शीतल बने राष्ट्रीय सहारा देहरादून के एडिटर

: राष्ट्रीय सहारा में कई बड़े फेरबदल : दयाशंकर राय लखनऊ के एडिटर : अमर सिंह बनारस के यूनिट हेड : स्नेह रंजन बनारस के संपादक : प्रोडक्शन हेड एलएस भाटी लखनऊ से बनारस भेजे गए : सहारा मीडिया के प्रिंट सेक्शन में कई बदलावों की खबर है. राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ यूनिट का स्थानीय संपादक दयाशंकर राय को बना दिया गया है. दयाशंकर अभी तक देहरादून यूनिट के स्थानीय संपादक थे. देहरादून में आरई पद पर एलएन शीतल को लाया गया है जो अभी तक ग्वालियर के अखबार आदित्याज के सीईओ व एडिटर इन चीफ हुआ करते थे.

राष्ट्रीय सहारा, देहरादून के संपादक बने दयाशंकर राय

राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ के न्यूज एडिटर दयाशंकर राय को राष्ट्रीय सहारा, देहरादून का प्रभार संभालने का निर्देश प्रबंधन ने दे दिया है। इस यूनिट में लंबे समय से कोई संपादक नहीं है। राजेश श्रीनेत के इस्तीफा देने के बाद से संपादकीय विभाग के तीन वरिष्ठ लोग जा चुके हैं जिसमें सुनील शाह ने अभी कल ही इस्तीफा दिया। इस हालत में सहारा प्रबंधन के पास तत्काल किसी वरिष्ठ को भेजने के अलावा कोई चारा नहीं था।

दयाशंकर पिछड़ गए, मनोज तोमर नए आरई

राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ के स्थानीय संपादक पद पर मनोज तोमर की ताजपोशी कर दी गई है। मनोज तोमर अभी तक राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ में ही प्रादेशिक डेस्क के इंचार्ज के रूप में काम देख रहे थे। सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठता के लिहाज से देखा जाए तो शहर संस्करण देख रहे दयाशंकर राय को स्थानीय संपादक बनाया जाना चाहिए था। लेकिन प्रबंधन ने कल एक मीटिंग कर मनोज तोमर के नाम का ऐलान नए आरई के रूप में किया।

राष्ट्रीय सहारा, देहरादून के आरई का नोएडा तबादला

राष्ट्रीय सहारा में बदलाव का दौर जारी है। लखनऊ के बाद अब राष्ट्रीय सहारा, देहरादून के स्थानीय संपादक का तबादला कर दिया गया है। सहारा देहरादून यूनिट के आरई राजेश श्रीनेत अब सहारा के नोएडा मुख्यालय बुला लिए गए हैं। बताया जाता है कि उनका तबादला प्रशासनिक वजहों से किया गया है। उधर, राष्ट्रीय सहारा के लखनऊ के स्थानीय संपादक अनिल भास्कर का नोएडा तबादला किए जाने के बाद संपादकीय कामकाज देखने के लिए एडिटोरियल के दो वरिष्ठों दयाशंकर राय और मनोज तोमर के नेतृत्व में कमेटी गठित कर दी गई है। ये दोनों लोग मिलकर अखबार के रोजाना के कामकाज निपटा रहे हैं। प्रिंट लाइन में स्थानीय संपादक के रूप में अभी किसी का नाम नहीं जा रहा है।

ग्रामीण पत्रकारों की हालत सुधारने की जरूरत