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ईटीवी के एक पूर्व स्ट्रिंगर की भड़ास

स्ट्रिंगरों के तबादले के लिए सख्त नियम, वरिष्ठों के लिए कुछ नहीं : गलत काम न करने पर बाहर करा देते हैं वरिष्ठ : खुद दलाली के चश्मे लगाते हैं इसलिए हर शख्स में दलाल दिखता है : खबर भेजने में 200 रुपये लगते हैं, मिलते हैं ढाई सौ रुपये : स्ट्रिंगरों से फार्म भरवा लिया है कि उनका मूल धंधा पत्रकारिता नहीं, खेती है : मैं 400 किमी दूर खेती करने नहीं आया हूं : स्ट्रिंगरों की खबरें-विजुवल चुराकर अपने नाम से चलाते हैं वरिष्ठ :

स्ट्रिंगरों के तबादले के लिए सख्त नियम, वरिष्ठों के लिए कुछ नहीं : गलत काम न करने पर बाहर करा देते हैं वरिष्ठ : खुद दलाली के चश्मे लगाते हैं इसलिए हर शख्स में दलाल दिखता है : खबर भेजने में 200 रुपये लगते हैं, मिलते हैं ढाई सौ रुपये : स्ट्रिंगरों से फार्म भरवा लिया है कि उनका मूल धंधा पत्रकारिता नहीं, खेती है : मैं 400 किमी दूर खेती करने नहीं आया हूं : स्ट्रिंगरों की खबरें-विजुवल चुराकर अपने नाम से चलाते हैं वरिष्ठ :

राजेश रंजन

राजेश रंजन

ईटीवी मध्य प्रदेश के स्ट्रिंगरों की दुर्दशा का ध्यान प्रबंधन के साथ-साथ हिन्दी चैनल हेड को दिलाना चाहता हूं। यह सिर्फ मेरा नहीं बल्कि हर एक स्ट्रिंगर कर दर्द है। ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में स्ट्रिंगर उर्फ जिला संवाददाताओं की लगातार फजीहत हो रही है। पिछले तीन सालों में बीस से अधिक स्ट्रिगरों ने चैनल को अलविदा कह दिया है। कई स्ट्रिंगरों को या तो हटा दिया गया या उन्हें बहुत दूर ट्रांसफर कर दिया गया या तो वह खुद ही चैनल छोड़कर चले गये। सबसे हास्यास्पद पहलू यह है कि ईटीवी में स्ट्रिंगरों के थोक के भाव में ट्रांसफर होते हैं और पिछले पांच सालों मे सबसे ज्यादा प्रभावित जबलपुर सेंटर रहा है। उन्हें 2-3 साल पूरा होने पर एक जगह से दूसरी जगह कर दिया जाता है। मैनेजमेंट के इस तरह की कार्यवाही से सभी स्ट्रिंगर नाराज हैं।

जबलपुर सेंटर में जब से विश्वजीत सिंह ब्यूरो चीफ बनकर आये हैं तबसे लेकर आज तक यानि 5 वर्षों के दौरान तीन बार ट्रांसफर और सेवा समाप्ति का दौर चल चुका है। जाहिर है जो स्ट्रिंगर विश्वजीत के स्वार्थ के अनुरूप कार्य नहीं करते हैं उन्हें रिपोर्टर हेड जगदीप सिंह बैस और इनपुट हैड अरूण त्रिवेदी के साथ मिलकर तिकड़म के तहत या तो उन्हें हटा देते हैं या फिर उनका दूर कहीं ट्रांसफर करा देते हैं लेकिन इन 5 सालों में विश्वजीत जबलपुर में ही बने हुये हैं।

स्थिति यह है कि म.प्र. में जबलपुर टीआरपी सेंटर हुआ करता था लेकिन नितिन साहनी और आलोक श्रीवास्तव के बाद से लगातार पिछड़ता गया और आज यह स्थिति है कि यहां का 2 एमबी सेंटर बंद किया जा रहा है और खबरें एफटीपी के माध्यम से भेजने के आदेश आ गये हैं। मेंनेजमैंट का तर्क होता है कि किसी भी ब्यूरो में 2 साल से अधिक कोई भी संवावदाता नहीं होगा लेकिन यह सिर्फ उनके साथ हो रहा है जो किसी के तलवे नहीं चाटते। कभी सईद खान जो चैनल हेड हुआ करते थे के खिलाफ स्ट्रिंगरों को एक सुर से भड़काने वाले जगदीप सिंह बैस, विश्वजीत और अरूण त्रिवेदी आज सब कुछ अपने मन मुताबिक चला रहे हैं क्योंकि उनका विरोध करने वाला कोई नहीं रहा।

अब सवाल यह उठता है कि जब दो-तीन साल से ज्यादा रहने का कोई प्रावधान नही हैं तो फिर जबलपुर मे विश्वजीत सिंह और भोपाल में जगदीप सिंह वैस पांच साल से कैसे जमे हुए हैं। जबकि रीवा से आलोक पण्डया को ग्वालियर, इंदौर से दिव्या गोयल को भोपाल, जबलपुर से आलोक श्रीवास्तव को रीवा और जबलपुर से ही नितिन साहनी को वाया इंदौर होते हुए भोपाल बैठा दिया गया। सबसे ज्यादा खिलवाड़ तो इंदौर के सिद्धार्थ मांछी वाल के साथ हुआ था जिन्हें एक ही साल में चार शहरों के बाद अंततः जबलपुर भेज दिया गया था। बाद में परेशान होकर सिद्धार्थ ने इंदौर में पत्रिका ज्वाइन करना ही बेहतर समझा। इसी तरह से इंदौर के ही वीरेन्द्र तिवारी ने चैनल छोड़कर भास्कर ज्वाइन कर लिया।

अब सवाल यह उठता है कि आखिर जगदीप सिंह बैस हैं कौन? मूलतः जबलपुर के रहने वाले जगदीप कटनी में नवभारत में कुछ हजार रूपये की नौकरी करते थे। लेकिन अचानक कांग्रेस की राजनीति में आये और प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी और कोषाध्यक्ष एन.पी. प्रजापति के नजदीकी बन गए। तभी से उनकी तरक्की के रास्ते खुलते चले गये। इसी बीच वे ईटीवी में आये और पांच साल में ही भोपाल में स्थायी तौर पर बस गए। ईटीवी चैनल ज्वाइन करने से पहले टर्म्स एण्ड कंडीशन में यह भरना अनिवार्य रहता है कि वह किसी भी राजनैतिक दल के लिए काम नहीं करेंगे, लेकिन जगदीप सिंह बैस 2009 के चुनाव में जबलपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस में अपनी दावेदारी पेश कर चुके थे और दिल्ली तक लाबिंग किया था। और अभी भी कांग्रेस के प्राथमिक सदस्य हैं। जिला स्तर के कई संवाददाताओं को इन्होंने सिर्फ इसलिए प्रताड़ित किया कि उन लोगों ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी के खिलाफ खबर भेजने का साहस दिखाया। उन प्रताड़ित संवाददाताओं में मेरा भी नाम है।

कुछ ऐसी ही कहानी विश्वजीत की भी है। विश्वजीत पहले रायपुर में सहारा समय के स्ट्रिंगर हुआ करते थे और किसी तरह ईटीवी में घुसे थे। वे भी कांग्रेस की ही राजनीति करते हैं और उसी आधार पर स्ट्रिंगरों से भेदभाव भी करते हैं। ईटीवी में नियुक्ति का एक और मापदण्ड है कि गृह जिला में किसी भी स्ट्रिंगर या संवावदाता की नियुक्ति नहीं होगी जबकि जबलपुर में बृजेन्द्र पाण्डे उसी शहर के होने के बावजूद लगभग दो सालों से काम कर रहा है जबकि सलीम रोहतिया जो छिंदवाड़ा का रहने वाला है उसे जबलपुर से शिवपुर ट्रांसफर कर दिया था जिसके बाद उसने चैनल छोड़ दिया।

जबलपुर का सीमावर्ती जिला जहां मैं काम करता था, जबलपुर ब्यूरो चीफ विश्वजीत सिंह का गृह जिला है और यही कारण है कि वह जबलपुर से और कहीं जाना नहीं चाहता और वहीं से नरसिंहपुर जिले में अपने रिश्तेदारों के माध्यम से कई तरह के अवैध काम शानदार तरीके से करवा रहे हैं। उन गलत कामों को संरक्षण देने के लिए विश्वजीत का मेरे ऊपर लगातार दबाव रहता था। उसके दो कारण थे एक तो विश्वजीत स्थानीय था और मैं बिहार का रहने वाला हूं।

अभी ग्राम पंचायत के दौरान विश्वजीत ने मुझे निर्देश दिये थे कि उनके दो रिश्तेदार चुनाव लड़ रहे हैं और तुम जिताने के लिए अपर कलेक्टर पर दबाव बनाओ, सौदा मैं किसी भी कीमत पर करूंगा। हालांकि यह सौदा नहीं हो पाया था। इस तरह के और भी कई अनाप-शनाप निर्देशों का पालन करना मेरी मजबूरी बन गयी थी। मेरे से पहले यहां जो संवावदाता काम करते थे उन्हें भी विश्वजीत के कारण ही छिंदवाड़ा ट्रांसफर कर दिया गया था। और आज स्थिति यह है कि 31 मार्च को मेरे काम छोडऩे के बाद कोई भी स्ट्रिंगर यहां ज्वाइन करने से कतरा रहा है। आखिर ईटीवी में विश्वजीत का कौन-सा जादू चल रहा है कि पांच साल से लगातार वे जबलपुर के 2 एमबी के इंचार्ज बने हुये हैं जबकि स्थिति इतनी खराब हो गयी है कि 2 एमबी बंद करने के निर्देश आ गये हैं लेकिन अब भी विश्वजीत को नहीं हटाया गया।

नरसिंहपुर में महिला एवं बाल विकास के सहयोग से चल रहे फर्जीवाड़ा को मेंने अन्य पत्रकारों के साथ भण्डाफोड़ किया था जो कि 18 फरवरी के सुबह 7 बजे की बुलेटिन में प्रसारित किया गया। साथ ही साधना न्यूज और टाइम टुडे में भी प्रसारित हुआ था और शहर के लगभग सभी अखबारों में यह खबर छपी थी। उस फर्जीवाड़ा में ईटीवी के जबलपुर आफिस में कम्प्यूटर आपरेटर के पद पर कार्यरत कर्मचारी की मां और भाभी सीधे तौर पर शामिल थे। तीन लाख रुपये के इस फर्जीवाड़े की खबर रोकने के लिए विश्वजीत सिंह ने मुझ पर दबाब बनाया लेकिन तब तक मैं खबर एफटीपी से भेज चुका था।

बस, उलटे मुझ पर ही संबंधित आरोपियों से पैसे मांगने का आरोप लगाकर विश्वजीत ने कार्यमुक्त करने की सिफारिश प्रबंधन को कर दी और आनन-फानन में बगैर किसी जांच के मुझे काम करने से मना कर दिया गया। लेकिन जब हमने ईटीवी हिन्दी चैनल हेड जगदीश चंद्रा को मेल करके सारी जानकारी दी तो मेरा कार्यकाल 31 मार्च तक बढ़ा दिया गया लेकिन मैं पहले ही चैनल छोडऩे का मन बना चुका था। मैंने फिर काम शुरू नहीं किया।

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फिर भी जाते-जाते चैनल में कार्यरत अन्य स्ट्रिंगरों की भलाई के लिए विश्वजीत, अरूण और जगदीप इस तिकड़ी का भंड़ाफोड़ उचित समझा। ताकि कोई भी नया पत्रकार ईटीवी मध्य प्रदेश ज्वाइन करने से पहले सच्चाई समझ ले। मैं प्रबंधन सहित विश्वजीत और जगदीप सिंह बैस को भी चैंलेज कर रहा हूं कि विश्वजीत ने जो आरोप मुझ पर लगाये हैं वह साबित कर दें तो मैं पत्रकारिता छोड़कर वापस बिहार चला जाऊंगा। इसके लिए अगर समय कम पड़ रहा है तो मैं उन्हें पांच साल तक का समय देता हूं, साथ ही जगदीप सिंह और विश्वजीत जैसे लोगों से एक बात कहना और चाहूंगा कि खुद दलाली के चश्में लगाते हैं इसलिए उन्हें हर शख्स दलाल दिखता है।

पता नहीं, चेयरमैन को क्या रिपोर्ट मिलती है लेकिन जबलपुर 2 एमबी सेंटर को घाटे का सौदा कहा जाने लगा है लेकिन अकेले नरसिंहपुर जिले से मेंने लोकसभा, विधानसभा और विधानसभा उपचुनाव में लगभग 5 लाख रुपये दिलवा दिया था और अभी नगरपालिका चुनाव में भी एक लाख रुपये जबलपुर 2 एमबी इंचार्ज को भेज चुका हुं लेकिन मुझे यह नहीं मालूम कि यह पैसे मैंनेजमेंट तक पहुंचे या फिर रास्ते में ही गोल हो गये। जबकि नरसिंहपुर जैसे आठ और जिले जिसमें छिंदवाड़ा भी शामिल है, जबलपुर 2 एमबी सेंटर से जुड़े हुये हैं।

स्ट्रिंगरों की परेशानी का एक और बड़ा कारण है कि उन्हें खबरें भोपाल आफिस में ब्रेक करवानी होती हैं। विजुअल एफटीपी से हैदराबाद भेजना होता है और स्क्रिप्ट निकटतम 2 एमबी में फैक्स करना होता है। कुल मिलाकर देखा जाये तो एक खबर पर लगभग 200 रुपये खर्च होता है और कंपनी 250 रुपये देती है। अगर एक दो खबर ड्राप्ड हो गयी तो समझो बेचारा स्ट्रिंगर खबरों में घाटे में रहा और अगर कोई आवाज उठाता है तो उसे कई तरह से परेशान किया जाता है जिससे अंत में चैनल छोड़कर उसे जाना पड़ जाता है।

स्ट्रिंगरों की समस्याएं यहीं खत्म नहीं होती हैं बल्कि उनकी शिकायत यह भी रहती है कि अक्सर भोपाल आफिस में बैठे रिपोर्टर उनकी खबरें चुरा लेते हैं। इस मामले में जगदीप सिंह नंबर एक पर हैं। दिन भर आफिस में बैठकर रद्दी छांटते रहते हैं। मेरा मतलब है कि कंप्यूटर पर बैठकर जिला संवावदाताओं के विजुअल और स्क्रिप्ट देखते रहते हैं। जैसे ही कोई खबर जंची, थोड़ी बहुत राजधानी वाली चासनी लगाकर खबरें अपने नाम कर लेते हैं।

सितंबर 09 में म.प्र. में भिंड के गोहद और नरसिंहपुर के तेंदूखेड़ा के उपचुनाव हो रहे थे, जगदीप सिंह के नाम से रोजाना दो खबरें इन चुनावों से संबंधित होते थे। उस दौरान जगदीप सिंह न तो भिंड गये थे और न ही नरसिंहपुर लेकिन जिला संवावदाताओं के दम से उनके विजुअल स्क्रिप्ट चोरी करके खबरों पर अपना दावा कर देते थे। सिर्फ तेन्दूखेंड़ा उपचुनाव के दौरान मैंने कुल 50 खबरें भेजी थी लेकिन उनमें से आधी जगदीप सिंह के नाम से चली। यह सिर्फ मेरी नहीं, सभी स्ट्रिंगरों की शिकायत है और यही काम जबलपुर में विश्वजीत का भी है।

कानूनी पचड़ों से बचने के लिए चैनल प्रबंधन ने स्ट्रिंगरों को एक खास तरह के शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करवाया है जिस पर लिखा है कि उसका पहला काम खेती, व्यापार या अन्य है और वह पार्ट टाइम ईटीवी का पत्रकार है और घर पर रहकर ही पत्रकारिता करता हूं। मेरे पास भी इस तरह का फार्म आया था जिस पर मेरे बिहार का घर का पता छपा था और उपरोक्त बातें लिखी थीं। अब प्रबंधन को कौन बताये कि मैं 700 कि.मी. दूर बिहार से म.प्र. में कैसे काम कर सकता हूं। मैं फार्म की स्कैन काफी भी संलग्न कर रहा हूं।

मैं आपके पोर्टल के माध्यम से अपनी समस्या सभी तक पहुंचाना चाहता हूं ताकि लोगों को पता चले कि न्याय और तरक्की की बात करने वाले चैनलों के भीतर किनता अंधेरा और कितना अन्याय भरा हुआ है।

राजेश रंजन

(पूर्व) जिला संवावदाता

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ईटीवी न्यूज

नरसिंहपुर

मध्य प्रदेश

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0 Comments

  1. KALAMWALA-GUNDA

    April 18, 2010 at 8:19 am

    WAAAAHHHH …….. MERE SHER ………
    aaz jis tarha se ye tv wale hum jese nojawano ko bevkuf bane rahe hai us se aane wale samye me sirf wo hi log in se jude rahenge jo khud chor or uchake honge ………… himmat jutane ke liye dher saar saadhuwaad …

  2. Azam Aami

    April 18, 2010 at 8:20 am

    Ramoji Rao when will feel shame and when he will clean ETV Network from the black sheeps of journalism.

    ETV men waise hi log kam kar sakte hain jo apne zameer ko pahle bech chuke hoon.
    Agar meri baat par yaqeen na aae to janch kara len.

  3. rajnish

    April 18, 2010 at 8:29 am

    अगर ऐसी बात है तो ये बहुत ही गलत है पत्रकारिता जगत के लिए ये बेहद अपमान जनक बात है पत्रकारिता को चौथा स्थंभ कहा गया है अगर ऐसा होता गया तो वो दिन दूर नही कि ये चौथा स्तभ पर विश्वास कोई नहीं करेगा ऐसे लोगो पर कार्रवाही जरुर होनी चाहिए।

  4. akhilesh tripathi

    April 18, 2010 at 8:58 am

    राजेश भाई आपने पूर्ण रूप से सत्य का वर्णन किया है..e tv जैसे ब्रांड से ये उम्मीद नहीं की जा सकती थी..आज कितने भी चेनल क्यूँ न आ जाए etv ने शान्दार पत्रकार इमानदार पत्रकार कम से कम काम के मसले पर बाजार को दिए…मैं आप को जानता हूँ आप उन चंद लोगो मैं से है ..जो सोच के आते है इमानदारी से काम करना..खबर करना ऐसे जिससे बदलाव हो सके…राजेश भाई आपने पूर्ण रूप से सत्य का वर्णन किया है..e tv जैसे ब्रांड से ये उम्मीद नहीं की जा सकती थी..आज कितने भी चेनल क्यूँ न आ जाए etv ने शान्दार पत्रकार इमानदार पत्रकार कम से कम काम के मसले पर बाजार को दिए…मैं आप को जानता हूँ आप उन चंद लोगो मैं से है ..जो सोच के आते है इमानदारी से काम करना..खबर करना ऐसे जिससे बदलाव हो सके…कुछ बदलने की कल्पना रखने वाले शक्श है आप..मैं नहीं जानता की आपने जो लिखा है वो सही है की नहीं पर आपकी शब्दों के प्रती इमानदारी बताती है…अप कुछ है..कुछ बदलने की कल्पना रखने वाले शक्श है आप..मैं नहीं जानता की आपने जो लिखा है वो सही है की नहीं पर आपकी शब्दों के प्रती इमानदारी बताती है…अप कुछ है..

  5. katyayani mishra

    April 18, 2010 at 9:05 am

    etv jaise tv chanle ka yah sach hairat me dalne wala hai. really ascharya ho raha hia. meri nazar me etv ki bari izzat hai. bare adhikari ko dhyan dena chahiye[b][/b]

  6. abhinav

    April 18, 2010 at 10:18 am

    ranjan ji ki baton me100% sachai hai. main bhi Etv me kam kar chuka hun aur maine bhi pratarit hokar hi Etv chhoda tha. Jagdip singh Bais mitha jahar hai jo sirf stringers ko use karna janta hai.

  7. SUNIL SINGH, ROHTAS, BIHAR

    April 18, 2010 at 10:22 am

    SABAS BIHARI SHER! BAHI, YE HIMMAT EK BIHARI HI DIKHA SAKTA HAI. YAR, TUMNE TO SHER KI KHAL ODHE EN BHEDIYON (VISHWAJEET & JAGDEEP) KO TO BILKUL NANGA KAR KE RAKH DIYA. AB BECHARE KAISE MUH DIKHAYENGE. RAMO JEE KA NAM TO BAHUT AACHHA SUNA THA, MAGAR YAHA BHI KAMCHORO KI BHID LAGI HUE HAI. RAJESH BHAI, AANDHE KO PURI DUNIYA AANDHI LAGTI HAI. WAHI HAL EN KAMCHORO KA HAI. YE PATRAKARITA KAM BACKMAILING JAYADA KARTE HAI. AUR UGAHI KE PAISE KA EK HISSA APNE BOSS KO BHI BHET KARTE HAI, TAKI UNKI NOUKARI SALAMAT RAHE. THANK AGAIN BHAI! SUNIL SINGH, ROHTAS BIHAR

  8. ruchi tiwari

    April 18, 2010 at 10:40 am

    Vishwajit Singh ko mai bachpan se janti hun. narsinghpur ke kareli ke rahne wala hai. ek no ka froud aur makkar aadmi hai . mujhe to tajub hota hai ki vah itne samay se ETV jaise channel me kaise tika hua hai?

  9. parmila

    April 18, 2010 at 1:36 pm

    Rajesh bhai isme nya kuch nahi hai. Print media me ye kaam kaafi pahle panjab keshri Dehli ne suru kiya tha, jo aaj tak chal raha hai.

  10. seven star,Patna

    April 18, 2010 at 2:10 pm

    देखिये नरसिंह भाई ……… मैंने आपकी कहानी को ध्यान से पढ़ा है ये जो आपने कहानी लिखी है न……. सबसे पहले इसके लिए मै आपको कहना चाहता हूँ की आप एक नंबर के मुर्ख आदमी है क्योंकि इस कहानी में एक खास चीज मुझे इसमे पढ़ने को मिली की इतनी तह तक की जो बातें आपने लिखी है इसमे जरुर किसी ऐसे आदमी का हाथ है जो जबलपुर का ब्यूरो चीफ बनना चाहता है उसमे काबिलियत नहीं सो उसने आपके कंधे पर बन्दुक रख कर फायर कर दिया है बहरहाल जो भी हो लेकिन चूँकि आप बिहार के हैं इसलिए मै आपको सावधान करना चाहूँगा की ऐसे ब्यूरो चीफ जो होते है वे ऐसे ही नहीं उस पद पर विराजमान होते है क्या आप नहीं जानते है कि जब भी स्टेट में चैनल हेड का दौरा होता है तो ऐसे ब्यूरो चीफ उनके लिए शराब ,कवाब ,शवाब और मोटी गांठ की भरपूर मात्रा में इंतजाम करते है जिसके बाद स्ट्रिंगर्स के पीड़ा को दूर करने के बजाय उन्हें बहार का रास्ता दिखा कर वापस हो जाते हैं तो ऐसे चूतिये को क्या कहेंगे .इसलए इनसे दूर ही रहिये …….. इसलिए हम तो यही कहेंगे की … आज का यह दिन कल बन जाएगा काल ……पीछे मुड़ के न देख प्यारे आगे चल ……………अपने काम से काम रखिये साथ ही साथ हम यशवंत भाई को धन्यवाद कहेंगे की उन्होंने जो अपने पोर्टल पर जगह दी है अच्छा किया है

  11. ashish aggarwal

    April 18, 2010 at 4:13 pm

    आज की नोजवान पीढ़ी को इलेक्ट्रोनिक मीडिया के कई चैनल अपने फायदे के कारण इस्तमाल कर रहे हैं और अपना काम निकलते ही उन्हें भूल जाते हैं खबर को बनाने के लिए किस तरह स्ट्रिंगरों को फील्ड में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं यह हर कोई बहली भाती जानता हैं लेकिन ऊपर बेठे अधिकारी केवल और केवल अपने और चैनल के बारे में सोचते हैं इटीवी ही क्या देश के हर राज्य में चलने वाले अधिकतर चैनल नोजवानो को आज के समय में मोड़ पर लाकर खड़ा कर देते हैं की या तो उनका मीडिया में काम करने से मान ही उठ जाता हैं या फिर वो किसी मानसिकता के शिकार बन बैठते हैं अपने घरो से कोसो दूर कई स्ट्रिंगरों केवल अपना घर चलाने के लिए काम करते हैं जब की अधिकतर चैनल रिपोर्टरों को पैसे नही देते और जब वो इसका विरोध करते हैं तो उन्हें हटा दिया जाता हैं या फिर वो किसी साजिश का शिकार बन जाते हैं इसलिए मेरा देश के कोने कोने में बेठे हर पत्रकार भाई से यही अनुरोध हैं की अब समय आ गया हैं की हम एक जुट हो जाये और नेताओ की तरह इन दगाबाज चेनलो की ईंट से ईंट बजा दे ! [b][/b][b][/b]

  12. manoj

    April 19, 2010 at 6:52 am

    bhai maine bhi khabar padhi hai .paisa to aap kamate the jiska 60 percent hissa etv ke ek senior producer ko jo bihar ke hai ,unko bhejte the .agar jhooth mai bol rha hoon to apne dil se poochiyega.

  13. sanatta

    April 18, 2010 at 6:55 pm

    ye kaun si nai baat hai. amar ujala me bhi retainron ke saath aisa bahut pahle se hota raha hai. akhbar wale buddhon ki gadi aise hi naujawan bailon ke kandhe par tiki hai. kam pura nam stienger aur paisa dete hai buddhe sampadkon ko jo kabar me pair latka kar marne ka intjar kar rahe hain. maliko ko na jane kab sadbuddhi aayegi ki kam naujawan karta hai. urja usi me hoti hai. paisa use do.

  14. santosh kumar pandey

    April 18, 2010 at 7:07 pm

    etv walo ko saram nahi aati .. number one kahate hai.. yahi hal hai inka dhol me pool.. abhi naye sathano se lanching honi hai. chullu bher paani me dub marna chahiye.. dost inke kan-aur ankh dono band hai.. inka bhala nahi hone wala hai. etv sanshathan ka naas ho

  15. Dinesh kartik

    April 19, 2010 at 4:17 am

    Rajesh ji aap ko narshihpur me kaun nahi janta ki aap waha kya karobar karte the,aapke har thane se paise bandhe huye the,ab jab aapki pol-patti khuli to aap dusare logon par aarop laga rahe hai”wo kahte hai na ki khisiyani billi khambha noche”Vishwajeet jaisa imandar patrkar maine aaj tak aapni puri life me nahi dekha jo aarop tu laga raha hai wo bilkul niradhar hai aur tu to unki charno ki dhul bhi nahi ban sakta mera to ye manna hai ki tu patrkarita chhod hi de jaise tu Makhanlal university me pitta tha na aur roj gali khata tha waisa kam dobara mat kar abhi bhi samay hai sudhar ja bhai………………tera shub chintak…………best of luck for your future…………………

  16. Dinesh kartik

    April 19, 2010 at 4:19 am

    Mera aap bhadas walo se bhi anurodh hai ki aise bebakuf logon ki bebakufi kyon chhapte hai………….

  17. Anil

    April 19, 2010 at 4:22 am

    pagal ho gfaya hai. kamchor tha. apni nai pahchan khoj raha hai. ranjan jaise log hi media jagat ko badnam kar rahe hai. sunil singh (bihari) jo badhai de rahe hai. ye un sab bihari ko gumrah kar hai jo aachi tarah se kam karte hai. narsinghpur me ranjan ko kaun nahi janta ki ye khud dalal hai. ishka maksad hi tha ki paise kama kar saddi karunga bihar jaunga aur wahi choti moti dalali (biharipan) karunga. apni chori pakde jane ke bad apne boss ke uper ilzam laga do sari samsaya ka samadhan ho jayega. aur aise hi befkuuf jamat ka samarthan mil jayega. Anil Bhaiyaji.

  18. kunal kishore, indore

    April 20, 2010 at 10:45 am

    राजेश रंजन और ईटीवी के बीच क्या हुआ ये में नहीं जनता लेकिन में राजेश रंजन को बहुत अचाई से जनता हूँ . भदास पर कुछ कमेंत पढ़ा तो बहुत दुःख हुआ कि जब 2007 में राजेश बीमार हुआ था तो जब्ला ब्यूरो ऑफिस में विश्वजित चंदा करके इलाज करआया था ये सरासर झूठ है. राजेश मेरे साथ माखन्लाल यूनिवर्सिटी में साथ पढ़ता था.हम दोनों एक साथ ई 2 अरेरा कॉलोनी में रहते थे. राजेश एक समापन मिडिल क्लास फ़ैमिली का लड़का है . माताजी सरकारी अधिकारी हैं और पिताजी संपन्न किसान ,एक छोटा भाई भी बिहार सरकार का मुलाजिम है . राजेश के फ़ैमिली का सालाना इनकम 15 लाख है. एक और कोमेंत आया है कि राजेश महँगे जूते और महँगे गोगल्स पहनता है, तो भाई लोग ये शौक राजेश का कॉलेज के जमने से है.एक बात तो आप्लोग भूल ही गए कि राजेश महँगे बाइक का भी शौक रखता है .ये उसकी जीवन शैली है. अब आप्लोग कुछ भी अनाप सनाप लिखते रहिये ये अप्लोगो के मानसिक दिवालियापन के अलावा कुछ भी नही है.

    अगर मेरी बात पे बिश्वास ना हो तो माखन्लाल यूनिवर्सिटी के 2005-07 बत्च के किसी भी स्टूडेंट ,सीनियर या जूनियर और टीचर से पता कार सकते हैं . विश्वजित जैसे सदी गली मानसिकता के लोग इस तरह गिर सकते हैं . ये तो लेख से ही पता चल रहा है .लेकिन भाई साहब सच पर कब तक परदा दलोगे.बेहतर यही होगा कि कमिनपन कि हद पर मत करो और औकात में ही रहो तो ज्यादा बेहतर होगा. कुणाल किशोर इंदौर

  19. sushil Gangwar

    April 19, 2010 at 6:07 am

    Tera sar meri banduk ? aajkal esa hi haal har tv chennal ke stringer ka hai. Khabar ke naam par tv chennal 500 rupya or dalali kaat kar 250 rupya hi milta hai. aakhir kare to kya kare . Esliye ulta seedha kaam to karna hi padega. Aub us me se boss ko dalali nahi dogo to bahar ka rasta to dekhna hoga. Esa hi kuchh haal Bareilly UP me chal raha hai.

  20. govind goyal.sriganganagar

    April 19, 2010 at 6:08 am

    koi sunane wala nahi. sabhee jagah yahi hal hai. fight or flight

  21. akhlesh,jamshedpur

    April 19, 2010 at 6:35 am

    sabne ye likh diya ki bihar ka sher hai par hamara ye kahna hai ki,jis par itna likha gaya usko bado officer’s ko proof ke sath bheja jay aur sabit kiya jay,kyoki RFC mei log baite maja le rahe kuch log,naam kisi din Ramoji sir ko bhejunga aur gopal rao ko bhi bhejunga,lekin aplog jab proof hai to pura keriye taki anne walo din o mei naye logo ke liye acha hoga company acha hai,galat logo ka jamavda hogaya hai,

  22. dinkaran NDTV

    April 19, 2010 at 8:52 am

    राजेश रंजन…. मुग्वानी थाने का एक फरार आरोपी है | जो पत्रकार होते हुए एक गरीब महिला से रुपये खाए है | इस कारण आपको etv से हटाना पड़ा क्योंकि आपकी वजह से मिडिया बदनाम हो रहा था | सारा भारत जानता है की etv जैसी कंपनी में चोर उचक्के लोगों की जरुरत नहीं रहती | जो मीडिया को सिर्फ रुपये कमाने के लिए उपयोग करते है | इसलिए आपको भी etv से हटाया गया है | आपके कारनामे की एक करतूत हम यंहा पर लोगों को बता रहे है | तो हम शुरुआत करते है आपकी काली करतूत वाली एक कहानी की – 27 जनवरी 2010 और 07 फरवरी 2010 को आप और आपके साथ चार और लोग जो मुह में कपडा डाले, क्राईम ब्रांच भोपाल की टीम बनाकर नरसिंगपुर के बरहटा गाँव गए | आप के साथ एक गनमेन भी था | जन्हा पर आपने जाग्रति स्वसहायता समूह की अध्यक्षा और उसके पति को धमकी दी की आपको फर्जी तरीके से फंसा देंगे | इन्होने उस महिला से एक लाख पचास हजार रुपये ले आये | डरी-सहमी महिला को जब इस बात की खबर लगी की ये लोग क्राईम ब्रांच के लोग नहीं है बल्कि ये सभी मीडिया के लोग है तो उस महिला ने मुग्वानी थाने ने इसकी रिपोर्ट दर्ज कराई है | तब से (फर्जी क्राईम ब्रांच के) राजेश रंजन और इनके साथी फरार है | अगर आपको को सच्चाई का पता लगाना है तो मुग्वानी थाने के (07792 – 262212 ) इस नंबर पर और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते है | राजेश जी पत्रकारिता एक मिशन है शायद आपने माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविध्यालय में भी पड़ा होगा | या फिर आपको वंहा मिशन के बारे में नहीं कमीशन के बारे में पढाया गया है | इसलिए आपने पत्रकारिता को पूरी तरह से कमीशन बना लिया है |

  23. m khan

    April 19, 2010 at 9:36 am

    mere dost
    jab dam hi nahi tha to sher dekhne kyaon gye. apni pol khul gye to doosro ki ungli karni shru kar di. jab chhod diya to chhod diya ab muh pe kapda bandho ur vapis maovadoyo k beech lut jao

  24. sapan yagyawalkya

    April 19, 2010 at 9:49 am

    patrakarita ko mahaj arthik paimane par nahi tola jana chahiye.yadi iemandari se aur dhiraj ke sath kam me lage rahen to sani itna de hi deta hai jitne me kam chalta rahe.jinhe keval dhan ki hi ichchha ho unhe anya kshetra chun lena chahiye.Sapan Yagyawalkya. Bareli(MP)

  25. aashish jain

    April 19, 2010 at 10:10 am

    bhai ye kahani koi nayi nahi……naye naye media ke dukandaaar market me aa gaye hai …… paison me bik rahi hain channel ki ID…… jab bhala channels ko desh me sirf khabrron me paanch din saniya aur soihaib dikhe to jameeni haqiqat ki khabron ki bhala kahan kadr hogi……oopoar AC me baithe prabandhan ko kya maloom ki ek stringer me ek driver,ek cameraman,ek reporter ,ek script writer aur ek computer ka accha jaankaar hota hai……par ab lagta hai ki sach ko ujagar karna gunah ho gaya hai…… rahne do ab patrakarita ke wo din gaye….. acche log berojgar aur blackmalero ko acche rojgaar mil rahe hai….aapme accha paisa lane ki capacity ho na ki acchi khabar lane ki………fir dekho kaise aap prabandhan ke chahete ho jaoge…….hm jaise logon ki ab is doosit patrakarita me jagah nahi…..noujawano ke garm josh ka kaise miss use kiya jaye koi in commercial journaliston se pooche…….

  26. karan bharatdwaj

    April 19, 2010 at 10:23 am

    Bhai rajesh,aap ko sab jante hain,aap bahut mahan vyakti hain.yahi wajah hai ki aapne suraj par thookne ka prayas kiya hai.aapke arop hain ki bhopal me aapki khabron me rajdhani ki chashni laga kar bureau chieif prasarit karte the.Bhai electronic journalism mahez videography nahi hai.Zahir hai camera le kar tahelne walon se visual le kar char line likh kar bhejenge to bureau cheif ko use khabar banani hi padegi.rahi baat wasooli ki to crime branch ka bankar wassoli karna apke hi naam hai wo bhi kanonan.Raat me bhi goggle lagane wala waise bhi kisi se nazrein milane ki haisiyat nahin rakhta.Woodland ke joote bhi kam se kam etv ka stringer to pahenne ki haisiyat nahi rakhta.Ab aap khulasa kaein ki wasooli wo tikdi karti hai ya aap.Aap ka shubh chintak

  27. raja, jabalpur

    April 19, 2010 at 10:53 am

    रंजन , एहसान फरामोस होना कोई तुमसे सीख सकता है.याद करो दो साल पहले जब बीमार होकर बिस्तर में पड़े थे तो कौन काम आया था.तब तुम्हारा कोई सगे वाला देखने तक नहीं आया था.ईटीवी के जबलपुर ब्यूरो के लोगों ने ही चंदा करके इन महाशय का इलाज करवाया था.आज जिस विश्वजीत को ये न जाने क्या-क्या बता रहे है, कल तो वही इनका माई-बाप हुआ करता था.राजेश रंजन नरसिंहपुर में क्या गुल खिलते थे…….ये वहां की पत्रकार बिरादरी से कोई भी जान सकता है.

  28. brajesh dixit

    April 19, 2010 at 11:12 am

    rajesh ji ase hi kaam karte raho jisse cheenal walo ko repoter ka dard malu ho sake thanks.

  29. nilesh narsinghpur

    April 19, 2010 at 12:17 pm

    mai vishwajit ko bhi janta hun aur rajesh ko bhi.jis tarah ki baten rajesh ne likha hai wo bilkul satya hai, kyonki vishwajit karecord pata karna ho to kareli ya jabalpur jakar kiya ja sakta hai. aur rahi bat kisi thane me FIR ki to wah bakwas hai ,mai bhi patrakar hun aur narsinghpur me hi patrakarita karta hun. kisi ko fasane ke liye kisi ke khilaf awedan de dene se hi koi apradhi nahi ho jata. ye aplication vishwajit ne hi janbujh kar ranjan ko pareshan karne ke liyedilaya tha. kyonki ranjan us samuh kebharstachar se parda uthaya tha. jis tarah more ke pankh lagane se kaua more nahi ho jata usi tarah nam badal ke comment kar ke vishwajit bhi sher nahi ho jayega. mai sabko janta hun . koi bhoolawe me na rahe ki ranjan ka kuchh bigar sakoge..

  30. rajesh pawar

    April 19, 2010 at 2:18 pm

    mai janata hu ki patrikarita ke dallal tumhe nicha dikhane ke liye aise comment likh rahe hai ….lekin etv madhya pradesh ke sare stringar ka yahi haal hai mere bhai. jagdip vais,vishwajeet,nitin sahni, nizam patel ,dhananjay gupta jaise media ki mandi ke dalalo kuch nahi hona……kyoki jab jadish chandra katil jaise logo ke liye hi paisa unki prtistha hai aur uske liye ye log kisi bhi haad tak ja sakte hai…
    khair tumhari bhaduri kabile tareef hai…….

  31. अवधेश

    April 19, 2010 at 2:48 pm

    अंदर तक हिला देने वाली और बहुत से मिथक तोड़ देने वाली इस घटना में शामिल होने का जितना मुझे दुख है, उससे कहीं अधिक रोष।पत्रकारिता का इसतरह से पतन देखकर मन अंदर से बहुत भारी हो गया। और लगा जैसे पत्रकारिता की धार पैसों ने कुंद कर दी। ईटीवी मध्य प्रदेश के विश्वजीत सिंह, नितिन साहनी, जगदीप बैस जैसे पत्रकारिता के दलालों की खूब चल रही है। दर्शकों के बीच इन दलालों की इज्जत है। समाज में इनकी प्रतिष्ठा है, रौब है। इनके पास पैसे, दौलत हैं, गाड़ियां हैं और कई अन्य ऐसी चीजें हैं जो दूसरों के पास नहीं हैं। पत्रकारिता वेश्या बनी नहीं, ऐसे लोगों के द्वार बनाई गई। ऐसे दलालों को पत्रकारिता से कमाई जब कम हो गई तब उन्होंने पत्रकारिता को वेश्या बना दिया।

  32. nitin sahni

    April 19, 2010 at 3:41 pm

    मैंने राजेश की कहानी भी पड़ी और उससे पर्सनली भी जनता हू वो चुनिदा उन लडको में से एक हैं जो जर्नालिशम में सिर्फ इसलिए आते हैं ताकि पत्रकारिता के गिरते मूल्यों को अपने दम पर सुधर सके …..कुछ लोगो ने जो कमेन्ट किये उसको भी अच्छे से पड़ा पड़कर दुःख इसलिए हुआ क्योंकि वो किसी एक ही व्यक्ति द्वारा अपनी खाल बचने के लिए जवावी हमला किया राजेश पर जो भी आरोप लगाए गए हैं वो निराधार हैं …..चुकी मैं खूब इटीवी में हूँ इसलिए बहुत अच्छे से जनता हू की जब से चैनल को लीज़ पर दीया हैं तब से किस तरह से दलाली का कम शुरू हो गया हैं …मैं भगवान् की कसम खा के कहता हू की इ टी वी जयपुर वालो की मोरल वेल्यु इतनी गिर चुकी हैं की अब तो लगता हैं की रामोजी की विरासत को धुल में मिला कर ही दम लेंगे..खुच समय पहले भोपाल मैं चैनल हेड सईद खान हुआ करते थे वो अपने रिपोर्टर्स से खुल्ली दलाली कराते थे…इसके लिए उन्होंने वाकायदा बीटीवी से एक साधारण महासय अनिरुद्ध तिवारी को १६००० वेतन पर विशेष संवाददाता के पड़ पर सीधी नियुक्ति करवा के विशुद्ध रूप से नेताओ और स्ट्रिंगर्स से वसूली का काम सोपा था…इन्दोर के पास जिला धार के एक नेता से ५० हज़ार रुपये बसूले एक बाईट ली और कहा की चुनाव स्पेशल में खबर दिखेगे वो नेता जी आज तक इ टी वी देख रहे हैं ..पैसे को लेकर धार के स्ट्रिन्गेर से कहा की इसका पता किसी को नै चलना चाहिए…मैं यदि झूठ बोल रहा हू तो धार वाले स्ट्रिंगर्स का फोन लगा के पता कर लो… ९३०१३६४१८२ हलाकि वेचारे को नोकरी करनी हैं इसलिए कांफिडेंस में लेकर पूछोगे तो सब सच सच बतादेगा…
    अब वसूली की दुसरी बात करते हैं ….ऍम पी हेड सईद खान ने अपने लड़के को इ टी वी राजस्तान में उर्दू का स्ट्रिन्गेर बना दीया और कैमरा के लिए..MP के स्ट्रिंगर्स को परेशान करना शुरू कर दीया..बात नहीं मानने पर तबादला पक्का था उसके उदहारण सबको पता हैं …झाबुआ, इंदौर, अशोक नगर, बडवानी, होसंगावाद, भिंड, गुना के वेचारे स्ट्रिंगर्स इससे पीड़ित हैं जिनमे से तीन ने अपना सम्मान बरकरार रखते हुए चैनल छोड़ना ही बेहतर समझा…रात को चाहे २ बज रहे हो या ५ जिले में कही भी घटना हो जाये तो स्ट्रिंगर्स ही दौड़ता हैं …बावजूद इसके उन्हों दोयम दर्जे का क्यों समझा जाता हैं मुझे समझ नहीं आता…भोपाल में दीपक साहा मेनेजर , अनिरुद्ध तिवारी, और दिव्या गोयल जैसी रिपोर्टर को मीडिया का म नहीं आता लेकिन सिर्फ इसलिए टिके हैं क्योकि बॉस के तलुए चाटना इन्होने खूब अच्छे से सीखा हैं …दियवा गोयल ने इंदौर में रहते हुए कांग्रेसी नेता अनूप शुक्ल ०९८२६६७००६९ से मल्हार गंज ठाणे में दर्ज हुए मुकदमे की खबर रोकने के लिए..५००० रूपये की डिमांड की….डाल की बातें मोबाइल में रिकॉर्ड हाँ कभी भी सुनी जा सकती हैं या फिर शुक्ल जी से भी बात की जा सकती हैं .. …रविन्द्र नगर के किराए के मकान पर रातो रात कब्ज़ा कर लिए और जब मकान मालिक ने घर खली करने का अनुरोध किया तो उलटे उस पर ही एफ आई आर करवा दी…इसकी शिकायत रामोजी फिल्म सिटी ह्य्द्राबाद तक पहुची ….हलाकि मैं उस दिनन को कोष रहा हू जब मैं दिव्या की बातो में आकर ढाल बन कर उसका साथ दे रहा था..मुझे जबलपुर से पहले इन्दोर फिर भोपाल बुला कर एक क्लार्क बना दीया…दिनभर मैं कंप्यूटर पर आखें ख़राब करता रहता हू और जब फील्ड में जाने की बात हो तो सेनिओर खड़े हैं ..नहीं तो दूकानदआरी कैसे चलेगी..मैं यह सब इ टीवी में होने के बाद भी इसलिए लिख पा रहा हू क्योंकि अब मैं त्रश्त आ गया हू..और किसी भी वक़्त नोकरी छोड़ सकता हू…मैं मानता हू की मैंने अपनी भड़ास कई बार स्ट्रिंगर्स पर निकली हैं लेकिन अब मैं और नहीं सह सकता हू….

  33. sunil pandey

    April 19, 2010 at 5:41 pm

    nice think

  34. शैलेन्द्र सिंह

    April 19, 2010 at 7:43 pm

    कलम घसीटों तुम्हें नमनहै

    जला रहे हैं वो मेरा बस्तर
    तो तुमको इस पर बड़ा सुकूं है
    बड़े विचारक हो तुम तो भाई
    पढ़े कहाँ जो ये तालीम पाई
    ”शरम” लफ्ज़ है, नाम क्या ये सुना है
    तो देखो न दर्पण, तुम्हें क्यों न आयी?
    पहन कर के खादी के कुरते विचारक
    समझते हो मैं तोप ही लिख रहा हूँ
    चने बिक रहे हैं, उसी लेखनी पर
    इसी बात का तुमको होगा सुकूं
    रद्दी के ही भाव, पर बिक रहा हूँ
    जरा सोच पर अपनी पोछा लगाओ
    मिट्टी चखो, जड़ को देखो कहाँ है
    सूखे से पत्ते सा लेखन तुम्हारा
    वहीं बह गया
    जहाँ बहती पवन है

    कलम घसीटों तुम्हें नमन है।

    अगर नक्सली सोच में तथ्य है तो
    गलत क्या कि कश्मीर में गर लपट है
    सिक्किम का रोना, धोना असम का
    नागा की धरती के झगड़ों में दम है
    ताली बजाओ अगर रेल फूकीं
    गुड़िया की कुर्सी के नीचे में बम है
    लिट्टे पे चिट्ठे लिखो शान से फिर
    जाने दो जाते हैं गर जान से फिर
    बेटे तुम्हारे भी, अम्मा तुम्हारी
    सीना फुला कर के कहना शहादत
    मेरी भी दुआ लो, मिले उनको जन्नत
    कलम हाँथ में तो खुदा बन गये हो
    अरे इतना गहरा कुवाँ बन गये हो
    फिर भी न मिलता चुल्लू में पानी
    हमारे ही तुम आस्तीनों में पल कर
    हमारा ही बुनते रहे तुम कफ़न है

    कलम घसीटों तुम्हें नमन है।

    बातें बड़ी तुमको आती बनानी
    हकीकत की कातिल तुम्हारी कहानी
    सिक्के का पहलू दिखाते हो हमको
    मगर खोटे सिक्के कभी चल सके हैं?
    बताओ गुफाओं में, जंगल में ही क्यों
    ये क्रांति का ठेका लिये फिर रहे हैं
    फ़कत इस लिये कि है जंगल में मंगल
    जो बाहर ये आये तो सच खुल रहेगा
    नकाबों के पीछे लुटेरे छुपे हैं
    किसी के भी हक की नहीं है लड़ाई
    फटे को छुपाने को की है कढाई
    मगर बुद्धिजीवी का लेबल लगाने
    सियाही को पानी बना कर
    फसाने बनाने के दोषी, अधिक जानवर हैं
    उन्हें ये पता है वो क्या कर रहे हैं
    लेखन नहीं, सत्य का अपहरण है

    कलम घसीटों तुम्हें नमन है।

    लिखो, लेखनी तो है रोटी तुम्हारी
    मगर हर निवाले में बोटी हमारी
    समर्थन करो, लाल बस्तर बना दो
    कब्रों के फिर आँकड़े तुम लिखोगे
    यह भी लिखोगे तरक्की नहीं है
    बच्चों ने अब तक किताबें न देखी
    सूरज नहीं है, उजाले न देखे
    कभी पेट भरते निवाले न देखे
    मगर इसकी जड़ में वही तो छिपे हैं
    बोदी को बंदूक जिसने थमायी
    जिसे इंकलाबी बताते हो विद्वन
    कफननोच हैं वो, ये उसकी कमाई
    लिखने से पहले लेखन की अस्मत
    खुद ही न लूटो, मेरी प्रार्थना है
    संजीवनी चाहिये तुमको मुर्दों
    समझो, कहाँ सोच तेरी दफन है

    कलम घसीटों तुम्हें नमन है…

  35. Dinesh

    April 20, 2010 at 9:54 am

    कलम घसीटों तुम्हें नमनहै

    जला रहे हैं वो मेरा बस्तर
    तो तुमको इस पर बड़ा सुकूं है
    बड़े विचारक हो तुम तो भाई
    पढ़े कहाँ जो ये तालीम पाई
    ”शरम” लफ्ज़ है, नाम क्या ये सुना है
    तो देखो न दर्पण, तुम्हें क्यों न आयी?
    पहन कर के खादी के कुरते विचारक
    समझते हो मैं तोप ही लिख रहा हूँ
    चने बिक रहे हैं, उसी लेखनी पर
    इसी बात का तुमको होगा सुकूं
    रद्दी के ही भाव, पर बिक रहा हूँ
    जरा सोच पर अपनी पोछा लगाओ
    मिट्टी चखो, जड़ को देखो कहाँ है
    सूखे से पत्ते सा लेखन तुम्हारा
    वहीं बह गया
    जहाँ बहती पवन है

    कलम घसीटों तुम्हें नमन है।

    अगर नक्सली सोच में तथ्य है तो
    गलत क्या कि कश्मीर में गर लपट है
    सिक्किम का रोना, धोना असम का
    नागा की धरती के झगड़ों में दम है
    ताली बजाओ अगर रेल फूकीं
    गुड़िया की कुर्सी के नीचे में बम है
    लिट्टे पे चिट्ठे लिखो शान से फिर
    जाने दो जाते हैं गर जान से फिर
    बेटे तुम्हारे भी, अम्मा तुम्हारी
    सीना फुला कर के कहना शहादत
    मेरी भी दुआ लो, मिले उनको जन्नत
    कलम हाँथ में तो खुदा बन गये हो
    अरे इतना गहरा कुवाँ बन गये हो
    फिर भी न मिलता चुल्लू में पानी
    हमारे ही तुम आस्तीनों में पल कर
    हमारा ही बुनते रहे तुम कफ़न है

    कलम घसीटों तुम्हें नमन है।

    बातें बड़ी तुमको आती बनानी
    हकीकत की कातिल तुम्हारी कहानी
    सिक्के का पहलू दिखाते हो हमको
    मगर खोटे सिक्के कभी चल सके हैं?
    बताओ गुफाओं में, जंगल में ही क्यों
    ये क्रांति का ठेका लिये फिर रहे हैं
    फ़कत इस लिये कि है जंगल में मंगल
    जो बाहर ये आये तो सच खुल रहेगा
    नकाबों के पीछे लुटेरे छुपे हैं
    किसी के भी हक की नहीं है लड़ाई
    फटे को छुपाने को की है कढाई
    मगर बुद्धिजीवी का लेबल लगाने
    सियाही को पानी बना कर
    फसाने बनाने के दोषी, अधिक जानवर हैं
    उन्हें ये पता है वो क्या कर रहे हैं
    लेखन नहीं, सत्य का अपहरण है

    कलम घसीटों तुम्हें नमन है।

    लिखो, लेखनी तो है रोटी तुम्हारी
    मगर हर निवाले में बोटी हमारी
    समर्थन करो, लाल बस्तर बना दो
    कब्रों के फिर आँकड़े तुम लिखोगे
    यह भी लिखोगे तरक्की नहीं है
    बच्चों ने अब तक किताबें न देखी
    सूरज नहीं है, उजाले न देखे
    कभी पेट भरते निवाले न देखे
    मगर इसकी जड़ में वही तो छिपे हैं
    बोदी को बंदूक जिसने थमायी
    जिसे इंकलाबी बताते हो विद्वन
    कफननोच हैं वो, ये उसकी कमाई
    लिखने से पहले लेखन की अस्मत
    खुद ही न लूटो, मेरी प्रार्थना है
    संजीवनी चाहिये तुमको मुर्दों
    समझो, कहाँ सोच तेरी दफन है

    कलम घसीटों तुम्हें नमन है..

  36. jyoti mishra

    April 20, 2010 at 11:32 am

    rajesh g aapke ek ek sabad me sachi hai chee sarm aati hai aise chennal aur logo par hydrabad me rfc me ramo ji rao owener of etv aur uske board of sacratite ko bhi sham sham……………..

  37. sunil kumar bhopal

    April 20, 2010 at 11:35 am

    well done nitin and rajesh if really nitin sahni wrote this it is salutable bcoz we all know the fact with in the journalism became MANDI nowadays and we r the seller. frnd before came to bhopal i hv lot of respect about capitals journalist but my view suddenly changed . YAHAN PATRAKAR BANTE NAHI BANAYE JATE HAIN WO BHI CHAPLOOSI KARKE DALALI KARKE. 😀 bhopal ke main aise kai patrakaron ko janta hoon jinse 10 line ki script nahi likhi jati aur wo kisi channel ya kisi pape ke head bane hain yahan ye bhale log kewal aur kewal dalali karte hain aur taluve chatate hain jagdeep vishwajeet ……….jaise naam to bangi bhar hain … darasal baat kewal etv ki nahi har shakh pe ullu baitha hai…. abhi bhi waqt hai jab aise gande aur achoot logon ko chourahe par khara kar sarvajanik tour par be..ijjat…nahi ..nahi beijjati unki hoti hai jinaki izzat ho inka to desh nikala kiya jana chahiye ye buddhijeevi koum par kalank hain ….inhe kothon par bheja jaye jahan se ye kam se kam dalla ki noukari to achhe se kar lene wohi in jaison ke liye suitable hai………………. o

  38. rajesh ranjan

    April 20, 2010 at 12:01 pm

    विश्वजित जी ख़ुद और जबलपुर ऑफिस के आपने चेलों के साथ नाम बदल के कोमेंत लिख रहे हो सच्चाई को कुबूल करना सिखों . क्यों बेकार कि बातें करके में मुद्दों से ध्यान बँटा रहे हो. आपकी मेहरबानी से मै जो कि एक उच्च्शिक्शित journalist से लुटेरा , माओवादी, एह्संफरमोश,कंगाल ,फतेहाल और भी क्या क्या बना डाला . भदास पर ख़बर छापने के बाद अपने मेरे को message किया था कि आपके उधार के पैसे लौटा दून , तो हम एक बात साफ़ कर दें कि आप इतने बड़े मल्गुजर नही हैं कि आपका पैसा कोइ हजम कर जयेगा.आपका कोई पैसा मेरे पास नहीं है और रही बात थाने से फरारी कि तो आपने जो फोन नम्बर लिखा है उसी पर बात करके पता चल जाता है कि फरार हम हैं कि थाने पर आप दबाव बना रहे हो. ये भी लिखा गया कि मेरा इलाज आप्लोगोन ने चंदा इकट्ठा कर के किया था. आप मेरे माइ बाप थे , ये आप सोचते होंगे ,बैलगाड़ी के बीच में चलने वाला कुत्ता ये सोचता है कि पूरी गाड़ी का भार वही संभल रहा है उसी भ्रम में आप जी रहे हो. अरे नरसिंहपुर में आपके लटके काम तो अपन ने करे हैं .एक ति आई तो आपको जनता नही बड़े पत्रकार बनाते फिर रहे हैं. अपने क्या क्या गुल खिलये हैं ये जबलपुर और नरसिंहपुर के सभी पत्रकार जानते हैं. जहाँ तक मेरे कॉलेज लाइफ कि जानकारी चाहिए तो makhnlal यूनिवर्सिटी के 2004 से 2008 तक के सभी स्टूडेंट जानते हैं, स्टाफ जानते हैं ,टीचर जानते हैं. आप बेकार में परेशान हो रहे हैं ,मै जब तक सच्चाई को सामने नही लौंगा नरसिंहपुर छोड़ के कहीं नहीं जाऊँगा.आपको जितनी ताकत लगानी हो लगा ले सुप्रीम कॉर्ट तक आपको ले जाऊँगा . रही बात एह्संफरमोसि का तो शायद आपने गीता नहीं पढ़ा है कि जब मैदान में अर्जुन को सगे संबंधी दिखे थे तो धनुष रख दिया था लेकिन जब भगवान श्री कृष्णा ने कहा कि अर्जुन तूम ये युद्ध सगे संबंधियों के खिलाफ नहीं अन्याय और अधर्म के खिलाफ लड़ रहे हो इसलिए युद्ध करो …और वही में कर रहा हूँ . आप एक क्या 1000 फर्जी मुकदमे भी करवा दोगे तो भी आपका भंडाफोड़ करता रहूँगा. एक शेर है’ अब मौत मुझे क्या मारेगि जब पहले ही कहर हो गया . इतने दंश सहे हैं मैने कि सारा तन ही जहर हो गया.’आपके कितने पैसे कौन से शेयर में लगे हैं वह भी बताऊँगा इंतज़ार करो.और अगली बार कोई कोमेंत लिखना तो अपने नाम से लिखना .जय्हिंद .राजेश रंजन नरसिंहपुर

  39. Abhishek sharma

    April 20, 2010 at 2:08 pm

    its shame on journalism, welldone Rajesh.

  40. amit jain jabalpur

    April 20, 2010 at 4:33 pm

    jkts’k jatu eqaxokuh Fkkus dk ,d Qjkj vkjksih gS ;g dguk xyr gS vHkh ml ij vijk/k dk;e ugha gqvk gS A ysfdu ;g Hkh lR; gS fd mlus ,d xjhc efgyk ls iSls [kk;s gSa tks ,d i=dkj ds fy, ‘keZukd ckr gS A ml iSls dh canjckWV esa ujflagiqj iqfyl dk ds ijs gS A Mjh lgeh ml efgyk dks dzkbe czkWp ds yksx cudj ywVus x;s bu yksxksa esa jkts’k vdsyk i=dkj ugha Fkk A buesa nhid JhokLro] nSfud tkxj.k] Xokfy;j] ds ujflagiqj laoknnkrk gSa buds Åij Hkh vusdksa ywV ds ekeys ntZ gSa A iwoZ esa ujflagiqj Fkkuk izHkkjh ,-ih-frokjh }kjk cykRdkj dk dsl nhid JhokLro ds Åij ntZ fd;k tk pqdk gS A ogha nwljh vksj bl efgyk ds ywV esa lk/kuk U;wt dk vkyksd dh Hkwfedk Hkh gsS A ogha Vkbe VqMs U;wt ds ujflagiqj laoknnkrk euh”k ‘kkg Hkh bl iSls dh ywV esa ‘kkfey Fks A lk/kuk U;wt ,oa Vkbe VqMs U;wt D;k lkspdj bu laoknnkrkvksa dks j[kh gqbZ gS A tks i=dkfjrk dk vFkZ Hkh ugha tkurs eSa xqtkfj’k d:axk fd lk/kuk U;wt Vkbe VqMas U;wt ,oa nSfud tkxj.k ds laikndksa ls fd ,sls O;fDr ls dk;Z D;ksa djk;s tk jgs gsSa tks Hkz”Vkpkj esa fyIr gSa A ftlls fd i=dkfjrk dks deh’ku [kksjh ls cpk;k tk lds A eSa lHkh ofj”V i=dkjksa ls vuqjks/k djrk gwwa fd ujflagiqj iqfyl v/kh{kd egksn; ,oa eqaxokuh Fkkuk izHkkjh Jh jktiwr th ds Åij ncko cuk;k tk lds A ftlls fd lgh ckr lkeus fudydj vk lds A[b][/b][i][/i][u][/u][s][/s][img][/img][quote][/quote][quote][/quote]

  41. AASHISH VISHWAKARMA

    April 21, 2010 at 6:54 am

    प्रिय यशवंत जी,
    आपका भड़ास पोर्टल देश में सभी पढते है | और ये जानकारी हासिल करते है की देश के मिडिया हाउसेस में क्या क्या हो रहा है | इस पोर्टल पर मीडिया के पत्रकार उनके ऊपर हुए अन्याय को प्रकाशित करते है | ये सही भी है लेकिन क्या आपको लगता है की ये लोग मीडिया की कारगुजारी उजागर कर रहे है वो सही है | क्या आपको लगता नहीं है की एक पक्ष जब अपनी बात कह रहा है तो हमें दुसरे पक्ष की तरफ से जानकारी ले लेनी चाहिए और उसे भी प्रकाशित करनी चाहिए | इसके अलावा में ये भी कहना चाहूँगा जो व्यक्ति किसी मेटर पर अपने कमेंट्स लिखते है क्या वो अपना नाम सही और मेल- आई डी सही लिखकर भेजते है क्या वो सही होते है | कृपया आप इसकी भी जानकारी एकत्रित कर ले क्योंकि होता ये है की एक ही व्यक्ति अलग अलग फर्जी mail id बनाकर अपने कमेंट्स कर रहा है | जिसके कारण एक शरीफ व्यक्ति को परेशान होना पड़ता है | कोई जब कमेंट्स भेजे तो पहले उसका आप सत्यापन अवश्य कर ले और mail id के साथ मोबाइल नंबर और फ़ोन नंबर भी अवश्य लेने का प्रयास करे ताकि कोई भी गलत जानकारी इस पोर्टल प्रकाशित न कर सके | आपका पोर्टल वाकई देश में बहुत पसंद किया जा रहा है और में इसके लिए आपको और आपकी टीम को बहुत धन्यवाद देता हूँ |

  42. RAJENDRA K

    April 21, 2010 at 7:14 am

    badiya hai aise hi ladte raho, logogn ko masala milta rahe.

  43. vijay srivastava

    April 21, 2010 at 11:23 am

    yashwant ji, main is pratikriya me aapse hi mukhatib hoon. rajesh e tv me hain aur bihar ke hai. main bhi e tv me hoon aur saubhagya se bihar me hi darbhanga me karyarat hoon. jis tarah ke aarop pratyarop rajesh ranjan ki is chiththi ko chapne ke baad aap dekh rahe hain unki jaanch to e tv ka prabandhan khud karega. lekin bhai sahab isme kripaya “bihar” ko gali na di jaye. anil bhaiyaji ki 19 april ki pratikriya hai jisme “biharipan” shabda ka istemal hua hai. aap hamare bihar ke padosi hai rajya se aate hain. bihar aur bihar ke logon ko bhali-bhanti jante honge. kripaya bhadas4media par aise comments prakashit karne ki anumati na den. isse hamari bhawnaen aahat hoti hain.

  44. krishna, bhopal

    April 22, 2010 at 4:30 pm

    sabash rajesh tumne mudde ki bat utha kar etv ke dalalo ko mirchi laga diya hai…

  45. vaibhav shiv

    April 23, 2010 at 11:20 am

    kas kuchh esi tarh ke sahas har stringar juta pate , aur apne dard sabko bata pate , par pet ki aag, naukkri ka dar, parivar ki chinta , mjburiyo ka ghar, hai ki har himmat ko tod deta, aur bhrastachariyo ke pav tale kam ko chod deta, jaha ham har ha me ha milate, sar hilate hai hath jod , yahi aaj ki patrkarita hai, karna hai to kar, nahi to chod. ye sachhai shirf etv ki nahi blaki un har samachar channel ki jaha strinagar apni nahi blaki boss ki sarto me kam kar rahe hai , kekin aapne jo sahas ka kam kiya uske liye aap badhai ke patr hai , aapko aukr aapke sahas ko pranam hai, aapne patrakarita ki laj rakh li ……

  46. ramesh raj

    April 24, 2010 at 6:18 pm

    rajesh ji is chhanel main aisa hi hota hai ramuji ko pata hai lekinwo kuch nahi kar sakte. yahhan prassanjeet jaise log hai jo tarrakki kar rahe hai. lage raho.

  47. adil

    May 18, 2010 at 4:50 pm

    etv may jabse jagdish chandra channel head niyukt hue hai tab se channel may purane evam imandar stringers/rep. ko bahar ka raasta dikhakar apne aadmi appoint kiye jaa rahe hai jo channel ke hit may nahi hai …beware mr.chairman ramoji

  48. hersche spain india CA ,USA

    December 5, 2010 at 10:10 am

    [i][i][b][i]Well , my dear indian brother i understand your painful experience . I must say that for a successful personality we must strive for excellence and not criticize any other person . Its us who have the power within ourselves ,surei admit you underwent lot troubles .
    I have met Mr. Jagdish Kaatil ji , i think he is head of the channel , although i nevr disclose or introduce myself i dont want it ., but , yes i observed he is a man of talents , his work style is unmatched . Even when he were new to the channel job , and i knew the managers were trying to fool him , i noted i observed that very 15 minutes he very smartly refused the managers what they were trying to get signed . That man Kaatil served indian administrative services and i can say he is a quite observant man . Earlier i used to suspect his efficiency but soon i found his management is a style and he is doing well . Sure if MP. got troubles i can say its his busy work schedule but i can say someone under him is not reporting to him correctly.
    You should directly approach him . I had assisted a director once in ETV buti found in india the work is very poor quality . i change d my mind now i do busienss someday i make movies in hollywood. Sure when you say such painful incidents , i understand its our country and here colleagues use dirty politics they have no ethics in the work place.

    regards,
    hersche
    [/i][/b][/i][/i]

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