लखनउ में जुटे पचीसों हजार शिक्षामित्रों पर तो पुलिस की एक नहीं चली, लेकिन खिसियायी पुलिस ने अपनी सारी भड़ास मीडियाकर्मियों पर निकाली। यूएनआई टीवी के संवाददाता विशाल रघुवंशी के साथ कल लखनऊ पुलिस ने परिवर्तन चौक पर न केवल हाथापाई की, बल्कि कैमरा और माइक आईडी भी छीन ली। बाद में कैमरा जमीन पर दे मारा। हैरत की बात यह है कि इस मसले पर किसी भी पत्रकार संगठन ने अब तक हस्तक्षेप करने की जरूरत ही नहीं समझी है।
हां, छिटपुट पत्रकारों ने शाम को आईजी की प्रेस कांफ्रेंस में इस मसले को जरूर उठाया। हुआ यह कि अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के दौरान शहीद स्मारक पर पचीसों हजार शिक्षामित्र आंदोलन के लिए इकट्ठा हुए। कवरेज के लिए यूएनआई टीवी के विशाल रघुवंशी अपने कैमरामैन के साथ मौके पर पहुंचे। इसी बीच डीआईजी के निर्देश पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। शिक्षामित्रों ने भी इस बात पर हंगामा किया, पथराव किया। पथराव में डीआईजी खुद भी चोट खाये,लेकिन सैकड़ों शिक्षामित्रों को खासी चोट आयी।
उधर अचानक हजरतगंज क्षेत्र के पुलिस इंस्पेक्टर कवींद्र शुक्ला ने विशाल का कैमरा और माइक आईडी छीन लिया। खुद को बसपा आलाकमान का करीबी बताने वाले कवींद्र ने इन दोनों के साथ हाथापाई भी की। कैमरा जमीन पर पटक कर तोड़ दिया। साथ के कुछ पुलिसकर्मियों ने इन पत्रकारों का मोबाइल तक छीन लिया। इन पत्रकारों को भद्दी गालियां दी गयीं। हालांकि बाद में बड़े अफसरों के हस्तक्षेप पर इन दोनों को रिहा कया गया। बताते हैं कि शिक्षामित्रों पर पुलिस ने बर्बतापूर्वक लाठियां चलायीं और उन्हे डंडों व जूतों से पीटा। अपनी इस करतूत को पुलिसवाले नहीं चाहते थे कि मीडिया कवर कर सके, इसीलिए यह अभद्रता की गयी। बहरहाल, बाद में आईजी कानून-व्यवस्था एपी महेश्वरी की प्रेस कांफ्रेंस में कुछ पत्रकारों ने इसकी शिकायत भी की। माहेश्वरी ने मामले की जांच का वायदा किया है।
shweta verma
September 15, 2010 at 8:39 am
पुलिस वर्दी के कहर का शिकार आये दिन पत्रकार बनते रहे है, देश की ये कोई पहली घटना नहीं है, जंगली राज का इससे बड़ा नमूना क्या देखने को मिलेगा, ये बहुत ही तिरस्कार योग्य बात है, पुलिस और पत्रकार दोनों ही समाज में जिम्मेदारी का पेशा माने गए है, जिनकी समाज के लोगो के प्रति कुछ जिम्मेदारियां होती है, लेकिन इस प्रकार की गिरी हुयी घटना से समाज के प्रति इन वर्दी धारियों और खोखली मानसिकता के लोग क्या अपनी जिम्मेदारी क्या समझेगे?
shweta verma
sarfaraz warsi
September 15, 2010 at 7:37 am
मायावती के राज में समाज का चौथा स्तम्भ माने जाने वाले पत्रकारों को आये दिन पुलिसिया वर्दी के कहर का भाजन बनना पड़ता है, जो की पूरे समाज के लिए बहुत ही निदनीय बात है,इस तरह की हरकतों से पत्रकारों को तोड़ने की कोशिश की गयी है, लेकिन इन तुच्छ हरकतों से पत्रकारों को झुकाया नही जा सकता, बल्कि इस तरह की हरकतों से विचारो में और मजबूती आ रही है sarfaraz warsi , Barabanki
Rizwan Mustafa
September 15, 2010 at 7:40 am
jute khate raho, khamosh raho patrkaro Maya ke rajy me chun -Chun ke Mare Jaoge,koi mara jayga, kisi ka camara china jayega,kisi ka alot makan khali karaya jayega,kisi ka bijli chori ka mukadma hoga,koi chain sneching me pakda jayga,koi ladki ke saat baramad hoga,ek senior reporter ko hazrat ganj chaurahe par car se utarkar homgurd tappad kushai kar chuka hai,lekin hamra zamir jute khor ho chuka hai,aur bik chuka hai,2 kaudi ke daroga ab chinege camra,pitenge patrkar ko union rahengi khamosh,utho reportero jago awaz uthao, samman pao,jute nahi
yogesh tripathi yogi
September 15, 2010 at 7:46 am
bhai vishal ap pareshan mat ho………………
pure deshy ke journlist apke sath kandha se kandh milakar iska jawa dege……………….
dilip singh rathod
September 15, 2010 at 8:16 am
sarfraj bhai, this will hapn again n again…..kyunki media mai ekta khatm ho gayee hai…abhi to shuruat hai…jahan aap vicharo ki baat kar rahe hain…vahin kuch log is masle par chathkhare lekar apna ullu sidha kar rahe honge….ye succhai aap bhi jante hain aur mai bhi…nway kabhi to hum ikattha honge….intazaar rahega…
alok malviya.allahabad
September 15, 2010 at 8:58 am
ye pulisiya kahar ab patrkaaro par bhi aam ho gaya hai.ab jarurat hai ek jut hone ki ye mauka hai ki police ko apni ekta dikhaneka aur police ko unka kam batane ka.
deepaknirbhay
September 15, 2010 at 10:27 am
पत्रकारों पर पुलिसिया हमला कोई नयी घटना नहीं है ,पहले भी ऐसा शर्मनाक वाकया होता रहा है कहने को तो मीडिया कार्यपालिका का चौथा स्तम्भ है और हमेशा से ही समाज का हर वर्ग मीडिया की तरफ उम्मीद भरी नजर से देखता है उसे लगता है की मीडिया के हस्तक्षेप से अन्याय,भ्रष्टाचार,और अपराध ख़त्म होगा और बेलगाम अफसरशाही पर लगाम लगेगी लेकिन बड़ी बड़ी बातें करने वाले मीडिया के अलावा समाज के बाकी तीन स्तम्भ भी कहीं न कहीं ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं ,जब उनकी कोई बात होती है तो सब एक जुट हो जाते है मगर जब उसी कार्य पालिका के चोथे स्तम्भ यानि की मीडिया के किसी पत्रकार पर हमला होता है या उसकी जान चली जाती है तो यह सभी स्तम्भ अलग अलग खड़े नजर आते हैं अगर ऐसे समय में यह सभी स्तम्भ एकजुट हो एक साथ खड़े हो जाये तो एक ऐसे समाज का निर्माण हो सकता है जिसकी बुनियाद को हिलाने की न तो भ्रष्टाचार में हिम्मत होगी और नहीं अफसरशाही की हिम्मत . .दीपक ” निर्भय’ -बाराबंकी
ankit
September 15, 2010 at 3:49 pm
मायावती के राज में समाज का चौथा स्तम्भ माने जाने वाले पत्रकारों को आये दिन पुलिसिया वर्दी के कहर का भाजन बनना पड़ता है, जो की पूरे समाज के लिए बहुत ही निदनीय बात है,इस तरह की हरकतों से पत्रकारों को तोड़ने की कोशिश की गयी है, लेकिन इन तुच्छ हरकतों से पत्रकारों को झुकाया नही जा सकता, बल्कि इस तरह की हरकतों से विचारो में और मजबूती आ रही है ankit barabanki
praveen shukla
September 16, 2010 at 6:53 pm
u.p. ke police wale gulami ki mansikta se kaam kar rahe hai. is ghatna ki jitni ninda ki jaaye kam hai.
Anshul Srivastava
September 23, 2010 at 1:08 pm
Agar Aisa hi Aage Hota Raha To sayad desh ka fourth piller kahan jane wala patrakarita ka namo nishan mit jayega aur phir dekhte hai ki kaun in police walo ka gud work paper ya tv me dikhayega agar media na ho to kaun jane ki kaun desh ka mukhya mantri hai aur kaun desh ka pradhan mantri lekin phir bhi sarkar hamare liye koi hi suvidha muhaiya mahi karati hai chahe wo neta ho ya phir abhineta ho ya phir koi mafiya agar media na ho to sayad inhe ginti k kuch hi log pahchanege 1 taraf to hum logo ko koi bhi suvidhaye nahi di jarahi balki mara aur jata hai pale vishal aur uske bad varisth patrakar ko 1 security guard ne mara 1 taraf to humko bhi desh la 4th estambh kahan jata hai dusri taraf hamare sath itna bura vyabhar kiya ja raha hai Anshul Srivastava