Connect with us

Hi, what are you looking for?

कहिन

सूरज जैसों की जिंदगी की गारंटी मुकर्रर हो

: विजय चौक की धूप और नौकरी बचाने की मजबूरी : खुशमिजाज़ और जिंदादिल थे सूरज बली. फील्ड में अधिकतर कैमरामैन और रिपोर्टर्स उन्हें चाचा कहकर पुकारते थे. स्वाभाव से बहिर्मुखी और बेहद संवेदनशील थे. कई बार कवरेज के दौरान साथियों से झगड़ा कर लेना और फिर बाद में उसके पास जाकर हंस देना और कंधे पर हाथ रख के मुस्कुराते हुए चलते जाना, ये कुछ ऐसी यादें है जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता.

<p style="text-align: justify;">:<strong> विजय चौक की धूप और नौकरी बचाने की मजबूरी</strong> : खुशमिजाज़ और जिंदादिल थे <a href="dukh-dard/6189-surajbali-death.html" target="_blank">सूरज बली</a>. फील्ड में अधिकतर कैमरामैन और रिपोर्टर्स उन्हें चाचा कहकर पुकारते थे. स्वाभाव से बहिर्मुखी और बेहद संवेदनशील थे. कई बार कवरेज के दौरान साथियों से झगड़ा कर लेना और फिर बाद में उसके पास जाकर हंस देना और कंधे पर हाथ रख के मुस्कुराते हुए चलते जाना, ये कुछ ऐसी यादें है जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता.</p>

: विजय चौक की धूप और नौकरी बचाने की मजबूरी : खुशमिजाज़ और जिंदादिल थे सूरज बली. फील्ड में अधिकतर कैमरामैन और रिपोर्टर्स उन्हें चाचा कहकर पुकारते थे. स्वाभाव से बहिर्मुखी और बेहद संवेदनशील थे. कई बार कवरेज के दौरान साथियों से झगड़ा कर लेना और फिर बाद में उसके पास जाकर हंस देना और कंधे पर हाथ रख के मुस्कुराते हुए चलते जाना, ये कुछ ऐसी यादें है जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता.

पिछले चार साल से हर रोज उनसे मिलना होता था. अधिकतर समय कांग्रेस दफ्तर में. कभी-कभार विजय चौक पर. संसद सत्र के दौरान तो सुबह से शाम तक विजय चौक ही उनका घर बन जाता था. संसद के भीतर से आने वाली नेताओं की एक-एक बाईट पर उनकी नज़र होती थी. भाग-भाग के बाईट इकठ्ठा करना और जल्दी-जल्दी अपने चैनल को फीड भेजना. फिर दूसरों को ट्रान्सफर देना. पता ही नहीं चलता था कि वो कम हाईट का सांवला और अधेड़ जैसा दिखने वाला आदमी काम को लेकर इतना समर्पित और उर्जावान हो सकता है. आज सूरज बली हमारे बीच नहीं हैं. उनकी बहुत सी यादें जेहन में कौंध रही है. उनकी मौत ने हमारी चेतना को न सिर्फ झकझोरा है बल्कि कई तरह के सवाल भी खड़े किये हैं.

न्यूज़ चैनलों में काम करने वाले छोटे स्तर के कर्मचारी अपनी नौकरी बचाने की जिद में अक्सर इतने व्यस्त हो जाते हैं कि भूख और प्यास उनके लिए गैर जरूरी चीज हो जाती है. नौकरी बचाना उनकी प्राथमिकता होती है और इसी तरह चैनल की वफादारी में एक श्रमजीवी अपने शरीर से बेवफाई कर बैठता है और इस तरह के परिणाम सामने आते हैं, जहाँ पलक झपकते ही एक भरा-पूरा परिवार बिखर जाता है. मायूसी, सन्नाटा, शोक और आँखों के सामने सिर्फ अँधेरा दिखाई देता है. घर के बच्चे अचानक बड़े हो जाते हैं और गाजीपुर जैसे छोटे शहर से कोई नौजवान दिल्ली आकर फिर से एक सूरज बली बन जाता है.

आखिर सूरज बली जैसे श्रमजीवियों की जिंदगी की गारंटी कौन लेगा? न्यूज़ चैनलों का प्रबंधन या फिर मीडियाकर्मियों का संगठन? यह एक सवाल है जिसका जवाब टीवी चैनलों के पास नहीं होगा, जो अक्सर दूसरों की जिंदगी में ताका-झांकी करते हैं, दूसरों की कमियाँ गिनाकर देश और समाज को बदलने की बात करते हैं. जरूरत ऐसी व्यवस्था की है जिसमें सूरज बली जैसे लोगों की जिंदगी की गारंटी मुकर्रर हो!! वरना विजय चौक पर दिन भर धूप में बैठकर नौकरी बचाने की मजबूरी और कईयों की जिंदगी न लील ले!!!

एक पत्रकार

सूरज बलि की मौत से संबंधित पोस्ट पर किसी पत्रकार साथी ने बिना नाम के यह कमेंट छोड़ा है, जिसे वहां से उठाकर अलग पोस्ट के रूप में यहां प्रकाशित किया गया है. -एडिटर

Click to comment

0 Comments

  1. Viplava Awasthi

    August 18, 2010 at 3:24 pm

    bahut sahi kaha…halaki mein aaj kah sakta ho ki cneb ke CEO Rahul Dev khud vijay chouk pahunche…waha ka haal dekha…kai patrakaron se baad bhi ki …sahara samay ki senior journalist ne to shikayti tour per Rahul ji se vijay chouk per reporting ki kai pareshaniyan bhi batai…Rahul ji ne pure vijay chouk ka doura karne ke baad ye sab batain NBA tak mein uthane ki baat kahi…sath hi unhone kaha ki khud Ambika Soni se wo personally baat kareinge….Rahul ji ne press club mein bhi kai senior patrakaron se ish ghatna per vichar kiya…hum sab kamna hi ker sakte hai ki agar Rahul ji jaise bare patrakar pahal karein to kuch results samne aa sakte hain….l

  2. bhim manohar

    August 18, 2010 at 4:20 pm

    yar apne to wo keh diya hai, jise padkar izzatdar aadmi pani pani ho jaye, par channelon ke maliko kaha asar padne wala hai, unhe bus apne kam se matlab, mai to kahunga channelon ke malikon ne dusari hatya ki hai pehli to voi ke malik ne dusaei cneb ke malik ne…….. shayad aap log ashok jee ka nam bhul gaye…

  3. vipin chaubey

    August 18, 2010 at 5:32 pm

    suraj bali ek aisa nam ek aisi shakshiyat jo sirf logo ko khushi aur madad dene ke liye hi jana jata tha…main ye sab isliye bi keh sakta hu kyon ki abi 20 din pehle tak wo mere camerperson hua karte the aur jabse cneb news join kiya aur jab tak waha raha takreeban 1.6yrs main aur wo sath mein kam kiya karte the…media mein unko chacha ka nam maine hi diya jisko lekar kabhi wo naraz bi hue lekin phhir halke se muskurakar ye keh dena ki abi main budda thode na hua hu…suraj bali aj nai hai unki family ke bad sabse jada afsoos mujhe hoga kyon ki main as a reporter raha karta tha lekin mujhe hamesha bete ki tarah pyar kiya chote bhai ki tarah samjhaya… Aur jarurat padne par bade bhai ka saya ban sar par hath rakh dete the wo…puri delhi media mein agar mujhe log akele dekhte to pehla sawal yahi hota ki chacha yani suraj bali nai dikh rahe ya phir suraj ko akele dekhte to log vipin le bare mein poochte…aisi thi hamari yari…kuch din pehle wo apne gaon gazipur gai aur tabi iteefaq aisa hua ki maine news24 join kiya aur unse mulakat ka mauka bi nai mila…aur main lko aa gaya…kal sham se mujhe kai logo ke fone aye…lekin kisi ko ye umeed nai thi ki chacha ap humein itni jaldi chod jaoge…sorry suraj bhai agara anjane mein bi koi galati hue to maaf karna…aur unka hamesha ye kehna ki vipin tum humien kyon chod ke chale gai…lekin phir turant bad ye kehna ki nai beta achi jagah ja rahe ho acha kam karna…ye unki khashiyat thi aur shayad kisi ko yakeen na ho lekin kal 17 aug ko din mein takreeban 12:16 pe unki cal aye aur meri story ke liye mujhe appriciate bi kiya apni jindagi ke aakhri din bi unhone mujhe cal kiya jaise wo jan rahe ho ki bus ab waqt aa gaya hai….aisi kai sari yadein suraj apne peeche chod gai jinko shabdon mein bayan karna muskil hhai…bus unse aakhiri shikayat yahi ki aakhir main apko delhi chod lucknow aya aur aur ap humein hamesha ke liye chod gai…i miss u suraj bhai….

  4. पत्रकार

    August 18, 2010 at 6:00 pm

    बात सिर्फ विजय चौक में खडे पत्रकारों और कैमरामैन की नहीं हैं…बात है एक मनोविज्ञान की….क्यों एक पत्रकार और कैमरामैन दिन रात जह्दोदहद करके स्टोरी फाईल करने के बाद भी उसे अपनी नौकरी के जाने के डर सताता रहता है….,क्यों कई बार चैनलो के ऊंच पद में कार्यरत बोसेज को काम नहीं चाम वाले लोग पसंद आते है….सूरज को आखिर इतना आफिस का तनाव क्यों था…किसने की है इसकी हत्या ..ये क्या अब तक किसी ने सोचा…नहीं सोचा तो सोचो…नहीं तो जाने ये नयूज कवर करते करते जाने अगली हत्या किस की हो जाए पता नही… kec ks बार और किसलिए ज्यसे भी

  5. raju

    August 19, 2010 at 4:31 am

    suraj bali ke nidhan ke piche sidha sidha unke HOD ka hath hai jo har samay unko pareshan karte the jiski wajah se unhe apni job ki tention rehti thi..

  6. अनुराग अमिताभ

    August 19, 2010 at 4:45 am

    सूरज बलि की मृत्यु मेरे लिए व्यक्तिगत छति है…CNEB की लोंचिंग के साथ ही मुझे बीट मिली कोंग्रेस…उसी वक्त CNEB मैं ज्वाइन किया था सूरज बलि ने…छोटा कद लेकिन बड़े व्यक्तित्व वाले सूरज बलि मुझे केमरा पर्सन के रूप मैं मिले…तब CNEB ONAIR नहीं हुआ था …DRY रन पर चल रहा था…मुझे कोंग्रेस मैं या किसी भी बीट पर चेनल की पहचान स्थापित करने मैं दिक्कत होती थी…तो सूरज कहता था बाबू सब जगह ऐसा ही होता है..लगे रहो पहले अपनी पहचान बनाओ फिर चेनल की अपने आप बन जायेगी…हम चुपचाप जाकर कोंग्रेस मैं बैठते थी फिर विजय चोक जंतर मंतर बीजेपी लेफ्ट घुमते रहते थे..भाई की खासियत थी कभी निराश नहीं होता था,,मैं घर की याद करता रहता था तो सूरज कहता गुरु मैं २० सालो से घर से बहार हूँ..घरवालो का पेट पालना हो तो ऐसे ही संघर्ष करना पड़ता है..मैंने जीवन मैं बहुत त्याग करने वाले देखे है लेकिन ऐसा त्याग करने वाला नहीं देखा…उसके भाई की मृत्यु हुई तो सिर्फ अपनी भाभी को सहारा देने के लिए उसने बिना कुछ कहे शादी कर ली…जब छठ आई तो तीन चार साडी खरीदी फल खरीदे..बहुत प्रेमी जीव था….गुसा भी मजेदार होता था ऐसा की साला बुरा ही नहीं लगता था… फिर शुरू हुआ CNEB तो भाई का एक सूत्रीय कार्यक्रम रहता था..विजय चोक या कोंग्रेस मैं ही जो ट्रांसफर मिले लपक लेना..और कल्टीयो मैं कान मैं आकर कहना बाबू ट्रांसफर ले लिया है..अब चलो PTC पेल दो..दिन मैं तीन तीन PTC दिलवाता था सूरज ..PTC दिलवाने का भारी शोक था ,,और PTC देने से पहले भाई दो बीडी का ईंतजाम जरूर करता था ..कहता था बीडी दोस्ती बढाती है और हौंसला भी….मैं तब दिन मैं एक बार खाना खाया करता था.सूरज मेरी इस आदत से बहुत परेशां रहता था..कहता था टीबी के मरीज पहले से दीखते हो खाना नहीं खाओउगे तो बन भी जओउगे…सूरज अपना खाना खुद बनता था क्यूंकि अकेले रहता था,,,,फिर वो मेरे हिस्से का भी बना कर लाने लगा..मैंने किसी कारण से एक समय खाना शुरू किया था लेकिन पता नहीं क्या हुआ मुझे या सूरज का प्रेम था मैं उसके साथ दो रोटी खाने लगा ..उसकी इन्हें दो रोटी ने मुझे वापस दोनों समय खाना खिलाना शुरू कर दिया..जब मेरा ट्रांसफर मध्य प्रदेश भोपाल हुआ..तो विजय चोक पर हम दोनों रोये कहने लगा मुझे भी ले चलो अपने साथ भोपाल..मैंने प्रयास भी किया लेकिन वो CNEB की जान था यही वजह रही वो जा नहीं पाया..लेकिन हर महीने बिना नागा वो मुझे फोन करता पहले पूछता बीवी बच्चे कैसे हैं फिर कहता यार भोपाल आना है..हफ्ते भर पहले असाईनमेंट से फ़ोन किया बोला गुरु जल्दी आ रहा हूँ,,लेकिन ऐसा हो नहीं पाया…न अब हो पायेगा..सूरज तुम्हे वाकई हम सब कभी न भूल पायेंगे………..

  7. vipin chaubey

    August 19, 2010 at 6:07 am

    suraj bali ko main pichle1.6 salo se janta hu 1 mon pehle tak main cneb mein tha aur mere cneb join karne se lekar chaneel chodne tak takreeban 1.6 yrs wo mere sath rahe congress beat ke sabse chahete cameraman ,,,,, jiski bataon ka koi bura nai mana karta tha…suaraj mere sath kabi ek cameraperson ki tarah se behave nai kiye … kabi bhai bankar sath diya to kabi dost…kam para likha ye aadmi jada kuch nai janta tha lekin rishte kya hote hain wo koi suraj se sikhe…suraj ki kai sari tamaam aisi yadein hain jisko hum shayad kabi nai bhul payenge.. aur 1 month pehle suraj jab apne ghar gai tabi maine news24 join kiya aur main lucknow aa gaya itefaq se meri aakhir mein mulakat bi nai ho pai… suraj ne 17th aug ko bi mujhe fone kiya aur meri story ke liye mujhe badai bi di lekin hamesha wahi shiqat ki vipin tum mujhese mil ke nai gai…main unse delhi ate hi milne ka wada kiya lekin humne delhi choda aur suraj bhai ap humien hamesha ke liye chod gai …i miss u suraj bhai…

  8. jitendra singh

    August 19, 2010 at 7:41 am

    काश हम डॉक्टर की तरह होते…..उस पल विजय चौक के उस पेड़ के नीचे हम और सूरज बली साथ-साथ बैठे हुए थे….सूरज बली से हमने पूंछा क्या हाल चाल हैं ..उन्होने जवाब ठीक से नहीं दिया हमे लगा कि सूरज बली को आज कोई परेशानी है…बात में इंट्रेस्ट नहीं ले रहे हैं….वो उस वक्त तीन इंटों के उपर थोड़ा सा उंचाई पर बैठे हुए थे…फिर मैने अपनी दांई तरफ देखा और संजय जी दिखायी दिए…उनके पास तक जैसे ही मैं पहुंता हूं सूरज बली…बैठै बैठे गिर पड़ते….सभी कैमरा मैन और रिपोर्टर भागे….किसी ने पानी से मुंह धोना शुरू किया तो किसी ने….हांथ पैर रगड़ना शुरु किया ….वो बेहोश हो गये थे…पर थोड़ी देर बाद उनको होश आ गया था उनको एक कैमरा मैं भागते हुए गया और ग्लूकोज का पैकेट लाकर बोतल में घोल कर पिलाया गया …..उस समय वो एक भी घूंट नही पी पाये ……तब तक सभी लोग ये नहीं समझ पाये कि उनको….क्या हुआ सभी रिपोर्टर और कैमरा मैन ये समझ रहे थे कि…धूप की वजह से गर्मी लग गयी है…..इसलिए गिर पडे हैं…..इस सारी चीजों को करते कराते….बीच-बीच में मै उनसे ये पूंछ ले रहा था कि अब कैसी तवियत है तो उन्होने कहा ठीक….इसी बीच किसी ने कहा कि एंबुलेंस मंगा लिया जाय तो खुद सूरज बली ने कहा कि नहीं ठीक हो जायेगा….फिर एक बार उनको ये थोड़ा सा बेहोशी सी लगी….इस सारी चीजों में …..सिर्फ और सिर्फ 20-25 मिनट लग गये तब तक सीएनईबी की गाडी़ आ गयी और रुमानुल लेकर आर एम एल चला गया ….पर शायद उस वक्त ये पता चल जाता कि बली को हार्ट अटैक हुआ है तो शायद …..हम लोग लेट नहीं करते….सभी रिपोर्टर यही समझ रहे थे कि उनको गर्मी की वजह से चक्कर आ गया…..है….

  9. सुधीर कुमार पाण्डेय

    August 19, 2010 at 8:37 am

    मुझे सूरज भाई के जाने का दुख है… मेरे साथ काम कर रहे सभी लोगों को सूरज भाई के जाने का दुख है… वजह है उनका सरल स्वाभाव…. सूरज भाई को याद करने के लिए मेरे पास काफी कुछ मौजूद है लेकिन अब उन यादों को मैं हमेशा अपने साथ रखना चाहता हूं… वो बेहद ईमानदार इंसान थे… कैमरे पर अच्छी पकड़ तो थी ही साथ ही खबरों का भी अच्छा ज्ञान था… मुझे उनके जाने का बहुत दुख है… भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे… और उनके परिवार को दुख सहन करने की शक्ति
    सुधीर कुमार पाण्डेय
    सीएनईबी

  10. कनिष्क जायसवाल, जौनपुर वाले

    August 19, 2010 at 10:13 am

    सूरज बलि जी के निधन की खबर मुझे उसी दिन सुबह ही सीएनईबी ऑफिस में मिली….खबर मिलते ही मानो दिल बैठ गया हो…..ये क्या हुआ….
    चंद मुलाकात हुई थी मेरी सूरज जी..वो आप से बताना चाहूंगा कि….वो दिन मुझे आज भी याद है….शाम का वक्त था मै शूट पर जा रहा था….सूरज जी ऑफिस में ही थे और उन्हे घर जाना था…इत्तेफाक से वो मेरे ही साथ निकले….रास्ते में कुछ बाते हुई…. कुछ चैनल की तो कुछ घर की ….उस समय वो कुछ दिन पहले ही घर से लौटै थे …और अपने परिवार की बाते बताने लगे….और कहने लगे कि “घर जाकर बड़ा अच्छा लगता है….जब बच्चे पापा पापा कह कर पुकारते हैं और पूरा परिवार साथ बैठकर खाना खाता है…….ये ही कुछ पल होते हैं जब घर से यहां आने का दिल नही करता लेकिन मजबूरी होती जिसके लिए आना पड़ता है…….यहां आकर फिर से वही नौकरी…..कमरे पे जाकर खाना बनाना……शादी के बाद भी बैचलर वाली जिंदगी लगती है”…….बस इतनी सी बात हुई थी मेरी उनसे.कि तभी उनका घर आ गया और वो गाड़ी से उतरे और अपने कमरे को चले गये……उसके बाद कई बार मुलाकात हुई….. हंसमुख और सबको हसाने वाले सूरज दादा आज हमारे बीच नहीं…मगर उनकी यादें हमारे पास है …जिसे हम भूल नही पायेंगे………

    वैसे इस घटना से सारे मिडीया सेंटरों को सोचना चाहिए..
    सच्चाई यही है कि फिल्ड हो या कार्यालय हर जगह असंतुलन बना रहता है….
    धन्यवाद…
    यशवंत जी पहली बार कुछ लिख रहा हूं……..

    वैसे एक बात कहूं तो आज पत्रकार…..पत्रकार नही रह गया………..

  11. सभी सीएनईवी, वीटी एडीटर

    August 19, 2010 at 10:21 am

    ……बड़े भाई सूरजबली जी के निधन से सारा सीएनईबी परिवार दुखी है इस दुख की बेला में समस्त एडीटर सूरज बली जी की आत्मा की शांति के लिए पार्थना करता है… सूरज बली जी पूरे सीएनईबी में काम कर रहे लोगो के लिए बड़े भाई की तरह थे..और उनके नहीं रहने से एसा लग रहा है मानो अब सीएनईबी में आशिर्वचन देने बाला शायद अब कोई नहीं रहा….फिर से भगवान से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके परिवार को इस दुखद बेला में शक्ति दे………..

  12. Umashankar Upadhyay

    August 19, 2010 at 6:19 pm

    vijay chouk par aaj suraj bhai ki kami khal rahi thee…..jitanaa kahen unake baare men kam hoga… ek umra hone ke baad bhee uname sfoorti ki kami nahin thee…..wahi josh wahi kharosh…..ekbaar hum log aalas karte bhee the par ye hamesha camera lekar taiyaar rahate the….jab bhee hom log transafer mangate the…to we HANS KE KAHATE THE KI KA YAAR ABHI TOO LOG JAWAAN HAWAA FIRO EE HAAL BA…. mehanat kara…mehanat…..
    jab bhee milte the to gaanw jaane ki baat zaroor karate the…kahate the k….. KA HO GAANWE NA GAYEEL RAHLA HA……
    _________________________________________________________________
    param pita parmeshwar se prarthanaa karoonga ki unki aatma ko shanti de….!
    _________________________________________________________________

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement