उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और आंध्र प्रदेश के निवर्तमान राज्यपाल एनडी तिवारी के खिलाफ तथाकथित सेक्स स्कैंडल का स्टिंग आपरेशन दिखाने जाने पर इंडियन ब्राडकास्टर फेडरेशन (आईबीएफ) ने तेलुगू न्यूज चैनल पर कार्रवाई की मांग की है। आईबीएफ के अध्यक्ष और जी नेटवर्क के निदेशक जवाहर गोयल का कहना है कि न्यूज चैनल पर इस तरह की सीडी का प्रसारण करना और सामने वाले को किसी तरह की सफाई का मौका नहीं देना ठीक नहीं है। उनका कहना है कि जिस चैनल ने एनडी तिवारी का स्टिंग आपरेशन करके यह सीडी चलाई है उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। उनका साफ कहना है कि न्यूज चैनल पत्रकारिता की मर्यादाओं का उल्लंघन न करें।
तिवारी के सेक्स स्कैंडल से मीडिया जगत में एक बार फिर विवाद गहरा गया है कि क्या इस तरह की सीडी दिखाना उचित है? इस सीडी को लेकर मीडिया जगत में मतभेद जाहिर होने लगे हैं। जहां आईबीएफ न्यूज चैनल पर कार्रवाई की मांग कर रहा है, वहीं सीएनएन-आईबीएन चैनल के प्रमुख और एडिटर्स गिल्ड के अध्यक्ष राजदीप सरदेसाई का कहना है कि यदी एनडी तिवारी राज्यपाल के पद पर रहते हुए राजभवन में कॉलगर्ल्स को बुलाते हैं क्या यह जनहित में है? ऐसे में यदि किसी न्यूज चैनल ने स्टिंग आपरेशन किया है तो इसमें कोई गलत नहीं है। पर यदि साजिशन तिवारी की छवि धूमिल करने के लिए इस तरह की सीडी चलाई गई है तो उस चैनल का लाइसेंस रद्द कर देना चाहिए और चैनल पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
हालांकि सरदेसाई यह साफ कहते हैं कि यदि उनके चैनल को बाहर से यह सीडी मिली होती तो वह उसका प्रसारण बिल्कुल नहीं करते पर राजभवन में कॉलगर्ल्स बुलाए जाने की बात जानने पर वह अपने स्तर पर इस मामले की तहकीकात करके खबर चलाने का प्रयास जरूर करते। सरकार की सख्ती के बाद चैनलों के आत्मनियंत्रण की बात पूछे जाने पर उनका कहना है कि पिछले एक साल में चैनलों ने कुछ सुधार किया है और धीरे-धीरे लोग अपनी जिम्मेदारी समझ रहे हैं। उनका मानना है कि ऐसा नहीं है कि चैनल बिल्कुल शुद्ध खबरों की ओर चल रहे हैं पर स्थिति मे सुधार हुआ है।
ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन का भी कहना है कि ऐसा कोई कानून नहीं है कि इस तरह का स्टिंग आपरेशन दिखाया जाना चाहिए या नहीं, लेकिन यदि कोर्ट ने इस पर रोक लगाई तो इसका मतलब है कि यह जनहित में नहीं है। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष और एनडीटीवी के पंकज पचौरी का कहना है कि स्टिंग आपरेशन करने के भी अपने कुछ नियम होते हैं। पहला यह कि वह जनहित में हो और दूसरा जिसके खिलाफ स्टिंग आपरेशन किया गया हो उसे इसके बारे में बताया जाए। उनका कहना है कि चैनलों को अपनी मर्यादाओं को ध्यान में रखना चाहिए।
एसोसिएशन के महासचिव और ईटीवी के एनके सिंह का कहना है कि आपराधिक न्याय प्रक्रिया इतनी लचर और कमजोर है कि जिसकी वजह से अपराधी छूट जाते हैं। अदालत को सबूत की जरूरत पड़ती है इसलिए सबूत जुटाने के लिए कई बार तकनीक का सहारा लेना पड़ता है। उनका कहना है कि रुचिका आत्महत्या मामला यदि यूरोप में हुआ होता है हरियाणा के पूर्व डीजीपी राठौर इतनी आसानी से नहीं छूटते। वह मानते हैं कि राज्यपाल का ओहदा काफी महत्वपूर्ण है और राजभवन की अपनी गरिमा होती है। इसलिए यह नहीं भूलना नहीं चाहिए कि सार्वजनिक छवि वाले व्यक्ति हमेशा लोगों की नजर में रहते हैं। हालांकि वह मानते हैं कि यदि चैनल ने कोई फर्जी या झूठी सीडी दिखाई है तो यह बिल्कुल गलत है और इस पर कार्रवाई होनी चाहिए। इस मामले पर इंडिया टीवी के प्रमुख रजत शर्मा ने कुछ भी प्रतिक्रिया व्यक्त करने से इनकार कर दिया। साभार : नई दुनिया
Awdhesh kumar mishra
January 16, 2010 at 5:39 am
मेरे विचार से नारायण दत्ता तिवारी के खिलाफ दिखाया गया स्टिंग ऑपरेशन बिलकुल जायज़ है क्योंकि जब राज्यपाल महोदय को राजभवन में लड़कियां बुलाने में शर्म नहीं आई तो मीडिया का तो फ़र्ज़ ही है सच दिखाना यह स्टिंग जनता के हित में है आखिर जनता को भी तो पता चले की वो जिन पर विस्वास करते है वो क्या गुल खिला रहे है
J.N.Singh
January 21, 2010 at 4:33 pm
yah chanel bahut bahadur hai