सुप्रीम कोर्ट ने दी पत्रकारों के पक्ष में राय, श्रममंत्री ने कहा- जल्द जारी होगी अधिसूचना

कोलकाता के बांग्ला समाचार पत्र समूह आनंद बाजार पत्रिका की ओर से जस्टिस मजीठिया की पत्रकारों व गैर पत्रकारों के वेतनमान की सिफारिशों के खिलाफ दायर याचिका पर बुधवार 21 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर सरकार को अधिसूचना जारी करने की अनुमति दे दी। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा दी थी।

पत्रकारों के ख़िलाफ़ मालिकों का जेहाद!

भूपेन सिंहअख़बार कर्मियों की तनख़्वाह निर्धारित करने के लिए बने छठे वेज बोर्ड की सिफ़ारिशों को मालिक लॉबी किसी हालत में लागू नहीं होने देना चाहती. अख़बार मालिकों की संस्था इंडियन न्यूज़ पेपर्स सोसायटी (आइएनएस) जस्टिस मजीठिया कमेटी की रिपोर्ट का मखौल उड़ाने में जुटी है. अपने कुतर्कों को सही ठहराने के लिए उसने अख़बारों में लेख छापकर और विज्ञापन देकर सरकार पर दबाव बनाने की मुहिम छेड़ी हुई है.

Wage Board: Why Not For All Journalists & Non-Journalists In Media Industry?

Neeraj BhushanI am wondering as to why The Indian Newspaper Society or the INS is publishing advertisements in newspapers, against the wage board for journalist & non-journalist employees! I am shocked to see the humiliating language that these advertisements contain, saying: “If this is implemented, a peon may receive upto Rs.45,000 a month and a driver may get upto Rs.50,000”.

अखबारों की आजादी पर आघात या लूटने की आजादी पर आघात

: ये झुट्ठे सरकार को नहीं, अपने पत्रकारों को डराना चाहते हैं : कुतर्कों के महान राजा और दैनिक जागरण के कार्यकारी अध्यक्ष संदीप की भाषा किसी पत्रकार की खून चूसने वाले उद्योगपति की ही है। वह आंगन की मुर्गी हैं, कलेजा चूजे का है, उड़ना बाज की तरह चाहते हैं….. सो, दौड़-दौड़ कर आंगम में ही धमाचौकड़ी मचा रहे हैं। संदीप भी जानते हैं कि लोकमान्य तिलक व गांधी जी धन्ना सेठ नहीं थे।

ऐसे अखबार के मालिकान को कुछ तो शर्म आनी चाहिए

[caption id="attachment_20667" align="alignleft" width="122"]योगेश कुमार गुप्त ''पप्पू''योगेश कुमार गुप्त ”पप्पू”[/caption]: आप एक-एक साल में करोड़ों के वाहन खरीद डालते हैं… हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का सालाना कारोबार करने वाले जागरण के देशभर में कितने संस्करण हैं, यह बताने की जरूरत नहीं… आपने अन्य कितने क्षेत्रों में पैर पसार रखे हैं, यह सच्चाई किसी से छुपी नहीं है… अब तो आपने अन्य अखबारों को भी खरीदना शुरू कर दिया है…  एक ही कर्मचारी से अखबार, वेबसाइट, मोबाइल तक के लिए खबरें लिखवा रहे हैं… फिर भी आप नहीं चाहते कि… :

मीडिया पर असली हमला तो पत्रकारों का भयंकर आर्थिक शोषण है

विष्णु राजगढ़िया: ((जवाब- पार्ट दो)) : यकीन मानिये, वेज बोर्ड के कारण कोई अखबार बंद नहीं होने जा रहा : सबका दर्द सुनने-सुनाने वाले पत्रकारों के बड़े हिस्से को श्रमजीवी पत्रकारों के वेतनमान पर रिपोर्ट देने वाले जस्टिस मजीठिया आयोग की वेज बोर्ड रिपोर्ट के बारे में कुछ मालूम नहीं होता, इसका लाभ मिलना तो दूर की बात है.

आईएनएस वालों व संदीप गुप्त, कान में तेल आंख में ड्राप डालें फिर इसे पढ़ें

संजय कुमार सिंह: ताकि ठीक से सुनाई-दिखाई पड़े और ठीक से समझ आए : ((जवाब- पार्ट एक)) : मोतियाबिन्द के लिए यह इलाज ठीक है क्या? : वेज बोर्ड की सिफारिशों से तिलमिलाए अखबार मालिकों ने इसके खिलाफ अभियान छेड़ रखा है और भ्रम फैलाने वाली सूचनाएं प्रकाशित-प्रसारित कर रहे हैं।

सूप तो सूप बोले, अब संदीप गुप्त भी बोलें

दैनिक जागरण के एक मालिक हैं संदीप गुप्त. कानपुर में बैठते रहे हैं और अब भी बैठते हैं. वे खुद को संपादकीय से लेकर प्रोडक्शन, प्रिंटिंग, बिजनेस… सबका मास्टर मानते हैं. छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा काम कर गुजरने में माहिर मानते हैं अपने आपको. अब चूंकि वे मालिक हैं तो उनके सौ दोष माफ. उनके साथ काम करने वाले उनकी सोच, मेंटलिटी और कार्यप्रणाली के बारे अच्छे से जानते हैं लेकिन कोई कैसे कुछ बोल सकता है.

डीएनए ग्रुप वेज बोर्ड के पक्ष में खुलकर उतरा

डीएनए में एक आलेख छपा है. योगेश पवार का. What is sauce for the goose… शीर्षक से. पढ़िए और खुश होइए. इस नेक इरादे, खुलकर सामने आने और साहस के साथ एक अच्छा पक्ष चुनने के लिए डीएनए को थैंक्यू कहा जाना चाहिए. और, बाकी अखबार मालिकों को इससे सबक लेना चाहिए. खासकर टीओआई – नभाटा वालों को जो इन दिनों वेज बोर्ड के खिलाफ अभियान-सा चलाए हुए हैं.

पत्रकारों के लिए वेतन बोर्ड की अधिसूचना 27 मई को

हैदराबाद : पत्रकारों, गैर पत्रकारों तथा समाचार पत्र के अन्य कर्मचारियों के लिए गठित न्यायमूर्ति मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशें लागू करने के लिए 27 मई को अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। आंध्र प्रदेश वर्किग जर्नलिस्ट फेडरेशन ने शनिवार को यह जानकारी दी। फेडरेशन के अध्यक्ष एमएस हाशमी तथा महासचिव जी अंजानेयुलू ने कहा कि …

पत्रकार वेतन बोर्ड का प्रपोजल कैबिनेट को हफ्ते भर में

हैदराबाद : केन्द्रीय श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि अखबारी उद्योग के कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन के बारे में मजीठिया वेतनबोर्ड की सिफारिशों पर नोट तैयार कर उसे एक सप्ताह के भीतर मंत्रिमंडल को भेज दिया जाएगा. खड़गे ने कहा कि पत्रकारों और गैर-पत्रकारों के वेतनमान में संशोधन के लिए गठित जस्टिस मजीठिया वेतनबोर्ड की सिफारिशों पर विभिन्न मंत्रालयों की टिप्पणी मिल चुकी है.

आईएनएस अध्यक्ष दिखे तो मुंह पर कालिख मलो

: हरामखोर और नमकहराम मीडिया मालिकों को थोड़ी-बहुत तो छोड़िए, बिलकुल ही शर्म नहीं आती : अखबार मालिकों का संगठन है आईएनएस उर्फ इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी. जो पत्रकार व गैर-पत्रकार लोग इन मालिकों के अखबारों में काम करते हैं, उनकी तनख्वाह को नए माहौल के हिसाब से रिवाइज करने के लिए सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीआर मजीठिया के नेतृत्व में वेज बोर्ड का गठन किया गया था.

वेज बोर्ड प्रक्रिया में विलंब क्यों?

आल इंडिया न्यूजपेपर एंप्लाइज फेडरेशन (एआईएनईएफ) के दसवें सम्मेलन में नवगठित वेज बोर्ड की प्रक्रिया पूरी होने में हो रहे विलंब पर अफसोस जताया गया। इस सम्मेलन में नए अध्यक्ष सुबोध बोस और महासचिव एमएल तलवार ने घोषणा की कि वे दूसरे अखबारी कर्मचारियों व पत्रकार संगठनों के साथ एका बनाते हुए जल्द से जल्द बोर्ड की प्रक्रिया पूरी कराने और फैसले की जल्द घोषणा का दबाव बनाएंगे।

अंतरिम राहत : तोड़-मरोड़ कर पेश की सूची

पत्रकारों और गैर-पत्रकारों को अंतरिम राहत दिलाने की जो लड़ाई बनारस में चल रही है, उसके संबंध में एक सूचना है। बनारस के ज्यादातर अखबारों ने अपर श्रमायुक्त कार्यालय में वह सूची दाखिल कर दी है जिसमें अंतरिम राहत पाने वाले कर्मचारियों के नाम व अंतरिम राहत दिए जाने के अन्य डिटेल दर्ज हैं। ज्यादातर अखबारों ने तोड़मरोड़ कर और कागजी खानापूरी के मकसद से सूची दाखिल की है। सूत्रों के अनुसार हिंदुस्तान प्रबंधन ने बनारस में केवल आठ कर्मचारियों को स्थायी बताया और इनको अंतरिम राहत दे दिए जाने की बात कही है। हिंदुस्तान की तरफ से कहा गया है कि शेष स्टाफ कांट्रैक्ट पर काम कर रहे हैं इसलिए वे अंतरिम राहत के दायर में नहीं आते। अमर उजाला ने 50 लोगों की लिस्ट जारी की है जिन्हें अंतरिम राहत दिया गया है। अखबार ने कहा है कि उसने अपने कर्मियों को 15 प्रतिशत अंतरिम राहत दे दी है और शेष राशि आगे दे दिया जाएगा। दैनिक जागरण ने करीब 100 कर्मचारियों की सूची जारी की है।