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बहुत बड़ा फ्राड है गोपाल प्रसाद : संपादक

स्पीड मीडिया ग्रुप के संपादक सुनील सौरभ ने गोपाल प्रसाद द्वारा लगाए गए आरोपों को सरासर झूठा और बेबुनियाद बताया. हिंदुस्तान में लंबे समय तक कार्य कर चुके और इन दिनों अपनी दो मैग्जीनें संचालित कर रहे सुनील सौरभ का कहना है कि गोपाल प्रसाद बहुत बड़ा फ्राड है. मैंने इसकी गरीबी पर तरस खाकर काम पर रखा था. गोपाल ने खुद कहा था कि वह कमीशन बेसिस पर मैग्जीनों के लिए विज्ञापन लाने का काम करेगा. उसके कहने पर उसे मार्केटिंग मैनेजर का पद दिया. पर वह कई महीनों के बावजूद एक भी विज्ञापन नहीं ला पाया. बावजूद इसके, उसे समय-समय पर पैसे देता रहा जबकि ऐसा करना मेरे लिए जरूरी नहीं था क्योंकि उसे कमीशन बेस्ड रखा गया था. 

<p align="justify">स्पीड मीडिया ग्रुप के संपादक सुनील सौरभ ने गोपाल प्रसाद द्वारा लगाए गए आरोपों को सरासर झूठा और बेबुनियाद बताया. हिंदुस्तान में लंबे समय तक कार्य कर चुके और इन दिनों अपनी दो मैग्जीनें संचालित कर रहे सुनील सौरभ का कहना है कि गोपाल प्रसाद बहुत बड़ा फ्राड है. मैंने इसकी गरीबी पर तरस खाकर काम पर रखा था. गोपाल ने खुद कहा था कि वह कमीशन बेसिस पर मैग्जीनों के लिए विज्ञापन लाने का काम करेगा. उसके कहने पर उसे मार्केटिंग मैनेजर का पद दिया. पर वह कई महीनों के बावजूद एक भी विज्ञापन नहीं ला पाया. बावजूद इसके, उसे समय-समय पर पैसे देता रहा जबकि ऐसा करना मेरे लिए जरूरी नहीं था क्योंकि उसे कमीशन बेस्ड रखा गया था.  </p>

स्पीड मीडिया ग्रुप के संपादक सुनील सौरभ ने गोपाल प्रसाद द्वारा लगाए गए आरोपों को सरासर झूठा और बेबुनियाद बताया. हिंदुस्तान में लंबे समय तक कार्य कर चुके और इन दिनों अपनी दो मैग्जीनें संचालित कर रहे सुनील सौरभ का कहना है कि गोपाल प्रसाद बहुत बड़ा फ्राड है. मैंने इसकी गरीबी पर तरस खाकर काम पर रखा था. गोपाल ने खुद कहा था कि वह कमीशन बेसिस पर मैग्जीनों के लिए विज्ञापन लाने का काम करेगा. उसके कहने पर उसे मार्केटिंग मैनेजर का पद दिया. पर वह कई महीनों के बावजूद एक भी विज्ञापन नहीं ला पाया. बावजूद इसके, उसे समय-समय पर पैसे देता रहा जबकि ऐसा करना मेरे लिए जरूरी नहीं था क्योंकि उसे कमीशन बेस्ड रखा गया था. 

सुनील सौरभ के मुताबिक गोपाल कुमार कितना बड़ा फ्राड है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि कभी वह अपने को गुप्ता बताता था, कभी पंडित और अब खटिक बता रहा है. मैं निजी तौर पर जाति का विरोधी हूं इसीलिए मैं अपने नाम के आगे जाति सूचक उपाधि नहीं लगाता. जो आदमी जाति विरोधी हो और खुद की जाति का प्रदर्शन नाम के साथ न करता हो, उससे कैसे अपेक्षा कर सकते हैं कि वह किसी को जाति सूचक शब्दों के साथ गाली देगा. मेरे यहां जितने लोग काम करते हैं, उनकी जाति क्या है, इसे जानने में मेरी कभी कोई रुचि नहीं रही. जो अच्छा काम करेगा, वो मेरे लिए प्रिय है, जो अच्छा काम नहीं करेगा, चाहें भले ही उसकी कोई भी जात हो, वो ज्यादा दिन तक काम नहीं कर पाएगा.

सुनील सौरभ कहते हैं कि गोपाल प्रसाद ने बिना पूछे खुद को मैग्जीन का प्रिंसिपल करेस्पांडेंट घोषित कर रखा था और विजिटिंग कार्ड भी छपवा रखा था. वह केवल प्रेस कांफ्रेंसों में घूमता रहता था. हर तरह का कुकर्म कर चुका है वह. खुद की भी वह मैग्जीन चलाता रहा है. मैग्जीन बेचने का भी काम करता रहा है. बीच में कुछ कंपनियों के पीआर का धंधा कर रखा था. इवेंट का काम करता रहा. मेरे पास जब आया तो दीन-हीन और गरीब बनकर आया. तीन महीने तक काम करने के बावजूद सिंगल विज्ञापन न ला सका. आफिस के लोगों को भड़काता अलग था. अभी जब गया है तो अटेंडेंस रजिस्टर और अन्य कागजात साथ ले गया. रही चेक बाउंस होने की बात तो यह सच है कि कुछ लोगों के चेक बाउंस हुए लेकिन उन्हें मैंने निजी तौर पर उतने पैसे दे दिए. बिना पूंजी वाले मेरे जैसे पत्रकार अगर मैग्जीन संचालित कर रहे हैं तो कई बार आर्थिक स्थितियां ठीक नहीं होतीं. लेकिन नीयत कभी खराब नहीं हुई. मैं किसी को बुलाने नहीं गया कि आओ, मेरे यहां काम करो. जो आए, उन्हें काम दिया. किसी को निराश नहीं किया. लेकिन ज्यादातर लोग स्वार्थी निकले और मुझे धोखा दिया.

संपादक सुनील सौरभ के मुताबिक सबसे बड़ा धोखेबाज तो यह गोपाल प्रसाद निकला. जिस आदमी को मारा-पीटा नहीं, जिस आदमी को गाली नहीं दिया, वह जाने कैसे-कैसे आरोप लगा रहा है. सौ नंबर पर फोन करके उसने पुलिस को बुलाया तो पुलिस ने उससे पूछा कि तुम्हें पीटा गया है तो कहीं खून बह रहा है, तो उसने कहा कि मुझे धक्का दिया गया है. अपनी बात बार-बार बदलता रहा. आजकल चलन हो गया है कि कोई स्त्री है तो किसी पर छेड़छाड़ का आरोप लगा दे और कोई दलित है तो किसी पर जाति सूचक गाली देने का आरोप लगा दे. गोपाल प्रसाद ने मैग्जीन के प्रेस कार्ड को छपवा कर बेचना शुरू कर दिया था. इसका जब पता चला तो मैंने उसे डांटा और काम पर आने से मना किया. उसी खुन्नस में वह अनाप-शनाप बक रहा है. पर यह सच है कि यह बहुत बड़ा जालसाज और धोखेबाज है.

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0 Comments

  1. Dr.Hari Ram Tripathi, Journalist ,Lucknow

    January 30, 2010 at 10:27 am

    I read both versions.It is my opinion that Mr. Sunil Saurabh is right and GOPAL PRASAD is a real fraud.His story has many holes.It clearly looks like a fabricated story .

  2. Dr.Hari Ram Tripathi, Journalist ,Lucknow

    January 30, 2010 at 10:29 am

    In my opinon, Mr. Suneel Saurabh is right and GOPAL is wrong.

  3. manisha singh

    January 30, 2010 at 12:05 pm

    if you want to know about sunil sourabh pl go to his magazine and webside .he used famous web illegaly in printed matterial,he havnt rni fo his magazine.realy he is KALANK FOR MEDIA.he was only stinger in HH.today he also use HINDUSTAN HINDI banners also.some time back he cheeted us Rs 20000 for add

  4. ravishankar sharma

    January 30, 2010 at 12:11 pm

    sunil sourabh is REALY FROUDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDD.Pl ask only two question to him?tum every 3 month me magazine ka address kyo badalte ho?kaha hai tumhara 66000 circulatio?have RNI ?FROUUUUUUUUUDDDDDDDDDDD SUNIL aaj phir kisi ke life se khel raha hai

  5. umashankar singh

    January 30, 2010 at 12:37 pm

    Dear SUNIL SOURABH sir
    Aaj aapko apne karmo ko bhugatna par raha hai mujhe yaad hai jab mai aapko jhoooth bolne se parhej karne ko kahata tha.aap abhi RNI /CYBER CRIME/ILLEGALY property harapne ke kesh mai jaenge.MAI APNA COMMENT bihari Language mai de raha hu kyonki KABHI aapne mujhe Bhi bihri kah kar apmanit kia tha .sayad mujhme GOPAL JI ke jaise sakti Nahi thi.KEEP IT UP GOPAL JI we r with u

    9868366360

  6. Vivek

    February 3, 2010 at 9:49 am

    These days i am seeing people making wild charges against Sunil Saurabh. I can vouch for him as he has worked with me in Hindustan for many years that he is a very honest and hard-working journalist. It is really sad that despite his long experience in Hindi media, he did not get his due. You would still find many-many staffers in HT house whom Sunil has helped. He is one man you can bank upon.

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