सेक्स चैट से संबंधित सभी काल रिसीव करने के लिए गरीब व मजबूर महिलाओं को मोबाइल व पैसे देकर धंधे के दलदल की ओर धकेला : बड़ी कंपनियां रुपये कमाने के लिए किस तरह के नीच काम धड़ल्ले से करती रहती हैं और अपने देश का मीडिया सब जानकर भी विज्ञापन व रेवेन्यू के लालच में अनजान बना रहता है, यह जानना हो तो सिर्फ इस दास्तान को पढ़ लीजिए। इस सच्ची कहानी को पढ़ने के बाद आप दो पल के लिए हक्के-बक्के रह जाएंगे। सोचेंगे, क्या ऐसा भी होता है। जी हां, इस देश में कंपनियों, कारोबारियों, नेताओं, अफसरों, मीडियावालों…. इन क्षेत्रों के ज्यादातर लोगों का उद्देश्य सिर्फ ज्यादा से ज्यादा माल पीटना है। इस माल पीटने की प्रक्रिया में देश व समाज की इज्जत पिट जाए, इज्जत उतर जाए, तो भी चलेगा। लीजिए, वोडाफोन की काली करतूत पढ़ शर्म से सिर झुकाइए….
वोडाफोन के चैट के सच की कहानी : वोडाफोन ने चैट सर्विस के माध्यम से बेशर्मी की हद कर दी है। पैसे के लिए नीचता की सारी हदें पर कर दी। हाल ही में मैंने वोडाफोन का एक नंबर लिया और चैट सर्विस को एक्टीवेट कराने के बाद इसके तह में जाना शुरू किया। चैट सर्विस के घपले के बारे में मित्रों से सुनता तो रहा था पर अब इसे खुद समझने-जानने का समय था। मेरा पत्रकार मन जगा और कर डाला चैट सर्विस का उदघाटन। एक रात में 788 रुपये खर्च करने के बाद जो कुछ मुझे पता चला, वह इस प्रकार है-
वोडाफोन ने पूरे भारत वर्ष में तकरीबन 3000 से ज्यदा कनेक्शन फ्री में उन जरूरतमंद महिलाओं को दिए हैं जिनके लिए 1000 रुपया महीना कमाना संभव नहीं था। वोडाफ़ोन का उद्देश्य उनकी मदद करना बिलकुल नहीं था। वोडाफोन ने इन महिलाओं से बिना किसी लिखत-पढ़त के, एक मौखिक सौदा किया। सौदा यह कि वे रोजाना चैट पर आने वाली सभी कालों को रिसीव करेंगी। उनका दिन का टारगेट होगा तीन घंटे तक लगातार बात करना।
सामने वाला आदमी चाहे जो भी बात करे, जैसी भी बात कहे, महिला को सिर्फ सुनना होगा और हां में हां मिलाना होगा। उसे किसी भी हालत में फोन नहीं काटना होगा। इसके बदले प्रत्येक महिला को रोजाना 90 रुपये मिलेंगे। यानि, महीने के लगभग 3000 रुपए। कोई भी मजबूर लड़की और महिलास जो गरीबी से जूझ रही हो, उसके लिए इतने रुपये शायद नियामत है। इस प्रकार वोडाफोन की यह योजना काम कर गई।
इस चैट नंबर से जब भी आप अपनी पसंद के नंबर, जो कंपनी आपको देती है, को रिंग करेंगे तो सबसे पहले आपकी कॉल एसटीडी ही लगेगी। मेरी 6 कॉल में पहली लगी जम्मू, दूसरी शिमला, तीसरी चंडीगढ़, चौथी जयपुर, दो दिल्ली। इन छह औरतों या लड़कियों में से तीन ने अपना नाम मुझे रिया ही बताया। इससे संभावना ये भी बनती है की वोडाफोन ने कोई कॉल सेंटर टाइप भी खोल लिया हो जिस पर बैठ कर ये लोगों को आसानी से मूर्ख बना सकते हैं और अपनी जेब गर्म कर सकते हैं।
चंडीगढ़ वाली महिला ने बताया कि लोग रात में बात करने के लिए बार-बार फोन करते रहते हैं। पर वो फोन बंद नहीं कर सकती क्योकि तीन बार से ज्यादा फोन बंद मिलने पर वोडाफोन इनके पूरे महीने के पैसे काट लेता है। पैसे इनके लिए जरूरी है। सो ये चुपचाप लोगों की गन्दी-गन्दी बातें मज़बूरी में सुनती रहती हैं।
अपने व्यवहार को गुप्त रखने के लिए इन लोगों ने इन महिलाओं का बैंक खाता तक खुलवा दिया है। ये खाते वोडाफोन के स्थानीय डीलरों द्वारा संचालित हो रहे हैं। मतलब साफ है। कम्पनी की प्रतिष्ठा पर कोई आंच भी न आए और कंपनी को चैट के नाम पर अरबों-खरबों रुपये मिल जाएं। कंपनी अपने लोकल लोगों के जरिए इन महिलाओं से संपर्क में रहती है। ये भी संभव है कि ये महिलाएं कंपनी से ज्यादा पैसे पाती हों।
सबसे जरूरी और अहम बात। यह योजना भारत के ही नवयुवकों ने बनाई होगी जो इस कंपनी में बड़े पदों पर आसीन हैं। ऐसा इन लोगों ने कंपनी को फायदा पहुंचाने के मकसद से किया होगा। लेकिन इसका कितना खराब असर समाज और देश पर पड़ रहा है, इसका उन्हें अंदाजा नहीं होगा। इन युवकों पर आप गर्व करेंगे या शर्म?
वोडाफोन की चैट सर्विस अखबार में आने वाले उन खतरनाक विज्ञापनों से भी भयानक है जिसमे प्यार की मीठी-मीठी बातों का झांसा दिया जाता है। शर्म आती है इस कंपनी की सोच पर जो पैसे कमाने के लिए इतना गिर गई। मैं जानता हूं कि बहुत से न्यूज़ चैनल और अखबार वोडाफोन की करतूत की यह स्टोरी चलाने, प्रकाशित करने से डरेंगे क्योंकि उनके पास वोडाफोन का महंगा वाला विज्ञापन आता होगा। पर चंद विज्ञापनों के लालच में हम गलत को उजागर ही न करें, यह कहां की पत्रकारिता है। मेरा लिखा हुआ एक-एक शब्द मेरे व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित है। मेरे पास उसका प्रमाण भी है। मेरे कथन और लेखन का उद्देश्य एक कंपनी के गलत आचरण को उजागर करना है। एक ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत को कई सौ वर्ष गुलाम रखा। अगर वोडाफोन जैसी बाहरी कंपनियां यूं ही ऐन-केन-प्रकारेण धनोपार्जन करती रहीं तो कहीं हम लोग एक बार फिर नैतिक पतन के जाल में फंसकर अपने को गुलाम न बना लें। यहां सवाल उन औरतो के स्वाभिमान का भी है जो चंद पैसों के लालच में फंस गई हैं।
कुछ और कारगुजारियां : वोडाफोन ने हाल ही में एक योजना चलाई थी जिसमें कंपनी ने रोजाना 20 मिनट से अधिक बात करने वाले अपने ग्राहकों को प्रति दिन सोने का एक सिक्का और ड्रा के आधार पर एक कार जीतने का मौका दिया था। इस योजना के तहत पुरस्कार पाने के लालच में कंपनी के ग्राहक मोबाइल फोन पर गैर-जरूरी कॉल करने लगे। एक संस्था ने यह शिकायत दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सहगल के माध्यम से की थी। सहगल ने इस मामले की पैरवी की। शिकायत पर दिल्ली राज्य के उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश जे.डी. कपूर ने कहा कि प्रतिदिन 20 मिनट से अधिक बात करने वाले अपने ग्राहकों के लिए सोने के 10 सिक्के और मारुती कार की बंपर पुरस्कार की लुभावनी योजना चलाकर कंपनी अप्रत्यक्ष रूप से अपने कारोबार को बढ़ा रही है। यह उचित नहीं है। इसलिए दिल्ली सरकार की उपभोक्ता अदालत ने वोडाफोन एस्सार पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। कपूर ने आदेश में कहा कि जुर्माने की रशि से 100,000 रुपये उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए काम करने वाली स्वयं सेवी संस्था ‘सोसाइटी आफ कैटलिस्ट’ को दिया जाए और शेष राशि दिल्ली राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा कराई जाए।
वोडाफोन के बारे में : वोडाफोन एस्सार भारत में वोडाफोन समूह की एक सहायक कंपनी है। 1994 में इसकी पूर्ववर्ती कंपनी हचिसन टेलीकॉम ने मुंबई के लिए सेलुलर लाइसेंस हासिल कर कार्य शुरू किया। बाद में वोडाफोन ने हच का अधिग्रहण कर लिया। वोडाफ़ोन एस्सार अब 22 हलकों में 58.76 लाख ग्राहकों (सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, 15 नवंबर, 2008 के आंकड़े) के साथ संचालन कर रही है। इन वर्षों में वोडाफ़ोन एस्सार में हच ब्रांड के तहत, ‘सबसे सम्मानित दूरसंचार कंपनी’, ‘देश में सर्वश्रेष्ठ मोबाइल सेवा प्रदाता कम्पनी ‘ और ‘ज्यादातर क्रिएटिव और सबसे प्रभावी विज्ञापनदाता वर्ष’ नाम दिया गया है।
लेखक अरविंद सुधाकर टीवी जर्नलिस्ट हैं और इन दिनों दिल्ली में सीएनईबी न्यूज में कार्यरत हैं। उनसे संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है।
amresh srivastav
March 25, 2010 at 3:11 pm
very good lage raho bhai
amresh srivastav
March 25, 2010 at 3:12 pm
jago aur jagao
mukesh khanduri
June 5, 2010 at 7:28 am
ye bhut galat hai kis vi ladki ki majburi ka fyeda utana galat hai
jaswant singh
July 11, 2010 at 8:40 am
jago mere desh ke logo jogo
Prakash
December 6, 2010 at 1:19 pm
Not only Vodafone but almost all
channels,news papers r using this
formula, either in d form of chatting
or advertisement.Best way is not to
get involved ourself, to use our common
sense.