विदेशी-देशी किताबों और रिपोर्टों-पर्चों से बेहिसाब मैटर चुराकर धड़ाधड़ किताबें लिखने वाले यूनिवर्सिटी लेक्चरर-प्रोफ़ेसरों को बेनकाब करने वाली एक खोजपरक टीवी रिपोर्ट श्रृंखला की शुरुआत इसी रविवार पहली नवंबर से कर रहा है सीएनईबी न्यूज़ चैनल। श्रृंखला के पहले एपिसोड में वर्धा के अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के प्रमुख अनिल के राय अंकित और दिल्ली के जामिया मिलिया के रीडर दीपक केम के कारनामों का भंडाफोड़ किया गया है। एपिसोड में देश की प्रसिद्ध अकादमिक हस्तियों प्रोफेसर बिपिन चंद्रा और प्रोफेसर यशपाल की तीखी टिप्पणियां भी हैं जिसमें दोनों ने दोषियों के खिलाफ़ तत्काल कड़ी कार्रवाई करने और उन्हें बर्खास्त करने की सिफ़ारिश की है।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी अपनी राय जाहिर करते हुए कहा है कि ऐसे लोगों तत्काल उनकी सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया जाना चाहिए। इस पहले एपिसोड में यह भी दावा किया गया है कि प्रति वर्ष कई सौ करोड़ रुपये के इस धंधे में प्रकाशक और लेखक दोनों की मिलीभगत होती है और इस तरह की किताबें अधिकतर केवल विश्वविद्यालयों के पुस्तकालयों की अल्मारियों में कैद होने के लिए ही लिखी-छापी जाती हैं। इंटरनेट के उभार ने चोरी के इस धंधे को अधिक आसान बना दिया है और लोग एक-एक साल में पांच-दस नहीं, दो दर्ज़न से भी ज्यादा किताबें लिख रहे हैं।
सीएनईबी पर इस कार्यक्रम को एक नवंबर को शाम साढ़े आठ बजे देख सकते हैं। प्रेस विज्ञप्ति