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कहीं सीएम से कोई टेढ़े-मेढ़े सवाल न पूछ ले!

: सरकारी उपेक्षा से भोपाल के बहुत सारे पत्रकार हो गए हैं नाराज : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों मीडिया का सामना करने से कतरा रहे हैं। पिछले एक वर्ष से उन्होंने मंत्रालय में कोई पत्रकार वार्ता नहीं बुलाई।

<p style="text-align: justify;">: <strong>सरकारी उपेक्षा से भोपाल के बहुत सारे पत्रकार हो गए हैं नाराज</strong> : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों मीडिया का सामना करने से कतरा रहे हैं। पिछले एक वर्ष से उन्होंने मंत्रालय में कोई पत्रकार वार्ता नहीं बुलाई।</p> <p>

: सरकारी उपेक्षा से भोपाल के बहुत सारे पत्रकार हो गए हैं नाराज : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों मीडिया का सामना करने से कतरा रहे हैं। पिछले एक वर्ष से उन्होंने मंत्रालय में कोई पत्रकार वार्ता नहीं बुलाई।

यदा-कदा पत्रकारों को बुलाना भी पड़ता है, तो उसमें इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि उनसे टेढ़े-मेढ़े सवाल पूछने वाला कोई पत्रकार न आ जाए। इसका ताज़ा उदहारण पिछले दिनों कैबिनेट की ब्रीफ़िंग के लिए बुलाई गई पत्रकार वार्ता में देखने को मिला, जिसमें मात्र 25 पत्रकारों को ही बुलाया गया था। बाद में कई पत्रकारों ने इसे लेकर अपना विरोध भी जताया था। परिणामस्वरूप जन्माष्टमी पर जब मुख्यमंत्री ने पत्रकारों को सपरिवार भोज पर आमंत्रित किया तो उसमें साठ पत्रकारों को बुलाया गया। लेकिन इस सूची में भी वह पत्रकार शामिल नहीं थे जो मुख्यमंत्री के खास माने जाते हैं। हालांकि मुख्यमंत्री की निमंत्रण सूची में उन पत्रकारों को प्राथमिकता दी जाती है, जो सरकारी भाषा बोलने में माहिर हैं। सरकार की तरफ़ से समय-समय पर इन पत्रकारों को उपकृत भी किया जाता है।

अब मीडिया जगत में इस बात के कारण खोजे जा रहे हैं कि आखिर मुख्यमंत्री पत्रकारों का सामना करने से क्यों कतरा रहे हैं। मुख्यमंत्री समर्थक पत्रकार इसे मुख्यमंत्री के खिलाफ षड्यंत्र बता रहे हैं। वह कह रहे हैं कि इसके पीछे नए जनसंपर्क आयुक्त का हाथ है, जिन्होंने मुख्यमंत्री की छवि धूमिल करने का बीड़ा उठा रखा है। तर्क यह दिया जा रहा है कि जब से नए आयुक्त आए हैं, तब से मीडिया में सरकार के खिलाफ खबरों की भरमार हो गयी है। बहरहाल, पत्रकारों का एक बड़ा वर्ग सरकार के पत्रकार विरोधी रवैये और पत्रकारों को उपेक्षित किए जाने से खासा नाराज़ है।

भोपाल से अरशद अली खान की रिपोर्ट

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0 Comments

  1. KC Sharma

    September 4, 2010 at 5:04 pm

    Sahi Kaha Arshad Ji…
    Aapki iss baat ka main samarthan karta hoon…

  2. arbaaz

    September 7, 2010 at 9:55 pm

    shivraj apne mantriyon kee karani se pareshan hain.kahin koi patrakar bhrashtachar ke record tod rahe mantriyon ke baare mein na poochh le isliye ve bachate hai.pahale gopal bhargav bhrashttam mantri kaa taj sambhale the,phir ajay vishnoi ne baazi maari.kailash vijayvargiy kahan peechhe rahane vaale the.unhone anek vidhayakon ko lamband kar apni taqat shivraj ko dikha dee to unhe chup rahana pada.ab bhrashton kee race mein sabse aage ho gaye laxmikant sharma.anek vibhag khaskar malaidaar higher education.INDORE-UJJAIN KE KULPATIYON KO HATA CHUKE HAIN,AB KUTHIYALA KAA NUMBER HAI.

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