‘चापलूस’ पत्रकारों को यूपी सरकार का झटका

Spread the love

लखनऊ। अखिलेश यादव सरकार से सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के मामले में मुलायमपंथी कई दिग्गज पत्रकारों को काफी निराशा हाथ लगी है। अभी किसी के नाम की घोषणा नहीं की गई है। लेकिन जिन लोगों के नाम पर सहमति बनी है उनमें एक सपा मुखिया के रिश्तेदार बताए जा रहे हैं। जिन लोगों को मौका नहीं मिला है उनमें काफी संख्या ऐसे पत्रकारों की है जो मुलायमपंथ के अनुयायी रहे हैं।

सपा सरकार जब भी सत्ता में होती है तो ऐसे चापलूस पत्रकारों की बाढ़ आ जाती है। लेकिन इस सबके बावजूद जो खबरें छन के आ रही हैं, उनमें ऐसे लोगों को फिलहाल कोई रेवड़ी नहीं दी गई है। सूत्रों की माने तो सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए दो सौ से ज्यादा पत्रकारों ने आवेदन किया था। इनमें वे लोग भी शामिल थे जिन्होंने मुलायम की पूर्ववर्ती सरकार में विवेकाधीन कोष से मोटी मलाई काटी थी। और कुछ वो भी थे जो मायावती की पिछली सरकार में अपना जनेऊ दिखाकर मलाई काटने में आगे रहे। यह बात दीगर है कि इस टाइप के दलाल पत्रकारों को बसपा सरकार में हाशिए पर रखा गया। जिन पत्रकारों ने लोहिया ट़्रस्ट के मंच पर नेताजी और सपा की शान के कसीदे पढ़े वो लोग भी नहीं पूछे गए।
 
मजेदार बात तो यह है कि सूचना आयुक्तों की भर्ती के लिए आवेदन करने वाले कुछ आठवीं पास इलेक्ट्रानिक चैनल के कैमरामैन और कुछ काबीना मंत्री मोहम्मद आजम खां के करीबी लोगों को भी दरकिनार कर दिया गया। सूचना आयुक्त बनने की चाह की एक पत्रकार ऐसे भी थे जो नेताओं से लेकर अधिकारियों तक को ताकत बढ़ाने की गोलियां मुहैया कराते आए हैं। यह महाशय पिछली बसपा सरकार में अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन के सलाहकार रह चुके हैं। आयुक्तों के नामों की घोषणा होने तक सभी एक-दूसरे से अपने नामों को पुष्टि कराने में लगे हैं।

पत्रकारों के रूप में आवेदन करने वाले लोगों में वो लोग भी थे, जिनका जरायम की दुनिया से भी वास्ता रहा। लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद ऐसे लोगों को लगने लगा कि मानों उनकी मुंह मांगी मुराद पूरी हो गई। वे बाकायदा मान्यता लेकर सत्ता के गलियारों में नेताओं अफसरों की चंपूगिरी करते देखे जा सकते हैं। आयुक्तों के नामों की घोषणा में जिन नामों की घोषणा हो जाएगी उसके बाद भी लोग थकने वाले नहीं है। लोग सलाहकार बनकर लालबत्ती पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। बसपा सरकार में जनेऊ कान में चढ़ाकर और नीला झंडा उठाकर अपनी वल्दियत बदलने तक की शर्त पर कुछ भी पाने की लालसा रखे थे, वहीं लोग इस समय घर के भीतर बाहर सपा का झंडा लगाकर कुछ भी हासिल करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।

त्रिनाथ के शर्मा की रिपोर्ट. यह रिपोर्ट दिव्‍य संदेश में भी प्रकाशित हो चुकी है.

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *