अन्ना आंदोलन और कामरेडों की दुविधा-सुविधा

अन्ना आंदोलन के भूत ने सत्ता में बैठे लोगों को सताया हो या नहीं, वामपंथ के एक हिस्से को वह खूब सता रहा है. वह वामपंथ के पूरे इतिहास व वर्तमान के गिरेबान में झांककर बोल रहा है कि जैसा अन्ना ने किया वैसा आज तक तुम न कर सके. कि तुम अपनी कमियों से चिपके रहे और देश की जनता की नब्ज को टटोल सकने में आज अक्षम बने रहे. कि यह तुम्हारी ही कमियां हैं जिनके चलते शासक वर्ग और मजबूत होता जा रहा है…

ये हरामखोर बेइमान नेता अन्ना आंदोलन से फायदा उठाने में लग गए

सुभाष गुप्ता: खून चूसने वाले नेता अभी चेते नहीं… : अन्ना की लड़ाई देश भर के लोगों की लड़ाई  में बदल रही है। इसकी वजह भी है। दरअसल, ये लड़ाई  जन लोकपाल की लड़ाई से बहुत आगे निकल चुकी है। आजादी  के बाद नौकरशाही और नेताओं ने जिस तरह आम आदमी का खून  चूसा है…. ये लड़ाई उसी का नतीजा है।

इंडिया गेट टू जंतर-मंतर : अगस्त 2011 – ए लव स्टोरी… कुछ दृश्य

1-वो इंडिया गेट से जंतर-मंतर के बीच किसी चौराहे पर मिली. चेहरे पर खुशी-उल्लास. वही नारे लगा रही थी, जो लोग लगा रहे थे. अत्याचारी बंद करो. भ्रष्टाचार बंद करो. वो छुटकी रोजाना मसाले, सुर्ती, तंबाकू, सिगरेट, चने, मूंगफली बेचती है. उसके साथ उस जैसे कई बच्चे भी यही काम करते हैं. रोज कुआं खोद पानी पीने वाले हैं ये. स्कूल नहीं जाते क्योंकि सांसों की डोर के लिए ज्ञान की नहीं बल्कि चंद सिक्कों की जरूरत होती है.

पत्रकार रहे मनीष सिसौदिया हैं टीम अन्ना के पांचवें चाणक्य

आखिर क्या वजह है कि अन्ना आंदोलन की घोषणा करते हैं, और मीडिया में छा जाते हैं. आखिर क्या वजह है कि अन्ना के आगे हर बार सारी खबरें बौनी बन जाती हैं और अखबार से लेकर टीवी चैनल तक पर बस अन्ना अन्ना और अन्ना नजर आते हैं. पिछले चार दिनों से आलम कुछ ऐसा है कि क्रिकेट टेस्टमैच की खबरें भी कहीं पीछे छूट गईं और अन्ना 24 घंटे टीवी स्क्रीन पर चमकते रहे.

जनांदोलनों के साथ हूं, इसलिए… मैं अन्ना हजारे हूं – बयान दर्ज करें

मेरे एक मित्र पंकज झा, जो छत्तीसगढ़ भाजपा की मैग्जीन के संपादक हैं, ने सबसे एक सवाल पूछा है- ”जिन लोगों को अन्ना के इस आन्दोलन से काफी उम्मीद है उनसे एक असुविधाजनक सवाल पूछना चाहता हूं कि आखिर आज़ादी के बाद से अभी तक कितने आंदोलन को सफल होते उन्होंने देखा या सुना है? मेरे एक मित्र ने सही कहा कि गर्द-ओ-गुबार थम्हने दीजिए फिर सही तस्वीर देखिएगा.”

कांग्रेस के एजेंट अमर सिंह को एक्सपोज करने की जरूरत

: भड़ास पर अब न छपेगा अमर का कोई लेख, वचन या ब्लाग लेखन : इंडिया टीवी पर रजत शर्मा वाले कार्यक्रम आपकी अदालत को कल देख रहा था. इस कार्यक्रम में जज बने थे अमर उजाला के संपादक अजय उपाध्याय. कथित कठघरे में बैठे थे अमर सिंह. अमर सिंह ने वही सारी बातें कहीं जो उन्होंने पिछले दिनों मीडिया वालों से बातचीत के दौरान कही थी. उड़ि बाबा… जेनुइन है… उसी अंदाज में. शांति भूषण और प्रशांत भूषण की धज्जियां उड़ाए जा रहे थे.

आज सबसे कठिन है भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना उर्फ अन्ना की घेरेबंदी

हरिवंश: ईमानदार लोगों को समाज भी समय के साथ व्यावहारिक नहीं मानता : जब तक जेपी भ्रष्टाचार के खिलाफ चुप रहे, उन्हें शासक वर्ग पूजता रहा, जैसे ही, 74 में वह बोले, उन पर चौतरफा प्रहार शुरू हुआ, उनके गांधी शांति प्रतिष्ठान की जांच के लिए कुदाल आयोग बैठा : गांव का सीधा-साधा आदमी भ्रष्टाचार के खिलाफ आज लड़ना चाहता है, तो उसे इस कदर व्यवस्था घेर लेगी कि या तो वह आत्महत्या कर लेगा या दयनीय पात्र बन जायेगा :

फेसबुक पर शांति भूषण प्रशांत भूषण के पक्ष में एक लंबी बहस

Avinash Das : एक समाजवादी सज्‍जन और एक दलितवादी पत्रकार ने पूछा है कि शांतिभूषण की फीस 25 लाख क्‍यों? मैं ये पूछना चाहता हूं कि शांतिभूषण या प्रशांत भूषण ने वंचितों, संघर्षशीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के पक्ष में जितनी भी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ी, क्‍या उनसे भी फीस के रूप में 25 लाख रुपये वसूले?

Lokpal- Gateway to the Promised World ?

Lokpal or Jan Lokpal or Ombudsman or whatever name you give to this organization, it is a person who is expected to act as a trusted intermediary between the Government and the general public which would act as a watchdog, an authority and a force to look into, receive, enquire into, act upon, prosecute and penalize corrupt public authorities.

अपने साथियों के भ्रष्टाचार पर अन्ना की चुप्पी के खिलाफ जंतर-मंतर पर होगा प्रदर्शन

: 25 अप्रैल को “न्याय करो अन्ना” की मांग के साथ जंतर मंतर पहुंचिए : भूषण पिता-पुत्र पर लगे आरोपों की जांच करवाएं अन्ना : इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एंड डोक्यूमेंटेशन इन सोशल साइंसेज (आईआरडीएस),  नेशनल आरटीआई फोरम तथा अन्य सहयोगी संगठनों द्वारा “न्याय करो अन्ना” की मांग के साथ एक प्रदर्शन का आयोजन 25 अप्रैल 2011 को 10 बजे से 1.30 बज तक जंतर मंतर पर किया जा रहा है.

अमर सिंह ने अपने ब्लाग पर भी भूषण पिता-पुत्र को दौड़ाया

अमर सिंह पिछले कुछ दिनों से अच्छा खासा मनोरंजन कर रहे हैं. देश की जनता मजे ले रही है. अमर सिंह टीवी पर प्रकट होकर जिस जिस तरह की आवाजें निकालकर भूषण पिता पुत्र को गरिया रहे हैं, वो बहुतों को पसंद आया. खुद को झंडूबाम कहने वाले अमर सिंह की खासियत यह है कि जब वे आगबबूला होते हैं किसी के खिलाफ तो झंडूबाम नहीं बल्कि बम हो जाते हैं.

भूषण पिता पुत्र का एक और कारनामा, माया सरकार से खूब ली माया

पुराना बवाल खत्म नहीं हो रहा है कि नया बवाल शुरू हो जा रहा है. ताजी खबर यह है कि शांति भूषण प्रशांत भूषण फेमिली प्राइवेट लिमिटेड ने यूपी की मायावती सरकार से भरपूर माया दबाया है. इन पिता-पुत्र ने करीब सात करोड़ रुपये के दो फार्महाउस मार्केट रेट से करीब वन फोर्थ सस्ते में झटक लिया. और, माया सरकार ने माया हस्तांतरण का ये कारनामा अपने विवेकाधीन कोटे से किया है. इस नए घटनाक्रम से शांति और प्रशांत की खराब चल रही शांतिपूर्ण जिंदगी में खलल की मात्रा और ज्यादा बढ़ गई है.

किस मुस्लिम नेता ने दिल्ली के पत्रकारों को पीसी में दो हजार रुपये बंटवाए?

मेल टुडे में आज एक न्यूज पब्लिश हुई है. RAISINA Tattle शीर्षक के वाले कालम में प्रकाशित न्यूज के मुताबिक पिछले दिनों दिल्ली में एक प्रमुख मुस्लिम संगठन की तरफ से आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों को लिफाफे में बंद कर दो दो हजार रुपये दिए गए. कुछ पत्रकारों ने जब लिफाफा खोलकर देखा तो उनके होश उड़ गए. इन लोगों ने तुरंत मुस्लिम नेता से शिकायत की और लिफाफे लौटा दिए. मुस्लिम नेता बचाव की मुद्रा में आ गए और उन्होंने इस करतूत को अपने मीडिया मैनेजरों पर थोप दिया.

भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम का पहला राउंड सोनिया गाँधी ने जीता

शेष नारायण सिंह: एक विश्लेषण : अन्ना हजारे का आन्दोलन उच्चकोटि की राजनीति का उदाहरण है : पर आसानी से हार नहीं मानने वाले हैं हमारे देश के प्रोफेशनल नेता : अन्ना हजारे के अनिश्चितकालीन अनशन के दौरान मैं अस्पताल में पड़ा था. मुझे तो पीड़ा थी लेकिन डाक्टरों ने कहा कि बहुत ही मामूली बीमारी है. जो भी हो उस दौर में कुछ लिख नहीं पाया.

घनघोर दिनों में अचानक इतना उजास… क्या यही चमत्कार है!

नीरज भूषण भावनाओं का महल, मृगतृष्णाओं का पहाड़; सूनी-सहमी आत्माएं, अवाक खड़ा देश…  कहीं यह अप्रैल फूल तो नहीं : तब हमें देश की जनसँख्या बताई गई थी. हम सवा अरब हो चुके थे. इतने सारे मानव. इतने सारे. हमें लगने लगा– चंद दानवों को तो चुटकी में ही मसल देंगे. तभी हमनें दर्जन भर क्रिकेट खेलने वाले देशों की महफिल में वर्ल्ड कप पर भी कब्ज़ा जमाया था.

जब तक मैं जिंदा हूं, ब्लैकमेल करता रहूंगा : अन्ना हजारे

अन्ना हजारे को पकड़ने की होड़ मीडिया हाउसों में लगी हुई है. सब उन्हें गेस्ट एडिटर बना रहे हैं. शुरुआत की टाइम्स आफ इंडिया ने. उसके बाद भास्कर वालों ने अन्ना को पकड़ा. टाइम्स आफ इंडिया आफिस में अन्ना ने पत्रकारों के सवालों के जवाब भी दिए. अन्ना के टीओआई व नभाटा के गेस्ट एडिटर बनाए जाने पर एक रिपोर्ट नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हुई है. इस रिपोर्ट को पढ़ने से पता चलता है कि अन्ना का विजन व विश्वास कितना साफ है. रिपोर्ट इस प्रकार है…

अन्ना की चिट्ठी में सोनिया से सवाल, दिग्गी को फटकार

सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर जज ने करप्शन पर चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए राहुल गांधी को पत्र लिखा तो राहुल ने ऐसा जवाब दिया कि इस जवाब में खुद राहुल फंस गए और उनकी फजीहत होने लगी. अब अन्ना हजारे ने राहुल की मां को लेटर लिख दिया है. इस चिट्ठी में अन्ना हजारे ने ऐसी बातें कहीं हैं जिसका जवाब सोनिया गांधी को देना होगा और यकीन मानिए, सोनिया बोलेंगी तो फंसेंगी. चोरों की सरकार की माता उर्फ संरक्षणदाता तो वही हैं. आइए, पढ़ते हैं, अन्ना ने आखिर लिखा क्या है…

ये है अमर सिंह – शांति भूषण – मुलायम सिंह यादव की बातचीत का टेप, आडियो प्लेयर पर क्लिक करके सुनें

जिस टेप ने भूषण पिता-पुत्र की नींद हराम कर रखी है, पुलिस में शिकायत दर्ज करने को मजबूर किया, फोरेंसिक एक्सपर्ट्स से जांच करवाना पड़ा, और जिस टेप ने अन्ना हजारे की टीम में विभेद पैदा करने की कोशिश की, उस टेप को पहली बार पब्लिकली प्रसारित किया जा रहा है. और यह प्रसारण भड़ास4मीडिया पर आप यहीं सुनेंगे.

शांति भूषण की ईमानदारी की गारंटी नहीं देंगे अन्ना हजारे

: स्वामी अग्निवेश ने शांति भूषण सीडी प्रकरण में अमर सिंह का हाथ होने का शक जताया : शांति भूषण को लेकर जो सीडी इस समय चर्चा में है, उसे अमर सिंह से जोड़ा जा रहा है. स्वामी अग्निवेश का कहना है कि शांति भूषण सीडी प्रकरण में अमर सिंह पर शक हो रहा है. स्वामी अग्निवेश का कहना है कि उन्हें उनके करीबी लोगों ने जो जानकारी दी उसके मुताबिक अमर सिंह अपनी खाल बचाने के लिए सीडी का इस्तेमाल कर सकते हैं. स्वामी अग्निवेश का कहना है कि शांति भूषण ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी है, इसलिए उनके कई बड़े दुश्मन हो सकते हैं.

राहुल गांधी से ऐसे घटिया जवाब की उम्मीद नहीं थी

यशवंत सिंहराहुल जब दलित के घर जाकर रात में रुकते हैं, वो हीरो बनना नहीं था. राहुल जब यूपी की सड़कों पर गाड़ियों के काफिले के साथ यात्रा करते हैं तो वो हीरो बनना नहीं था. अन्ना हजारे अगर आमरण अनशन कर बैठे और भ्रष्टाचार के खिलाफ हल्लाबोल कर बैठे तो यह इसलिए कर बैठे क्योंकि वो हीरो बनना चाहते थे. बहत्तर वर्ष का आदमी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सार्थक बिल लाने की मांग करते हुए आमरण अनशन कर देता है और देश भर के लोगों को अपने साथ कनेक्ट कर लेता है, तो यह परिघटना राहुल को पच नहीं रहा.

शांति और प्रशांत भूषण के खिलाफ स्टांप चोरी का वाद दायर, जवाब तलब

: 1.33 करोड़ के स्टाम्प शुल्क कमी से लटकी रजिस्ट्री : 20 करोड़ की भूमि एक लाख में ली : इलाहाबाद के पॉश इलाके सिविल लाइंस में लगभग बीस करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति (भवन सहित 7818 वर्गमीटर भूमि) की पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण एवं उनके वरिष्ठï वकील पुत्र प्रशान्त भूषण, द्वितीय पुत्र जयन्त भूषण एवं पुत्री शेफाली भूषण द्वारा करायी जा रही रजिस्ट्री एक करोड़ तैंतीस लाख सात हजार नौ सौ रुपये मूल्य के स्टाम्प की कमी के कारण विवाद में फंस गयी है।

शांति भूषण और प्रशांत भूषण ने एक लाख में ले ली 20 करोड़ रुपये की संपत्ति

: लखनऊ और इलाहाबाद से प्रकाशित डेली न्यूज एक्टिविस्ट ने किया खुलासा : पिता-पुत्र ने किया स्टाम्प शुल्क कानून के प्रावधानों का उल्लंघन : इलाहाबाद। क्या आप विश्वास करेंगे कि कोई व्यक्ति 20 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की सम्पत्ति अपने किरायेदार को मात्र एक लाख रुपये में ‘एग्रीमेंट टू सेल’ कर देगा। नहीं न, लेकिन यह एक चौंकाने वाली हकीकत है।

खैर मनाएं कि मैंने बरखा दत्त पर चप्पल नहीं फेंका : योगेश शीतल

योगेश कुमार शीतल: इंटरव्यू : बिहार के बेगूसराय के रहने वाले योगेश कुमार शीतल के नाम में भले ही शीतल शब्द जुड़ा है लेकिन हैं वे फायरब्रांड. उनकी कद काठी और चेहरे मोहरे से आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि उनके दिल में भ्रष्ट व्यवस्था और भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कितनी आग है. योगेश कुमार शीतल ने इंडिया गेट पर करप्शन के खिलाफ जनसैलाब को कवर करने आईं एनडीटीवी की ग्रुप एडिटर बरखा दत्त को भागने पर मजबूर कर दिया.

Why Media and Civil society failed to raise Corruption issue in Bihar?

The Anna Hazare wave has reached Bihar like in many other parts of the country. Students, teachers, senior citizens and many activists took to roads on Friday expressing their solidarity to Anna Hazare, who is on fast unto death to pressurize government for bringing Jan Lok Pal Bill to curb rampant corruption in our system. Corruption is all pervasive and accepted fact of our life.

बरखा के खिलाफ मुहिम तो 6 अप्रैल को ही शुरू हो गयी थी…

वरिष्ठ पत्रकार अनंत मित्तल की अगुवाई में लगभग 50 मीडिया छात्र और पत्रकार 6 अप्रैल को जंतर मंतर पर पूरे दिन अन्ना के समर्थन में उपवास पर बैठे थे… उसी दिन शाम को एनडीटीवी का रिपोर्टर आया और हम सबसे कहने लगा कि अन्ना के आन्दोलन पर बरखा दत्त लाइव कर रही हैं, आप लोग आ जायें… लेकिन इस पर अनंत जी ने बरखा का नाम सुनते ही मना कर दिया उन्होंने कहा कि पत्रकारों की फजीहत कराने वाली बरखा दत्त को कोई अधिकार नहीं है भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रोग्राम करने का…

नीरा राडिया की दलाल बरखा दत्त वापस जाओ!

[caption id="attachment_20106" align="alignnone" width="505"]योगेश कुमार शीतल : शानदार कामयोगेश कुमार शीतल : शानदार काम[/caption]

: इंडिया गेट पहुंची बरखा को जनविरोध के कारण भागना पड़ा : नारेबाजी की शुरुआत करने वाले आईआईएमसी छात्र को डर है कि एनडीटीवी उस पर झूठा केस कर सकता है :

जागरण वालों ने अन्ना के नाम पर माल पीटा

भ्रष्टाचार मिटे या न मिटे, लेकिन दैनिक जागरण वालों ने अपने खजाने में कुछ माल बढ़ा लिया है भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना के अभियान से. आप अचरज में पड़ जाएंगे कि आखिर कैसे. बताते हैं आपको. ये तो आप जानते ही हैं कि धंधा करने में जागरण वाले बहुत तेज हैं. तन बेच देंगे, मन बेच देंगे, मुर्दे का कफन बेच देंगे और जरूरी हुआ तो वतन भी बेच देंगे. इसी टाइप की सोच से प्रेरित जागरण समूह से आप भी धंधा करना सीख सकते हैं. धंधा करने का इनके हिसाब से मतलब यही होता है कि कोई भी मौका मत छोड़िए.

”एनडीटीवी वाले मुझे झूठे केस में फंसा सकते हैं”

[caption id="attachment_20105" align="alignleft" width="94"]योगेशयोगेश[/caption]इंडिया गेट पर बरखा दत्त के लाइव प्रागाम में मेरे कुछ साथियों को शामिल होने के लिए बुलाया गया था। कार्यक्रम में बरखा को देख मैं अपने पर नियंत्रण कर पाने में असफल हो गया और आपस में ये निर्णय करके कि बरखा को इस मौके पर रिर्पोटिंग का नैतिक अधिकार नहीं है हमलोगों ने चप्पल चलानी चाही, लेकिन एक साथी के कहने पर ठहर गए।

जंतर मंतर डायरी – पांच

: अन्ना, जेएस वर्मा की यही ईमानदारी है! : पिछले पांच अप्रैल से दिल्ली के जंतर-मंतर पर आमरण अनशन कर रहे अन्ना हजारे की ओर से जन लोकपाल बिल को लेकर कुछ सुझाव आये हैं। उन सुझावों को कल शाम मीडिया से साझा करते हुए आंदोलन के मुख्य सहयोगी अरविंद केजरिवाल ने बताया कि ‘अन्ना चाहते हैं, जन लोकपाल के मसौदा समिति का अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायधीश जेएस वर्मा या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश रह चुके संतोष  हेगड़े को बनाया जाये।’

हाईकोर्ट, प्रेस क्लब और जंतर-मंतर : एक रोजनामचा

कल दिल्ली हाईकोर्ट गया था. एचटी मीडिया ने जो मानहानि का मुकदमा कर रखा है उसी की तारीख थी. कोर्ट में क्या क्या हुआ और आगे क्या होने वाला है, उसकी जानकारी आप नीचे के वीडियो लिंक पर क्लिक करके देख-सुन सकते हैं. वहां से जब फ्री हुआ तो प्रेस क्लब आफ इंडिया गया. खाना खाने. प्रेस क्लब में नए लोग जबसे चुनाव जीतकर आए हैं तबसे जाना नहीं हुआ.

फेसबुक पर अन्ना को लेकर दिलीप मंडल और प्रमोद जोशी आमने-सामने

फेसबुक पर इन दिनों अन्ना ही अन्ना छाए हैं. दिलीप मंडल ने कुछ शंकाएं जाहिर की हैं. उन शंकाओं का समाधान किस तरह हो रहा है, आप देख-पढ़ सकते हैं. बहुत रोचक बहस है. आपभी इसमें शरीक हों. शुरुआत दिलीप के उस स्टेटस से, जिस पर बहस शुरू हुई- Dilip Mandal : लोकपाल बिल बनाने के लिए सिविल सोसायटी के सदस्यों का चुनाव कैसे होगा? सिक्का उछालकर? अन्ना के लिए गानो वालों, हमारा ज्ञान बढ़ाओ। हम तो सिविल सोसायटी हैं नहीं। आप हो, तो बताओ?

जंतर मंतर डायरी – तीन

दिल्ली में एक जगह है जंतर-मंतर। वहां तीन दिन से अन्ना हजारे धरना दे रहे हैं। उनके धरने को देखने बहुत लोग लगातार जा रहे हैं। वहां से लौट रहे लोग बता रहे हैं कि अन्ना हजारे के जज्बात देखने लायक हैं। 78 वर्ष की उम्र में उन्होंने महाराष्ट्र से दिल्ली आकर जो काम कर दिखाया है, वह कोई नहीं कर सका है। लोग यह भी कह रहे हैं कि उन्होंने एक ऐसा अनशन किया है जो देश में भ्रष्टाचार खत्म करने के बाद ही खत्म होगा। जोशीले  लोग इसी बात को ‘दूसरे गांधी का दूसरा स्वतंत्रता आंदोलन’ के रूप में समझाने की कोशिश कर रहे हैं।

जंतर मंतर डायरी – दो

किशन बाबूराव हजारे ऊर्फ अण्णा हजारे मंगलवार से दिल्ली के जंतर-मंतर पर बैठे हैं. वे कुछ खा -पी नहीं रहे हैं. उनकी मांग है कि सरकार जन लोकपाल विधेयक को पास करे. उन्होंने घोषणा की है कि अगर सरकार जन लोकपाल विधेयक को पास नहीं करेगी तो वे यहीं बैठे-बैठे जान दे देंगे. उनके समर्थन में वहाँ 169 अन्य लोगों ने भी आमरण  अनशन  कर लिया है. मीडिया में लगातार खबरे आ रहीं हैं कि अण्णा के समर्थन में देश के अन्य शहरों में भी बड़ी संख्या में लोगों ने खाना-पीना छोड़ दिया है.

जंतर मंतर डायरी – एक

अजय प्रकाश: भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्नावतार : ये अन्ना के आमरण अनशन की पहली सुबह थी. कल से लगातार खट रहे कैमरे खामोश थे और मीडिया वाले ऊंघ रहे थे. कुछ चाय की चुस्कियों से अपनी थकान मिटाने की कोशिश कर रहे थे. तो कुछ चहलकदमी करके पैरो में सिमट आई एकरसता तोड़ रहे थे. सूरज आसमान में चढ़ रहा था और जिंदगी फुटपाथ पर उतरने लगी थी. अन्ना के समर्थन में लगे नारों -पोस्टरों को देख लोगबाग पूछे जा रहे थे, जन लोकपाल बिल क्या होता है.

क्या टाई के बगैर गंभीर पत्रकारिता नहीं हो सकती?

काश , शरद जोशी आज जिंदा होते! तो शरद जोशी को सचमुच बहुत सुख मिलता यह देख कर कि लापतागंज (सब टीवी पर आने वाला उनकी कहानिओं पर आधारित सीरिअल) उनकी महज़ एक व्यंग्यात्मक कल्पना नहीं थी बल्कि यह हकीकत है. और इसे हकीकत बनाया है “खबर हर कीमत पर”  का दम भरने वाले एक हिंदी खबरिया चैनल, IBN7 ने.  यह बात हमारे जैसे तमाम दर्शकों को पता ही नहीं चलती अगर आपने (यशवंत) हमें उकसाया नहीं होता IBN7 देखने के लिए, यह कह कर कि यह चैनल अन्ना हजारे के अनशन का बेहद व्यापक कवेरेज कर रहा है.

अन्ना हजारे का अनशन एक ड्रामा है!

लेखक मदन कुमार तिवारी बिहार के गया जिले के हैं. वहां एक धाकड़ वकील के रूप में जाने जाते हैं. भड़ास से लंबे समय से जुड़े हुए हैं. बेबाकबयानी के लिए चर्चित हैं. भड़ास में प्रकाशित होने वाले आलेखों पर खुलकर टिप्पणी देते रहते हैं. उन्होंने अन्ना हजारे के आंदोलन की जो लहर चल रही है, उसमें उल्टी दिशा में तैरने की कोशिश की है. इस बाबत उन्होंने एक संक्षिप्त पत्र भी मुझे लिखा है, पत्र पढ़ने के बाद उनका लेख पढ़ें. पत्र यूं है-

लोकपाल पद पर बैठे किसी आदमी में हिटलर की आत्मा प्रवेश कर गई तो?

Ajit Anjum : सैद्धांतिक तौर पर मैं अन्ना हजारे के साथ हूं. भ्रष्ट नेताओं और नौकरशाहों पर नकेल कसने की ताकत से लैश लोकपाल इस देश में होना ही चाहिए. लेकिन अब मेरे जेहन में एक सवाल है. मैंने अन्ना की टीम की तरफ से तैयार जन लोकपाल बिल को दो बार पढ़ा है. इसमें लोकपाल को असीम अधिकार दिए जाने की बात कही गई है. इसके खतरे भी हैं. अगर लोकपाल के पद पर कोई बैठे किसी आदमी में हिटलर की आत्मा प्रवेश कर गई तो?

एक कार्टूनिस्ट की नजर में अन्ना का आंदोलन

जनसंदेश टाइम्स अखबार के सीनियर डिजायनर सुशील दोशी ने अन्ना हजार के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान पर एक कार्टून बनाकर भेजा है. उसे यहां प्रकाशित किया जा रहा है. अन्ना हजारे के आंदोलन को मीडिया ने जोरदार तरीके से सपोर्ट किया है. अखबारों और चैनलों ने भरपूर कवरेज दिया है और दे रहे हैं. यह बहुत अच्छी स्थिति है. उम्मीद बंधने लगी है कि बाजार के लाख दबाव के बावजूद कुछ करने की गुंजाइश है. और यह भी कि आखिरकार जनता की भावनाओं को देर तक दबाया और इगनोर नहीं किया जा सकता. फिलहाल ये कार्टून देखें…

सोनिया मांग मान लेंगी और अन्ना का आंदोलन खत्म करा देंगी!

: देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए अन्ना के साथ खड़े हो जाएं : एक सज्जन कह रहे थे, देखना, सोनिया गांधी बहुत ऊंची राजनीतिज्ञ हैं। वह अन्ना हजारे की मांग मान लेंगी और उनका आंदोलन खत्म करा देंगी। मेरे मन में यह सवाल बार-बार उठ रहा है कि अगर मांगें मानकर आंदोलन खत्म कराना है, तो इसमें ऊंचा होना कहां हुआ? ऊंचे तो अन्ना हजारे ही साबित हुए, जिन्होंने कुंभकर्णों को अहसास करा दिया है कि भारत की जनता को निर्जीव मानने की भूल करोगे, तो पछताओगे।

उत्तर प्रदेश के दो भ्रष्‍ट मंत्रियों की छुट्टी

: ये हैं अनंत कुमार सिंह अंतू और बाबू सिंह कुशवाहा : भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे देश में माहौल बनता जा रहा है. दिल्ली में अन्ना हजारे अनशन पर बैठे तो शरद पवार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बने मंत्रियों के समूह से इस्तीफा देना पड़ा. आज खबर यूपी से है. हालांकि यूपी में जो हुआ है उसका सीधा संबंध अन्ना हजारे के अनशन से नहीं है लेकिन कहीं न कहीं ये माना जा रहा है कि जनता में भ्रष्टाचार के खिलाफ पैदा हुए आक्रोश को देखते हुए कई प्रदेशों के मुख्यमंत्री अब भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने लगे हैं.

अन्ना हजारे के पास पहुंचिए… आईबीएन7 देखते रहिए…

: रवीश कुमार का भाषण देना और गोपाल राय का आमरण अनशन में भागीदारी करना अच्छा लगा : कल अन्ना हजारे के पास मैं गया था. जंतर-मंतर. वहां मेला लगा है. जी, मेला. क्रांतिकारियों का मेला. आंदोलनकारियों का मेला. बदलावपरस्तों का मेला. बहुत दिनों बाद बहुत अच्छा लग रहा था. अचानक अचानक कोई न कोई मिल जा रहा था. चितरंजन सिंह, विपुल, अविनाश, संजय, नवीन, हरपाल, गोपाल राय…. न जाने कितने लोग.