सुभाष पांडे जी के साथ तो ऐसा होना ही था। उनकी गलती मामूली नहीं है…। चले थे नीतीश कुमार के खिलाफ लिखने। सच्ची खबर लिखने। हो गया न…। भाई, उन्हें सोचना चाहिए था कि जहां सारी मीडिया नीतीश चालीसा के अलावा कुछ नहीं लिखते दिखाते तो भला उनको क्या सूझा कि…खैर। वे सीनियर थे, सो उनका तबादला हुआ वरना तो कितनों की तो नौकरी खा गए नीतीश बाबू उर्फ सुशासन बाबू। अब आप सोच रहे होंगे कि क्या बकवास लिख रहा है, मगर ये सच्चाई है।