जीवन और समाज की कहानी सुनातीं कुछ तस्वीरें

तस्वीरें सीधे दिल और दिमाग पर असर करती हैं. और कई कई बार देखने के बाद तस्वीरों से कई कई नए अर्थ निकलते हैं. फेसबुक पर कुछ ऐसी तस्वीरें मिलीं, जो ठिठक कर सोचने को मजबूर करती हैं. जनसत्ता के संपादक ओम थानवी ने अपने एक युवा दिनों की तस्वीर डाली है, यह लिखकर- ”पुत्र डॉ मिहिर ने कहीं घर के कबाड़ से मेरा यह फ़ोटो ढूंढ़ निकाला है! पता नहीं कब किसने कहाँ खींचा था. फिर भी, सुकूते-आरज़ी … “फूल खिले शाखों पे नए और रंग पुराने याद आए!”…”

ये है बुलंदशहर में मायाराज प्रायोजित जाम में फंसी दलित महिला के मौत के दृश्य

[caption id="attachment_19696" align="alignleft" width="94"]स्वर्गीय गीतास्वर्गीय गीता[/caption]कभी किसी मां को बिना वजह थाने में बिठा दिया जाता है, क्योंकि ये यूपी है और यहां क्रिमिनल गवरनेंस है, कभी किसी मां की पुलिस-प्रशासन द्वारा लगाए गए जाम में मौत हो जाती है, क्योंकि ये यूपी है और यहां अंसवेदनशीलों का राजपाठ है. बुलंदशहर की घटना लोमहर्षक है. अफसरों का रेला, फौजफाटा लेकिन सब काठ के पुतले. किसी में दिल नहीं जो एंबुलेंस में बैठे मरीज व उसके परिजनों की गुहार को सुने.

माया के दौरे ने ली दलित महिला की बलि, पुलिस-प्रशासन-मीडिया की घिग्घी बंधी

[caption id="attachment_19693" align="alignleft" width="261"]जाम में फंसे एंबुलेंस में मृत गीताजाम में फंसे एंबुलेंस में मृत गीता[/caption]: माया की सुरक्षा के नाम पर रचित जटिल जाम में फंसकर बीमार महिला का तिल-तिल कर मरना…. उधर सड़क पर मायावती जिंदाबाद होता रहा इधर एंबुलेंस में महिला के परिजन विलाप करते रहे…. संबंधित वीडियो भड़ास4मीडिया पर जल्द : दलित महिला की मौत से डरे अफसरों ने मीडिया को पटाया और इस तरह खबर का भी प्राणांत हो गया :