छोटे जगहों पर किस तरह ईमानदार पत्रकारों को पुलिस और अपराधियों के गठजोड़ का सामना करना पड़ता है, भय और आतंक में जीना पड़ता है, जान के खतरे का सामना करना पड़ता है, कदम-कदम पर नापाक गठजोड़ की साजिशों से दो-चार होना पड़ता है, इसका गवाह है सुनील यादव प्रकरण। एटा के इस साहसी पत्रकार ने बसपा नेताओं के काले कारनामों की पोल क्या खोली, सत्ताधारी पार्टी के छुटभैयों ने पुलिस से मिलीभगत कर पत्रकार सुनील यादव को सबक सिखाने का इरादा बना लिया। किस तरह सुनील यादव को प्रताड़ित व अपमानित किया गया, इसकी बानगी सुनील ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को लिखे पत्र में पेश की है। तत्कालीन एसएसपी सत्येंद्रवीर सिंह की भूमिका इस प्रकरण में बेहद निराशाजनक और मीडिया विरोधी रही। सुनील के साथ जो कुछ हुआ, उसके कारण एटा, इटावा, मैनपुरी और फिरोजाबाद के पत्रकार गुस्से में हैं। इटावा प्रेस क्लब के महामंत्री विशुन कुमार ने पत्रकार सुनील यादव के उत्पीड़न के लिये राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। तो आइए, सुनील यादव की दास्तान पढ़ते हैं, उन्हीं की जुबानी, जो उन्होंने पत्र के जरिए प्रदेश के राज्यपाल को भेजा है-