एसएन विनोद और प्रकाश पोहरे विवाद प्रकरण में दैनिक राष्ट्रप्रकाश के समाचार संपादक अरविंद शर्मा ने ‘झूठ बोल रहे हैं पोहरे’ शीर्षक से जो कुछ कहा है, उस पर देशोन्नती समूह के चेयरमैन और एडिटर प्रकाश पोहरे ने अपना पक्ष भड़ास4मीडिया के पास भेजा है। इसमें उन्होंने जो कुछ कहा है, उसे यहां पेश किया जा रहा है- ”एसएन विनोद जब मुझसे मिले थे तो उन्होंने कहा था कि नागपुर के अंदर 10 लाख बिहारी लोग दो लाख घरों में रहते हैं और वे खुद बिहारी लोगों के हीरो हैं। एसएन विनोद का कहना था कि वे दो लाख घरों में से दस प्रतिशत घरों यानि बीस हजार घरों तक अपना अखबार पहुंचाएंगे। इन बीस हजार घरों से अखबार के लिए वार्षिक मेंबरशिप लिया जाएगा। वार्षिक मेंबरशिप 1000 रुपये में देंगे। एसएन विनोद की गणित के मुताबिक एक हजार रुपये गुणे बीस हजार घर बराबर दो करोड़ रुपये होते हैं।
विनोद जी ने जब दो करोड़ रुपये आने की बात समझाई तो मैंने उनसे कहा कि आपको इस दो करोड़ रुपये में पांच फीसदी हिस्सा की भागीदारी दे देंगे। साथ ही विज्ञापन के रेवेन्यू में भी भागीदारी देंगे। मैंने उनकी बातों पर एक अच्छे बिजनेसमैन की तरह विशवास किया, यही मेरी गलती रही। विनोद जी सालाना मेंबरशिप लाएंगे, ऐसा समझ के मैं अपना काम करता रहा। इन्होंने जो कुछ बोला, मैंने किया। जो इनफ्रास्ट्रक्चर मांगा, वो दिया। जो लोगों को सेलरी बताई, वो दी। लेकिन दो करोड़ रुपये तो छोड़ो, उल्टे दो लाख रुपये उन्होंने मेरे से ले लिए। दो करोड़ रुपये तो लाए नहीं, दो लाख रुपये नगद मुझसे मांग लिया जो आज तक वापस नहीं किया। अब आप लोग बताएं, ज्वाइंट वेंचर किस तरह बनता है? आपने पैसा लगाया नहीं, जो पैसा लाने की बात कही, वे लाए नहीं, फिर ज्वाइंट वेंचर किस बात का? तय यही हुआ था कि जब वे दो करोड़ रुपये लाएंगे तो पांच फीसदी भागीदारी की बात लिखत-पढ़त में कर लेंगे। लेकिन लिखत-पढ़त होने की नौबत तब आती न जब वह पैसा आता। मुंहजबानी तो बहुत सारी बातें होती रहती हैं और मुंहजबानी बात करने में एसएन विनोद से माहिर कोई दूसरा नहीं हो सकता।
मैंने अच्छे बिजनेसमैन की तरह से कहा था कि एसएन विनोद ने इस्तीफा दे दिया। आज हम यह स्पष्ट करते हैं कि उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया था, बल्कि हमने उनको निष्कासित किया। यह मुझे मजबूरन स्पष्ट करना पड़ रहा है। जो अरविंद शर्मा खुद को राष्ट्रप्रकाश का समाचार संपादक बता रहे हैं, वे एसएन विनोद के निष्कासन के दिन से ही गायब हैं। वही नहीं, उनके अलावा रिपोर्टर पप्पू यादव और सोनाली सिंह भी गायब हैं। मैनेजमेंट ने इन तीनों लोगों से कुछ नहीं कहा पर ये बिना बताए और बिना अप्लीकेशन दिए आफिस नहीं आ रहे हैं। मेरे दिल में इन लोगों को निकाले की कोई बात नहीं थी। बावजूद इसके, अरविंद द्वारा खुद को राष्ट्रप्रकाश का न्यूज एडिटर बताना और ईमानदारी का ढोल पीटते हुए नौकरी खतरे में डालने की बात करना, लोगों को गुमराह करने के लिए है।”