याद करिए वो वक्त. अमेरिका के साथ परमाणु करार का मसला गर्म था. वामपंथी दलों ने मनमोहनी सरकार के परमाणु करार समर्थक होने पर अपना सपोर्ट वापस ले लिया था. देखते ही देखते कांग्रेस नीत गठबंधन वाली केंद्र सरकार अल्पमत में आ गई. सांसदों की खरीद फरोख्त शुरू हुई. कांग्रेसी और सपाई थैलियां खोलकर बैठ गए.