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नीतीश कुमार बंधक बनाए गए होते तो?

: अभय यादव की मौत का जिम्मेदार कौन : अभय यादव बिहार का सिपाही था. उसको नक्सलियों ने बंधक बना लिया था. उसके बाद उसकी हत्या कर दी. नक्सलियो ने पहले 12 घंटे का समय दिया. फिर 24 घंटे का. सरकार ने कुछ नहीं किया.

<p style="text-align: justify;">: <strong>अभय यादव की मौत का जिम्मेदार कौन</strong> : अभय यादव बिहार का सिपाही था. उसको नक्सलियों ने बंधक बना लिया था. उसके बाद उसकी हत्या कर दी. नक्सलियो ने पहले 12 घंटे का समय दिया. फिर 24 घंटे का. सरकार ने कुछ नहीं किया.</p> <p>

: अभय यादव की मौत का जिम्मेदार कौन : अभय यादव बिहार का सिपाही था. उसको नक्सलियों ने बंधक बना लिया था. उसके बाद उसकी हत्या कर दी. नक्सलियो ने पहले 12 घंटे का समय दिया. फिर 24 घंटे का. सरकार ने कुछ नहीं किया.

इसका मतलब ये है कि सरकार किसी के मौत के लिए जिम्मेदार नहीं है. फिर चाहे वो सिविलियन हों या फिर पुलिस मैन हों. ना केन्द्र सरकार, ना ही राज्य सरकार जिम्मेदारी ले रही है. नीतीश के पास पुलिसमैन अभय यादव के परिवार वालों के लिए दो शब्द भी नहीं थे. बेटी अपने पापा को छुड़वाने के लिए मंत्री जी के दरवाज़े पर रोती रही. लेकिन सीएम जी की आंखों मे शर्म और दया नहीं आई.

एक सवाल जो बेहद अहम है वो ये कि क्या अगर नीतीश कुमार को नक्सली बंदी बना लेते तो कोई ऑपरेशन नहीं चलाया जाता? क्या उनकी मांगों को नहीं माना जाता? क्या तब हम नीतीश जी को भी खो देते? वो भारत का सिपाही था. उसके लिए मुमकिन प्रयास क्यों नही किए गये? मैं लिखना तो बहुत कुछ चाहता था लेकिन वास्तव में ये एक शर्मनाक घटना है.

लेखक सैय्यद आमिर हुसैन सीएनईबी न्यूज चैनल से जुड़े हुए हैं.

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0 Comments

  1. rupesh bhadouria,sadhna news

    September 2, 2010 at 5:36 pm

    jab kashmir jaise mudde par bat ho sakati hai to kya nitish jee bihar ke abhibhavwak hone ke nate naxalio ke bat ko mankar bat to prambh kar sakte the. we naxalio ki sart mante ya nahi mante unki marzi thi. naxalio ki or se bat karne ki hi to bat kahi ja rahi thi.bar bar samay badha kar naxal bhi to samay de rahe the.zindgi bachane ke liye bat nahi kar zindgi jane ke bad bat karna kya abhay ke bachcho aur patni ke ansoo, budhi maa ka rona apko sone degi.

  2. aakash malhotra

    September 2, 2010 at 9:51 pm

    Ye hamare desh ka durbhagya hai ki hamare desh me khadi ke peeche ye chor kab tak jame rahenge yadi c.m. sahab ko vo bandhak bana lete to pata nahi ye nikammi sarkaaren kya kya karti lekin Abhay yadav ki hatya ho gai iski jawabdaari koun lega haan bhai inki koun sochta hai ye neta sab ke sab chor hai ye to apni rajneeti sekna chahte hai agar main bihaar ka c.m. hota to kabki naxlion ki band baja chuka hota hamare desh me sachhe aadmi ka kya haal hota hai iska example sabke saamne hai .Likhna to bahut kuch hai par kya likhoo kyoki hamare kendra sarkaar aur bihaar sarkar dono nikammi hai manmohan ji ko kuch dkhta nahi ye naxli kahte hai ye apne hai to unko sansad me le jaao p.m. banao.
    BHAGWAN BIHAAR AUR KENDRA SARKAAR KO BUDHII DE

  3. पन्ना

    September 3, 2010 at 8:45 am

    मत करो पुलिस की नौकरी…इसलिए नहीं कि तुम कायर हो…तुम डर गये हो…तुम्हारी नसों में दौड़ने वाला गर्म लहू ठंढा पड़ गया है…हां…तुम्हारा सिस्टम कायर है…पंगु है…लाचार है…बेबस है…तुम पर अपना हुक्म चलाने वाले बड़े साहब कायर हैं…ये साहब और सिस्टम तुम्हें शहीद होने के लिए भेज देते है…तुम्हें फर्ज की दुहाई दी जाती है…तुम्हें अपना कर्तव्य याद दिलाया जाता है…ये अलग बात है कि मुठभेड़ के दौरान तुम्हारा हथियार जवाब दे जाता है…उससे गोलियां नहीं निकलती है…और तुम वही थ्री नॉड थ्री के सहारे छोड़ दिये जाते हो…
    मत करो पुलिस की नौकरी…नहीं तो सकता है एक दिन तुम भी किडनैप कर लिये जाओ…और तुम्हारी भी फैमिली इसी तरह गिडगिडायगी…बिलबिलायगी…और तुम्हारी जिंदगी की भीख मांगेगी…लेकिन याद रखना कोई नहीं पिघलेगा…ना नक्सली…ना साहब…हो सकता है तुम शहीद हो जाओ…तुम बच जाओ…इस देश में जब कोई नक्सली मारा जाता है तो दिल्ली में बैठे कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी और केन्द्रीय मंत्री मानवाधिकार के नाम पर बहुत चिल्ल पौं मचाते हैं…लेकिन जब तुम्हें और तुम्हारें दर्जनों साथियों को बेरहमी से मार दिया जाता है…तो मानवाधिकार के पैरोकार अपना जुबान सील लेते हैं…आखिर इन बुद्धिजीवियों की नजर में जवान मानव तो हैं नहीं ..जो उन्हें मानवाधिकार का हक मिलेगा…

  4. nikhil meshram

    September 3, 2010 at 9:27 am

    ye to hota hi hai,ek vip ko protect karne k liye itne jawan aur ek jawan k liye kitne vip saamne aate hai? kya un jawano ki jindagi ki koi kimat nahi?paise dekar aap kisi ki jaan wapas nahi la sakte ho.

  5. ajay

    September 3, 2010 at 11:51 am

    kam se kam shahid huye javan ka naam to sahi likha jaay.

  6. कुमार मयंक

    September 5, 2010 at 2:18 pm

    तुम्हारा सिस्टम कायर है…क्योंकि तुम में से ज्यादातर लोग पगार से ज्यादा…थाने आनेवाले लोगों की आर्थिक सेहत और रुतबा देखकर थाने में बैठाते हो और रिपोर्ट दर्ज़ करते हो….बिहार पुलिस पंगु है…लाचार है…बेबस है…क्योंकि वह कर्म के बज़ाय हर दूसरी बातों पर ज्यादा ध्यान जो देती है…तुम पर अपना हुक्म चलाने वाले बड़े साहब फायर हैं…क्योंकि भ्रष्ट् साहब और सिस्टम हीं….बिहार में लगातार फल-फूल रहा है…क्या गरीबों की कोई पुलिसअधिकारी सुनता भी है क्या….?तरस खाने के अलावे…ओ भी किसी बडे नेता की पैरवी पत्र लाने पर…अन्यथा वो तो सपने में भीइ…एसपी…डीआईजी और आई जी साहब से मिलने की सोच हीं नहीं सकता…निचले दर्ज़े के पुलिसकर्मी अपनी दुर्गति के लिये खुद हीं ज़िम्मेदार है….अभी भी यूपी पुलिस के जैसी प्रतिष्ठअ पाने के लिये…बिहार पुलिस को खुद को बदलने के बादा तीस-पैंतीस साल का लंबा इंतज़ार करना पडेगा…और दिल्ली पुलिस तो वो कभी बन हीं नहीं सकती….खैर सुशासन बाबू की सरकार ने…बिहार पुलिस को अपनी औकात बता ज़रुर दी है…आशा है कि…बिहार पुलिस को होश अरुर आ जाएगा…वर्ना ऐसी पुलिस का भगवान हीं मालिक…गरीबों की बददुआओं के बूते समाज में कथित ईज़्ज़त पानेवालों खाक़ीवर्दीधारियों समय रहते चेत जायें….[b][/b]

  7. Anurag pathak

    September 6, 2010 at 10:55 am

    Ye neta sirf apni pgar ko bdhane m ek jut hote h baki chijho se inhe koi matlab nhi javan marte rhe inki bla se ha agar inki jamat ka koi bandhak hota to ye sara desh apne sir p uta k use bacha lete

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