राजीव शुक्ला दिन के कुल 24 घंटों में पूरे 48 घंटों का जीवन जीते हैं

राजीव शुक्ला: राजीव शुक्ला होने के अर्थ : राजीव शुक्ला अपने मुकाम पर पहुंच गए हैं। आज वे भारत सरकार में मंत्री है। और दूसरे शब्दों में कहा जाए तो वे उस सरकार का अंग हैं, जो देश की सवा सौ करोड़ जनता की किस्मत लिखने का काम करती हैं।

मीडिया को मरोड़ने वाले मारन की ‘मौत’ तय

निरंजन परिहारपहले तहलका। उसके बाद इकोनॉमिक टाइम्स। उनके साथ पूरे देश का मीडिया। फिर सीबीआई। और अब इस देश में सबकी माई ‘बाप’ सुप्रीम कोर्ट। दयानिधि मारन की हवा टाइट है। अब बोलती बंद है। लेकिन कुछ दिन पहले तक बहुत फां-फूं कर रहे थे। तहलका ने जब सबसे पहले मामला सामने लाया तो उसको मानहानि का दावा ठोंकने की धौंस दिखाई।

एसपी सिंह पर विशेष : मगर खबरें अभी और भी हैं…!

SP Singhवह शुक्रवार था। काला शुक्रवार। इतना काला कि वह काल बनकर आया। और हमारे एसपी को लील गया। 27 जून 1997 को भारतीय मीडिया के इतिहास में सबसे दारुण और दर्दनाक दिन कहा जा सकता है। उस दिन से आज तक पूरे चौदह साल हो गए। एसपी सिंह हमारे बीच में नहीं है। ऐसा बहुत लोग मानते हैं। लेकिन अपन नहीं मानते।

अमर सिंह को ठेंगे पर रखते थे अंबिकानंद सहाय!

मित्रों, कुछेक दागदार लोगों की वजह से मीडिया दलाली करने वालों की जमात जैसा लगने लगा है। हम सबने ऐसे कई दागी चेहरों पर से, नकाब उतारे। यह अच्छी बात है। लेकिन ऐसे घनघोर माहौल में भी अगर कुछ लोग दलालों के सामने नहीं झुके तो उनको सामने लाना जरूरी है। वरिष्ठ पत्रकार अंबिकानंद सहाय अमरसिंह को ठेंगे पर रखते थे। अपने से ज्यादा ताकतवर होने के बावजूद वे अमरसिंह के सामने कभी नहीं झुके। इसी पूरे मसले पर मेरा यह लेख पढ़ें… -निरंजन परिहार, वरिष्ठ पत्रकार, मुंबई

निरंजन परिहार की किताब राज बब्बर के हाथों विमोचित

[caption id="attachment_18217" align="alignleft" width="292"]पत्रकार निरंजन परिहार द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘जिन दर्शन, तिन चंद्रानन’ का विमोचन करते हुए फिल्म अभिनेता और कांग्रेस सांसद राज बब्बर, पूर्व केंद्रीय मंत्री सांसद डॉ. संजय सिंह, सूफी संत अरविंद गुरुजी, प्रवीण शाह, मोती सेमलानी, ललित शक्ति, संगीतकार राम शंकर व राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी।पत्रकार निरंजन परिहार द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘जिन दर्शन, तिन चंद्रानन’ का विमोचन करते हुए फिल्म अभिनेता और कांग्रेस सांसद राज बब्बर, पूर्व केंद्रीय मंत्री सांसद डॉ. संजय सिंह, सूफी संत अरविंद गुरुजी, प्रवीण शाह, मोती सेमलानी, ललित शक्ति, संगीतकार राम शंकर व राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी।[/caption]मुंबई । विख्यात फिल्म अभिनेता और कांग्रेस सांसद राज बब्बर ने मीडिया विशेषज्ञ निरंजन परिहार द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘जिन दर्शन, तिन चंद्रानन’ का निमोचन किया। राज बब्बर  ने इस अवसर पर कहा कि आज की सबसे बड़ी जरूरत युवा पीढ़ी को जगाने की है। अमेठी के राजा और पूर्व केंद्रीय मंत्री सांसद डॉ. संजय सिंह एवं सूफी संत अरविंद गुरुजी इस समारोह में विशिष्ट अतिथि थे।

 

मराठी ‘सारेगामा’ के फाइनल में दो गैर-मराठी

निरंजन परिहारमराठी सारेगामा के फाईनल में दो गैर मराठी भी पहुंय गए हैं। अब बताइए, बाल ठाकरे और राज ठाकरे उनका क्या उखाड़ लेंगे। ये लोग मुंबई में सिर्फ मराठियों को ही टैक्सी के तलाने के परमीट देने के लिए हो हल्ला मचा सकते हैं। लेकिन मराठियों में इतना माद्दा पैदा नहीं कर सके कि मराठी सारेगामा के फाइनल राउंड के तीनों प्रतियोगी मराठी ही होते। अभिलाषा चेलम तमिलनाड़ु मूल की हैं । दूसरा प्रतियोगी राहुल सक्सेना  उस उत्तर भारत का है, जिसके नाम से ही राज ठाकरे को लफरत के सपने आने लगते है। तीन में से ले – देकर एक अकेली मराठी हैं  उर्मिला धनगर। और वह भी मुंबई से कोई 80 किलोमीटर दूर बदलापुर की  रहनेवाली हैं।

पालिटिक्स की तरह मीडिया भी कबाड़ा

निरंजन परिहारप्रभाष जोशी भन्नाए हुए हैं। उनका दर्द यह है कि पत्रकारिता से सरोकार समाप्त हो रहा है। हर कोई बाजार की भेंट चढ़ गया है। क्या मालिक और क्या संपादक, सबके सब बाजारवाद के शिकार। कभी देश चलानेवाले नेताओं को मीडिया चलाता था। आज, मीडिया राजनेताओं से खबरों के बदले उनसे पैसे वसूलने लगा है। अगर ऐसे ही चलता रहा, तो सरोकार को समझने वाले लोग मीडिया में ढूंढ़े न मिलेंगे। हालात वैसे ही होंगे, जैसे राजनीति के हैं। वहां भी सरोकार खत्म हो रहे हैं। पद के लिए कोई कुछ भी करने को तैयार है। ऐसा विकास की गति के अचानक बहुत तेज होने का नतीजा है। भारत में अगर संचार साधनों का बेतहाशा विस्तार न हुआ होता, तो आज भारतीय मीडिया का यह विराट स्वरूप न होता। खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का बाजार हाल ही के कुछ सालों में बहुत तेजी से फला-फूला है। यह नया माध्यम है। सिर्फ दशक भर पुराना।

कलाम के साथ अमरीकी कमीनापन

[caption id="attachment_15330" align="alignleft"]निरंजन परिहारनिरंजन परिहार[/caption]एपीजे अब्दुल कलाम होने को भले ही आज भूतपूर्व राष्ट्रपति हैं लेकिन भारतीय परंपरा और कानून, भारत की जमीन पर तो क्या दुनिया के किसी भी देश में उनसे साधारण मनुष्य की तरह व्यवहार करने की इजाजत नहीं देता। वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी वीवीआईपी प्रोटोकॉल के हकदार हैं। लेकिन जिस देश के वे महामहिम रहे, उस अपने ही देश की राजधानी दिल्ली में अमेरिका की कांटिनेंटल एयरलाइन ने उनका जी भर कर अपमान किया।  भारत ने इस मामले में जब कांटिनेंटल एयरलाइन से माफी मांगने की बात कही, तो पहले तो साफ इंकार कर दिया। लेकिन संसद में खूब हंगामा हुआ तो मामले को बढ़ता देख, दो दिन बाद माफी मांग ली।

आईटीएन, मुंबई को निरंजन ने भी बोला बाय

निरंजन परिहारदो महीने से अवकाश पर चल रहे आईटीएन, मुंबई के सीनियर एडिटर निरंजन परिहार के बारे में सूचना है कि उन्होंने भी अपना इस्तीफा प्रबंधन के पास भेज दिया है। राजस्थान निवासी परिहार के बारे में बताया जाता है कि पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीतिक होने के चलते वे राजस्थान में विधानसभा चुनावों के दौरान अशोक गहलोत के साथ सक्रिय थे। सूत्रों का कहना है कि अशोक गहलोत के सत्ता में आने के बाद परिहार अब राजस्थान में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए काम करेंगे।