उत्पीड़ित पत्रकार की राज्यपाल से गुहार

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सुनील यादवछोटे जगहों पर किस तरह ईमानदार पत्रकारों को पुलिस और अपराधियों के गठजोड़ का सामना करना पड़ता है, भय और आतंक में जीना पड़ता है, जान के खतरे का सामना करना पड़ता है, कदम-कदम पर नापाक गठजोड़ की साजिशों से दो-चार होना पड़ता है, इसका गवाह है सुनील यादव प्रकरण। एटा के इस साहसी पत्रकार ने बसपा नेताओं के काले कारनामों की पोल क्या खोली, सत्ताधारी पार्टी के छुटभैयों ने पुलिस से मिलीभगत कर पत्रकार सुनील यादव को सबक सिखाने का इरादा बना लिया। किस तरह सुनील यादव को प्रताड़ित व अपमानित किया गया, इसकी बानगी सुनील ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को लिखे पत्र में पेश की है। तत्कालीन एसएसपी सत्येंद्रवीर सिंह की भूमिका इस प्रकरण में बेहद निराशाजनक और मीडिया विरोधी रही। सुनील के साथ जो कुछ हुआ, उसके कारण एटा, इटावा, मैनपुरी और फिरोजाबाद के पत्रकार गुस्से में हैं। इटावा प्रेस क्लब के महामंत्री विशुन कुमार ने पत्रकार सुनील यादव के उत्पीड़न के लिये राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। तो आइए, सुनील यादव की दास्तान पढ़ते हैं, उन्हीं की जुबानी, जो उन्होंने पत्र के जरिए प्रदेश के राज्यपाल को भेजा है-


सेवा में,

श्रीमान महामहिम राज्यपाल महोदय

उत्तर प्रदेश

महोदय,

मैं प्रार्थी सुनील कुमार यादव पुत्र श्री दाताराम यादव 123, शांती नगर थाना को. नगर जिला एटा का निवासी हूँ। मेरा पैत्रिक गांव न.परमसुख थाना बागवाला जिला एटा के अन्तर्गत आता है। मैं पिछले 14 वर्षों से रिपोर्टर के बतौर पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं और पिछले 2 वर्षों से आगरा से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र अग्र भारत के जिला संवाददाता के रूप में कार्य कर रहा हूं। समाचार पत्र के पेशे से जुड़े होने की वहज से खबरों की पारदर्शिता बनाये रखने के लिये सटीक व सही खबरें प्रकाशित करना एक पत्रकार की जिम्मेदारी है। अपने इसी कर्तव्य को निभाते हुये 17 अगस्त 2008 को मैंने दैनिक अग्र भारत में एक समाचार प्रकाशित किया, जिसका शीर्षक था ‘बसपा के जिला कार्यालय पर पार्टी के झण्डे के नीचे बांध कर फहराया गया राष्ट्रध्वज’। मेरे इस समाचार प्रकाशित करने के बाद एटा के जिला प्रशासन ने कुछ अज्ञात बसपा के नेताओं के खिलाफ राष्ट्रध्वज के अपमान के आरोप में अभियोग को. नगर में दर्ज किया। इस समाचार के प्रकाशन के बाद बसपा के नेता मुझसे रंजिश मानने लगे। इसी क्रम में मैंने सितम्बर 2008 में एटा से केरोसीन के तेल की कालाबाजारी का भंडाफोड़ करते हुये समाचार प्रकाशित किया। इस प्रकार के समाचार प्रकाशित किये जाने के बाद एटा जनपद के माफिया-अपराधी तत्व और बहुजन समाज पार्टी के कुछ नेता मेरे खिलाफ हो गये।

चूंकि अखावर में छपी खबरो के आधार पर वे पुलिस अधिकारियों के द्वारा मेरे खिलाफ कार्यवाही कराये जाने में खुद को असमर्थ पा रहे थे, लिहाजा उन्होंने मेरे पिता की सैनिक पृष्ठभूमि की आड़ लेकर मेरा उत्पीड़न करने की योजना बनायी। मेरे पिता न. जे.सी.59809 एफ. रिटायर्ड सूबेदार श्री दाताराम यादव हमारे पैत्रिक गांव न.परमसुख थाना बागवाला में स्थायी रूप से निवास करते हैं। उन्होंने वर्ष 1994 में भारतीय सेना की रक्षा-सुरक्षा इकाई से 32 वर्ष की सेवा के बाद अवकाश ग्रहण किया है। सूबेदार दाता राम यादव ने 1962 में चीन, 1965 और 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर युद्ध में सक्रिय रूप से भाग लिया है। इसके लिये उन्हें तीन युद्ध सेवा मेडल सहित विभिन्न उल्लेखनीय सेवाओं के लिये 9 मेडल प्राप्त हुये हैं। मेरे विरोधियों ने मुझे और मेरे परिवार को अपमानित करने के लिये एटा के पुलिस अधीक्षक सतेन्द्र वीर सिंह को मोहरा बनाया और उनके साथ साजिश रचकर मेरा उत्पीड़न करने की योजना बनाई। इसके लिये 11/12 जुलाई की रात 12 बजे मेरे शांती नगर एटा और गांव न.परमसुख थाना बागवाला स्थित पैत्रिक आवास पर पूरे जनपद की पुलिस फोर्स के साथ छापा मारा। छापे का नेतृत्व कर रहे को.नगर के निरीक्षक ऋषिपाल सिंह और को.देहात थाने के प्रभारी नरेश कुमार ने दोनों जगह परिवारी जनों को बताया कि आपके घर की इसलिये तलाशी ली जानी है, क्योंकि आपके यहां सेना के हथियारों का जखीरा मौजूद है। पुलिस कप्तान श्री सतेन्द्रवीर सिंह के पास इस बात की सटीक सूचना हैं और उन्होने हमें छापेमारी और तलाशी करने का निर्देश दिया है। पुलिस अधिकारियों द्वारा यह बताये जाने के बाद मैंने एटा स्थित आवास पर और पिता जी ने गांव के आवास पर विना किसी सर्च वारण्ट और विना किसी मजिस्ट्रेट की अनुमति के तलाशी की स्वीकृति दे दी। पुलिस की दोनों टीमों ने शांती नगर और न.परमसुख दोनों आवासों पर करीब एक-एक घण्टे प्रत्येक बक्सा,  अलमारी,  छज्जा, स्टोर,  सूटकेस, अनाज भरने के सामानों और कोने-कोने की तलाशी ली लेकिन घर में हथियार तो दूर, कोई भी आपत्तिजनक वस्तु नहीं मिली। इसके बाद पुलिसकर्मी चले गये।

जब मैंने अगले दिन इस मामले को लेकर पुलिस कप्तान सतेन्द्र वीर सिंह से स्पष्टीकरण चाहा तो उन्होंने कोई भी संतोषजनक जवाव नहीं दिया और यह कह कर मुझे धमकाया कि अगर ज्यादा शोर मचाओगे तो हम तुम्हारे घर में हथियार प्लांट भी करा सकते हैं।

महोदय, मुझे विश्वास है कि एटा के स्थानान्तिरित पुलिस अधीक्षक सतेन्द्रवीर सिंह की अपराधी तत्वों, माफियाओं से सांठ-गांठ हैं और वे मुझे व मेरे परिवार को भविष्य में जान-माल की हानि पहुंचा सकते हैं। उन्होने एक युद्ध के मोर्चे पर बहादुरी दिखाने वाले सैनिक के घर पर अवैध तरीके से छापे मारी कर भारतीय सेना की गरिमा को ठेस पहुँचायी है।

अत: श्रीमान जी से निवेदन है कि इस पूरे प्रकरण को गम्भीरता से लेते हुये उचित कार्यवाही करने का आदेश उत्तर प्रदेश सरकार को देने का कष्ट करें।

प्रार्थी

सुनील कुमार यादव

पुत्रश्री दाताराम यादव

जिला संवाददाता (एटा)

दैनिक अग्रभारत


अगर आप पत्रकार सुनील यादव को किसी भी प्रकार सपोर्ट करना चाहते हैं तो उन्हें 09457022463 पर काल कर सकते हैं.

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