यश जी प्रणाम, “रोटी चुराने पर बच्चे को अपाहिज बनाया” (7 september 2010, कुमार सौवीर, भड़ास4मीडिया, दुःख-दर्द) वाक्या पढ़ के मैं भी अन्य पाठकों की तरह उत्तेजित हुआ. स्वाभाविक था. फिर मुझे याद आया एक ई-मेल जो 2004 से इन्टरनेट पे है. उपरोक्त घटना या यूं कहिये एक वाहियात किस्म का नुक्कड़ तमाशा, ईरान का है.
इस सन्दर्भ में बहुत जानकारी इन्टरनेट पे उपलब्ध है. जो फोटो खबर के साथ दिए गए हैं, वे उनमें थोड़ी कांट-छांट है. यदि आप सातवाँ फोटो देखेंगे तो पाएंगे के बालक ठीक ठाक है. यदि मुझे याद न आया होता तो मैंने तो भड़ास4मीडिया के सन्दर्भ से इस घटना की शिकायत सरकारी महकमों में कर दी होती. मैं तो यही मानता के ये घटना भारत के किसी स्थान की है. मेरी गुजारिश ये है के लेखकों को सन्दर्भ देना चाहिए. लेखकों का ई-मेल इत्यादि यदि संभव हो तो अवश्य दें ताकि उनसे सीधे संपर्क किया जा सके.
आपका समय खोटी किया, अतः हरजाने के रूप में एक ठुमरी अपलोड कर रहा हूँ.
आभार
कुशल
कुशल द्वारा भेजे गए गीत को होमपेज पर बाईं तरफ अपलोड कर दिया गया है. निर्मला देवी की आवाज में इस ठुमरी को एक सप्ताह तक भड़ास4मीडिया पर सुन सकते हैं. -एडिटर
कुमार सौवीर, महुआ न्यूज, लखनउ
September 9, 2010 at 5:51 am
हो सकता है कि आपकी बात सही हो। हां, यह सही है कि यह घटना ईरान की ही है। लेकिन तनिक सोचिए। हमारे देश में बच्चों से सडक के किनारे सर्कस कराया जाता है, रस्सी पर चलवाया जाता है। लेकिन भइया। एक भारी गाडी को एक मासूम की बांह पर चढा देना और उस समय उस बच्चे का आर्तनाद करता चेहरा। हे भगवान। यह कम त्रासद नहीं है। आपकी बात सही हो सकती है। लेकिन इतने कष्ट के बाद अगर बच्चे का हाथ सहीसलामत बचा भी रहा होगा, तो वह कम से कम हंस नहीं सकेगा। जरा पहिया चढते समय बच्चे की छटपटाहट और उसके चेहरे पर आर्तनाद देखिये, क्या इसके बाद भी बच्चा ठीकठाक रह सकता है? शायद नहीं। यह एक क्रूरतम कृत्य है।