोग अपने घरों में अपनी पत्नियों के साथ खुद के रिलेशन के दृश्य को नहीं फिल्माते तो दूसरे के घर में क्यों घुसपैठ?

  • जो मीडियाकर्मी दूसरे के अंतरंग जीवन में दखल दे, उनके खिलाफ क्यों न कठोर कार्रवाई का प्रावधान किया जाए?

डा. सीरस ने मीडिया के सामने ऐलान कर दिया था कि वे निजी जिंदगी में दखल देने वाले स्टिंग के खिलाफ आखिरी सांस तक लड़ेंगे. एनडीटीवी पर डा. सीरस की मौत से संबंधित दिखाई गई खबर में कुछ ऐसे विजुवल हैं जिसमें सस्पेंसन के बाद डा. सीरस अपना मकान खाली करते दिख रहे हैं, डा. सीरस मीडिया से मुखातिब हैं, डा. सीरस अपने घर में किताब पढ़ रहे हैं…. क्लिक करें…

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. Randheer Ojha

    April 11, 2010 at 5:28 am

    सर मीडिया कर्मी के द्वारा प्रोफैसर की मौत यदि हुई है तो उन मीडिया कर्मी पत्रकारिता का नाम ख़राब कर रहे है लेकिन यदि वो कैम्पस के अन्दर यदि प्रोफैसर इतनी गिरी हुई हरकत करे तो समाज के अन्दर जो छात्रों को वो तालीम दे रहा है उन पर क्या असर पड़ेगा यदि मीडिया कर्मी कैम्पस के अन्दर स्टिंग किया तो दिक् है क्योकि प्रोफसर आम आदमी नहीं था

  2. raju

    April 10, 2010 at 3:45 pm

    in panchiyon ko tha, befikr udte dekha maine ,
    gharonda baandha to fikrmand dekha maine .

    fark padhta nahin tha unko saste mahenge se,
    aaj aate dal ke bhaavo pe jhagadte dekha maine

    wo kaandhe jo sada bina bojh rahe,
    unhe kisike liye, sirhana bante dekha maine

    wo aankhen jin me ek nasha , befikri thi
    kal ke khwaab sajate dekha maine

  3. raju

    April 10, 2010 at 3:34 pm

    हमारे तीन पत्रकार साथी गये तो थे शिकार करने लेकिन वे खुद ही शिकार हो गये क्योकी अलीगढ विश्वविधायालय के अन्दर के ही लोगो को यह पता था की किसके किससे सम्लैंग्यिक सम्बन्ध है फिर पुलिस ने केबल पत्रकारों के विरुद्ध ही मामला क्यों लिखा है और असली लोगो से कही पुलिस रुपया तो नही खा गई जो उसकी फितरत मै है इसलिए इस मामले की जाच गहनता और गंभीरता से होनी चाहिये और विश्वविधायालय को भी इस मामले पर गंभीर होना चाहिये |

  4. dd

    April 10, 2010 at 12:18 pm

    phehle sach janiye phir ispar aap comment kariye agar aapne ye vedio tape dekhli na to apko pata chaljayega ki sach kya hai or kya jhoot hai .

    raye dena to asan hai lekin pehle sach janiye phir kahiye

    jab tak jurm sabit na hojaye tabtak court bhi kisi ko mojrim nahi keh sakti

    logo ka kya hai Name & Fame ke liye sab karte hai aaj tak kisi ne itna bada sting nahi kiya hai Aligarh main or ab hogya to sab ki akhe fati ki fati rehgai

  5. Randheer kumar Ojha

    April 10, 2010 at 12:40 pm

    महोदय जी ये बात तो प्रोफसर को भी सोचना चाहीये कि कैम्पस के अन्दर ये अश्लील हरकत करते सोभा नहीं देता ये कैम्पस के बाहर करते तो कोई बात होती उन्हे सोचना चाहीये कि छात्रों पर क्या परभाव पडेगा जहा तक उन रिपोटरओ का क्या वो तो अपना काम करते थे सच तो ये है कि पत्रकारो का क्या

  6. neeraj mahere

    April 10, 2010 at 12:04 pm

    यशवंत जी
    मुझे लगता है की मेरठ मै हुई घटना किसी प्रोफ़ेसर की चाल थी जिसमे हमारे तीन पत्रकार साथी गये तो थे शिकार करने लेकिन वे खुद ही शिकार हो गये क्योकी अलीगढ विश्वविधायालय के अन्दर के ही लोगो को यह पता था की किसके किससे सम्लैंग्यिक सम्बन्ध है फिर पुलिस ने केबल पत्रकारों के विरुद्ध ही मामला क्यों लिखा है और असली लोगो से कही पुलिस रुपया तो नही खा गई जो उसकी फितरत मै है इसलिए इस मामले की जाच गहनता और गंभीरता से होनी चाहिये और विश्वविधायालय को भी इस मामले पर गंभीर होना चाहिये |
    नीरज महेरे नई दुनिया इटावा

  7. Narender Pratap

    April 10, 2010 at 11:34 am

    सबकी हदें तय है- चाहे पत्रकार हो, अफसर हो या नेता या कोई आम आदमी। कोई भी जब अपनी हद से आगे जाता है तो दूसरे की हद में अतिक्रमण करता है। देश के कानून के अलावा ईश्वर ने इंसान को नाक दी है जो उसे बताती है कि उसकी हदें कहॉ तक है। प्रोफेसर साहब की मौत पर बेहद अफसोस है। लेकिन उनकी मौत से ज्यादा अफसोस उन तथाकथित पत्रकारों की करनी पर है, जिन्होने अपनी हदें पार की। आपको याद हो ब्रिटेन के प्रिंस की शरीके हयात डायना की मौत। पत्रकारिता की प्रताड़ना से बचने की जद्दोजहद में जिंदगी से हाथ धो बैठी थी। प्रो0 सीरस का मामला भी ज्यादा जुदा नही है। पिछले सालों में हिन्दुस्तानी पत्रकारिता में आई मीडिया क्रांति में पत्रकारों की जमात कुकरमुत्तों की तरह उगी है। इनमें से ज्यादातर ऐसे है जो केवल रौब गालिब करने के लिए पत्रकार बनते है, पढ़ाई-लिखाई की तो बात ही छोड़ दीजिए। पुलिस और प्रशासन के अलावा बड़े नेताओं की प्रेस कांफ्रेस में जब इन्हें चाय पीने का मौका मिलता है तो इनके दिमाग आसमान पर होते है। ऐसे पत्रकारों के लिए ये पत्रकारिता का ग्लैमर है। कभी परिस्थितियां इतनी हास्यपद होती है कि आठवीं पास पत्रकार आईएएस, आईपीएस, विद्वान प्रोफेसर या देश के बड़े नेताओं से ऊलजुलूल सवाल कर बैठते है। दरअसल, हिन्दुस्तान में आम आदमी से लेकर आतंकवादियों तक ही पहचान हो सकती है लेकिन आठवीं पास पत्रकार की नही। जरा सोचिये, आठवीं करने के बाद कल तक खोमचा लगाया करते थे या दिहाड़ी मजदूर थे, लेकिन किसी भी अखवार या चैनल का तमगा छाती पर लटकाने के बाद अफसरों और देश के प्रबुद्ध वर्ग में शामिल हो गये। ऐसे लोगो से क्या उम्मीद की जा सकती है। मरहूम प्रोफेसर साहब के मामले में भी ऐसा ही हुआ। सीधे तौर पर प्रोफेसर साहब की मौत के लिए ये पत्रकार ही जिम्मेवार है। लेकिन एक गलती जरूर हुई है। पुलिस ने पत्रकारों के खिलाफ जो एफआईआर आज लिखी है, इसे पहले ही कर देना चाहिए था। इससे अपने सम्मान के लिए लड़ रहे प्रोफेसर को हौसला मिलता और हो सकता था कि उनका सस्पैंसन करने वाला विश्वविद्यालय भी उनके निजी जीवन को अपनी कलम के बुलडोजर से रौंदने का प्रयास ना कर पाता।
    इस देश के झंडेबरदारों से गुजारिश करूंगा कि जिस तरह अफसर, क्लर्क और टीचर बनने के लिए पढ़ाई-लिखाई जरूरी होती है, उसी तरह पत्रकार बनने के लिए कुछ योग्यताऐं तय की जाये। इससे पत्रकारिता जिम्मेवार होगी, संवेदनशील होगी और देश की समस्याओं को देखने के लिए अपना चश्मा तय कर पायेगी। और तब शायद प्रो0 सीरस जैसों को मौत की नींद नही सोना पड़ेगा।

  8. SAMIR

    April 10, 2010 at 9:15 am

    wah shab kya khabar banaye VON wale ne Thanks -output head Tilak Chawala , production head Yoginder aur uske tamam diggaz citrakaron ko jinonhe ek insaan ki jaan le li ,,,ye to hona hi tha jiska raja hi paise ugahi ki nai nai tarkib ijad karta ho uska ladkibaaz output head Tilak Chawala aur production head Yoginder to aise hi karnama karega . mesg mesg khelna se waqt bache tab na khabron ke bare main sochne ka time milega wo to bhala ho bhadas ka ki VON ki jalil kartoot ko dunia ki nazar tak pahuchaya. lage rahiya VON walon .sory abki bar kis bakasur ki jaan lene ki yojna apke chanel head banwa rahe hain ha..ha.. output head Tilak Chawala aur production head Yoginder to saath denge hi akhir pehle bhi tv100 main kartoot kar jail to khat kar aye hi hain phir jail se ab dar kaise

  9. purushottam kumar singh

    April 10, 2010 at 7:38 am

    Yaswant Da,
    Do. Sirash ke mamle main in teen chitrakaron (patrakar nahi kah sakta) ne jo neech ta dikhai hai uski saaja to un logon ko milna suru ho gaya hai. Teeno par FIR hona hi filhal badi baat hai kiun ki,is ke baad chhanel pala jhar chuka hoga. Halki in teen murkhon ne jo kukarm kiya hai wo aapradh is liye bada nahi hai kiun ki is karname se in logon ke baudhik star ka patta chalta hai. Sawal utth tha hai ki VON ke input se le kar out put tak bhi aaise hi murkhon ka jammawra hai kya? aur agar aisa hi hai to phir wo log in teeno se jyada dosi hain, kiun ki khabar cover karne se jyada jimmedari use AIr karne walon ki hoti hai.In logon par bhi FIR hona chahiye.

  10. p.journalist

    April 10, 2010 at 5:55 am

    inki bhi kya galti hai jab channel ki ai late hai to inse mote paise liye jate hai fir uske baad inse commitment hota hai ki jo bhi news bhejenge vo chala denge saaf hai ki khud bhi kamao or hame bhi kama kar do badle me ham tumhari kaisi bhi news chalayenge fir chahe usse kisi ki jan hi kyo na chali jaye inhe koi farak nahi padta
    aaj jarurat hai aise tatha kathit journalist par rok lagane ki jo mote paise dekar channel ki id to le aate hai fir uske baad blackmailing ka dhanda shuru kar dete hai or fir inke karnamo ke karan ouri patrkaar biradari sharminda hoti hai

  11. ramesh singh

    April 10, 2010 at 5:57 am

    pahli baat: in teen kameeno ka saath koi patrakar na dai….doosri baat: channel kai editor aur malik par muqaddama kyon nahi darz hua.unhai bhi kathgahrai mai ghaseeta jana chahiye…

  12. sushil gangwar

    April 10, 2010 at 6:23 am

    डा. सीरस kuchh jayda pareshaan chal rahe the jo es tareeke se ye karne par amada ho gaye . gar patrkaaro ki baat kare unhe personal matter me dakhal dene ka kowi hak nahi . Ek news ke es tareeke ka sting opration theek nahi hai . Media ko apni limit pata honi chahiye . fir chahe kowi patrkaar or kisi bhi media se ho .
    sushil Gangwar
    http://www.sakshatkar.com

  13. नीरज महेरे

    April 11, 2010 at 7:46 am

    मुझे लगता है की भारत मै उतना ही कठिन है पत्रिकारिता करना जितना कठिन है ऊट को रिक्से पर बिठाना इस प्रतिश्पर्दा के दोर मै टीवी चैनल की तो हालत बहुत ख़राब है चैनल तो एक रोज नया आजाता है पर तीसरे दिन बंद होने की कगार पर होता है और टीवी चैनल जिलों मै तेनात अपने रिपोटरो को रुपया भी नही देते है | यही कारन है की पत्रकारिता दिन पर दिन धूमिल होती जा रही है | और आये दिन एक नए मामले मै पत्रकार फसते जा रहे है इसका सीधा फायेदा पुलिस को हो रहा है और पत्रकारिता गंदी होती जा रही है |
    इससे लगता है की आज जो हालत पत्रकारों की हो रही है उसकी सारी जिमेदारी टीवी चैनलो की है अगर वे समय से भुगतान करे तो ही पत्रकारिता पर रोज लग रहे आरोपों से बचा जा सकता है | आज इस काम्पटीसन के दोर मै टीवी चैनल को खबर तो पहिले चाहिए पर भुगतान नही देगे ही चलता रहा तो आने बाले समय मै पत्रकार कम टीवी चैनल जियादा होगे |
    नीरज महेरे नई दुनिया इटावा

  14. tarun sharma

    April 14, 2010 at 9:49 am

    kya seras jo kar rahe the wo sahi tha ??????
    relation barabar walo me hota to sahi tha par wo ek gareb rikshe wale ke saath tha kya ye soshan nahi hai ????

    jara socheye plzzzz

  15. Deepak Gupta

    April 15, 2010 at 12:55 pm

    रिपोर्टर ने अपना काम करना है… पुलिस ने अपना… लेकिन समाज में बुद्धिजीवियों का काम कौन करेगा… समाज जिन्हें बड़े इज्जत से देखता है वोही बुद्धिजीवी अगर गैरजिम्मेदाराना हरकत करे तो क्या उनका कोई दोष नहीं… विद्यालय में ऐसे कई विद्यार्थी होने जो सम्लेंगिकता को मानते होंगे, तो क्या उनके सामने भी मास्टर जी….सबकी हदें तय है- चाहे पत्रकार हो, अफसर हो या नेता या कोई आम आदमी, तो डाक्टर सीरस की हदे भी तो तय होंगी…. फिर रिपोर्टर ने तो समाज के सामने वो सभी बातें लानी होती है जो घटित होता है…अब यहाँ क्या गलती उनलोगों की जो इस मामले मे बलि के बकरे बने हुए नज़र आ रहे है. उन्हें भी तो ये सूचना कहीं से मिली होगी , उन्होंने भी इसके बारेमे सोचा होगा , कैसे खबर बनानी है ,कैसे स्ट्रिंग करना है. वगैरा-वगैरा…. पुलिस को कमाई का एक और जरिया मिल गया, इस बार शिकार है जर्नलिस्ट. बचपन के दुश्मन.. बांकी बिचोलिये तो निपटा लिए गए होंगे…. गलती की है तो सजा मिले और जरूर मिले पर मिडिया कर्मी कही न कहीं पिसते जरूर नजर आ रहे है…. फैसला अदालत ने ही करना है, क्या सही है क्या गलत, अंत मे इतना ही कहूँगा कि सबने अपने गिरेवान मे झांकना भी सीखना चाहिए…

  16. kamal.kashyap

    April 18, 2010 at 1:18 pm

    reporters ko kisi ki jindigi nizi jindgi me tak jhank karne ka koi adikar nahi hai iske liye un reporters ko mout ki saja milni chaiye

    ek yuva reporter delhi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement