फेसबुक के जरिए हुई थी शेहला मसूद और तरुण विजय की दोस्ती!

शेहला मसूद और तरुण विजयपत्रकार और सांसद तरुण विजय बुरी तरह घिर गए हैं. भोपाल की आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद हत्याकांड में जबसे उनका नाम आया है, तबसे उनके बारे में नित नई जानकारियां लीक की जा रही हैं या पता चल रही हैं. ताजी जानकारी ये है कि तरुण विजय और शेहला मसूद में दोस्ती फेसबुक के जरिए हुई थी.

बहन ने पूछा- शेहला के इतने अच्छे दोस्त थे तरुण तो अब तक दुख जताने क्‍यों नहीं आये?

: शेहला केस में तरुण विजय का नाम आने पर संघी दबाव में आ गए सीएम- कांग्रेस का आरोप : तरुण विजय ने शेहला मसदू से दोस्ताना संबंध स्‍वीकारे : भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया का आरोप है कि शेहला मसूद मर्डर मामले में सांसद तरुण विजय का नाम आने पर आरएसएस मामले को दबाना चाहती है.

सांसद और पत्रकार तरुण विजय : हिंदू राष्ट्रवादी का ये इश्क महंगा पड़ा

अपनों पे सितम, गैरों पे रहम। एक मुस्लिम महिला के प्रेमपाश के कैदी हिंदू राष्ट्रवाद के प्रवक्ता श्रीमान तरुण विजय का कच्चा चिट्ठा आखिरकार जनता के सामने आ ही गया। दिल्ली से लेकर भोपाल और यूरोप तक जिस शेहला मसूद के साथ रंगरेलियां मनाई गईं, वो शेहला मसूद किसके हाथों कत्ल हुई, ये सवाल तो बाद का है।

संघ के विरोध पर भागवत का नाम इंडिया टुडे वालों ने अपनी वेबसाइट से हटाया

नई दिल्ली : इंडिया टुडे समूह ने अपने कॉनक्लेव में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को बुलाने की सूचना अपनी वेबसाइट से हटा ली है। संघ को ऐतराज था कि उनकी अनुमति के बगैर उनके नाम को क्यों जोड़ा गया। संघ ने मीडिया समूह से वेबसाइट से तत्काल नाम हटाने को कहा था। इंडिया टुडे समूह के 18 मार्च से हो रहे मीडिया कॉनक्लेव चैलेंज द पावरका 18 मार्च को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को उद्घाटन करना था और 19 मार्च को संघ प्रमुख मोहन भागवत को कश्मीर मुद्दे पर र्चचा के लिए बुलाया गया था।

तरुण विजय और शेषाद्रिचारी में ठनी

संघ के पूर्व संपादकों में सांसदी को लेकर महाभारत : आर्गनाइजर और पांचजन्य के पूर्व संपादकों का इस तरह चर्चा में आना संघ के खांटी स्वयंसेवकों को शायद भा नहीं रहा होगा। लेकिन सच तो सच है। संघ की कथित ईमानदार, उज्जवल छवि को दागदार बनाते हुए दो शीर्ष पत्रकार इस तरह से भिड़ेंगे, संघ के नेताओं ने सोचा भी न होगा। पांचजन्य के पूर्व संपादक और भाजपा प्रवक्ता तरुण विजय की राज्यसभा उम्मीदवारी पर आर्गनाइजर के पूर्व संपादक शेषाद्रिचारी का भड़क उठना लाजिमी था। वो तरुण विजय के भाजपा प्रवेश के काफी अरसा पूर्व से भाजपा की सेवा कर रहे थे। उन्हें संघ ने सन् 2002 में ही भाजपा में राष्ट्रीय मंत्री के तौर पर स्थापित कर दिया था। वह उत्तराखण्ड भाजपा के प्रभारी भी रहे। जाहिर है, राज्यसभा में जाने का उनका हक तरुण विजय से पहले बनता था, लेकिन उनकी आस धरी की धरी रह गई। तरुण विजय ने राज्यसभा की सीट उनसे पहले लपक ली।

तरुण विजय और चंदन मित्रा को रास टिकट

दो पत्रकार राज्यसभा पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं. ये हैं तरुण विजय और चंदन मित्रा. पत्रकारिता में संघ-भाजपा की बोली बोलने के लिए मशहूर तरुण विजय को भाजपा ने उत्तराखंड से प्रत्याशी घोषित किया है.