‘हिंदुस्तान’ कर रहा है मीडिया का अपराधीकरण!

…शशि जी, वैसे मुन्ना बजरंगी के विज्ञापन से पहले आपका अखबार पांच लाख के इनामी रह चुके माफिया डान ब्रजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह के भी विज्ञापन छाप चुका है. इन मान्यवरों के विज्ञापन सिर्फ आपके ही अखबार में छपते हैं. तो मान लिया जाय कि कल के दिन आपके अखबार में निठारी काण्ड के अभियुक्त मोनिंदर सिंह और सुरेंदर कोली या फिर ओसामा बिन लादेन का विज्ञापन भी आ सकता है?...” यह सब एक पत्र में लिखा है, जिसे एक पत्रकार ने हिंदुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर को भेजा है. पूरा पत्र पढ़ेंगे तो आपकी आंखें खुल जाएंगी कि किस तरह राजनीति के बाद अब मीडिया का अपराधीकरण होने जा रहा है. पत्र लेखक यशवीर के हौसले की हम लोग सराहना करते हैं जिन्होंने पूरी बेबाकी से सच को बयान कर दिया है. -एडिटर

बड़ा झूठ नहीं बोलता, रात में दिन भर के झूठ गिनता हूं

shashi jiहमारा हीरोशशिशेखर 

”अखबार में मेरी भूमिका मास्टर ब्लेंडर की तरह  :  पत्रकारों ने खुद को विदूषक  बना लिया है या दरोगा बन बैठे  :  हिंदी में समय के साथ इंस्टीट्यूशन नहीं बदले  :  मैं रुपये के पीछे भागने वाला आदमी नहीं हूं  :  एमबीए वाले एमजे वालों से ज्यादा सेलरी पा रहे : बेटी की शादी के बाद नौकरी नहीं करना चाहता :  आप गालियों तक ही रुक गए, मैंने तो अपने बारे में काफी कुछ सुना है”