पुलिस अफसर की जवांमर्दी और नपुंसक अखबार

आदरणीय यशवंत जी, संपादक, भड़ास4मीडिया, गाजीपुर पुलिस ने आपकी मां के साथ बीते दिनों जो अपमानजनक और अमानवीय व्यवहार किया था, वह अक्षम्य अपराध था और किसी भी दोषी पुलिसिये के खिलाफ कोई कार्रवाई आजतक नहीं हुई। यूपी पुलिस की हैकड़बाजी अब भी चालू है। और, पुलिसियों के इस नेक काम में बनारस के अखबार भी खुलकर साथ दे रहे हैं। आईजी राजेंद्रपाल सिंह की कार संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के सामने से बुधवार को गुजर रही थी। तभी उनकी कार की एक मार्शल या बोलेरो से टक्कर हो गयी। एक पुलिस अधिकारी ने उतर कर न सिर्फ स्वयं गाड़ी चालक व उसके साथ बैठे युवकों को धुना बल्कि साथ चल रहे अर्दली पुलिसियों को ललकार कर युवकों को पिटवाया। पहले  तो अर्दली टाइप पुलिसिये युवकों को थप्पड़ रसीद कर रहे थे तब अधिकारी ने ललकार कर कहा-लाठियों से पीटो।

दैनिक जागरण की है यह खेल भावना!

काशी पत्रकार संघ और प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में सिगरा स्टेडियम में विगत 23 सालों से दिवंगत पत्रकार कनिष्क देव गोरावाला की स्मृति में एक टूर्नामेंट कराया जाता है जिसका नाम है ‘कनिष्क देव गोरावाला स्मृति मीडिया क्रिकेट।’ यह मीडिया क्रिकेट के नाम से ही प्रसिद्ध है। इसमें सभी मीडियाकर्मी हिस्सा लेते हैं। पर, लगता है दैनिक जागरण, वाराणसी को काशी पत्रकार संघ के नाम ही एलर्जी है। तभी जब समस्त अखबार इस खबर को तीन से चार कालम में फोटो सहित छाप रहे हैं, जागरण में इस बाबत एक लाइन खबर नहीं छप रही है।

डी कंपनी चलाएगी सहारा?…. जागरण के इंचार्ज दक्खिन मुखी… पुलिस ने पत्रकार को धकेला… सहारा की लांचिंग टली…

: मीडिया न्यूज की एक और हिंदी वेबसाइट : खबर लेने वालों की इस कदर खबर ली जाएगी, इससे कुछ साल पहले हम सभी बेखबर थे. लेकिन भड़ास4मीडिया ने जो सिलसिला शुरू किया, उसे आगे बढ़ाने को कई वरिष्ठ-कनिष्ठ लोग आगे आ गए हैं. जाहिर है, अकेले शुरू हुआ यह सफर कारवां में तब्दील हो चुका है. दुनिया को समानता और न्याय की नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले मीडिया हाउस कितने अनैतिक हैं, उनके अंदर की दुनिया कितनी स्याह है, इसका खुलासा करने का सिलसिला तेज हो चुका है. कई लोग अपने सीमित संसाधनों में बिना लाभ हानि की आशा के मीडिया न्यूज को साहस के साथ प्रकाशित प्रसारित कर रहे हैं.