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दुख-दर्द

मीडियाकर्मियों ने इकट्ठे किए साढ़े तीन लाख

सूरज बलि: मीडियाकर्मियों की बेमिसाल एकजुटता : खुद चंदा किया और सांसदों-नेताओं से मदद मांगी : सूरज के बड़े बेटे को सीएनईबी में मिलेगी नौकरी : सीएनईबी की तरफ से भी आर्थिक मदद दी जाएगी : सीएनईबी के सीनियर कैमरामैन सूरज बलि की काम के दौरान हृदय गति रुकने और फिर अस्पताल में इलाज के दौरान मौत होने की हृदयविदारक खबर जब पार्लियामेंट कवर कर रहे पत्रकारों और कैमरामैनों को लगी तो सबने एकजुटता दिखाई.

सूरज बलि

सूरज बलि: मीडियाकर्मियों की बेमिसाल एकजुटता : खुद चंदा किया और सांसदों-नेताओं से मदद मांगी : सूरज के बड़े बेटे को सीएनईबी में मिलेगी नौकरी : सीएनईबी की तरफ से भी आर्थिक मदद दी जाएगी : सीएनईबी के सीनियर कैमरामैन सूरज बलि की काम के दौरान हृदय गति रुकने और फिर अस्पताल में इलाज के दौरान मौत होने की हृदयविदारक खबर जब पार्लियामेंट कवर कर रहे पत्रकारों और कैमरामैनों को लगी तो सबने एकजुटता दिखाई.

इन लोगों ने आपस में तय किया कि सभी एकजुट होकर सूरज बलि के परिजनों की मदद करेंगे और दूसरों से मदद मांगेंगे. सबने पहले आपस में चंदा इकट्ठा किया. किसी ने पांच सौ रुपये दिए, किसी ने एक हजार, जिसकी जो स्थिति थी. इसके बाद सभी ने एक साथ सांसदों के समक्ष पूरे मामले को रखा और सबसे मदद मांगी. सांसदों को जब पूरे प्रकरण का पता चला तो सबने दिल खोलकर मदद करने का फैसला किया. देखते ही देखते साढ़े तीन लाख रुपये इकट्ठे हो गए.

एक लाख रुपये भारतीय जनता पार्टी ने देने का ऐलान किया. कांग्रेस ने पचास हजार रुपये दिए. लालू यादव ने 25 हजार रुपये सौंपे. समाजवादी पार्टी की तरफ से 25 हजार रुपये दिए गए. अनू टंडन ने 20 हजार रुपये की आर्थिक मदद की. एसआर रेड्डी ने 25 हजार सौंपे. महाबल मिश्रा ने भी 20 हजार रुपये तत्काल दे दिए. अजहरुद्दीन ने पांच हजार रुपये की राशि दी. कई सांसदों ने पांच-पांच हजार रुपये की मदद की. इस प्रकार पार्लियामेंट कवर कर रहे मीडियाकर्मियों की छोटी सी पहल से स्वर्गीय सूरज बलि के परिजनों को शुरुआती मदद के लिए साढ़े तीन लाख रुपये इकट्ठे हो गए.

पत्रकारों की यह एकजुटता बेहद सराहनीय है. ऐसी एकता कभी-कभार दिखती है.

पता चला है कि सूरज बलि बेहद संवेदनशील और व्यवहारकुशल मीडियाकर्मी थे. उनके परिवार में जब उनके बड़े भाई की डेथ हो गई तो उन्होंने खुद शादी न करने का फैसला किया. बाद में बड़े भाई के बच्चों की परवरिश के लिए उन्होंने परिवार के लोगों के कहने पर बड़े भाई की पत्नी से शादी कर ली. अब सूरज बलि भी नहीं रहे तो उनके व बड़े भाई के बच्चों, जिनकी संख्या छह है, को पालने-पोसने की जिम्मेदारी बच्चों की मां व परिजनों के जिम्मे आ गई है. इनके लिए तात्कालिक आर्थिक मदद देकर मीडियाकर्मियों ने संवेदनशीलता और सरोकार का परिचय दिया है.

उधर, सीएनईबी के सीईओ और एडिटर इन चीफ राहुल देव ने सूरज बलि के निधन पर गहरा शोक जताया. उन्होंने कहा कि सूरज बलि के बड़े पुत्र को, जिसकी उम्र 17-18 साल के आसपास है, सीएनईबी में अप्वाइंट करेंगे. परिवार को आर्थिक मदद भी देंगे. कितने रुपये देंगे, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि इसकी घोषणा बाद में की जाएगी लेकिन यह राशि पर्याप्त होगी. कंपनी की तरफ से एक व्यक्ति को सूरज बलि के पार्थिव शरीर के साथ गाजीपुर भेजा जा रहा है. राहुल देव ने पार्लियामेंट कवर करने वाले कैमरामैनों व पत्रकारों की एकता को बेमिसाल करार दिया जिसके चलते सूरज बलि के परिजनों की मदद के लिए साढ़े तीन लाख रुपये इकट्ठे हो सके. उन्होंने बताया कि मदद के प्रस्ताव लगातार आ रहे हैं और हम लोग हर हाल में सूरज बलि के परिजनों की इतनी मदद करेंगे जिससे उनके बच्चों की परवरिश में कोई दिक्कत न आ सके.

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0 Comments

  1. xyz

    August 18, 2010 at 1:43 pm

    SURAJ BALI KO BHAV-BHINI SHRADDHANJALI !
    WAKAYEE PATRAKAAR SAATHIYON NE EK BEHAD NEK KAAM KIYA HAI .
    AB DEKHNA HAI KI PATRAKAARON KE DAM PAR APNA WAZUD AUR JALWA DIKHAANE WAALE TV CHANNELS APNE EMPLOYEES KE LIYE *ASMAAYIK NIDHAN* KE WAQT KIS TARAH KI MADAD KI GHOSHNA KARTE HAIN ! (Halaanki iski sambhawana kam hi hai)

    TV CHANNELS KE MAALIQON KO YE NAHI BHULNA NAHI CHAAIYE KI PATRAKAARON KI BADAULAT TV CHANNELS YA PAPER HAIN , NA KI TV CHANNELS YA PAPERS KI BADAULAT PATRAKAAR .

  2. ramshankar sharma

    August 18, 2010 at 2:00 pm

    patrakar sathiyon ko dhanyavad. bhagwan suraj ke parivar ko shakti pradan kare

  3. राजीव शर्मा

    August 18, 2010 at 2:03 pm

    पहली बार सकारात्मक पहल सामने आई है। सभी को साधुवाद! सीएनईबी और राहुल जी को भी। सूरज बलि के बेटे को नौकरी देकर इस पहल की इति न मान ली जाए…! आपात परिस्थितियों के लिए एक कोष की भी स्थाई व्यवस्था की जाए…। राहुल जी, प्रायः ऐसे कामों का बीड़ा उठाते रहे हैं…उम्मीद है वो ही कोई कदम उठाएंगे जिसे बाकी लोग उनके अनुगामी बनेंगे…

  4. imrose khan

    August 18, 2010 at 2:04 pm

    bhagwan is dukh ki ghadi me suraj ke parivar ko sambal pradan kare. patrakar sathiyon ne jo kiya sarahniya hai.

  5. ganesh bhardwaj

    August 18, 2010 at 2:08 pm

    sanghtan shakti ka ek anutha udharan hai. rajdhani ke patrakaron se hum sab ko prerna lena chahiye. bhagwan divangat aatma ko shanti pradan kare

  6. zafar Irshad

    August 18, 2010 at 2:11 pm

    Badhai…Un patrakaron ko jinhone yeh bahut hi accha kam kiya…iski jitni bhi tareef ki jaye kam…Salute to him…

  7. raju maner bihar

    August 18, 2010 at 2:42 pm

    bahanybad media k bhai& kashCNEB ki taraah sabhi sonche

  8. yuva gunj

    August 18, 2010 at 3:00 pm

    bahut aachi suruaat hai ….media orgnigations main samvednain suniye ho gai lakin logo main abhi baaki hai….

  9. anand shukla zee news up/uk hardoi up

    August 18, 2010 at 3:56 pm

    suraj bali ki apne chennal kay liye kaam karte huve maut midiya jagat kay javan ki kurbani hi manai jayegi suraj ki maut midiya jagat ki sahadat mani jay –midiya karmiyo dvara chanda kar uske parivar ko arthik sahayata dena smarniya kaam hai iska aukaran hamesha hota rahna chahiye —-yahi shahid huve midiya karmi ki sachchi shardhanjali hogi ——desh kay netao ko desh kay javano kay alawa desh kay chauthe stambh kay javano kay liye bhi marno parant koi yojna bana kay unki madad karni chahiye —– agar jawan desh hit may shahid hota hai to midiya karmi bhi desh hit may hi shahid hota hai –dono ki shahadat barabar hai –phir bhed bhav kyo ——? jay hind –jay midiya karmi —

  10. aami

    August 18, 2010 at 4:06 pm

    सूरज बली बड़े मिलनसार और कर्मठ व्यक्ति थे, ड्यूटी पर समय से पहले आफिस आना, सबसे घुलमिल कर रहना, और काम को बेहतर ढंग से करना.. ऐसा मीडिया कर्मी जो काम करते करते खुदा को प्यारा हो गया उसे हम शहीद का दर्जा देते है। सूरज तुम्हे सलाम करते हैं हम।

  11. bhim manohar

    August 18, 2010 at 4:25 pm

    cneb kah vadon ko nibhaye tabhi kuch vishwas jage ga aam media karmiyon me….

  12. snehlata

    August 18, 2010 at 5:09 pm

    सूरज जी खुद कहते थे ,कि जाने क्यों लोग दूसरे का दिल दुखाते हैं….क्या मिलता है अगर किसी को ऊंचा पद मिलता है तो……दो दिन की है जिंन्दगी जाने कब वक्त पलटे ….वे बस चुचपचाप काम करने औफ चुप रहने पर पर भरोसा कि करते थे….काम तो उन्होनो बहुत किया पर…ये किस तरह से अचानक वे चुचपचाप होगे असका अंदाजा न था….आपकी दिवंगत आत्मा को शांती मिलें………..

  13. VISHAL

    August 18, 2010 at 5:13 pm

    ऐसा पड़ कर दुःख हुआ ,भगवान उनकी आत्मा को शांति दे. में भी मीडिया से जुड़ा हुआ हूँ और हिमाचल प्रदेश से हूँ. में उनको नहीं जानता लेकिन मानवता और मीडिया से जुड़ा होने के नाते कुछ उस शोक संपत परिवार की मदद करना चाहूँगा .कृर्प्या उनका पता दे सकते है तो दीजियेगा जहाँ उनको तुच्छ सी मदद भेज सकूँ.

  14. snehlata

    August 18, 2010 at 5:28 pm

    salute है उन सभी journalist और cameramen को जो एक सैनिक की तरह विजय चौक में डटे रहेते है्…गर्मी हो तो तपते जलते सूरज के नीचे…बारिश हो तो बरसते बादल को नीचे …हर हाल में हर स्थित पर सिपाही केी तहह बस डटे रहते हैं…ऐसे में शहीद हुए सिपाही को हमारे तरफ से तहे दिल से श्रद्धामजलि …औऱ उन पत्रकारो कैमरा मैने को सैलेयूट जिन्होने इस दुख के घडी में हमारी एकता का परिचय दिये हैं…

  15. ashish singh

    August 18, 2010 at 7:38 pm

    jab mai office aaya to pata chala ki hamare sahyogi surajbali nahi rahe ye sunkar itna dukh huwa ki ye kya ho gaya yaar aadmi ka koi bharosha nahi hai. abhi aadmi hus bol raha hai do pal me kya ho jai kisi ko pata nahi.
    vaise bhagwan ko bhi acche admi bahut pasand hote hai
    mai bhagwan se yahi prathna karta hu ki bhagwan unki atma ko santi de aur unke parivar ko is kathin samay me sahne ki sakti pradan kare

  16. arun sathi

    August 19, 2010 at 1:46 am

    चलू कुछ तो अच्छा किया

  17. satya prakash "AZAD"

    August 19, 2010 at 3:19 am

    भगवान सूरज बली जी की आत्मा को शांति दें……और मीडिया संस्थान और मालिकान को सद्बुद्धि… ताकि पत्रकार काम करते हुए दबाव महसूस ना करें…

  18. vipin chaubey

    August 19, 2010 at 6:10 am

    रात चहरों पे मल गया सूरज

    किस बुलंदी से ढल गया सूरज

    खून आँखों में लेके निकला था

    क्या हुआ क्यों बदल गया सूरज

    ख़ुद को हासिल तो कर लिया लेकि

    आग में अपनी जल गया सूरज

    चाँद पहलू में जागता है अभी

    कितनी जल्दी निकल गया सूरज

    cneb news ke camerapeson suraj bali ke achanak hue nidhan hum sabke liye kafi afsoosjanak hai..unke liye do shabd mere taraf se

  19. Siddharth Kalhans

    August 19, 2010 at 9:12 am

    सूरज जी के नधन पर हमें दुख है पर पत्रकार साथियों ने जो एकजुटता दिखायी और आनन-फानन में एक राशि जुटा दी वो काबिले-तारीफ है। देश के बाकी साथी इससे प्रेरणा लें।

  20. Ankush Bakshi

    August 19, 2010 at 10:34 am

    सूरज जी बेहद ही मिलनसार और हंसमुख व्यक्तिव के धनी थे … एक दफा के वाकया का जिक्र करना चाहूंगा … सीएनईबी ज्वाइनिंग के दूसरे दिन ही में स्पोर्ट्स के शूट पर उनके साथ गया था …. पीस टू के दौरान एक गलती को जितने सहज तरीके से उन्होंने सुधार दुबारा वो गलती आज तक मुझसे नहीं हुई … जिस तरह से सूरज जी हम लोगों को छोड़कर एक अलौकिक दुनियां की तरफ रुख़सत कर गए वो मुझे और पूरी मीडिया परिवार के लिए एक अपूर्णीय क्षति है …. मैं ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं ….

  21. Rakesh Ranjan Pandey

    August 19, 2010 at 11:54 am

    Only for Late Sujarbali…………….

    ओ रे कवि!
    आज तू मुझपे भी कविता लिख ले।

    देख!
    मेरी अंधी हो चुकी आंखों में
    सपनों का अवशेष भी नही।
    शायद अब ये दुनिया को
    तेरी कविता की सुन्दरता दिखा सकेगी।

    वर्षों के निराहार से जन्मी
    यह कंकाल रुपी काया
    तेरे काव्य को ढांचा दे सकती है।

    बरसों से मेरी आवाज दबते दबते
    इतनी दब चुकी है
    कि अब तू इसे मुखर ध्वनि प्रदान कर
    एक महान कवि बन सकता है।

    ओ रे कवि!
    देख आज मैं मृत्यु के कगार पे बैठी हूँ।
    इससे अधिक ख़ुशी की बात और क्या होगी?

    मेरी मौत की करुणा से जन्मा तेरा महाकाव्य
    निःसंदेह तुम्हे अमर कर देगा।

    आख़िर मैं भी तेरी कुछ हूँ।
    अधिकारहीन भले सही,
    परन्तु कृतघ्न नही कर्तव्य परायण हूँ।

    और तेरे यश के लिए –
    अपने शरीर का अंग अंग
    लहू की एक एक बूँद
    चेतना का हर एक अंश
    सौपने को तैयार बैठी हूँ।

    आ!
    एक नहीं सौ बार घोंप मेरी पीठ मे छुरा।
    जब तू कहेगा उफ्फ्फ़ करूंगी,
    तुझे शब्द दूँगी।
    और जब तू कहेगा मौन रहकर
    तुम्हारा गुस्सा सह लूंगी।

    चाहो तो सहस्त्र बार मेरी हत्या करना
    या चुपके से कह देना
    मैं स्वयम ही मौत का कफ़न लिए सो जाऊंगी।

    जैसे आज सो रही हूँ।

    ओ रे कवि!
    रक्त के इन बूंदों की खुशबू महसूस कर
    और आज तू मुझपे भी कविता लिख ले।

    Meri taraf se ek saprem Bhiet.

  22. vikas singh

    August 19, 2010 at 12:25 pm

    waise to media bahut badnaam hi…par is kaam se media ka naam hua hi..ki yaha aisa bhi hota hi…sabhi ko hardik dhanyawaad…aur bhagwan suraj ki aatma ko saanti de aur pariwaar ko is muskil ghadi mi taakat de….

  23. Ghanshyam krishana

    August 19, 2010 at 4:45 pm

    Raghupati raghav raja ram,Patit ke paavan sitaram,
    Ishwar allah tere naam ,sabko sanmati de bhagwaan.

    Hay Iswar is dukh ki ghadi me suraj sir ke pariwar ko santi pradan kare.
    Sabhee media persons ko mera is saraahneey kary ke liye koti-koti naman.
    Jay hind.
    Ghanshyam Krishana Porwal
    (Reporter)
    Dist. Auraiya(u.p.).
    09897164100

  24. Bhupendra Pratibaddh

    August 24, 2010 at 9:39 am

    Suraj ne sachmuch khabariyon ke man-mastishk mein ujala bhar diya.yah ekjutata aur sahyogbhav salamat rahe iski dua ham karte hi hain, akaash mein bathe bhayi suraj se bhi agrah karenge ki apana sandesh aur sahi disha nirdesh sathiyon-sahyatriyon ko preshit karte rahenge. suraj ki sangini aur bachchon ko vipda ki is ghadi mein biradari ne jo maudrik madad ki hai uski mukt kanth se sarahna honi chahiye.yah bhav aage bhi bana rahe, iski apeksha swabhavik hai.

    Bhupendra Pratibaddh, Chandigarh

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