कानपुर प्रेस क्लब के चुनाव के लिये जारी जंग पर पानी भी फिरने लगा है और जंग भी लगनी शुरू हो गई है। जो लोग अन्तिम सांस तक प्रेस क्लब को अभंग देखना चाहते थे उसके पद और पदलाभ को अपनी बपौती मान बैठे थे, उन सारे के सारे लोगों ने धीरे-धीरे नयी कमेटी के चुनाव की बागडोर अपने हाथो में मैनेज कर ली है। जो युवा पत्रकार लोग परिवर्तन के लिये मुट्ठी ताने थे वे हाथ खोलकर खारिज प्रेस क्लब के मठाधीशों से घुल मिल गये लगते हैं।