समय से आगे देखने की जरूरत : डॉ. सुभाष राय

: उपन्यासकार रवीन्द्र प्रभात का नागरिक अभिनन्दन :  बाराबंकी-रामनगर । आज समय के आगे देखने की जरूरत है। जब हम अपने वर्तमान में खड़े होंगे तभी समय के आगे देख सकेंगे। अपने समय के सच से जनता को रूबरू कराना मीडिया का काम है। कबीर और बुद्ध अपने समय में रहकर समय के आगे की दृष्टि अर्जित करने वाले अपने समय के प्रतिनिधि महापुरूष हैं।

ब्लाग जगत के चंद नियतिहीन कोनों में दम नहीं : मृणाल

मृणाल पांडेइक्कीसवीं सदी के इस पहले दशक ने हिंदी मीडिया को ऐतिहासिक रूप से एक विशाल उपभोक्ता-वर्ग दिला दिया है। और हिंदी की विशाल पट्टी के ग्यारह राज्यों की जनता तक सूचनाओं का इकलौता राजपथ बना हिंदी मीडिया हमें भारत की सूचना-प्रसार दुनिया का बेताज बादशाह नजर आता है। अगर हिंदी पत्रकारिता के पुरोधाओं के सपने संसाधनों के अभाव में साकार नहीं हो पा रहे थे, तो विज्ञापनों की प्रचुर आमदनी से दमकते हिंदी मीडिया को अब तो समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों, संसाधनों को लूटने वाले हर वर्ग से पूरे आत्मविश्वास के साथ बार-बार मोर्चा लेना चाहिए था।

जवाब हम देंगे (3)

नर्क का द्वार नहीं है नया मीडिया

पिछले हफ्ते इसी दिन हिन्दुस्तान की संपादक मृणाल पांडेय ने नये मीडिया के नाम पर एक लेख लिखा था. अपने लेखनुमा संपादकीय में उन्होंने और बातों के अलावा समापन किया था कि नया मीडिया घटिया व गैर-जिम्मेदार है. बाकी लेख में वे जो कह रही हों पर इस एक वाक्य पर ऐतराज जताने का हक बनता है. नये मीडिया के बारे में जानने से पहले जानें कि मृणाल की नये मीडिया के बारे में यह धारणा बनी क्यों?