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तो चोर के घर की गई चोरी को चोरी न मानें!

प्रिय यशवंत जी, बी4एम पर आदरणीय प्रभाषजी द्वारा खबरों का सौदा करने को लेकर उठाए हुए सवालों और उस पर ब्रजेश जी के जवाब से एक बात तो साफ़ है कि ब्रजेश जी ने प्रभाष जी के विरोध में लिखा तो है पर वो अपनी लेखनी में प्रभाषजी के आरोपों को स्वीकार भी कर रहे हैं! ब्रजेशजी, अगर पैसे लेकर खबर लिखना और छापना गलत नहीं है, तो फिर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने वाले सांसदों अथबा लोगों से पैसे लेकर (रिश्वत लेकर) उनका काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों को गलत कैसे कहा जा सकता है! और कहीं लालजी टंडन वाली बात से आपका मतलब यह तो नहीं की चोर के घर की गई चोरी, चोरी नहीं कहलाती है!  जब एक अखवार का पत्रकार या संपादक एक सेल्समैन की तरह किसी नेता या अधिकारी से पैसे लेकर खबर लिखता है अथवा अपने या अपने संस्थान के लिए कोई अनैतिक फायदा लेता है तो वह अखबार या संपादक उनके खिलाफ कोई भी कटु मगर सच्ची खबर क्या खाकर लिखेंगे!

<p align="justify">प्रिय यशवंत जी, बी4एम पर आदरणीय प्रभाषजी द्वारा खबरों का सौदा करने को लेकर उठाए हुए सवालों और उस पर ब्रजेश जी के जवाब से एक बात तो साफ़ है कि ब्रजेश जी ने प्रभाष जी के विरोध में लिखा तो है पर वो अपनी लेखनी में प्रभाषजी के आरोपों को स्वीकार भी कर रहे हैं! ब्रजेशजी, अगर पैसे लेकर खबर लिखना और छापना गलत नहीं है, तो फिर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने वाले सांसदों अथबा लोगों से पैसे लेकर (रिश्वत लेकर) उनका काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों को गलत कैसे कहा जा सकता है! और कहीं लालजी टंडन वाली बात से आपका मतलब यह तो नहीं की चोर के घर की गई चोरी, चोरी नहीं कहलाती है!  जब एक अखवार का पत्रकार या संपादक एक सेल्समैन की तरह किसी नेता या अधिकारी से पैसे लेकर खबर लिखता है अथवा अपने या अपने संस्थान के लिए कोई अनैतिक फायदा लेता है तो वह अखबार या संपादक उनके खिलाफ कोई भी कटु मगर सच्ची खबर क्या खाकर लिखेंगे!</p>

प्रिय यशवंत जी, बी4एम पर आदरणीय प्रभाषजी द्वारा खबरों का सौदा करने को लेकर उठाए हुए सवालों और उस पर ब्रजेश जी के जवाब से एक बात तो साफ़ है कि ब्रजेश जी ने प्रभाष जी के विरोध में लिखा तो है पर वो अपनी लेखनी में प्रभाषजी के आरोपों को स्वीकार भी कर रहे हैं! ब्रजेशजी, अगर पैसे लेकर खबर लिखना और छापना गलत नहीं है, तो फिर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने वाले सांसदों अथबा लोगों से पैसे लेकर (रिश्वत लेकर) उनका काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों को गलत कैसे कहा जा सकता है! और कहीं लालजी टंडन वाली बात से आपका मतलब यह तो नहीं की चोर के घर की गई चोरी, चोरी नहीं कहलाती है!  जब एक अखवार का पत्रकार या संपादक एक सेल्समैन की तरह किसी नेता या अधिकारी से पैसे लेकर खबर लिखता है अथवा अपने या अपने संस्थान के लिए कोई अनैतिक फायदा लेता है तो वह अखबार या संपादक उनके खिलाफ कोई भी कटु मगर सच्ची खबर क्या खाकर लिखेंगे!

आप लोगों की इसी सोच का नतीजा है कि आज अधिकतर हिंदी अखबार अपनी विश्वसनीयता खोते जा रहे हैं और इसीलिए भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित होने वाले अधिकतर उम्मीदवार तथा अन्य विद्वान जन हिंदी के अखबारों को विश्वसनीय नहीं मानते हैं! और पाठकों की संख्या के आधार पर खबर को सही अथवा अखबार को सफल बताने से तो ऐसा ही लगा, जैसे एक गुंडा या बाहुबली नेता अपने चुनाव जीतने को आधार बनाकर अपने आप को निर्दोष बताने की दलील देता है!

और ब्रजेशजी, सबसे अंत में, अपने कद को बढाने के लिए अपने से बड़ी शख्सियत के खिलाफ कुछ लिखने या बोलने से लोग आपको नोटिस में लेंगे, ये टोटका बहुत पुराना है! आप लिखें, और अच्छा लिखें, पर लिखने के लिए कृपया सही और गलत के अंतर को नष्ट ना करें एवं तथ्यों व सत्य को भी अपनी लेखनी में समायोजित करें, ये आपसे विनम्र अनुरोध है!

आशुतोष मिश्रा 

पत्रकार, दिल्ली

[email protected]


Dear Yashwant Ji,

I read content on your blog on the subject matter. Though I am not aware any thing about media in details. But want to share if Paper has given news on the basis of amount received by then it is nothing but BETRAYAL of faith by media .

If want to save sanctity of Media then this should be taken up with Election commission so that exp. on news can be addedd to expenses of candidate concern. Mr. Brajesh justifying the act by giving useless examples of corrput politician that means he is of the view if politicians can do malpractices why not media persons.

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In that case where is the necessity of “Newspaper”?? whereas it should be change to Junk of Blackmailer(s).

As of now we as a public believes what ever written by News Paper is true depicting picture but after reading all your blog our faith has been vanished.

HOPELESS COUNTRY DRIVEN BY HOPELESS POLITICIANS ELECTED BY HOPELESS PEOPLE ADMINSTRERED BY HOPELESS GOVERNMENT MACHINERY, WATCHED BY HOPELSS MEDIA.

NO HOPE FOR THIS COUNTRY.

Sanjay Sodani

[email protected]

Indore, Ph: 98270-71708


Dhanyavad Yashwant ji !

Joshi ji ka Patna men diya gaya Bhashan chhap-ne ke liye Dhanyavad Bhayee ! (Baki to jo TOON – TADAK , Aapas men jootam – paijar  ho raha hai , use bhi aap up- labdha  karwa rahen hain , Dhanyavad iske liye bhi.) Lekin uske liye main aapki aalochna karna chahunga ki  ” Bhadas.blogspot.com ” [agar ye aapki or se sanchalit hai  aur aap us aadmi ka nam janten hon to ] par ek aadmi ne ” Agyat ” nam se Joshi ji ke khilaf  likha hai , aur jisne  likha hai use samajik gyan to bilkul bhi nahin hai , unka nam- pata { Postal address } agar den to main unse jaroor milna chahunga , Aapko ya kisi ko bhi , kisi Sansthan ke naam se kiye jane wale aalochna men Nam Chhipana jaroori ho to chhipana koi julm nahin hai , Lekin kisi ka nam lekar aisi baaten likhna manhani hai , aur man-hani ka mukadma kahin bhi kayam kiya ja sakta hai.

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Atah aapse prathna hai ki Agyat ke naam agar aap khud na janten hon to aisi samagri ko roken , han , agar aap nam aur pata wala Postal Address hamen den to main unse milna chahunga, Yeemandari ki thodi PATTH ( LESSON ) paribhasha unse jaroor sikhna chahunga, Malayee kaisi hoti hai thoda chabhna chahunga. Khair mujhhe vishwash ki aap  agar janten hongen to mujhhe unka nam pata dengen (AGAR AAP BHADAS.BLOGSPOT SANCHALIT KARTEN HON TO)

Sadar—

Bharat Sagar   

वरिष्ठ पत्रकार, हैदराबाद

[email protected]

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