Connect with us

Hi, what are you looking for?

साहित्य

वीएन राय के पीछे पड़े हैं वामपंथी!

: आलोक मेहता भी निशाने पर : पिछले दिनों ‘हंस’ पत्रिका का सालाना जलसा दिल्ली के ऐवाने गालिब सभागार में हुआ. यहां एक गोष्ठी हुई जिसमें कई नामचीन लोग बुलाए गए थे. इसमें बोलते हुए वीएन राय ने राज्य मशीनरी की हिंसा को जायज ठहराने की कोशिश की. इससे खफा कई श्रोताओं-पत्रकारों ने वीएन राय को कार्यक्रम के बाद घेर लिया.

<p style="text-align: justify;">: <strong>आलोक मेहता भी निशाने पर</strong> : पिछले दिनों ‘हंस’ पत्रिका का सालाना जलसा दिल्ली के ऐवाने गालिब सभागार में हुआ. यहां एक गोष्ठी हुई जिसमें कई नामचीन लोग बुलाए गए थे. इसमें बोलते हुए वीएन राय ने राज्य मशीनरी की हिंसा को जायज ठहराने की कोशिश की. इससे खफा कई श्रोताओं-पत्रकारों ने वीएन राय को कार्यक्रम के बाद घेर लिया.</p> <p>

: आलोक मेहता भी निशाने पर : पिछले दिनों ‘हंस’ पत्रिका का सालाना जलसा दिल्ली के ऐवाने गालिब सभागार में हुआ. यहां एक गोष्ठी हुई जिसमें कई नामचीन लोग बुलाए गए थे. इसमें बोलते हुए वीएन राय ने राज्य मशीनरी की हिंसा को जायज ठहराने की कोशिश की. इससे खफा कई श्रोताओं-पत्रकारों ने वीएन राय को कार्यक्रम के बाद घेर लिया.

तरह-तरह के फिकरे कसे गए. वीएन राय की जमकर लानत-मलानत हुई. हेमचंद्र पांडेय के मुद्दे पर आलोक महेता की भी खूब किरकरी हुई. पहले बात करते हैं आलोक मेहता की. ‘हंस’ के आयोजन में स्वामी अग्निवेश ने उन अखबारों की पक्षधरता पर सवाल उठाया जिन्होंने हेमचन्द्र पांडे को अपने अखबार में लिखने वाला पत्रकार मानने से इनकार किया था. अपने वक्तव्य के दौरान जैसे ही अग्निवेश ने ‘नई दुनिया’ का नाम लिया, श्रोताओं ने कार्यक्रम में बैठे ‘नई दुनिया’ के संपादक से जवाब चाहा और ‘आलोक मेहता शर्म करो’ के स्वर उठने लगे.

इन आरोपों से बौखलाए ‘नई दुनिया’ के संपादक ने अपने ही अखबार के राजनीतिक संपादक विनोद अग्निहोत्री से मंच पर एक चिट भिजवाकर अपना पक्ष रखने की इच्छा जतायी. मौका मिलने पर मंच की तरफ बढ़े आलोक मेहता के कदम मंच तक पहुंचते, उससे पहले ही ‘पद्मश्री अब राज्यसभा’ की आवाजें उन तक पहुंची. बौद्धिक समाज में अब तक इज्जत पाते रहे आलोक मेहता को श्रोताओं का यह रवैया नागवार गुजरा और उन्होंने इसका दोषी संयोग से अग्निवेश को मान लिया. फिर क्या था आलोक मेहता ने न आव देखा न ताव, माओवादी प्रवक्ता आजाद की हत्या के लिए सीधे तौर पर अग्निवेश को ही जिम्मेदार बता दिया. आलोक मेहता ने कहा कि ‘यह भी राजनीति में रहे हैं क्या इनको इतनी भी समझ नहीं थी कि सरकार क्या कर सकती है. क्या जरूरत थी पत्र लेने-देने की. एक निर्दोष आदमी को मरवा दिया.’

आलोक मेहता का इतना कहना था कि पत्रकारों-साहित्यकारों और छात्रों से भरा ऐवाने गालिब सभागार उबल पड़ा और लोग पूछ बैठे कि अदिलाबाद की हत्याओं के लिए आप अग्निवेश को जिम्मेदार मानते हैं? दूसरी बात यह जब आपको पता चल गया कि हेमचन्द्र पांडे ही हेमंत पांडे है तो, क्या आपने अखबार में इस बाबत कोई सफाई छापी?

इन दोनों सवालों पर जवाब न बनता देख पहले तो आलोक मेहता ने डपटने के अंदाज में लोगों को चुप कराने की कोशिश की. असफल रहे तो बड़ी तेजी में श्रोताओं को भला-बुरा कहते हुए कार्यक्रम से निकल लिये. जवाब दिये बगैर उनको सभा से जाते देख श्रोता उनके पीछे हो लिये. मगर जब उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया तो ‘आलोक मेहता सत्ता की दलाली बंद करो’, ‘आलोक मेहता मुर्दाबाद’ और ‘शर्म करो-शर्म करो’ से उनकी अप्रत्याशित विदाई हुई. इस सबके बीच उन्हें यह कहते हुए सुना गया कि ‘पत्रकारिता का स्तर बहुत गिर चुका है.’

इस आयोजन में विभूति नारायण राय की भी काफी किरकिरी हुई थी. मंच पर जब विभूति नारायण को बुलाया गया तो उन्होंने आते ही कहा कि ‘मेरा नाम वक्ताओं में नहीं था, मगर विश्वरंजन के नहीं आने पर राजेंद्र यादव ने मेरा इस्तेमाल स्टेपनी के तौर पर किया है। मैं पूरे तौर पर विश्वरंजन का पक्ष नहीं रखूंगा, लेकिन उनसे विरोध का भी मामला नहीं है।’ यह बात विभूति को इसलिए कहनी पड़ी क्योंकि छत्तीसगढ़ के डीजीपी विश्वरंजन को राजेंद्र यादव बुलाने वाले थे। मगर पत्रकारों, साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों के व्यापक विरोध की वजह से बुला पाने में असफल रहे। विभूति ने कहा- हम लोग अतिरंजना में जीते हैं इसलिए हम मान लेते हैं कि सरकार तानाशाह हो गयी है। अब अगर कोई विश्वरंजन के आने पर उन्हें जूते की माला पहनाता तो वह पैदल तो नहीं आते, मगर ऐसा भी नहीं है कि सरकार के विरोध में बोलने वालों को प्रसाशन उठाकर जेलों में ठूस रहा है। इन सारी हिदायतों के पूर्व पुलिस अधिकारी ने अपनी बात के अंत में कहा- ”कोई भी राजसत्ता कभी भी सशसत्र  आंदोलन को नहीं बर्दाश्त कर सकती। उन्होंने कहा कि कश्मीर में इस्लामिक आतंकवाद के मुकाबले राजकीय आतंकवाद बेहतर है, क्योंकि हम इस्लामिक आतंकवाद से कभी मुक्त नहीं हो सकते।”

कार्यक्रम के बाद विभूति नारायण को पत्रकारों ने घेरा और कहा कि जो बातें आपने कहीं हैं, उनको लेकर हमारे भी कुछ सवाल हैं, जिसके जवाब आपको देने चाहिए. पत्रकारों ने उनसे आग्रह भी किया कि हमने आपको सुना अब आप हमारी सुनें और जवाब दें। इसी बीच संयोग से विभूति नारायण पुलिसिया रोब में आ गये और जवाब देने से मना कर दिया. फिर क्या था, उनकी जो फजीहत हुई कि वीसी साहब को बकायदा भागना पड़ा. ‘विभूति कुछ तो शर्म करो,सत्ता की दलाली बंद करो’ नारे के साथ श्रोता उनको दसियों मिनट तक लॉन में रोके रहे और वे लगातार यहां से निकलने के प्रयास में लगे रहे. इतना ही नहीं उस समय वीसी के सुरक्षा गार्ड की भूमिका में आ चुके और कुछ ज्यादे ही आगे पीछे हो रहे भारत भारद्वाज को डांट भी खानी पड़ी ‘सटअप योर माउथ, हु इज यू.’ दरअसल भारत भारद्वाज काफी तेजी से पत्रकारों पर बड़बड़ा रहे थे.

(इनपुट- जनज्वार से)

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement