दुनिया का बड़ा आदमी हमारे लिए हमारे शहर के दो-चार करोड़ की हैसियत वाले सेठ मुरली भदानी या सुरेश झांझरी थे। तब भी अपन राम, राम जेठमलानी को जानते थे। सोचते थे कि आखिर श्री जेठमलानी कितने बड़े वकील होंगे, अपने शहर से थोड़ी दूर स्थित कोडरमा अनुमंडल कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले यमुना बाबू वकील या पन्नालाल जोशी जैसे। तब अनुमान नहीं लगा पाता था, पूरा, सटीक अनुमान तो खैर आज भी नहीं है, लेकिन पत्रकारिता में 25 साल चप्पल रगडऩे के बाद इतना तो पता हो गया है कि जेठमलानी साहब वकील चाहे जितने बड़े हों, नेक इंसान कतई नहीं हैं। ऐसे हैं कि जिनके लिए पैसा ही भगवान है। अपनी गंवई भाषा में कहें तो कफनचोर।
अपन विषयांतर नहीं होते, मूल बात यह कि श्री जेठमलानी को दुनिया जानती है, वे नामी वकीलों महेश और रानी जेठमलानी के पिता, खुद बेटा-बेटी से भारी वकील, पार्ट टाइम राजनेता और न जाने क्या-क्या हैं? अपराधियों-आतंकवादियों के पैरौकार। माफियाओं के वकील। हर्षद मेहताओं, इंदिरा गांधी के हत्यारों के पैरवीकार। कभी भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष भी थे। उस समय उपाध्यक्ष थे, जब अध्यक्ष अपने अटलजी हुआ करते थे। संसद में रहे, कभी इस तो कभी उस पार्टी से। स्टांप घोटाले में जेल की हवा खा रहे अनिल गोटे के सलाहकार भी थे। अपन ने दोनों की संयुक्त प्रेस कांफ्रेस कवर की है। जेठमलानी साहब मंत्री भी बने, वह भी कानून मंत्री। यह भी अपने देश में ही संभव है कि रोज कानून का मखौल उड़ाने वाला कानून मंत्री बन जाए पर जेठमलानी साहब बने और शान से रहे।
अपन भटक गए। विषय प्रोफाइल बताना नहीं था, यह बताना था कि स्टार न्यूज के एक कार्यक्रम में दीपक चौरसिया के सवाल पर वे भडक़ गए। बेचारे दीपक ने यह पूछ लिया था कि आप राज्यसभा में जाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं, कभी यह तो कभी वह पार्टी, आप आतंकवादी अफजल की भी पैरवी कर सकते हैं, ऐसे ही कुछ सवाल। बस, जेठमलानी साहब भडक़ गए। बकने लगे-तुम बेवकूफ हो, बिकाऊ हो, कांग्रेस पार्टी ने पूरी मीडिया को खरीद लिया है, तुम लोग अंग्रेजी नहीं जानते, निकल जाओ नहीं तो गार्ड धक्के मार कर निकाल देगा। ऐसे ही शब्द। अपने दीपक भाई सुनते रहे। करते भी क्या, अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई में सिखाया जाता है कि बोलो नहीं, बस लिखो, दीपक बाबू दृश्य मीडिया में हैं इसलिए कह सकते हैं कि दिखाओ। अपनी नौकरी झगडऩे की नहीं है, सहने की है, इसलिए सहना पड़ता है। साफ-साफ कहना हो तो अपनी चलती भाषा में यह भी कहा जा सकता है कि यह साली नौकरी ही ऐसी है।
अंत में-माना टुकड़ों में पत्रकारिता बिकाऊ है जेठमलानी साहब, लेकिन इतनी नहीं कि कोई राम जेठमलानी उसे बिकाऊ कहे। और यह भी कि अपन न अंग्रेज हैं और न अंग्रेज की औलाद। हिंदुस्तान में रहते हुए भी इतनी अंग्रेजी तो जानते ही हैं कि कह सकें – शटअप, मिस्टर जेठमलानी!
लेखक डा. संतोष मानव वरिष्ठ पत्रकार हैं.
rajiv
June 24, 2010 at 9:17 am
good good dr. santosh, keep it up!
आलोक तोमर
June 24, 2010 at 9:24 am
[b]मैं जो दीपक की जगह होता तो सीधे कहता –“बुद्धे, एक झापड़ में मर जायेगा. तेरे घर पर बैठा हूँ, इस लिए कुछ बोला नहीं, वरना, हरामी निकल बहार, तेरी वकालत और दलाली अभी निकालता हूँ, तेरी आँतों के साथ,” दीपक तुम्हारे धैर्य की तारीफ़ करूंगा, मगर क्षमा सोहती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो. जेठमलानी और उनके शुभ्चिनकों को सलाह है —बूढ़े को मेरे सामने नहीं पढनें दें वरना ढूंढते रह जाओगे की सर कहाँ हैं और पाँव कहाँ. कमीना कहीं का. सच नहीं सुन सकता तो घर बैठे, नेतागीरी दिखाने की क्या ज़रुरत है. आलोक तोमर [/b]
Md. Iftekhar ahmed
June 24, 2010 at 12:14 pm
Qalam k sipahio ki yahi dhairy use mahan banati hai. Iske sath hi santosh jee aapne is poori ghatna ko qalamband kar sabse achha kam kia hai. In dalalo ki isi tarah qalam se pitai honi chahie. Aapne jo likha hai wo bahut kam likha hai. Hawala kand ka pardafash karne wale vhneet naraynan ki zubani mai inki asliat k bare me isse kahi zayada sun chuka ho.
विजय झा
June 24, 2010 at 2:08 pm
”…तुम मीडिया वालों को कांग्रेस ने खरीद रखा है…” व्यक्तिगत विद्वेष जेठमलानी से हो तो बात अलग है, परन्तु जेठमलानी ने मिडिया के बारे में गलत क्या कहा है. क्या आज की मिडिया चाहे प्रिंट हो या इलेक्ट्रोनिक कोंग्रेस की चरण चारण नहीं करती? क्या एक भी राष्ट्रीय चैनल की हिम्मत है सोनिया मनमोहन से उसकी इच्छा के विपरीत सवाल पूछने की या आरोप लगाने की?
क्या आज की मिडिया लोकतंत्र की चौथा स्तम्भ कहलाने लायक है? क्या एक भी मिडिया घराना ऐसा है जिसकी वास्ता जनसरोकार से हो? क्या आज की मिडिया पूंजीपति की रखैल नहीं है ? क्या आज का पत्रकार विज्ञापन एजेंट बनकर नहीं रह गया ? क्या संपादक का काम मुनाफा कमाकर मालिकों का जेब भरना नहीं रह गया? तो ऐसे में जब मिडिया अपने दायित्व से विमुख हो चूका है लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ नहीं रहा, संपादक संपादक नहीं रहा पत्रकार पत्रकार नहीं रहा तो फिर आपको जेठमलानी के शब्दों से इतना मिर्ची क्यों लगा? इससे कोई इंकार नहीं कर सकता की आज भी मिडिया में बहुत सारे अच्छे पत्रकार संपादक है, परन्तु उनको कितनी आजादी मिला हुआ है अपनी दायित्व सही से निभाने के लिए.
ये एक खुला सच है की एक मिडिया संसथान चलाने के लिए बहुत सारे पैसे चाहिए. और पैसा जो लगाएगा ओ मुनाफा भी कमाएगा, मुनाफा कमाएगा विज्ञापन से और विज्ञापन मिलेगा सरकार से और बड़े उद्योगों से, तो फिर हुक्म किसका बजाएगा सरकार और पूंजीपतियों का, सरकार किसका है कोंग्रेस का—————————–.
तो फिर ये थोथा आदर्शवादिता क्यों और किसलिए -“हम लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ है”, जब आपके हाथ में कुछ भी नहीं है आप एक कठपुतली मात्र हो जिसकी डोर पूंजीपतियों के हाथ में है, तो फिर अपनी खीज जेठमलानी पर क्यों उतारने की कोशिश कर रहे हो, आप अच्छे पत्रकार हो, आप अच्छे लिखते हो अच्छे बोलते हो, सब ठीक है परन्तु आपको स्पेस कौन मुहैया कराएगा? और जो स्पेस मुहैया करेगा उसके विरुद्ध आप लिख सकते हो? यदि आपने लिख भी दिया तो कितने सेकेण्ड ओ मिडिया संसथान आपको बर्दास्त कर सकता है?
प्रश्न बहुत सारे है विनोदजी परन्तु आज बात होनी चाहिए, आज की मिडिया जिस अंधी सुरंग में फँस चुकी है उससे कैसे निकाले, जिस दलदल में फँस चुकी है उससे कैसे निकाले, परन्तु हम बात कर रहे है की जेठमलानी ने दीपक चौरसिया को कोंग्रेस का एजेंट क्यों कहा? अरे जब दीपक चौरसिया कोंग्रेस का एजेंट बनकर राम जेठमलानी से असुविधा जनक सवाल जवाब करेगा तो जेठमलानी क्या कहेगा? आपको तो जेठमलानी को साधुबाद देना चाहिए जो आज के माहौल में जब एक स्वर से सारे मिडिया जय सोनिया, जय मनमोहन, जय अम्बानी, जय माल्या ————–का गुणगान गा रहा हो, विपक्ष तक सीबीआई के डर से मूक बना हो, ऐसे माहौल में सच बोलने का सहस किया ”…तुम मीडिया वालों को कांग्रेस ने खरीद रखा है”.
Kumar.Amar
June 24, 2010 at 3:53 pm
जेट मालानी के मुह मै दाँत नहीं और पेट मै आत नहीं चला देश की सेवा करने ये सब जनता के साथ धोका है ,जिसे तुरंत रोका जाये ,
Kumar.Amar
June 24, 2010 at 3:54 pm
जेट मालानी के मुह मै दाँत नहीं और पेट मै आत नहीं चला देश की सेवा करने ये सब जनता के साथ धोका है ,जिसे तुरंत रोका जाये ,
कमल शर्मा
June 24, 2010 at 4:49 pm
नाम राम जेठमलानी लेकिन असली नाम होना चाहिए था रावण जेठमलानी। आतंककारियों से लेकर सारे घोटालेबाजों का वकील। दो नंबर का पैसा ऐसे क्लायंटों से ही मिल सकता है। यह भी ढुंढता रहता है कि कोई बडा गुंडा हाथ लगे तो भरपूर कमाई हो। यदि इसकी सही जांच हो तो यह पूरी ईमानदारी से आयकर नहीं देता। लेकिन कहावत है कि नंगे से खुदा डरे। तो इस नंगे से आयकर विभाग भी डरता है। जो बदतमीजी इस बुढढे ने की है, सारे पत्रकारों को मिलकर मीडिया के माध्यम से इसका जनाजा निकाल देना चाहिए ताकि बुढापा तो बिगडे इसका।
sushil Gangwar
June 24, 2010 at 6:52 pm
नास्पीतो काले कोट वालो अग्रेजी में दीपक को शटअप – गेट आउट बोलो —–
सवेरे सवेरे अम्मा खटिया पर बैठी गारी बक रही थी । मेरी आख अचानक खुली तो देखा अम्मा का चेहरा तमतमा रहा था। मैंने पूछा अरे किसको गरिया रही है । अम्मा बोली – नास्पीतो काले कोट वालो अग्रेजी में दीपक को शटअप – गेट आउट बोलो । टीवी पर कितनो सुन्दर लगत है अरे मीडिया का बच्चा है तो मेरे भी बेटा है ।
अम्मा तू किस काले कोट वाले की बात कर रही है । अरे वो कफ़न चोर है जो देश के बड़े बड़े लोग के केस लड़त है। नाम मै भूल जाती हू हां लालवानी । अरे अम्मा लालवानी नहीं जेठमलानी है । हां वही जेठमलानी । अम्मा तू ये बता खबर कहा से मिली है । तू छोड़ खबर की ,आज मै जिला प्रचारक से पूछ लेती हू। संघ वाले ऐसे लोगो को राज्य सभा क्यों ले आते है ।
अरे राम लाल जी तो पहचानते होगे । जब राम लाल जी , अडवाणी जी , अटल जी , के साथ टीवी में दिखत है तो जा वकील को जानत होगे । पहले राम लाल जी प्रान्त प्रचारक थे अब वे नेता बन गए है । इस लिए तो घर कम आत जात है । अबकी बार आन दे ,मै राम लाळजी से पूछ लेती हू क्या बड़े नेता बना गए जो हम सबको भूल गए । अम्मा तू भी तो —– जब देश के नेता देश को भूल जाते है फिर तुम हम क्या चीज है ।
तो अम्मा तू फिर गलत रास्ते पर जा रही है । संघ वाले जेठमलानी को राज्यसभा में नहीं लाये है । तू चुपकर , आये न जाये गाना गए । अम्मा चिल्ला कर बोली । संघ वालो के बिना वी जे पी वालो का काम न चले । अरे वी जे पी की जड़े तो संघ में है। मै सब जानू। जेठमलानी बड़े बकील है । बड़े बड़े केस लडे , पर दीपक से ऐसे न बोलना चाहिए ।
दीपक ने पूछ लिया कि आप राज्यसभा में जाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं, कभी यह तो कभी वह पार्टी, आप आतंकवादी अफजल की भी पैरवी कर सकते हैं, ऐसे ही कुछ सवाल। जेठमलानी पिनक gaya or बकने लगे-तुम बेवकूफ हो, बिकाऊ हो, कांग्रेस पार्टी ने पूरी मीडिया को खरीद लिया है, तुम लोग अंग्रेजी नहीं जानते, निकल जाओ नहीं तो गार्ड धक्के मार कर निकाल देगा।
अम्मा तू उ बता अब क्या चाहती है । मै मै ——– जेठमलानी मेरे दीपक से माफ़ी मागे ? चलो देखते है । चल अब जा ,मुझे दीपक को सुनन दे । अम्मा ने स्टार न्यूज़ चला दिया ।
http://www.sakshatkar.com
http://www.sakshatkar-tv.blogspot.com
Analyze my dream,please
June 25, 2010 at 2:44 am
i got a dream where someone explained that the word jeth-malani finds its origin,from a lady,who used to get rubbing-massage(ma-la-ni) from her brother in law (jyeshth-jeth),someone tells that all Ram jethmalanis are from this family and thats why people call them jethmalani.
is there any truth in my dream.?
i hope sharing the dream is not violation of any act
chandrabhan0205
June 25, 2010 at 3:05 am
alokji sahi kah rahe hai…deepak ne dikhas diya ki journalist kya hota hai…
dili yadav
June 27, 2010 at 12:31 pm
jethmlani jaise deshdrohi ko bjp ne rajysabha ka sansd banakar badhi galti kiya
neeraj jha
June 29, 2010 at 3:40 am
bahut achcha manav jee .badhiya thoka apne