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पैसे पर सिरस से सेक्स को राजी हुआ

रिक्शा चालक के बयान से नया मोड़ : स्टिंग करने वाले जर्नलिस्टों को जमानत : एएमयू के रीडर श्रीनिवास रामचन्द्र सिरस संग समलैंगिक संबंध बनाने वाले रिक्शा चालक ने कई जानकारियां दी हैं.

<p style="text-align: justify;"><strong>रिक्शा चालक के बयान से नया मोड़ : स्टिंग करने वाले जर्नलिस्टों को जमानत : </strong>एएमयू के रीडर श्रीनिवास रामचन्द्र सिरस संग समलैंगिक संबंध बनाने वाले रिक्शा चालक ने कई जानकारियां दी हैं.</p>

रिक्शा चालक के बयान से नया मोड़ : स्टिंग करने वाले जर्नलिस्टों को जमानत : एएमयू के रीडर श्रीनिवास रामचन्द्र सिरस संग समलैंगिक संबंध बनाने वाले रिक्शा चालक ने कई जानकारियां दी हैं.

उसने पुलिस को अपना बयान दर्ज करा दिया है. रिक्शा चालक ने क्या-क्या बताया, इसकी जानकारी आपको आगे देंगे,  पहले एक और सूचना दे देते हैं. वह यह कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रो. सिरस व रिक्शा चालक के बीच सेक्स संबंधों का स्टिंग करने वाले दोनों टीवी जर्नलिस्टों को जमानत मिल गई है. पिछले दिनों पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. इन पत्रकारों ने जमानत के लिए अदालत में याचिका लगा दी थी. जमानत के बाद पत्रकारों को जेल से रिहा कर दिया गया है.

अब बात करते हैं रिक्शा चालक की. एएसपी मान सिंह चौहान ने लखनऊ के कुछ पत्रकारों को बताया कि रिक्शा चालक ने अपने बयान में काफी कुछ जानकारियां दी हैं. उसने बताया कि सिरस से उसकी जान पहचान करीब छह महीने पहले हुई. एक दिन वह सिरस को उनके स्टाफ रेजीडेंस पर अपने रिक्शा से ले जा रहा था. उसी समय सिरस ने बातचीत की. बाद में दोनों काफी परिचित हो गए. सिरस ने रिक्शा वाले के घर-परिवार के बारे में काफी जानकारियां इकट्ठी कर लीं.

रिक्शा वाले के मुताबिक एक दिन सिरस ने उससे कहा कि अगर वह सेक्स संबंध बनाने के लिए तैयार हो जाए तो वह उसकी बहन की शादी पर होने वाले सभी खर्च उठा सकते हैं. इस प्रलोभन पर रिक्शा वाला सिरस के साथ सेक्स संबंध बनाने को तैयार हो गया. सूत्रों के मुताबिक रिक्शा वाले को हर रोज सिरस के घर जाने व कई घंटे बाद बाहर निकलते देख कुछ लोगों को शक हो गया. फिर इन लोगों ने कुछ पत्रकारों को यह बात बताई व इसी के बाद रंगे हाथ पकड़ने का खेल शुरू हुआ.

पुलिस के लोगों का कहना है कि रिक्शा वाले ने जो बयान दिया है, उससे इस मामले में फंसे पत्रकारों की मुश्किल आसान हो सकती है. किसी को पैसे व प्रलोभन के जरिए सेक्स के लिए सहमत करना वेश्यावृत्ति की परिभाषा के दायरे में आता है. इसे कतई लीगल नहीं कहा जा सकता. उधर, प्रो. सिरस की मौत के बाद उन्हें न्याय दिलाने के लिए लड़ रहे गे एक्टिविस्टों के अभियान को भी रिक्शा चालक के बयान से धक्का लगा है. अगर सेक्स में धन का इनवाल्वमेंट है तो इसे अनैतिक व गैर-कानूनी कहा जाएगा. कुल मिलाकर रिक्शे वाले ने पुलिस के सामने अपने बयान में जो जानकारियां दी हैं, उसने सिरस प्रकरण को और पेचीदा बना दिया है.

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0 Comments

  1. Anshul Srivastava

    April 22, 2010 at 8:26 am

    bHAI cHALO KISMAT ACCHI THI KI RAKSHE WALE NE BYAN FAVOUR ME DE DIYE NHITO PTA NHIKYAHOTA

  2. पूर्णिमा पांडे, लखनौ

    April 22, 2010 at 8:45 am

    प्रोफेसर सिरास के साथ पत्रकारोंने जो किया वह बहोत ही गलत किया. स्टोरी के चक्कर में उन्होने एक ऐसे आदमी की जान ली, जो किसी को नुकसान नही पहुंचा रहा था. मै यहां यह सवाल करना चाहती हूं की क्या पत्रकारों मे समलैंगिक नही होते. अलिगड मुस्लिम विश्वविद्यालय में तो ऐसे प्रोफेसर है, जो अपनी ही छात्राओं को ब्लॅकमेल करके उनसे शारीरिक संबंध बनाते है. अगर इन दो कौडी के पत्रकारों मे इतना ही दम है तो उस पर स्टींग करके बताए. सिरास जैसे बुढे और असहाय आदमी को अपने जाल के घेरे में लेकर सस्ते में नाम कमाने से कोई लाभ नही मिलने वाला. अगर अलिगड के पत्रकारों को समलैंगिकता के बारे में इतनी ही चिड है, तो वह दिल्ली जाए. वहां तो ऐसे ऐसे पत्रकार मिल जाएंगे जो दिन में टीव्ही पर अंग्रेजी बकबक करते है और बुद्धीजिवी कहलाते हैं. और रात होते ही समलैंगिकता में लिप्त हो जाते है. अगर हिम्मत है तो अलिगड के पत्रकारों ने दिल्ली जाकर इन टॉप के पत्रकारों का स्टींग करना चाहिए. खामखा अनपढ रिक्षावाले और बुढे सिरास से पाला लेकर आखिर फायदा क्या.?

  3. sachin yadav

    April 22, 2010 at 10:16 am

    yeh woh patrakar hain jo samay aane par apne boss se bhi samlaggik sambandh bana legne, in patrkaro ke khilaaf karywai honi chahiye.

  4. aman

    April 22, 2010 at 10:44 am

    Purnima ji ne sach likha hai.
    Dukhad

  5. sanamahmad

    April 22, 2010 at 1:02 pm

    professor boodha aadmi tha.us ko phansakar kya faaida .un ka sting karo jo young hain aur chote chote bachchon ko apne jaal me phansa lete hain

  6. anaam

    April 22, 2010 at 4:38 pm

    मुझे नहीं पता कि प्रोफेसर की मौत पर पूणिüमा इतनी सेंटी क्यों हो गई हैं। प्रोफेसर मर गया इसलिए उसे बेकसूर नहीं कहा जा सकता और न बेवजह की सहानुभूति का हकदार है। देखा जाए तो सहानुभूति रिक्शे वाले को मिलनी चाहिए। लेकिन आप लोग ही दीजिए, क्योंंकि मेरी नज़र में वह भी कमजोर और उतना ही बड़ा अपराधी है जितना कि प्रोफेसर था। वह रिक्शा चलाकर परिवार का पेट पाल रहा था, लेकिन अधिक पैसे के लालच में गलत कदम उठाया, दोषी वह भी है सजा उसे ाी मिलनी चाहिए। वहीं प्रोफेसर ने एक गरीब व्यक्ति की भावनाओं से खिलवाड़ किया। उसने रिक्शे वाले की मजबूरियों का पहले तो पता किया फिर पैसे के बल पर उसे वह सब करने पर मजबूर किया जो शायद वह नहीं करना चाहता होगा। लेकिन बहन की शादी में होने वाले ार्च के लिए उसने यह काम भी कर लिया। रिक्शावाला तो केवल एक अपवाद है। मरने से पहले प्रोफेसर ने पता नहीं और कितने लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ किया होगा और वेे बदनामी के डर से उसका खुलासा नहीं कर पाए होंगे। आप लोग जो ाी है कमेंट लिख रहे हैं, पढ़े-लिखे मालूम होते हैं, लेकिन आपकी बचकानी बातों से यह अहसास नहीं हो रहा। क्योंंकि इस मामले में आप बेवजह जज्बाती होते जा रहे हैं। ध्यान रहे कि प्रोफेसर को न तो किसी ने मारा और न ही उसकी प्राकृतिक मौत हुई है, बल्कि इससे इतर उसने आत्महत्या की है। यह उसकी दूसरी बड़ी गलती थी। वह गलत था इसलिए खुद को बचाने और सहानुभूति बटोरने के लिए आत्महत्या कर बैठा। प्रोफेसर को किसी ने न तो मारा और न ही उसे किसी ने मारने के लिए उकसाया है। आत्महत्या का फैसला उसका अपना था। इसलिए पत्रकारों का इसमें कोई दोष नहीं है। उन्होंने वही किया जो पत्रकार का काम होता है। प्रोफेसर ने वह काम कर दिया था जिसे भारतीय समाज में अभी सार्वजनिक रूप से स्वीकृति नहीं मिली है। वह यह काम उस साभ्रान्त इलाके में रहते हुए कर रहा था जहां के लोग शायद इसे नहीं स्वीकारते होंगे और न ही चाहते होंगे कि ऐसा कोई कृत्य उनके घर के आसपास करे। क्योंकि उनके परिवार पर इसका बुरा असर पड़ने का डर हो सकता था। उन्होंने पत्रकारों को बताया और पत्रकारों ने अपने स्वभाव और काम के अनुरूप काम किया। अब उनकी खबर पर कोई आत्महत्या कर ले तो उनका क्या दोष। वैसे भी कमजोर और ऐसी मानसिकता वाले लोगों को जीने का कोई हक नहीं है जो दूसरों की भावनाओं से अपने पैसे के बल पर खिलवाड़ करते हैं। आप लोगों ने प्रोफेसर के पक्ष में बकैती की यह पहली गलती थी। दूसरी गलती है कि पूणिüमा ने यह तो बता दिया कि दिल्ली में कुछ पत्रकार समलैंगिक हैं लेकिन उनका नहीं बताकर ाी गलती की है। हिमत हो और वे सही हैं तो उनका नाम क्यों नहीं उजागर कर रही हैं पूणिüमा। कमेंट लिख देने से कुछ नहीं होता मैडम। पूरे मामले का खुलासा करिए और यह साबित करिए पत्रकारों की तरह, तब आपकी बात का वजन और उसकी सार्थकता का अन्दाजा लगाया जा सकता है। आप का बयान उन पत्रकारों से भी गया गुजरा है जिन्होंने स्टिंग को अंजाम दिया। उनके पास कम से कम अपनी खबर का प्रुफ तो है आपके पास कहां है…………..प्रुफ।
    इसे अन्यथा मत लीजिएगा।

  7. Raj kumar Ojha

    April 23, 2010 at 5:36 am

    यसवंत जी ये तो मै जानता था कि पत्रकार कोई गलती नहीं कर सकते जैसा कि आपकी पाठिका पूणिमा मैडम जी लिखी है कि डॉ सिरस बुजुर्ग आदमी थे और इस वजय से उनकी जान चली गई तो वो रिपोटर क्या करे वो ये थोड़ी जानते थी कि वो मर जाऐगा मै मैडम जी को आपके थू बताना उचित समजुगा कि कोई रिपोटर किसी कि जान नहीं लेता उसका मकसद यही था केवल खबर करना और कुछ नहीं और ये पुलिस ने भी साबित कर दिया

  8. Ansari

    April 23, 2010 at 7:10 am

    उन तीनों के जज्बों को सलाम जिन्होंने प्रोफ़ेसर सिरस की असलियत को अवाम के सामने पेश किया
    मैं पूर्णिमा पाण्डेय जी से एक बात कहना चाहता हूँ की अगर पूर्णिमा जी को एक बात बताना चाहता हूँ अगर वो एक पत्रकार होंगी तो जरुर समझेंगी की अगर उन्हें इस बात की जानकारी है , की अलीगढ मुस्लिम university में लड़कियों को ब्लैक मेल करके प्रोफ़ेसर उनसे नाजाइज़ रिश्ते कायम करते हैं तो मुझे बताएं मैं स्टिंग करने को तैयार हूँ ! मैं उन कमीने प्रोफेसरों को दुनिया के सामने लेन में अपना सम्मान महसूस करूँगा जो अपनी छात्राओं को ब्लैक मेल करके उनसे नाजाइज़ रिश्ते कायम करते हैं ! और रही बात उन तीन पत्रकारों की जिन्होंने प्रोफ़ेसर का स्टिंग किया तो मैं एक पत्रकार होने के नाते इसे बिलकुल सही कहूँगा उन तीनों पत्रकारों ने रिक्शा वाले के शोषण को तो रोका ही है साथ ही university में होने वाले काले कारनामों को आवाम से रूबरू कराया है! मुझे उन पत्रकारों को सलाम करने में कटाई भी शर्म महसूस नहीं होगी ! पूर्णिमा जी आपने लिखा है @@@ पूर्णिमा का कम्मेंट – अलिगड मुस्लिम विश्वविद्यालय में तो ऐसे प्रोफेसर है, जो अपनी ही छात्राओं को ब्लॅकमेल करके उनसे शारीरिक संबंध बनाते है. अगर इन दो कौडी के पत्रकारों मे इतना ही दम है तो उस पर स्टींग करके बताए. @@@ पूर्णिमा आपने अलीगढ मुस्लिम university के प्रोसेसरों की इज्ज़त पर ऊँगली उठाई है अपने कमेन्ट में ! मेरे ख्याल से ये बात उन तीन पत्रकारों की नॉलेज में नहीं होगी जो आपने अलीगढ मुस्लिम university के प्रोसेसरों के बारे में लिखी है ! लेकिन मैं ऐसे स्टिंग करने को तैयार हूँ पूर्णिमा जी मेरा नंबर ये है -9548974509 आप मुझे जरुर बताइयेगा की ऐसे कौन से प्रोफ़ेसर हैं जो अलीगढ मुस्लिम university में अपनी छात्राओं को ब्लैक मेल करके उनकी छवि को धूमिल करते हैं ….. या उनके साथ सेक्स करते हैं
    धन्यवाद

  9. ansari

    April 23, 2010 at 9:08 am

    ek baat rah gai purnima ji agar aap mujhe ye sab phone par nahi bata sakti to mujhe mail kar dijiye—
    [email protected]

  10. satendra

    April 24, 2010 at 2:35 pm

    yashwant g, siras ki maut k baad mediakarmio ki giraftari hona, ye sikke ka 1 pehlu hai….jo dhara mediakarmio per lagi wahi dhara amu k procter samet ur adhikariyo per lagi……per police ne mediakarmio ko giraftar kiya…..kya alg. prashasan itna napunsak ho chuka hai k wo amu k naamjad logo ko arrest nhi kar sakta….kya isse hi insaaf kehte……..

  11. mahendra kumar beed

    April 25, 2010 at 6:58 am

    patrakar ke naam per ek kalank hai……………

    aise logonko bedakhal karana chahiye…..!

  12. major

    April 25, 2010 at 10:16 am

    Purnima ji apne achi tareef likhi hai ham logoon ke bare main main zhiyada kuch to nahi kahoon ga bas mujhe itna poonchna hai ki agar us rikshe wale ki jagha aap ka bhai hota or wo Prof. us ka shoshan karrha hota or phir ham loog sting karte to phir bhai aap apne uncile Prof. sahab ki ese hi tarafdari karti or hamare bare main jo apne ye itna sab kuch likha hai ham iske liye aapke abhari hai .. hame aapse koi shikayat nahi hai nahi un sabhi logo se hai jin logone aap ki hi tarhaan hamari tareef kari hai haam ne to baas apna kaam kara hai or media ki had main rehkar hgi kiya hai hamara maksad kisi ki jaan lena nahi tha … or haan ye stin to shuruwaat hai anjaam to abhi baki hai or samaj se gandagi ko nikal na hai agar aap sachi or imaqndar patrkaar hain to meri isbaat par thoda goor zaroor kariyega . dhanne waad

  13. major

    April 27, 2010 at 11:46 am

    Purnima ji shayad apne meri baat ko pada nahi hai main kuch or bhi kehna chahta hoon jis mahaan porush Prof. ki aap baat karrahi hain or keh rahi hain ki unhone kisi ko nuksaan nahi pohchaya hai un ki tareef to sun hi lijiye ki unhone phichle 20 saal main ek bhi student ko nahi pdaya hai… or rahi baat unki atmahattiya karneki to main apko batadon ki 1998 main unhone ek IPS Oficer ki wife ko cheda tha Nagpur main or wo bhi ek Beauty parllor main wo kese wo ese ki IPS ki wife parllor main gayi thi or Dr. Siras under wear main us parllor main chale gaye or wahaan kafi or ladkiya bhi thi phir unhone bahar akar us parllor ka gate bahar se lock kardiya phir police aai or ake priye Dr. Siras sahab ko underwear main ki maarte hoye thane tak legaye tab unki badnami nahi hoi or tab un hone atmahatiya kyu nahi kari or tab unhone IpS ki wife or police waloon ke khilaf FIR kyu nahi krwai or yahaan tak ki Nagpur ke ek locel News Paper main tu Dr. Sahab ki ese tareref Chapi thi ki ….. Mahilaoon se ched chad dr. Siras ki porani adat hai aab aap kya kahen gi purnima ji mere paas un ki pori History hai mujhe actual date nahi maloom hai war na main Hindutan Times News Paper main Chapi Dr. Siras ki Kabar Aap ko Zaroor Padwata …..

  14. nishant

    April 27, 2010 at 3:29 pm

    bahut khub major. purnima ki bahut khichhai ho gai hai, ab we bina jaane bujhe kisi ki parwi nahi kaarengi
    good.

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