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तस्कर निकाल रहे अखबार : विभांशु दिव्याल

[caption id="attachment_17192" align="alignleft"]विभांशु दिव्यालविभांशु दिव्याल[/caption]पूर्वांचल पत्रकार सम्मेलन को मनोज तिवारी, डा. कलानिधि मिश्र, मनमोहन समेत कई पत्रकारों ने संबोधित किया : पिछले दिनों कुशीनगर के राजकीय बौद्ध संग्रहालय में उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन के तत्वावधान में पूर्वाचल पत्रकार सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार व राष्ट्रीय सहारा के पूर्व संपादक विभांशु दिव्याल मौजूद थे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आज के परिवेश में इमानदार पत्रकारों को तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

विभांशु दिव्याल

विभांशु दिव्यालपूर्वांचल पत्रकार सम्मेलन को मनोज तिवारी, डा. कलानिधि मिश्र, मनमोहन समेत कई पत्रकारों ने संबोधित किया : पिछले दिनों कुशीनगर के राजकीय बौद्ध संग्रहालय में उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन के तत्वावधान में पूर्वाचल पत्रकार सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार व राष्ट्रीय सहारा के पूर्व संपादक विभांशु दिव्याल मौजूद थे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आज के परिवेश में इमानदार पत्रकारों को तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

लेकिन इन मुश्किलों-चुनौतियों के बाद भी पत्रकार की यह जिम्मेदारी है कि वह अपने कर्तव्य और सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक रहे। उन्होंने कहा कि सत्य से नहीं हटेंगे, अन्याय के विरूद्ध लड़ेंगे, यही पत्रकार का धर्म होना चाहिए। विभांशु दिव्याल ने कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में आज पूंजी के बढ़ते निवेश के चलते उसका चरित्र और स्वरूप बदल गया है। उन्होंने कहा- मंदिर में तो पैसा मोक्ष पाने के लिए व्यक्ति लगाता है लेकिन व्यापार में पूंजी निवेश मात्र लाभ लेने के लिए होता है। अखबार भी अगर लाभ लेने का माध्यम बन जायेगा तो यह घातक होगा। आज तस्करी करने वाले लोग अखबार शुरू कर रहे हैं। यह दौर न तो बाल गंगाधर तिलक का है और न गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे पत्रकार का। इन पत्रकारों के जमाने में गांधी जैसे राजनीतिक थे। अब जो दौर है उसमें परिवर्तन के लिए पत्रकारों को काफी संघर्ष करना होगा।

स्मारिका का विमोचन

बतौर विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय सहारा गोरखपुर यूनिट के संपादक मनोज तिवारी ने कहा कि सूचना क्रांति के इस दौर में सामाजिक बुराइयों को पटल पर लाने में ग्रामीण क्षेत्रों के पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है। अखबार जब जन समस्याओं को तरजीह देंगे तो गांव और शहर की पत्रकारिता में कोई सीमा रेखा नहीं रह जायेगी। पत्रकारिता के क्षेत्र में कोई अपना बंधु-बांधव नहीं होता, जिसमें यह भावना रहेगी वही निष्पक्ष पत्रकार माना जायेगा। पत्रकारिता को जन्नोनमुखी बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए। बतौर विशिष्ट अतिथि अग्ग महापंडित भदंत ज्ञानेश्वर ने  पत्रकारों को समाज का सबसे बड़ा रक्षक बताते हुए कहा कि पत्रकारों को जाति धर्म की संकीर्णता से उबरकर मानवता के कल्याण के लिए कलम चलानी चाहिए।

आकाशवाणी गोरखपुर के केंद्र निदेशक डॉ. अरविंद त्रिपाठी ने कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में भाषा का सशक्त होना पत्रकार का प्रमुख अस्त्र है। अगर कलम में ताकत है तो भाषा उसका आधार। डॉ. प्रमोद कुमार पांडेय ने कहा कि सच्चाई के प्रति समर्पित होने वाला ही पत्रकार होता है। आज की तमाम समस्याओं के प्रति लोग आशा भरी निगाह से पत्रकारों की ओर देखते हैं। प्रेस और जनता ही लोकतंत्र की बुनियाद है। लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. कलानिधि मिश्र ने कहा कि वैश्विक घटनाएं गवाह हैं कि इमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करने वाला पत्रकार किसी की कृपा का मोहताज नहीं है। उसकी लेखनी सत्ता पक्ष व ब्यूरोक्रेट तक को आये दिन सबक सिखाती रहती है। अपनी ताकत का बेजा इस्तेमाल करने वाले देर-सबेर जेल के सलाखों के पीछे पहुंचे हैं तो वह सब भी समर्थ पत्रकारों की ही देन है।

अध्यक्षीय संबोधन में उपजा के प्रदेश महासचिव मनमोहन ने कहा कि ग्रामीण अंचल की खबरें ही समाचार पत्र की रीढ़ हैं। आज समाज के विभिन्न क्षेत्रों सम्मेलन में उपस्थित पत्रकारमें गिरावट की स्थिति है, मीडिया का क्षेत्र भी इससे वंचित नहीं है। उन्होंने पत्रकारों से पीत पत्रकारिता से बचने का आह्वान किया। इस मौके पर मुख्य अतिथि श्री दिव्याल, मनोज तिवारी, प्रमोद पांडेय, डॉ. प्रभाकर शुक्ल समेत अन्य अतिथियों ने उपजा द्वारा प्रकाशित स्मारिका का विमोचन किया। इसके बाद आयोजकों की ओर से सभी अतिथियों को अंग वस्त्र एवं प्रतीक चिंह देकर संमानित किया गया। सम्मेलन का शुभारम्भ माता सरस्वती व भारत मां के चित्र पर पुष्पार्चन व दीप प्रज्जवलन कर किया गया। आभार कार्यक्रम के संयोजक डॉ. प्रभाकर शुक्ल ने प्रकट किया। सफल संचालन डॉ. अभिजीत शुक्ल ने किया।

सम्मेलन में खड्डा नगर पंचायत के अध्यक्ष डॉ. निलेश मिश्र, कसया नगर पंचायत अध्यक्ष के प्रतिनिधि कस्तूर चंद जायसवाल, बिड़ला मंदिर के प्रबंधक वीरेंद्र तिवारी, गोरखपुर के चिकित्सक डॉ. डी.पी. सिंह, रजनीकांत मणि त्रिपाठी, हरी प्रसाद गुप्त, लालजी भ्रमर, राजकुमार नायक, संपादक श्यामसुंदर मिश्र प्राण, अतुल श्रीवास्तव, अनुपम द्विवेदी आदि ने भी अपने विचार रखे।

सम्मेलन समापन अवसर पर उपजा के कुशीनगर जिलाध्यक्ष अवधेश तिवारी ने मुख्यमंत्री को संबोधित पत्रकारों की विभिन्न समस्याओं से सम्बंधित ज्ञापन पढ़ा। इस अवसर पर मिथिलेश्वर पांडेय, अमित सिंह, ‘मोनू’ विनयकांत मिश्र, श्यामसुंदर मिश्र, रजनीश राय, यशवंत राव, शशिधर मिश्र संयोजक देवरिया, राकेश तिवारी, दिनेश कुमार तिवारी, पुनीत मिश्र, अजय तिवारी, जनार्दन शर्मा, दुर्गेश मिश्र, सुरेंद्र तिवारी, वीरेंद्र सिंह, अशोक सिंह, अजय मिश्र, अशोक मिश्रा, दिनेश ओझा, संजीव द्विवेदी, अखिलेश, संतोष सिंह, मनीष मिश्रा समेत पूर्वाचल के विभिन्न जिलों से आये पत्रकार बंधु उपस्थित रहे।   

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0 Comments

  1. chandra prakash pandey

    March 27, 2010 at 9:09 am

    thanks for u r crusader commet dival jee

  2. Rajendra

    March 27, 2010 at 3:31 pm

    Tasker hi nahin har tarah ke samajdrohi aj patrakaar ban gaye han, jinme koot koot ker aadmi ko loot lene ki hawas bhari padi hai. aise logon se te UPERWALA hi bacha sakta hai.

  3. ramesh shukla

    March 28, 2010 at 2:10 pm

    divyal jee, bhaut achha comment apne kiya hai. iske liye apko dher sara badhaie kie apne aisa bolne ka sahas kiya. UPJA walo ko aise karyakram ke liye dher sari badhie. aise karyakram UPJA walo ko aur karana chaiye.
    Ramesh shukla.

  4. Anurg singh

    March 28, 2010 at 3:55 pm

    UPJA ko apne membero ka samuhik buma karana chaiye.kyokie jaha tak mujhe malum haie abhie tak upja ke membaro ka bima nahie haie.
    Anurg singh. Noida.

  5. Mohansingh

    March 28, 2010 at 5:07 pm

    Yah eak achie pahal haie. aise visyo par sarthak bahas honie chaie.Is tarah ke karyakram ke liye UPJA ke membaro ko thanks.
    Mohan singh. Delhi.

  6. शशि सिंघल

    March 29, 2010 at 5:55 pm

    मैं श्री विभांशु दिव्याल जी के विचारों से सौ प्रतिशत सहमत हूं ।

  7. Ishwar Dhamu

    March 30, 2010 at 12:45 pm

    Aaj ki Patrakarita par Divyal Jee ki tippani sateek hai.

  8. Sudhakar divedi

    April 4, 2010 at 1:03 pm

    vibhansu jee aap suru se sarthak patrakarita ke samarthak rahe haei.app apna akhbar nikaliye, kyoki akhbar se hatane ke bad appke sahara me vicharo ka pachh kamjor ho gya haie.
    Sudhakar Divedi
    Delhi

  9. Mahesh Pandey

    April 2, 2010 at 11:09 am

    Diyal jee aap ko dher sari badhaie. aap jaise rashteiya sahara ka Hastchhep nikalte the vaise fir kyeyo nahi nikal rahe haie. jab aap Hastchhep nikal te the tab sahara ka brand name ho gaya tha Hastchhep.pahle jaisa Hastchhep nikal ne se pathako ka ek bar phir viswas vapas aa jayega. ha Hastchhep me apna mein subject ka intro, chhaka aur phir thalkhi dena mat bhuliega.
    Mahesh Pandey
    Lucknow (up)

  10. Mahesh Pandey

    April 2, 2010 at 11:17 am

    Diyal jee,aapko sahi bat bolne ke liye bahut sari badhaie.
    Mahesh Pandey
    Dehradun.

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