बाजार को समझने में नाकाम रहा मीडिया : बाजार को देखने के लिए लोग मीडिया को देखते हैं। लेकिन मीडिया के लोग बाजार को कैसे देखें? इस सवाल पर बाजार के कई खिलाड़ियों ने सुझाव दिए। समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट आफ इंडिया के हीरक जयंती समारोह के एक सत्र में बैकिंग, शेयर और जिंस बाजार के दिग्गज खिलाड़ियों ने कहा कि मीडिया बाजार को प्रभावित करता है, साथ ही बाजार से प्रभावित भी होता है। ‘मीडिया, बाजार के पहरुए की भूमिका में’ विषय पर आयोजित इस सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित देश के सबसे बड़े निजी बैंक आईसीआईसीआई की मुख्य कार्यकारी और प्रबंध निदेशक चंदा कोचर ने विश्व बैंक की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि लोकतंत्र, स्वतंत्र मीडिया और विकास में सीधा संबंध है। बाजार के पहरेदार के रूप में मीडिया की यही भूमिका हो सकती है कि वह लोगों को तथ्यात्मक सूचनाएं दे। लोगों को बाजार संबंधी फैसले करने में मदद करे। उन्हें सवाल उठाने के लिए प्रोत्साहित करे।
चंदा कोचर ने कहा कि केवल आंकड़े परोसना ही काफी नहीं है। तथ्यों को आधारहीन बातों से अलग करके पेश करने और बात को उसके सही संदर्भों के साथ रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मीडिया बाजार में कंपनियों को जवाबदेह बनाने और लोगों के लिए नए अवसर दिखाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। विनोद मेहता ने कहा कि मीडिया बाजार को समझने में नाकाम रहा है। मीडिया में राजनीति और समाज के हर क्षेत्र पर निगाह रखने वाले लोग हैं। निगाह रखते भी हैं। लेकिन बाजार पर निगाह नहीं रखी जाती। शायद ही कोई ऐसा मौका है जब मीडिया ने बाजार के किसी घोटाले का भंडाफोड़ किया हो। यह भांडा अपने आप फूटता है फिर मीडिया उसके पीछे भागता है। मेहता ने आरोप लगाया कि मीडिया घरानों का बाजार से स्वार्थ है। नेशनल स्टाक एक्सचेंज की संयुक्त प्रबंध निदेशक चित्रा रामकृष्णन ने भी पश्चिम में किए गए अनुसंधानों का हवाला देते हुए कहा कि मीडिया का विकास वित्तीय बाजारों के विकास से प्रभावित हुआ है। बाजार के विकास ने इसे गति दी है। साथ ही यह निवशकों के फैसलों को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि मीडिया को बाजार के लिए समझ बढ़ाने वाली रिपटें प्रकाशित करनी चाहिए। साभार : जनसत्ता