दिल्ली के हिंदी पत्रकार सुमंत भट्टाचार्या के साथ कल दिल्ली के आरकेपुरम इलाके में स्थित रीजनल पासपोर्ट आफिस के रीजनल पासपोर्ट आफिसर आईएफएस वी. महालिंगम और डिप्टी पासपोर्ट आफिसर दिलपथ सिंह ने बदतमीजी की. इन दोनों ने सुमंत का मोबाइल छीन लिया और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने लगे.
बाद में सूचना पाकर दूसरे चैनलों-अखबारों के मीडियाकर्मी मौके पर पहुंचे और सुमंत के साथ एकजुटता दर्शाते हुए आईएफएस आफिसर व उसके अधीनस्थ अधिकारी को उनकी असली औकात बता दी. आईएफएस अधिकारी की कंप्लेन पर पुलिस भी मौके पर पहुंची लेकिन सुमंत व मीडियाकर्मियों की एकजुटता और मामले में आईएफएस अधिकारी की गल्ती को देखते हुए कोई कार्यवाही नहीं की. बताया जाता है कि सुमंत अपनी बेटी के पासपोर्ट के लिए कई दिनों से कामन मैन की तरह लाइन में लगते रहे. कई कई घंटे तक इंतजार करते रहे. जब उनकी पारी आई तो डिप्टी पासपोर्ट अधिकारी दिलपथ सिंह ने उनके हस्ताक्ष के न मिलने की बात कही.
तब सुमंत ने अपना डीएल, पैन कार्ड, वोटर आईडी समेत सारे प्रमाण सामने रख दिए और कहा कि जब मैं खुद मौजूद हूं तो फिर क्या दिक्कत है. अधिकारी ने यह सब कुछ मानने से इनकार कर दिया और सुमंत के अनुरोध पर इन प्रमाणों को न मानने व साइन न मिलने की बात लिखकर देने को भी तैयार न हुआ. अधिकारी के बातचीत का लहजा बदतमीजी भरा देख सुमंत ने इसका विरोध किया और अधिकारी को पब्लिक डीलिंग में रहते हुए विनम्रता से बात करने की नसीहत दी. वह अधिकारी अपने स्थान से उठा और अपने वरिष्ठ अधिकारी आईएफएस वी. महालिंगम के यहां पहुंचा. वहां सुमंत को बुलवाया गया.
सुमंत के घुसते ही महालिंगम ने अनाप-शनाप बकना शुरू कर दिया. सुमंत ने जब जवाब दिया तो उनका मोबाइल छीन लिया गया. वैसे, पासपोर्ट बनवाने का मामला दिल्ली और गाजियाबाद में काफी टेढ़ा है. इन पासपोर्ट आफिसों में जाने वाले लोगों के साथ अधिकारी आए दिन बेहद खराब बर्ताव करते हैं.
पिछले दिनों मेरठ निवासी एक टीवी कलाकार जो इन दिनों मुंबई में रहते हैं, सुमित अरोड़ा गाजियाबाद के पासपोर्ट आफिस पहुंचे तो उनके सवालों का जवाब देते हुए अधिकारी ने बदतमीजी से बात करना शुरू कर दिया और इस अंदाज में बात करने का विरोध किए जाने पर गाली-गलौज पर उतारू हो गया. ढेर सारे लोग तो इन बदतमीज अधिकारियों से मुंह लगने के बजाय सिर झुकाकर काम कराकर निकल जाने में ही भलाई समझते हैं लेकिन सुमंत ने अपने साथ हो रही बदतमीजी को सहन नहीं किया और अधिकारी को उसकी औकात दिखाने की ठान ली और कुछ ही मिनटों में मीडिया के साथियों के सहारे महालिंगम की लघुसोचम को उजागर कर दिया.
संजय कुमार सिंह
May 12, 2010 at 7:26 am
पासपोर्ट कार्यालय में असल में क्या हुआ और बात क्यों बिगड़ी ये तो महालिंगम साब से बात किए बगैर नहीं पता चलेगा। सिर्फ सुमन्त की बात पर कोई राय जाहिर करना भी ठीक नहीं होगा लेकिन सरकारी दफ्तरों में पत्रकारों को जो सहूलियत मिलती है और तुनक मिजाज अफसर जिस आराम से काम करते हैं उसके बावजूद अगर सुमंत आम आदमी की तरह अपना काम कराना चाह रहे थे तो उनकी तारीफ करनी पड़ेगी। अमूमन मैंने महसूस किया है कि सरकारी दफ्तरों में आप बिना परिचय बताए काम कराने की कोशिश करें और किसी वरिष्ठ अधिकारी से नियम कानून की बात करें या कायदे से शिकायत भी करें तो उन्हें अंदाजा लग जाता है और उनका पहला सवाल यही होता है कि आप क्या करते हैं। झूठ तो आप बोलेंगे नहीं और जो करते हैं उसे कितना भी घुमा-फिराकर बताएं अधिकारी समझ ही जाते हैं। महालिंगम साब शायद सुमंत के नाम के भट्टाचार्य और उसकी दिल्ली वाली हिन्दी में कहीं गच्चा खा गए। उम्मीद है सुमंत की बिटिया का पासपोर्ट अब बन जाएगा।
sushil Gangwar
May 12, 2010 at 9:00 am
UP me sarkaari adhikaari naukri kam gundagirdi jayada karta hai . Passport office , Bijli vibhag yaa anya kisi vibhag ka chhota karmchaari ksi IAS se kam nahi samjhta hai Noida ke Bijali Vibhag ki baat kare ye kisi se kam nahi . Sab ke Sab chor hai.
http://www.sakshatkar.com
pankaj jha ( bhind mp )
May 12, 2010 at 10:31 am
sumant ji ye aapne sahi kaam kiya vahan usase kuchha nahi bola magar ab isko mat chhodna isko bata dena ki patrakaron se panga lene ka matlab kya hota hai isko nagna kar ke hi chhodna ta ki kabhi kisi patrakar se panga na le
kamal.kashyap
May 14, 2010 at 10:24 am
sabass media ke logo ese haramkoro ko is thra hi ekjut hokar jawb do… tabhi hamari sahakti bani rhegi