जरूरी नहीं कि आप हिंदू हों तभी हिंदू देवताओं को गाली दिए जाने का विरोध करें. आप किसी धर्म मजहब, जाति संप्रदाय के हों, किसी को गाली देने का हर हाल में विरोध कर सकते हैं. एक अनीश्वरवादी भी किसी की धार्मिक भावनाओं को बुरी तरह आहत किए जाने के कृत्य का विरोधी हो सकता है. उदाहरण के तौर पर अमिताभ ठाकुर को ही लें. अमिताभ उन कुछ साहसी पुलिस अधिकारियों में से हैं जो समाज विरोधी ताकतों से तो बहादुरी से निपटते ही हैं, सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी हिम्मत के साथ मुखर रहते हैं. यकीन न हो तो ये पत्र पढ़िए.
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अब देवता को गाली, मैग्जीन पर पाबंदी
‘अंबेडकर टुडे’ मैग्जीन में ब्रह्मा को ‘बेटीचोद’ लिखा : बसपा के बड़े नेता हैं पत्रिका के संरक्षक : प्रतियों को जब्त करने के आदेश : टाइटिल निरस्त करने की कार्यवाही : सीबीसीआईडी जांच कराई जाएगी : तो लीजिये जनाब। देख लीजिए कि खरबूजे को देखकर खरबूजा किस तरह गिरगिट जैसा रंग बदलता है। संदर्भ है प्रिंट मीडिया। राष्ट्रीय सहारा ने जिस भाषावली का इस्तेमाल शुरू किया है उससे सबक लेकर और भी पत्र-पत्रिकाएं अपने कदम कई मील आगे तक बढा चुकी हैं।
गाली लिखने वाले रिपोर्टर की छुट्टी
अमर उजाला, बरेली के एचआर हेड हरीश राघव का इस्तीफा : कानपुर से सूचना है कि राष्ट्रीय सहारा अखबार में क्राइम की एक खबर में अपशब्दों का इस्तेमाल करने वाले क्राइम रिपोर्टर की छुट्टी कर दी गई है. इनका नाम मनीष है. पता यह भी चला है कि इस गल्ती के लिए कई वरिष्ठों की सेलरी भी काटी गई है. हालांकि इसकी आधिकारिक तौर पर अभी पुष्टि नहीं हो पाई है. सूत्रों का कहना है कि गल्ती प्रकाशित होने और इसके भड़ास4मीडिया में छप जाने के बाद सहारा के शीर्ष प्रबंधन ने दोषियों को शिनाख्त कर कार्रवाई करने के लिए कह दिया था.
सहारा वाले भांग खाकर काम करते हैं क्या?
सहारा वालों को क्या हो गया है. जैसे लगता है कि इन्हें अखबार में गंदी गाली या गंदे शब्द लिखने की विधिवत ट्रेनिंग दी गई हो. पटना में राष्ट्रीय सहारा के एक पत्रकार सज्जन ने पिछले दिनों जो लिखा, उसे भड़ास4मीडिया पर भी प्रकाशित किया गया था. उस मामले में कार्यवाही भी हुई थी, पर कई लोग बच भी गए थे.
‘लाठीचार्ज’ की जगह यह क्या छप गया!
डेस्क वाले बच गए, लिखने वाला रिपोर्टर सस्पेंड : राष्ट्रीय सहारा की एक और खबर सुनिए. पटना में इस अखबार में एक खबर में ‘लाठीचार्ज’ की जगह ‘लंडचार्ज’ छप जाने से बवाल मचा हुआ है. खबर लिखने वाले रिपोर्टर को सस्पेंड कर दिया गया है.
पत्रकारों को गरियाते अफसर को देखिए
इटावा के सीएमएस का कारनामा : पत्रकारों को मारने, पीटने एवं धमकाने की घटनाएं होती रहती हैं. ताजा मामला इटावा का है. यहां के डा. भीमराव अंबेडकर राजकीय संयुक्त चिकित्सालय में तैनात मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. शशि कुमार ने पत्रकारों को आन कैमरा ही गालियां दीं. अपने खिलाफ इटावा के अखबारों में लगातार छप रही खबरों से सी.एम.एस. पत्रकारों से खफा थे.