मैं अवकाश पर तिरूपति प्रवास पर था, तब ‘देशोन्नती’ के मालिक प्रकाश पोहरे का पक्ष भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित होने की बात पता चली। साइट खोल कर सब पढ़ गया। झूठ के उनके भंडार में उन साजिशों की पुष्टि हो गई, जिनकी जानकारियां ‘देशोन्नती’ के संपादकीय और प्रशासकीय सहयोगियों ने मुझे दी थी। मैंने ‘राष्ट्रप्रकाश’ ज्वाइन एस.एन विनोद जी के नाम पर किया था। यह भी मुझे जानकारी थी कि विनोदजी ‘राष्ट्रप्रकाश’ के पार्टनर हैं। अब विनोदजी के इस्तीफे के बाद पोहरे कहते हैं कि ऐसा कुछ नहीं था। उनके झूठ को साबित करने के लिए मैं यहां ‘देशोन्नती’, जिसके मालिक और मुख्य संपादक स्वयं प्रकाश पोहरे हैं, के अंक में ही प्रकाशित ‘राष्ट्रप्रकाश’ के उस समाचार को उद्धृत कर रहां हूं जिसमें छपा है कि ”डॉ. वसंतराव देशपांडे सभागृह में आज मुख्य संपादक एस. एन. विनोद और ‘देशोन्नती’ के एडीटर-इन-चीफ प्रकाश पोहरे के संयुक्त उपक्रम ‘राष्ट्रप्रकाश’का भव्य लोकार्पण किया गया.”
अन्य अखबारों में छपी ऐसी खबरों को छोड़ दें, तो यह खबर स्वयं प्रकाश पोहरे के अखबार में छपी है. क्या यह झूठी खबर है? इसके पूर्व जब विनोदजी ने ‘देशोन्नती’ ज्वाइन किया तब ‘देशोन्नती’ की ओर से सभी स्थानीय अखबारों को ‘प्रेसनोट’ जारी किया गया था। उस खबर में भी यही बताया गया था कि ”देशोन्नती ग्रुप, एस.एन.विनोद के साथ ‘ज्वायंट वेंचर’ के रुप में नागपुर और मुंबई से शीघ्र ही हिन्दी दैनिक ‘राष्ट्रप्रकाश’ का प्रकाशन आरंभ करने जा रहा है.” सुप्रसिद्ध अंग्रेजी दैनिक ‘हितवाद’ सहित अन्य हिन्दी-मराठी के अखबारों ने भी यह खबर प्रकाशित की थी. ‘हितवाद’ की कतरन संलग्न है. क्या यह भी झूठ था? इसके अलावा ‘राष्ट्रप्रकाश’ के लोकार्पण की पूर्व संध्या पर (२७ फरवरी को) स्थानीय पत्रकार भवन में एक संवाददाता सम्मेलन कर प्रकाश पोहरे ने स्वयं घोषणा की थी कि राष्ट्रप्रकाश एस.एन. विनोद के साथ ‘ज्वायंट वेंचर’ के रूप में प्रकाशित होने जा रहा है. नागपुर के सभी पत्रकार इसके साक्षी हैं. यह खबर भी पोहरे के ‘देशोन्नती’ मे छपी थी.
ये उदाहरण काफी हैं यह प्रमाणित करने के लिए कि ‘राष्ट्रप्रकाश’ एस.एन. विनोद व प्रकाश पोहरे का संयुक्त उपक्रम है. इससे यह भी साबित हो जाता है कि प्रकाश पोहरे ने साजिश रच कर विनोदजी का उपयोग किया और अब बेइमानी पर उतर आए हैं. रही बात ‘राष्ट्रप्रकाश’ की स्वीकृति की तो अभी तो प्रकाशन के दो माह भी नहीं हुए हैं लेकिन पाठकों ने इसे सर्वश्रेष्ठ हिन्दी दैनिक के रूप में स्वीकारा है. पोहरे जो सफाई दे रहें है- आरोप लगा रहे हैं वे सभी उनके द्वारा रचे गये ‘षडयंत्र’ के अंग हैं. प्रकाशन के तीसरे सप्ताह में ही सभी सातों परिशिष्ट बंद कर देना, पृष्ठ संख्या घटा देना पोहरे के षडयंत्र के भाग थे. प्रकाशन के तीन माह पूर्वनियुक्त शहर के एक बड़े न्यूज पेपर एजेंट श्री बेग को प्रकाशन के आधे घंटे पहले हटा कर नया एजेंट नियुक्त करना और सर्वे, जो दो माह विलंब से प्रकाशन के सिर्फ ५-६ दिन पूर्व शुरू किया गया, उसे भी बंद कर देना पोहरे की बदनीयती को साबित करता है.
विनोदजी को जवाब देने से ‘राष्ट्रप्रकाश’ के हम सहयोगियों ने मना किया क्योंकि पोहरे इस लायक हैं ही नहीं कि विनोदजी के सामने बैठ भी सकें. उनकी हरकतों की जानकारी अगर यहां दे दी जाए तब आपके पाठकों और आपको उल्टी हो जाएगी. इसलिए मैंने विनोदजी के सम्मान को देखते हुए प्रकाश पोहरे के वक्तव्य का खंडन करना जरूरी समझा. पोहरे तो सरेआम कहते-फिरते है कि ‘मैं तो नंगा हूं, मेरा क्या जाएगा’, और हां, पोहरे ने विनोदजी को राम-राम नहीं किया, विनोदजी ने पोहरे को राम-राम किया, यह बात देशोन्नती-राष्ट्रप्रकाश के सभी सहयोगी जानते हैं. मैं यह सब अपनी नौकरी को खतरे में डाल इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि मैंने पत्रकारिता में हमेशा सच का साथ देना सीखा है।
लेखक अरविंद शर्मा नागपुर से प्रकाशित हिंदी दैनिक राष्ट्रप्रकाश के समाचार संपादक हैं। उनसे संपर्क 09730107167 के जरिए किया जा सकता है।