सुब्रत राय सहारा, आपके मीडियाकर्मियों को भी फोर्स की जरूरत है

सुब्रत राय बड़ा दाव खेलना जानते हैं. वे छोटे मोटे दाव नही लगाते. इसी कारण उन्हें अपने छोटे-मोटे तनख्वाह पाने वाले मीडियाकर्मी याद नहीं रहते. और जिन पर इन मीडियाकर्मियों को याद रखने का दायित्व है, उन स्वतंत्र मिश्रा जैसे लोगों के पास फुर्सत नहीं है कि वे अपनी साजिशों-तिकड़मों से टाइम निकालकर आम सहाराकर्मियों का भला करने के बारे में सोच सकें. इसी कारण मारे जाते हैं बेचारे आम कर्मी.

उपेंद्र राय को लेकर अफवाहों का दौर जारी

सहारा मीडिया के डायरेक्टर न्यूज उपेंद्र राय के बारे में तरह-तरह की अफवाहें कई दिनों से उड़ रही हैं. कभी इनको सहारा से निकाले जाने की चर्चा उड़ती है तो कभी सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए जाने की. कभी चर्चा उपेंद्र राय के अंडरग्राउंड हो जाने की होती है. लेकिन अब तक सारी अफवाहें झूठ साबित हुई हैं. ताजी चर्चा उपेंद्र राय के डिमोशन की है. चर्चा के मुताबिक सहारा मीडिया के सर्वेसर्वा उपेंद्र राय को सहाराश्री के एमसीसी (मैनेजिंग वर्कर्स कारपोरेट कोर) से अटैच कर दिया गया है.

रतन टाटा, अनिल अंबानी, प्रशांत रुईया, दयालू अम्मा, सुब्रत रॉय सहारा और नीरा राडिया को बचा रही है सीबीआई

: टू जी तंरग घोटाले की जांच कमोवेश 1991 में सामने आए हवाला कांड जैसा होता दिख रहा है जिसमें शामिल सभी रसूखदार आरोपी कानूनी फंदे से निकल गए : सुप्रीम कोर्ट के बरसते डंडे के बीच टूजी तरंग घोटाले की सख्त जांच को मजबूर हुई सीबीआई रतन टाटा, अनिल अंबानी, प्रशांत रुईया, दयालू अम्मा, सुब्रत रॉय सहारा और नीरा राडिया को बचा रही है।

सहारा का संकट और शिवराज का विज्ञापन

सहारा के संकट के दिनों में शिवराज सरकार के एक विज्ञापन ने उसके निवेशकों को सावधान कर दिया है. कहते हैं कि संकट आए तो अपने भी मुंह फेर लेते हैं. ऐसा ही हाल सहारा ग्रुप का है. मध्य प्रदेश में सहारा को राज्य सरकार हर महीने करीब पचास लाख का विज्ञापन देती है. और इतना ही विज्ञापन छत्तीसगढ़ से भी मिल जाता है.

सहारा ने खुद को बेदाग बताया

: ईडी अधिकारी पर दबाव बनाने का मामला : राजेश्वर सिंह से पत्रकार सुबोध जैन ने पूछे थे 25 सवाल : सहारा इंडिया के कॉरपोरेट कम्युनिकेशन्स का कहना है कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का सम्मान करता है। मामले से संबंधित प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी के खिलाफ वह तब तक कुछ कहने की स्थिति में नहीं है जब तक कि सुप्रीम कोर्ट से उसे इसकी इजाजत न मिल जाए। कॉरपोरेट कम्युनिकेशन्स की ओर से लखनऊ में जारी एक बयान में यह भी कहा गया है कि इस मामले में सहारा बेदाग है।

बेसहारा होने की राह पर चल पड़ा है सहारा समूह!

यशवंत सिंहभर पेट विज्ञापन दे देकर मीडिया हाउसों का मुंह बंद करने में अब तक सफल रहे सहारा समूह के खिलाफ न जाने क्यों एचटी ग्रुप के अखबार सच्चाई का प्रकाशन करने में लग गए हैं. यह सुखद आश्चर्य की बात है. हो सकता है हिंदुस्तान को सहारा समूह से नए विज्ञापन दर पर बारगेन करना हो या फिर शोभना भरतिया व सुब्रत राय में किसी बात को लेकर तलवारें खिंच गई हों.

इन महानुभावों ने सुब्रत राय सहारा को ही चूना लगाने की हिम्मत दिखा दी!

ठगी और चोरी के सैकड़ों-हजारों किस्से जिस सुब्रत राय सहारा के नाम से जुड़े हों और जिसने कई तरह के दंद-फंद के जरिए सहारा समूह नामक विशाल साम्राज्य खड़ा कर दिया हो और जो अपने विरोधियों को परास्त करने के लिए किसी भी लेवल पर जाने के लिए कुख्यात हो, उस सुब्रत राय सहारा को कोई चूना लगाने की सोच ले तो उसे वाकई हिम्मती कहा जाएगा.

यशवंत और हरेराम की सोच संकीर्ण है

: सुब्रत रॉय बड़ी सोच व अंतरराष्ट्रीय समझ वाले : हरेराम मिश्रा का पत्र एवं यशवंत जी आपका लेख (सम्पादकीय) पढ़ा। सुब्रत रॉय की भावनात्मक अपील भी अखबारों में पढ़ी। दिलचस्प बात यह लगी कि मुझे न तो सुब्रत रॉय और न आप और न ही हरेराम गलत दिखाई दिये।

सहाराश्री की राष्ट्रभक्ति पर संदेह करें या ना करें?

सुब्रत राय उर्फ सहाराश्री आजकल चर्चा में हैं. सड़क से शिखर (आर्थिक मामलों में) तक की यात्रा करने वाला यह आदमी अपना अच्छा खासा मीडिया हाउस होते हुए भी अपनी बात दूसरे मीडिया हाउसों के अखबारों-चैनलों में विज्ञापन देकर प्रकाशित प्रसारित कराता है. पिछले दिनों सहाराश्री का ऐसा ही एक विचारनुमा विज्ञापन विभिन्न अखबारों में प्रकट हुआ. इसमें उन्होंने कई इफ बट किंतु परंतु लेकिन अगर मगर करते हुए संक्षेप में जो कुछ कहा वह यह कि… अभी कामनवेल्थ के घपलों-घोटालों पर बात न करो, ऐसा राष्ट्रहित का तकाजा है, अभी कामनवेल्थ की जय जय कर खेलों को सफल बनाओ ताकि दुनिया में अपने देश की इज्जत बढ़ाने वाली बातें फैले, बदनामी फैलाने वाली हरकतें बंद करो. सुब्रत राय उर्फ सहाराश्री ने मुंह खोला है तो कौन उनकी बात काटे. ज्यादातर ने चुप्पी साध रखी है. अपने देश में रिवाज रहा है राजाओं-महाराजाओं की बात न काटने का और उनकी हां में हां करने का. आजकल के राजा-महाराजा ये बिजनेसमैन ही तो हैं.