अमित सिन्हा बोले- डील साइन होने के मुद्दे पर अबकी आर या पार : वीओआई कर्मियों के एकाउंट में बकाया सेलरी जाने के बाद आंतरिक विवाद फिलहाल शांत : सभी कर्मचारियों को बकाया सेलरी दे दिए जाने से वायस आफ इंडिया का आंतरिक संकट तो फिलहाल दूर हो गया है लेकिन चैनल की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। चैनल के किस्मत का फैसला होना बाकी है। वीओआई के लिए इस महीने के शेष बचे आखिरी कुछ दिन निर्णायक साबित होने जा रहे हैं। भड़ास4मीडिया को उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मित्तल बंधुओं और अमित सिन्हा के बीच चैनल के संचालन को लेकर जो समझौता होना बाकी है, उस पर आखिरी सहमति या असहमति अगले कुछ दिनों में होने वाली है। जिस डील की चर्चा पिछले कई महीनों से है, उस पर कई दौर की मीटिंग के बावजूद सहमति न बनने के कारण दोनों पक्षों की ओर से हस्ताक्षर अभी तक नहीं हो सका है।
एक जानकारी के मुताबिक पंद्रह दिन पहले मित्तल बंधुओं और अमित सिन्हा की बैठक में करीब-करीब तय हो गया था कि समझौता नहीं हो सकेगा। तब त्रिवेणी ग्रुप के कर्ताधर्ताओं ने चैनल से ज्यादातर वरिष्ठ लोगों को हटाने और पत्रकारिता के छात्रों के सहारे ‘लो कास्ट माडल’ पर खुद ही चैनल चलाने का फैसला ले लिया था। बाद में अमित सिन्हा और चैनल के उनके करीबी लोगों की बैठक में सैकड़ों लोगों की रोजी-रोटी बचाने और चैनल चलाने के लिए मित्तल बंधुओं से फिर बात करने पर सहमति बनी। चैनल के संचालन हेतु समझौते की नई शर्तें बनाकर उस पर सहमति के लिए मित्तल बंधुओं से फिर बातचीत करने का फैसला किया गया। यही मीटिंग अगले कुछ दिनों में प्रस्तावित है। नए सिरे से जो मसौदा बन रहा है, उस पर नोएडा में वरिष्ठ वकीलों और दक्ष एकाउंटेंटों की टीम काम कर रही है। अगले कुछ दिनों में इस पर हस्ताक्षर के लिए मित्तल बंधुओं और अमित सिन्हा के बीच बैठक होना तय है। सूत्र कहते हैं कि मामला फिफ्टी-फिफ्टी का है। समझौते पर हस्ताक्षर हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है। अगर नहीं होता है तो उस परिदृश्य में मित्तल बंधुओं द्वारा चैनल को जूनियर लोगों द्वारा बेहद लो कास्ट में संचालित किया जाएगा और चैनल के वरिष्ठों से छुट्टी पाने की कोशिश की जाएगी। अगर ऐसा होता है तो वीओआई के एक बार फिर सुलग उठने के आसार हैं। समझौता अगर हो जाता है तो अभी तक के ट्रेंड को देखते हुए वीओआई के कायाकल्प की संभावना है।
पत्रकारिता के बाद विज्ञापन और बाजार की दुनिया में सक्रिय होकर इसकी अच्छी-खासी समझ बनाने वाले अमित सिन्हा ने पिछले कुछ महीनों में जिस तरह से वीओआई के रेवेन्यू माडल को दुरुस्त किया है, ढेर सारे कारपोरेट व सरकारी विज्ञापनदाताओं को चैनल से जोड़ा है, करोड़ों रुपये चैनल के खाते में ला पाने में सफल हुए हैं, उससे संकेत मिलते हैं कि उनके नेतृत्व में चैनल अपनी साख और समृद्धि हासिल करने की क्षमता रखता है। कुछ लोगों का कहना है कि अमित सिन्हा की शुरुआती सफलता से चैनल न चलाने देने की मंशा पाले लोगों को झटका लगा है और इन लोगों ने किसी भी तरह वीओआई की दुबारा बनी साख को खराब करने के लिए साजिश रची। पर यह साजिश भी सफल नहीं हो सकी। अमित सिन्हा ने डील हुए बिना ही सभी कर्मचारियों को बकाया सेलरी देकर संकेत दे दिया है कि उनकी मंशा में कोई खोट नहीं है, दिक्कत सिर्फ समझौते पर हस्ताक्षर होने भर की है। पिछले दो दिनों में ढाई सौ कर्मियों की बकाया सेलरी उनके एकाउंट में आ गई है जिससे हर तरफ खुशी का माहौल है। इसी कारण तनख्वाह के लिए लड़ रहे चैनल के दो दर्जन से ज्यादा कर्मचारियों ने सेलरी आने के बाद अपनी हड़ताल खत्म कर दी है और फिर से चैनल को चलाने-बढ़ाने के लिए तैयार हो गए हैं।
ज्ञात हो कि करीब तीन दर्जन वीओआईकर्मियों ने पिछले कई दिनों से वीओआई के नोएडा स्थित आफिस में कामकाज बंद कर डेरा डाल दिया था। चैनल को आफ एयर करा दिया था। इस कारण वीओआई के संचालन को जारी रखने के लिए ग्रुप एडिटर किशोर मालवीय की अगुवाई में वीओआई के दर्जनों वरिष्ठों और कनिष्ठों ने जैन टीवी के स्टूडियो को किराये पर लेकर कामकाज शुरू किया और बेहद सीमित संसाधनों में चैनल को लाइव कराने में सफलता पाई। वीओआई के सभी नेशनल और रीजनल चैनलों में कुल मिलाकर 500 के करीब लोग काम करते हैं।
चैनल से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी भड़ास4मीडिया से बातचीत में कहते हैं कि किसी मसले पर चैनल को बंद करा देने और सैकड़ों लोगों को बेकार बना देने का प्रयास करना उचित नहीं था। इसके पहले भी समस्याओं को लेकर लोगों ने कई तरीकों से दबाव बनाया और अपनी बातें मनवाई लेकिन ऐसा कभी नहीं किया गया कि चैनल ही बंद करा दिया जाए। अगर किसी मीडिया कंपनी का प्रबंधन अपने यहां से दो या चार लोगों की छंटनी करता है तो उसे यह कहकर धिक्कारा जाता है कि कर्मचारियों के पेट पर लात मार दी और रोजी-रोटी छीन ली। लेकिन वीओआई के कई लोग अनजाने में बाहरी तत्वों के इशारे पर चैनल के 500 लोगों की रोजी-रोटी छीन लेने पर आमदा हो गए। इस आंदोलन को शह चैनल के अंदर और बाहर के कुछ ऐसे वरिष्ठ लोगों ने दिया जो कतई नहीं चाहते कि अमित सिन्हा इस चैनल को चला ले जाएं। इसीलिए अमित सिन्हा के खिलाफ कई माध्यमों से दुष्प्रचार कराया गया। पर यह साबित हो गया है कि आंतरिक और बाहरी विरोध के बावजूद चैनल चलाया जा सकता है।
आंदोलन खत्म होने के बाद के परिदृश्य के बारे में वीओआई के ग्रुप एडिटर किशोर मालवीय ने भड़ास4मीडिया से बातचीत में कहा कि सभी लोग काम पर वापस आ गए हैं। ये लोग अपने वीओआई परिवार के सदस्य हैं। परिवार में यह सब होता रहता है। मैं भड़ास4मीडिया के जरिए अपने सभी साथियों से अनुरोध करना चाहूंगा कि वे किसी तरह की आशंका में न रहें। किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने जा रही है। ये बिलकुल न सोचें कि कार्रवाई होगी या कोई हटाया जाएगा। मतभेद होते रहते हैं। घर में भी झगड़े होते हैं। झगड़े खत्म करके मिल-जुलकर काम करना ही सर्व हित में होता है।
उधर, वीओआई को आफ एयर कराने के आंदोलन से जुड़े रहे एक कर्मचारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर भड़ास4मीडिया को बताया कि दरअसल उन लोगों के साथ छल हुआ। पहले तो कई लोगों ने हड़ताल के लिए उकसाया और बाद में वे ही प्रबंधन के खास बन गए या तटस्थ होकर किनारे निकल लिए। जो सीधे और भावुक लोग थे, वे चाल नहीं समझ पाए और आंदोलन में डंटे रहे। हालांकि हम लोगों को आश्वासन मिला है कि नौकरी से निकाला नहीं जाएगा। प्रबंधन का यह रुख स्वागतयोग्य है। इसी कारण हम लोगों ने हड़ताल खत्म कर चैनल चलाने का फैसला लिया है।
एक अन्य जानकारी के मुताबिक हड़ताल के दिनों में जिस स्थानीय नंबर से वीओआई के कई वरिष्ठों को फोन कर धमकी दी गई थी, वह नंबर वीओआई के नोएडा स्थित आफिस के एसाइनमेंट डेस्क का था। इससे जाहिर होता है कि चैनल के हड़ताली कर्मचारियों ने काम पर जा चुके लोगों से नाराज होकर उन्हें धमकाया था। अब हड़ताल खत्म होने के बाद प्रबंधन इस प्रकरण को भूल जाना चाहता है। चैनल के वरिष्ठ भी आंदोलनकारी कर्मचारियों की गल्तियों को भूल कर उन्हें फिर से साथ लेने को उत्सुक दिख रहे हैं। ऐसा चैनल के हित को देखते हुए किया जा रहा है।
उधर, मीडिया जगत के एक विश्लेषक का इस पूरे मसले पर कहना है कि वीओआई का मामला आसान, स्थूल और मोनोलिथिक नहीं रहा। यहां एक-दो नहीं बल्कि दर्जनों लोगों के तरह-तरह के इंट्रेस्ट का क्लैश हो रहा है और ये लोग अपने-अपने लोगों व लाबी को मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। संभव है इस प्रक्रिया में कई ईमानदार और बेहतर लोग बलि का बकरा बन जाएं पर वीओआई में जो कुछ हो रहा है, उसका भविष्य अब मित्तल बंधुओं और अमित सिन्हा के बीच डील साइन होने पर टिका हुआ है। अगर डील साइन नहीं हो पाती है तो कहा जा सकता है कि वीओआई और उससे जुड़े लोगों के आने वाले दिन मुश्किल वाले होंगे।
डील के मसले और वीओआई के अंदर जो कुछ हुआ, उस पर भड़ास4मीडिया ने वीओआई के निदेशक और सीईओ अमित सिन्हा से बात की तो उन्होंने कई बातें इशारे-इशारे में और कुछ खुल कर कहीं। अमित ने कहा- ‘भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में जो कहा है कि जो हुआ वो भी अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वो भी अच्छा हो रहा है और जो होगा वो भी बहुत अच्छा होगा, सभी के लिए। दूसरी बात- जो भी व्यक्ति दुख और सुख में, समभाव रहता है, उसे कभी कोई परेशानी नहीं होती। वीओआई में जो परिघटना हुई है, उससे कई लोगों के चेहरे समझ में आ गए हैं। यह ज्यादा अच्छा हुआ। हो सकता था ये चेहरे बहुत देर तक मैं समझ नहीं पाता लेकिन सब कुछ बहुत जल्द सामने आ गया। ऐसी-ऐसी चीजें हुई हैं, जिसे जान, सुन और देखकर मैं खुद हतप्रभ हूं। कैसे वीओआई के ही कुछ लोग वीओआई को न चलने देने के लिए और सैकड़ों लोगों को बेरोजगार बनाने के लिए आमादा हैं, यह पता चला है। एक या डेढ़ महीने की सेलरी का बाकी होना कोई बहुत बड़ी बात नहीं होती। हमने कभी नहीं कहा कि सेलरी नहीं दी जाएगी। जब तक मैं हूं, किसी को किसी तरह की दिक्कत नहीं आने दूंगा। मैंने अपने साथियों की किस-किस तरह मदद की है, ये मैं जानता हूं या वे साथी जानते होंगे जिनकी मदद मैंने की है। ये सब कहने वाली बात नहीं है। मेरे दिल में कोई खोट नहीं है। अब सबसे बड़ा एजेंडा डील साइन होने का है। अगले कुछ दिनों में स्पष्ट हो जाएगा कि मुझे वीओआई के साथ रहना है या नहीं। अबकी डील या तो साइन होगी या नहीं होगी। आर-पार होगा। मेरे पास बैकअप है। मैं चार घंटे के अंदर किसी नए चैनल के साथ आन एयर होने की हैसियत रखता हूं। इसलिए मुझे कोई दिक्कत नहीं है। मैं आपका आभारी हूं, इस मुश्किल वक्त में भी वीओआई और उसके कर्मियों के हित के मसलों को आप लोग प्रमुखता से उठाते रहे। मुझे बस इतना ही कहना है।’