इस तिमाही में एचटी का शुद्ध मुनाफा 31 करोड़, जागरण का 50 करोड़ और डेक्कन क्रोनिकल का 100 करोड़ : देश में कुछ ही समाचारपत्र कम्पनियां हैं जो स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हैं. हर तीसरे महीने इन्हें अपने वित्तीय नतीजे एक्सचेंज को दाखिल करने पड़ते हैं. इससे पता चलता रहता है कि इन समाचारपत्रों की वित्तीय दशा क्या चल रही है. ये अखबारों की आम वित्तीय हालत के बैरोमीटर हैं. कंपनियों पर दबाव रहता है कि वे हर तिमाही अच्छे नतीजे दिखाएं ताकि शेयरों का मूल्य अच्छा बना रहे और शेयर धारकों की कृपा बनी रहे. अच्छे नतीजे दिखाने के लिए सत्यम राजू तो निरंतर बढ़ा-चढ़ा कर हिसाब-किताब दिखाता था.
इस फ्रॉड के लिए आज वह सलाखों के पीछे है. लेकिन एचटी मीडिया सहित कुछ समाचार कंपनियां इस अंदेशे में कि अमेरिका से चला मंदी का झोंका उनके मुनाफे को कम कर देगा, अपने कर्मचारियों को बेमतलब नौकरियों से निकालने की असामाजिक करतूतें करती रहीं. हालांकि प्रधानमंत्री ने ऐसा न करने के लिए आगाह किया था. अब जब तीसरी तिमाही में अमेरिका की जीडीपी 3.5 प्रतिशत बढ़ चुकी है, यूरोप के बारे में आकलन आ चुके हैं कि चंद महीने बाद वह भी मंदी से निकल आएगा और भारत के विकास दर बनी रहने की तो किसी को आशंका थी भी नहीं, बल्कि यह मान्यता थी कि चीन और भारत सबसे तेज विकास करते रहेंगें. इस पृष्ठभूमि में आज यह देखना दिलचस्प है कि जो अखबार अपने कर्मचारियों के मुंह से निवाले छीन रहे थे, उन्होंने कुछ ही महीनों बाद किस तरह खासा मुनाफा कमाया है.
एचटी मीडिया लिमिटेड का शुद्ध मुनाफा इस तिमाही के तीन महीनों में 31 करोड़ रुपये है. यह मोटा मुनाफा इसलिए नहीं कि कंपनी के काबिल मैनेजरों ने कर्मचारियों के वेतन में मार्च तिमाही की तुलना में 4 करोड़ 54 लाख की कटौती करके दिखाई है. यह मुनाफा इसलिए है कि न्यूज़ प्रिंट आदि कच्चे माल की लागत पिछले साल की इसी तिमाही की तुलना में 23 करोड़ रुपये कम हो गयी है. इस कम लागत में सरकार के बेल-आउट का बड़ा हाथ है. अंग्रेजीदां एचटी मीडिया को जो अंग्रेजी के हिन्दुस्तान टाईम्स को अपना फ्लैगशिप पब्लिकेशन मानता है, हिन्दी के जागरण को अपना फ्लैगशिप पब्लिकेशन मानने वाले ने करारी शिकस्त दी है. इसका शुद्ध मुनाफा पिछले तीन महीनों में 50 करोड़ से ऊपर रहा है. हिंदी की जय हो!
जागरण के मुनाफे की ख़ास बात यह है कि इसमें कर्मचारियों के वेतन में खर्च में कटौती का कोई योगदान नहीं है बल्कि इसने वेतन व्यय बढ़ाया है. बिक्री से हुयी इसकी आय भी एचटी मीडिया से 100 करोड़ रुपये कम है. लेकिन इसका ऑपरेटिंग प्रोफिट जबरदस्त है, 33.7 प्रतिशत. इसकी तुलना में एचटी मीडिया का ऑपरेटिंग प्रोफिट महज 18.85 प्रतिशत है. देखने की चीज़ यह कि जागरण एचटी मीडिया की तुलना में कर्मचारियों पर लगभग आधा ही व्यय करता है. इसका मतलब यह नहीं कि जागरण के आम कर्मचारियों को एचटी मीडिया से कम वेतन मिलता है. फर्क यह है कि मोटी रकम चीरने वाले अफसरों की जो फौज एचटी मीडिया में है, जो आम कर्मचारियों के वेतन कम करने की जुगत में लगी रहती हैं, वैसी फौज शायद जागरण में नहीं.
लेकिन असली मुनाफा दिखाया है डेकन क्रोनिकल होल्डिंग ने. इसके दिल्ली से एशियन एज और फाइनेंशियल क्रोनिकल निकलते हैं. बंगलोर में डेकन क्रोनिकल छाया हुआ है. इस ग्रुप का मुनाफा अविश्वसनीय है- तीन महीने में 100 करोड़ रुपये. कौन कहता है कि टीवी और इन्टरनेट से अखबार बंद हो जायेंगे! लेकिन कर्मचारियों के वेतन पर यह ग्रुप जागरण से भी आधा खर्च करता है. इसके ऑपरेटिंग प्रोफिट की दर एचटी मीडिया से तीन गुनी है. बहरहाल पूछा जा सकता है कि मैनेजर कहां अच्छे हैं?
लेखक विनोद वार्ष्णेय वरिष्ठ पत्रकार हैं. इनसे संपर्क 09810889391 के जरिए किया जा सकता है.