साहित्य बब्बन यादव की पिंकी बनाम लोक कवि की भोजपुरी उपन्यास - लोक कवि अब गाते नहीं (11 और अंतिम) : जाने यह टूटना उनका भोजपुरी भाषा की बढ़ती दुर्दशा को लेकर था या... bhadas4media.comMarch 8, 2011
साहित्य पर सट्टा करने के पहले पूछते हैं कि लड़कियां कितनी होंगी : असंपादित : उपन्यास - लोक कवि अब गाते नहीं (10) : मुख़्तसर में यह कि एक गांव की एक ठकुराइन भरी जवानी में... bhadas4media.comMarch 8, 2011
साहित्य मीनू मध्य प्रदेश से चल कर लखनऊ आई थी : उपन्यास - लोक कवि अब गाते नहीं (9) : कैसेट बजने लगा और लड़कियां नाचने लगीं। साथ-साथ लोक कवि भी इस डांस में... bhadas4media.comMarch 8, 2011
साहित्य तिवारी ने ‘ठांय’ से हवा में फायर किया तो सब लड़कियां भागने लगीं उपन्यास - लोक कवि अब गाते नहीं (8) : पोलादन चला तो आया गणेश तिवारी के घर से। पर रास्ते भर उनकी नीयत थाहता... bhadas4media.comMarch 8, 2011
साहित्य अब तो लखनऊ में आर्केस्ट्रा खोल लौंडियों को नचा कर कमा खा रहा : उपन्यास - लोक कवि अब गाते नहीं (7) : और आखि़र तब तक लोक कवि परेशान रहे, बेहद परेशान ! जब तक कि... bhadas4media.comMarch 8, 2011
साहित्य लोक कवि के जीवन में यादवों का योगदान : उपन्यास - लोक कवि अब गाते नहीं (5) : कुछ दिन बाद चेयरमैन साहब ने बाबू साहब और लोक कवि के बीच बातचीत... bhadas4media.comMarch 8, 2011
साहित्य लोक कवि ने सम्मान दिलाने को कहा तो पत्रकार ने डांसर की डिमांड की : उपन्यास - लोक कवि अब गाते नहीं (3) : कभी कभार तो अजब हो जाता। क्या था कि लोक कवि की टीम में... bhadas4media.comMarch 8, 2011
साहित्य ‘एक दिन तुम बहुत बड़ी कलाकार बनोगी’ कह कर उसे बांहों में भर लिया : उपन्यास - लोक कवि अब गाते नहीं (2) : चेयरमैन साहब को हालांकि लोक कवि बड़ा मान देते थे पर मिसिराइन पर अभी-अभी... bhadas4media.comMarch 8, 2011
साहित्य विनोद शुक्ला और घनश्याम पंकज जैसों के पापों को पत्रकारों की कई पीढियां भुगतेंगी : ऐसे लोग सूर्य प्रताप जैसे जुझारू पत्रकारों को दलाली में पारंगत करते रहेंगे : और अब तो प्रणव राय जैसे लोग भी बरखा... bhadas4media.comFebruary 15, 2011
साहित्य वह द्रौपदी शराब भी हो सकती थी, सफलता भी, लड़की भी हो सकती थी, पैसा भी… : उपन्यास - लोक कवि अब गाते नहीं (एक) : ‘तोहरे बर्फी ले मीठ मोर लबाही मितवा!’ गाते-बजाते लोक कवि अपने गांव से एक... bhadas4media.comJanuary 31, 2011
साहित्य शीघ्र पढ़ेंगे दनपा का उपन्यास ‘लोक कवि अब गाते नहीं’ : स्वर्गीय जय प्रकाश शाही की याद में लिखा गया है यह उपन्यास : स्वर्गीय बालेश्वर के जीवन के कई दुख-सुख हैं इसमें :... bhadas4media.comJanuary 20, 2011