हिंदुस्तान टाइम्स ग्रुप और प्रमोद जोशी द्वारा किए गए मुकदमें के मामले में भड़ास4मीडिया की मदद के लिए ढेरों हाथ उठ खड़े हुए हैं। चंडीगढ़, हैदराबाद, मुंबई, फरीदाबाद, दिल्ली समेत कई शहरों से भड़ास4मीडिया के शुभचिंतकों और समर्थकों ने 100 रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक की राशि भेजी है। कुछ लोगों ने यह राशि सीधे भड़ास4मीडिया के एकाउंट में जमा कराया है तो कुछ ने ड्राफ्ट बनाकर भड़ास4मीडिया के पते पर भेजा है। हैदराबाद के वरिष्ठ साथी भरत सागर ने 500 रुपये के ड्राफ्ट के साथ एक पत्र भी भेजा है। इस पत्र को उनकी अनुमति लेकर यहां सार्वजनिक किया जा रहा है। इसी तरह मुंबई के साथी शिरीष खरे ने एक मेल के जरिए सहयोग राशि देने और अन्य कुछ बातें कही हैं। उनके मेल को भी यहां नीचे प्रकाशित किया जा रहा है। कई अन्य साथियों ने योगदान किया है, उनके प्रति हम दिल से आभारी हैं। – संपादक, भड़ास4मीडिया
सबसे पहले हैदराबाद से प्रभात सागर का पत्र
सेवा में,
श्री यशवंत सिंह
संपादक/संचालक,
भड़ास4मीडिया
दिल्ली
प्रिय यशवंत भाई
आपके मौलिक सूझ-बूझ को नमन!
बड़ा बेहतरीन काम कर रहे हैं। मैं हर दिन की शुरुआत ‘खाल खिंचाई के मीडिया’, जिसे आप ‘भड़ास4मीडिया’ कहते हैं, से ही करता हूं। आप बहुत अच्छा कर रहे हैं- यह कह कर मैं, ‘मियां की दाढ़ी वाह-वाही में गई’ की स्थिति नहीं आने देना चाहता हूं। लेकिन फिर भी इतना तो जरूर कहा जाना चाहिए कि आपका यह ‘संयोजन’ इतना गंभीर है कि आप पर मुकदमें भी होने लगे हैं!
बधाई हो भाई, कुछ बात है कि इतनी चुभ रही है तुम्हारी ! हमें अपना ‘साथी’ समझिएगा! ‘साथ निभाने’ का शुल्क भी आपने मुकर्रर कर दिया है! जबकि……खै़र छोड़िए। आपके संघर्ष में हमारी भी ‘एक बंद मुट्ठी’! कृपया स्वीकारें।
श्रद्धेय प्रभाष जी का साक्षात्कार पढ़ा। ‘गदगद’ हूं यह जानकर कि उन्होंने भाषण भी लिखे हैं। हमारी क्या बिसात प्रभु! मीडिया संबंधी आपकी खबरें बड़ी ‘मनोरंजक’ होती हैं। मीडिया और मीडिया की खबरें ‘मनोरंजन’ ही करती हैं! ‘सिर धुनना’ भी एक मनोरंजन क्रिया है! अपुन का परिचय भी बड़ा मनोरंजक और अहमकाना है। 40 वर्षों से आपकी मीडिया से अपुन को जुड़ा समझता हूं। 60 की दशक से जो ‘क्रांति’ (?) शुरू हुई तो किसिम-किसिम की भ्रांतियों से गुजरते हुए, इन दिनों ‘शर्मनिरपेक्षता’ से भरपूर वातावरण में ‘पतित पावन सीताराम’ कर रहा हूं।
पत्रकारिता जमीन पर रहकर की और खूब की। घूस, घोटाला, घपले की तमाम छक्के-पंजे, इक्की-दुग्गी जानता हूं। ‘जनसत्ता’ में अपने मूल नाम भरत प्रसाद के नाम से लिखा। सर्वाधिक सम्मान और पैसा हमें ‘जनसत्ता’ ने ही दिया। ‘नवभारत टाइम्स’, प्रभात खबर, आज के पुराने लोग भरत सागर कहते हैं। अक्सर, श्री आलोक मेहता हमें पूरा पेज देकर, बिहार संस्करण के नवभारत टाइम्स में सम्मानित करते थे। इसीलिए मैं उनका ऋणी हूं। उन्हीं के संपादन-काल में स्व. राजेंद्र माथुर से ट्रेनिंग भी ली। साप्ताहिक का प्रकाशन भी किया। तीन-चार पत्रिकाएं निकालीं। पूरा ट्रेंड होकर जब लोक और लोग पतित होने लगे तो हमारे पास ‘पतित पावन सीताराम’ करने के सिवाय कोई चारा नहीं था। वैसे चरने वाले तो अब भी चर चबा रहे हैं।
पत्र मिले तो मेल या एसएमएस कर देंगे।
आपकी यश-कीर्ति फैले, अपने इरादों में आप और मजबूत हों, इन्हीं कामनाओं/प्रार्थनाओं के साथ,
सादर
भरत सागर
हैदराबाद, संपर्क : 09346803911
संलग्न : 500/- का एक ड्राफ्ट
शिरीष खरे का पत्र
आदरणीय यशवंत जी!
मैंने भड़ास4मीडिया के नीचे लिखे एकाउंट के एड्रेस के मुताबिक 200 रूपए की सहयोग राशि जमा कर दी है।
Bhadas4Media
A/c No. 31790200000050
Bank of Baroda, Vasundhara Enclave
Delhi-96
आगे किसी भी जरूरत के योग्य समझेंगे तो खुशी होगी. हर तरह का समर्थन आपके साथ है. इस केस में साथियों से तर्क भी मांगे जाए. जिससे तर्क का एक बैंक अकाउंट भी खुल जाए. मुझे लगता है-
- खबर देना हर माध्यम का बुनियादी हक़ है.
- नया माध्यम खुला है. इसने सभी को बोलने का हक दिया है, जो अभिव्यक्ति के बुनयादी हक़ का असली उपकरण साबित हुआ है. इससे योग्य लोगों को भी मंच मिला है. इसके पहले मीडिया में नई प्रतिभाओं को आसानी से उभरने नहीं दिया जाता था. जो शिखर पर हैं, उन्हें यह बात हज़म नहीं हो रही है कि उनसे भी बेहतर लिखने और जानने वाले एक नहीं अनगिनत लोग है. उनकी हताशा स्वाभाविक ही है.
- जहां तक जिम्मेदारी का सवाल है तो आज कोई भी माध्यम अपने को निष्पक्ष और जिम्मेदार नहीं कह सकता क्योंकि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बड़े-बड़े घराने जुड़े हैं इसलिए कोई इनके खिलाफ नहीं बोलता. नया मीडिया में सेठ लोग नहीं है. इसलिए उसे कमजोर जानकर दबाया जा रहा है.
मुझे भरोसा है कि आप जीतेंगे. आपके काम को सलाम!!!!!
आपका
शिरीष
संपर्क : 09930695665