श्रीमती दीक्षित निगम बोध घाट जाकर अंत्येष्टि में शामिल हुईं और परिवारवालों से मिलकर अपनी गहरी सहानुभूति प्रकट की। वित्त मंत्री डा. ए. के. वालिया ने कहा कि उन्होंने सच्चा मित्र खो दिया। महापौर डा. कंवर सेन, स्थायी समिति के अध्यक्ष रामकिशन सिंघल और सदन के नेता सुभाष आर्या ने निगम बोध घाट पर आकर उनके पार्थिव शरीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। डा. सेन ने कहा कि श्री शर्मा ने अपने कलम के माध्यम से दिल्ली वासियों में अमिट छाप छोड़ी है। उनके प्रतिभाशाली और विलक्षण व्यक्तित्व को हमेशा याद रखा जाएगा। वे एक जागरूक पत्रकार थे और उनकी कलम हमेशा निर्बल नागरिकों के पक्ष में चलती रही। उनके निधन से समाचार जगत को अपूरणीय क्षति हुई है उसकी भरपाई कर पाना मुश्किल होगा। निगम में विपक्ष के नेता जयकिशन शर्मा ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्हें इतनी महारत हासिल थी कि उनकी छत्रछाया में अनेक पत्रकार पल्लवित हुए। वे युवा पत्रकारों के लिए प्रेरणा स्रोत थे।
शिक्षा व परिवहन मंत्री अरविंदर सिंह लवली, सांसद व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल, वरिष्ठ कांग्रेस नेता सज्जन कुमार, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व विधायक डा. हर्षवर्धन, विधायक नसीब सिंह, पूर्व सांसद बी.एल. शर्मा प्रेम, पूर्व शिक्षा मंत्री व विधायक डा. नरेंद्र नाथ, निगम स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष बिजेंद्र गुप्ता, विधायक चौ. मतीन अहमद, पूर्व सांसद लाल बिहारी तिवारी, निगम के शाहदरा नार्थ जोन के चेयरमैन मनोज त्यागी, डिप्टी चेयरमैन संजय सुर्जन, निगम पार्षद लक्ष्मी धस्माना और राष्ट्रवादी सेना प्रमुख जयभगवान गोयल सहित काफी संख्या में नेताओं ने निगम बोध घाट पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर शोक प्रकट किया। अंत्येष्टि में शामिल पत्रकारों ने कहा श्री विष्णु दत्त शर्मा का जाना एक युग का अवसान है। उन्होंने पत्रकारों की एक पूरी पीढ़ी को सिखाया और पत्रकारिता करनी सिखाई। उनके मानवीय व्यवहार का हर कोई कायल था। कई ब्लॉग पर उनके निधन पर पत्रकारों ने शोक प्रकट किया है।
विष्णु दत्त शर्मा का जन्म एक जनवरी 1958 को बुलंदशहर के अनूपशहर में एक शिक्षक के घर में हुआ था। वह दो भाई और एक बहन में सबसे छोटे थे। स्नातकोत्तर तक शिक्षा प्राप्त कर सितंबर 1979 में वह दिल्ली आए। शुरू में उन्होंने काफी संघर्षमय जीवन बिताया, फिर उन्होंने पत्रकारिता की शुरूआत गाजियाबाद के हिन्ट समाचार पत्र से की थी और कुछ समय बाद ही जागरण समूह से जुड़े तो जागरण परिवार के सदस्य बनकर रह गए। वह पिछले 20 वर्षों से दैनिक जागरण से जुड़े थे। उनके परिवार में पत्नी, तीन बेटी, एक बेटा, बड़े भाई, बहन, माता जी एवं नाती नातिनों का भरापूरा परिवार है।
विष्णु दत्त शर्मा मानवीय पहलुओं का जीवन भर ख्याल रखते रहे। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए उन्होंने 11 मित्रों के साथ देहदान का संकल्प लिया था। इन्होंने 8 मार्च 1995 को कश्मीरी गेट में सब रजिस्ट्रार के समक्ष अपनी वसीयत तैयार कर देहदान का संकल्प लिया था। इस वसीयत पर उनकी पत्नी रीता शर्मा व भाजपा नेता आलोक कुमार ने गवाह के रूप में दस्तखत किए थे। फिर इन्होंने दिल्ली में दधिची देहदान समिति का गठन किया। विष्णु जी काफी समय तक समिति के उपाध्यक्ष रहे। उनकी मृत्यु के बाद परिवार वालों ने उनकी इच्छानुसार देहदान करनी चाही, लेकिन चिकित्सकों ने चिकित्सकीय परीक्षण के लिए देह को उपयुक्त नहीं बताया जिससे पत्नी रीता शर्मा और पुत्र आशीष ने उनकी आंखें दान कर दीं। गुरुनानक आई अस्पताल के चिकित्सकों की टीम ने निगम बोध घाट पर उनकी अंतिम इच्छा पूरी कर दी। उनकी आंखों से दो लोगों की जिंदगी में उजाला आएगा।
naveen gautam.delhi
March 20, 2010 at 1:10 pm
duniya ko apni ankhe dene vale mujhe kyon ansu de gaye bhai. sat sat naman apki mahanta ko.
gulshan saifi
March 20, 2010 at 2:52 pm
wah vishnu ji,
jeete ji to gyan ka parkash felaya.jate jate netro ka parkash de gaye.
dhanay hai wo mata pita jinhone aise putar ke mata pita hone ka gourav prapt kiya.mai vishnu ji ke nidhan par shok parkat karta hoon aur unke pariwar ke liye kamna karta hoon bhagwan unhe ish mushkil ke palo me himmat de
bhari man se
gulshan saifi
kamal.kashyap
March 20, 2010 at 10:02 pm
aap ko aap ki coloney ke ek yuya reporter ka salam. app amar hai. aur rhenge. vishnudatt jisa patarkar marta nahi amur ho jata hai. bhagvan aap ke pariver ko. himmat aur. sahass de. jay patarkrar jai bharat…..
Tarun Sisodia
March 22, 2010 at 10:34 am
पत्रकार तो बहुत देखे लेकिन आप सा नहीं देखा, आपने अनेकों को पत्रकार बनाया, अनेकों के आप प्रेरणाश्रोत है, मेरी और से आपको विनम्र श्रधान्गली
तरुण सिसोदिया