अख़बार कर्मियों की तनख़्वाह निर्धारित करने के लिए बने छठे वेज बोर्ड की सिफ़ारिशों को मालिक लॉबी किसी हालत में लागू नहीं होने देना चाहती. अख़बार मालिकों की संस्था इंडियन न्यूज़ पेपर्स सोसायटी (आइएनएस) जस्टिस मजीठिया कमेटी की रिपोर्ट का मखौल उड़ाने में जुटी है. अपने कुतर्कों को सही ठहराने के लिए उसने अख़बारों में लेख छापकर और विज्ञापन देकर सरकार पर दबाव बनाने की मुहिम छेड़ी हुई है.
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जनपक्षधरता के लिए पत्रकार का एक्टिविस्ट होना भी ज़रूरी है
“आइए हेम चंद्र पांडे को याद करें. हेम एक्टिविस्ट पत्रकारों की उस परंपरा में आते हैं जो जॉन रीड, एडगर स्नो, जैक बेल्डेन, हरीश मुखर्जी, ब्रह्मा बंधोपाध्याय से लेकर सरोज दत्त तक फ़ैली है. इस परंपरा में वे अज्ञात किंतु सचेत पत्रकार भी शामिल हैं जो हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों में न्याय के पक्ष में साहस के साथ खड़े हैं.” सुमंतो बनर्जी ने जब पत्रकार हेम चंद्र पांडे के पहले शहादत दिवस पर ये महत्वपूर्ण बातें कही तो लोगों को हेम होने के मतलब को नए सिरे से समझने में मदद मिली.
पवित्र गाय नहीं बीबीसी!
ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग सर्विस (बीबीसी) हिंदी प्रसारण के जारी रहने पर कौन लोग ख़ुश हैं? क्यों ख़ुश हैं? यह ख़ुशी कितनी जायज़ है? इन बातों को जानने के लिए ज़रूरी है भारतीय मीडिया में बीबीसी के होने के मतलब समझे जाएं. उनकी नीर-क्षीर विवेचना की जाए. ऐसा तभी हो सकता है जब बीबीसी को पवित्र गाय मानने से बचा जाए.