Connect with us

Hi, what are you looking for?

कहिन

पाक की खबरें, भारतीय न्यूज चैनल, सीएमएस सर्वे

मीडिया चरित्र (1) : इस बात में कोई शक नहीं कि खबरिया चैनल विज्ञापन और टीआरपी बटोरने के लिये किसी को भी बेच सकते हैं। केवल उन्हें इस बात का आभास होना चाहिये कि कौन सा विषय सबसे अधिक बिक सकता है। उन्हें लगता है कि जिससे लोगों में आतंक, भय और सनसनी पैदा हो, वह ज्यादा बिकता है। टेलीजिवन चैनल लोगों में डर और आतंक पैदा करने में इतने माहिर हैं कि किसी से भी भय पैदा कर सकते हैं। अपने इस फन का मुजाहिरा उन्होंने कई बार किया है। ये चैनल बारिश अधिक हो जाये तो धरती के जलमग्न होने की, ठंड अधिक हो जाये तो हिम युग लौटने की और वैज्ञानिक अगर कोई प्रयोग करने लगें तो धरती के महाविनाश की भविश्यवाणी करके लोगों को आतंकित कर देते हैं। आतंकवादियों ने मुंबई पर हमले करके और कई बेगुनाहों की हत्या करके देश में जितना आतंक फैलाया था, उससे कई गुना अधिक आतंक खबरिया चैनल अब भी फैला रहे हैं और आगे भी फैलाते रहेंगे। लेकिन आतंक फैलाने का खबरिया चैनलों का उद्देश्य लोगों को आगाह करना या उन्हें सतर्क बनाना नहीं बल्कि आतंक को बेचना है।

मीडिया चरित्र (1) : इस बात में कोई शक नहीं कि खबरिया चैनल विज्ञापन और टीआरपी बटोरने के लिये किसी को भी बेच सकते हैं। केवल उन्हें इस बात का आभास होना चाहिये कि कौन सा विषय सबसे अधिक बिक सकता है। उन्हें लगता है कि जिससे लोगों में आतंक, भय और सनसनी पैदा हो, वह ज्यादा बिकता है। टेलीजिवन चैनल लोगों में डर और आतंक पैदा करने में इतने माहिर हैं कि किसी से भी भय पैदा कर सकते हैं। अपने इस फन का मुजाहिरा उन्होंने कई बार किया है। ये चैनल बारिश अधिक हो जाये तो धरती के जलमग्न होने की, ठंड अधिक हो जाये तो हिम युग लौटने की और वैज्ञानिक अगर कोई प्रयोग करने लगें तो धरती के महाविनाश की भविश्यवाणी करके लोगों को आतंकित कर देते हैं। आतंकवादियों ने मुंबई पर हमले करके और कई बेगुनाहों की हत्या करके देश में जितना आतंक फैलाया था, उससे कई गुना अधिक आतंक खबरिया चैनल अब भी फैला रहे हैं और आगे भी फैलाते रहेंगे। लेकिन आतंक फैलाने का खबरिया चैनलों का उद्देश्य लोगों को आगाह करना या उन्हें सतर्क बनाना नहीं बल्कि आतंक को बेचना है।

खबरिया चैनलों की नजर में आतंकवाद खबरों के बाजार में महंगा बिकता है इसलिये वे अपनी हर खबर से आतंक पैदा करने की कोशिश में लगे रहते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा आतंक पैदा हो और ज्यादा से ज्यादा कमाई हो। अधिक कमाई के खेल में इन चैनलों ने पाकिस्तान से जुड़ी हर खबर को बेचा। जनपथ पर उतरन बेचने वालों की तरह खबरिया चैनलों के पत्रकारों और एंकरों ने पाकिस्तान से जुड़ी ऐसी-ऐसी खबरों को गला फाड़ कर बेचा जिन्हें कई समाचार पत्र आज तक खबर ही नहीं मान पाये और इन खबरों को एक पैरे भी जगह देने लायक नहीं समझ पाये। ‘विनाश की कगार पर बैठा है पाकिस्तान’, ‘टूट जायेगा पाकिस्तान’, ‘बर्बाद हो जायेगा पाकिस्तान’, ‘बारूद की ढेर पर पाकिस्तान’ और ‘अफगानिस्तान की राह पर पाकिस्तान’ जैसी घोषणायें ये चैनल रोज करते रहे, लेकिन इन घोषणाओं के पीछे की सच्चाई क्या थी, सबको पता है।

एक पत्रकार होने के कारण खबरिया चैनलों को यदा-कदा देखने के लिये अभिशप्त हूं। मुंबई हमले के बाद से पिछले कुछ दिनों तक इन चैनलों को देखते समय कई बार मुझे यह लगता रहा कि ये चैनल वाले आतंकवाद और पाकिस्तान, तालिबान, जैश-ए-मोहम्मद वगैरह-वगैरह को बहुत अधिक महत्व दे रहे हैं। मेरी इस धारणा की पुष्टि मीडिया की प्रकृति एवं प्रवृत्ति के बारे में अध्ययन करने वाली संस्था – सेंटर फार मीडिया स्टडी (सीएमएस) के मीडिया लैब के प्रमुख श्री प्रभाकर ने की। उन्होंने बताया कि सीएमएस ने मुंबई हमलों के बाद से खबरिया चैनलों के कवरेज का अध्ययन करने पर पाया कि देश के प्रमुख छह चैनलों पर इन हमलों के बाद से पाकिस्तान एवं वहां से जुड़ी खबरों के कवरेज एवं उनके विश्लेषण को दिये जाने वाले समय में तेजी से इजाफा हुआ। फरवरी माह में पाकिस्तान से जुड़ी खबरों को अन्य विषयों और यहां तक कि चुनाव की खबरों की तुलना में दोगुना समय दिया गया। हालांकि मार्च में चुनाव की सरगर्मियों में तेजी आने पर पाकिस्तान की खबरों का कवरेज कम हुआ।

सीएमएस के अध्ययन के अनुसार ये चैनल मुंबई हमलों के पूर्व तक पाकिस्तान से आने वाली खबरों को 100 मिनट का समय दे रहे थे लेकिन मुंबई हमलों के बाद इसमें इजाफा होता गया और मार्च में इन चैनलों ने इन खबरों को 3400 मिनट का समय दिया अर्थात 34 गुना अधिक। सीएमएस ने अध्ययन के दायरे में जी न्यूज, आज तक, सीएनएन-आईबीएन, एनडीटीवी 24×7, स्टार न्यूज और डीडी न्यूज को शामिल किया है। इस अध्ययन के मुताबित 26 नवम्बर को मुंबई पर आतंकवादी हमलों के समय इन खबरिया चैनलों पर पाकिस्तान से आने वाली खबरों को 100 मिनट का अर्थात प्राइम टाइम प्रसारण का करीब 0.73 प्रतिशत समय दिया गया जो दिसंबर में बढ़कर चार प्रतिशत तथा फरवरी में दस प्रतिशत तथा मार्च में साढ़े 12 प्रतिशत हो गया। हालांकि मार्च में चुनाव तथा राजनीतिक खबरों का कवरेज बढ़कर 30 प्रतिशत हो गया। इस अध्ययन के अनुसार जब वरूण गांधी का मुद्दा जोरों पर था, उस समय भी वरूण गांधी से जुड़ी खबरों का कवरेज दस प्रतिशत था अर्थात पाकिस्तान से आने वाली खबरों के कवरेज से ढाई प्रतिशत कम।

हालांकि आतंकवाद बहुत बड़ी समस्या है लेकिन हमारे देश की बड़ी आबादी जिन मुद्दों से सबसे अधिक प्रभावित होती है उनमें आतंकवाद का स्थान काफी पीछे है। हमारे देश के लोगों के लिये आतंकवाद और आईपीएल की तुलना में गरीबी, भुखमरी, जन सुविधाओं और चिकित्सा सुविधाओं का अभाव, पानी की कमी, आवास समस्या, अशिक्षा, अंधविश्वास आदि बड़े मुद्दे हैं। आतंकवाद से कई गुना बड़ा मुद्दा सड़क दुर्घटना और प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं की मौत है। एक साल में आतंकवाद से जितने लोग मरे होंगे और जितने परिवार बर्बाद हुये होंगे उससे कई गुना लोग और कई गुना परिवार एक साल में केवल दिल्ली में विनोद विप्लवसड़क दुर्घटनाओं में मरे होंगे। हमारे देश में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के कारण हर घंटे 440 महिलाएं प्रसव के दौरान मौत का ग्रास बन जाती हैं। आप हिसाब लगाइये, मुंबई हमलों में जितने लोग मारे गये, उसकी तुलना में कितनी महिलाएं उन घंटों में मारी गयी होंगी जब आतंकवादियों ने मुंबई को बंधक बना लिया था, लेकिन चैनलों ने इन अभागी महिलाओं की मौत पर कितना सेकेंड समय दिया। हमारे देश की गरीब महिलाओं की मौत और गरीबों की बेबसी को दिखाकर क्या मिलेगा। लेकिन समय का चक्र बदले देर नहीं लगता। खुदा न करें गरीबी, बेबसी और लाचारी की हवा इन चैनल वालों को लगे।


इस रिपोर्ट के लेखक विनोद विप्लव पत्रकार, कहानीकार और ब्लागर भी हैं। वे न्यूज एजेंसी ‘यूनीवार्ता’ में विशेष संवाददाता हैं। उनसे [email protected] या 9868793203 के जरिए संपर्क किया जा सकता है।


This e-mail address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it  

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement